Shri Rajveer filed a consumer case on 11 May 2018 against Shri Ram Transport Finance Company Ltd. & others in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/8/2016 and the judgment uploaded on 15 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/8/2016
Shri Rajveer - Complainant(s)
Versus
Shri Ram Transport Finance Company Ltd. & others - Opp.Party(s)
Mohd. Usmaan
11 May 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या- 08/2016
राजवीर सिंह आयु 40 वर्ष पुत्र श्री शंकर सिंह निवासी ग्राम बकैनिया थाना पाकबड़ा तहसील व जिला मुरादाबाद। …..परिवादी
बनाम
1-प्रबन्धक/मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाईनेंस कंपनी लि. प्रथम मंजिल प्रेम रतन काम्पलेक्स विजया बैंक के ऊपर निकट सांई अस्पताल दिल्ली रोड मुरादाबाद।
2-महफूज हुसैन पुत्र शाहिद हुसैन निवासी ग्राम बकैनिया थाना पाकबड़ा जिला मुरादाबाद।
3-मुस्तकीम पुत्र अब्दुल हमीद निवासी ग्राम बकैनिया थाना पाकबड़ा जिला मुरादाबाद।
….....विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 09-02-2016 निर्णय तिथि: 11.05.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि उसे कनटेनर सं.-यूपी-21एएन-3491 विपक्षी-1 से दिलाया जाये अथवा उसकी कीमत के अनुसार बकाया अंकन-1,92,305/-रूपये दिलाये जायें। क्षतिपूर्ति की मद में 10 हजार रूपये और नोटिस दिनांकित 16-11-2015 में विपक्षी-1 द्वारा मांगी गई धनराशि को निरस्त किया जाये।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी-1 से परिवादी ने कनटेनर खरीदने हेतु दिनांक 11-6-2011 को अंकन-13,60,000/-रूपये का ऋण लिया था। परिवादी एक साल तक ऋण की किस्तों का भुगतान करता रहा। आर्थिक स्थिति खराब हो जाने की वजह से उसने उक्त कनटेनर विपक्षी-2 के चाचा मुस्तकीम हुसैन, जो परिवाद में विपक्षी-3 है, को इस शर्त के साथ बेच दिया कि आगे से ऋण की किस्तें विपक्षी-3 चुकायेगा। विपक्षी-2 ऋण का गारन्टर है। परिवादी के अनुसार विपक्षी-1 से दिनांक 10-12-2015 को परिवादी के पास एक नोटिस आया, जिसमें विपक्षी-1 ने सूचित किया कि उन्होंने उसका कनटेनर बेच दिया है। नोटिस में परिवादी की ओर अंकन-6,70695/-रूपये बकाया होना बताया। परिवादी के अनुसार जिस समय विपक्षी-1 ने कनटेनर बेचा, उस समय उसकी अनुमानित कीमत लगभग 8 लाख रूपये थी। परिवादी के अनुसार वह कनटेनर का पंजीकृत स्वामी है। विपक्षी-1 ने बेचने से पूर्व उसे कोई सूचना नहीं दी। विपक्षी-1 की ओर उसके अंकन-1,92,305/-रूपये निकलते हैं, जो विपक्षी-1 द्वारा परिवादी को दिये जाने चाहिए। उक्त कथनों के आधार पर और विपक्षी-1 के कृत्यों को सेवा में कमी बताते हुए परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 दाखिल किया, इसके अतिरिक्त विपक्षी-1 को भिजवाये गये कानूनी नोटिस, पेन कार्ड, ट्रक की आर.सी., विपक्षी-1 की ओर से प्राप्त हुए नोटिस दिनांकित 16-11-2015 तथा ऋण के सापेक्ष विपक्षी-1 को अदा की गई मासिक किस्तों की रसीदात की नकलों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/26 हैं।
विपक्षी-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/4 दाखिल हुआ, जिसमें परिवादी के अनुरोध पर कनटेनर खरीदने हेतु उसे अंकन-13,60,000/-रूपये का ऋण स्वीकृत किया जाना और उस ऋण की ब्याज सहित अदायगी 45 मासिक किस्तों में किये जाने का अनुबन्ध परिवादी के साथ निष्पादित किया जाना तो स्वीकार किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों को अस्वीकार किया गया। अग्रेत्तर कथन किया गया कि ब्याज सहित परिवादी को कुल मिलाकर ऋण की मद में अंकन-17,70,429/-रूपये दिनांक 20-3-2015 तक वापस करने थे। अदायगी में देरी होने की दशा में 3 प्रतिशत मासिक की दर से परिवादी को अतिरिक्त ब्याज भी देना था। वर्ष 2012, 2013 व 2014 में कनटेनर का बीमा भी उत्तरदाता विपक्षी-1 ने कराया और उक्त बीमे की राशि भी परिवादी को अदा करनी थी। परिवादी ने 25-3-2015 तक केवल अंकन-1178344/-रूपये कंपनी में जमा किये, तदोपरान्त कनटेनर को विपक्षी-1 की सुपूर्दगी में देकर और उसे बेचकर शेष रकम वसूल करने का परिवादी ने विपक्षी-1 से अनुरोध किया, जिसके कारण विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए कंपनी ने अंकन-7,40,000/-रूपये में उक्त कनटेनर बेच दिया। स्टेटमेंट आफ बैंक एकाउन्ट के अनुसार शेष धनराशि बार-बार मांगने पर भी परिवादी ने कोई जबाव नहीं दिया, जब परिवादी को दिनांक 16-11-2015 की तिथि का एक नोटिस विपक्षी-1 ने भेजा तब भी परिवादी ने कोई उत्तर नहीं दिया। विपक्षी-1 ने यह भी कहा कि एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार मामला आर्बिट्रेटर के सुपूर्द कर दिया गया है, जो आर्बिट्रेशन केस नं.-439/2015 के रूप में आर्बिट्रेटर के समक्ष विचाराधीन है। परिवादी ने आर.टी.ओ. अथवा पुलिस को अपना कनटेनर जबरदस्ती खिंचवा लिये जाने की किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दी। प्रकट है कि परिवादी ने स्वेच्छा से कनटेनर उत्तरदाता के सुपूर्द किया था। आर्बिट्रेशन केस चूंकि विचाराधीन है, अतएव इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। उक्त कथनों के आधार पर विपक्षी-1 ने परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
ऋण के गारंटर विपक्षी-2 महफूज हुसैन ने अपने शपथपत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/2 दाखिल किया, जिसमें परिवादी द्वारा प्रश्नगत ऋण लिया जाना और उस ऋण का गारंटर उत्तरदाता विपक्षी-2 का होना तो स्वीकार किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों को अस्वीकार किया गया। विपक्षी-2 का अग्रेत्तर कथन है कि ऋण की अदायगी की जिम्मेदारी परिवादी की है, उत्तरदाता की कोई जिम्मेदारी ऋण की अदायगी की नहीं है। उसे गलत पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी-1 गारंटर होने के नाते उसे बार-बार वसूली हेतु परेशान कर रहा है, जबकि ऋण की अदायगी परिवादी को करनी है। उसने अपने विरूद्ध परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
विपक्षी-3 तामील के बावजूद भी ने तो उपस्थित हुआ और न ही उन्होंने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया। अतएव फोरम के आदेश दिनांक 16-3-2016 के अनुपालन में परिवाद की सुनवाई विपक्षी-3 के विरूद्ध एकपक्षीय की गई।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-17/1 लगायत 17/3 दाखिल किया।
गारंटर महफूज हुसैन ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-18/1 लगायत 18/2 दाखिल किया।
विपक्षी-1 की ओर से उसके पावर आफ अटार्नी अवधेष कुमार सक्सेना का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-20/1 लगायत 20/4 दाखिल हुआ। विपक्षी-1 की ओर से सूची कागज सं.-27 द्वारा परिवादी के साथ हुए ऋण अनुबन्ध, ऋण के स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट, कनटेनर को बेचने से पूर्व परिवादी तथा गारंटर को भेजे गये नोटिस तथा ऋण के संदर्भ में विपक्षी-1 द्वारा परिवादी और गारंटर के विरूद्ध आर्बिट्रेटर के समक्ष प्रसतुत आर्बिट्रेशन केस सं.-439/2015 के नोटिस की नकलों को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-27/1 लगायत 27/27 हैं।
परिवादी तथा विपक्षी-2 ने लिखित बहस दाखिल की, शेष विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने परिवादी तथा विपक्षी-1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। बहस हेतु विपक्षी-2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
परिवाद कथनों के अनुसार विपक्षी-1 ने प्रश्नगत कनटेनर के ऋण की मद में परिवादी की ओर अंकन-6,7,0695/-रूपये और देय होना कहते हुए परिवादी को नोटिस दिनांकित 10-12-2015 द्वारा इसको अदा करने का अनुरोध किया। इसके विपरीत परिवादी का कथन है कि विपक्षी-1 द्वारा उसका कनटेनर बेच देने के बाद परिवादी के विपक्षी-1 की ओर अंकन-1,92,305/-रूपये बकाया निकलते हैं, जो विपक्षी-1 से परिवादी को दिलाये जाये। प्रकट है कि एक ओर विपक्षी-1 प्रश्नगत ऋण के सिलसिले में परिवादी से अवशेष राशि की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर परिवादी, विपक्षी-1 से परिवाद के अनुतोष खण्ड में मांगी गई अंकन-1,92,305/-रूपये की धनराशि की मांग कर रहा है। प्रकट है कि विपक्षी-1 व परिवादी के मध्य ऋण के सिलसिले में एकाउन्टिंग का विवाद है। II(2005)सीपीजे पृष्ठ-92 अशोक लीलैण्ड फाईनेंस कंपनी लि बनाम हिमांशु थुमार की निर्णयज विधि में माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग, गुजरात द्वारा यह अवधारित किया गया है कि पक्षकारों के मध्य एकाउन्टिंग का विवाद ’’उपभोक्ता विवाद’’ नहीं है। अतएव फोरम को ऐसे विवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-13 में यह स्वीकार किया है कि उसके और विपक्षी-1 के मध्य ऋण की अदायगी की वसूली के सिलसिले में आर्बिट्रेशन वाद प्रारम्भ हो चुका है, जिसमें परिवादी उपस्थित भी हो गया है। विपक्षी-1 की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र के पैरा-14 के अनुसार यह आर्बिट्रेशन केस वर्ष 2015 में विपक्षी-1 ने दायर कर दिया था। इस आर्बिट्रेशन केस का जो नोटिस परिवादी ओर ऋण के गारंटर महफूज हुसैन विपक्षी-2 को भेजा गया था, उसकी नकल पत्रावली का कागज सं.-27/27 है। फोरम के समक्ष यह परिवाद वर्ष 2016 में दायर हुआ था। स्पष्ट है कि इस परिवाद के योजित होने से पूर्व विपक्षी-1 ने आर्बिट्रेटर के समक्ष प्रश्नगत ऋण की वसूली के लिए आर्बिट्रेशन केस सं.-439/2015 परिवादी और गारंटर के खिलाफ दायर कर दिया गया था। स्वीकृत रूप से यह आर्बिट्रेशन केस अभी लंबित है। I(2016)सीपीजे पृष्ठ-552 (एनसी), टी श्रीनिवास व एक अन्य बनाम श्रीजा कंस्ट्रक्शन की निर्णयज विधि में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह अवधारित किया गया है कि यदि फोरम के समक्ष परिवाद योजित किये जाने से पूर्व उसी विवाद के सिलसिले में आर्बिट्रेशन के समक्ष मामला दायर हो चुका है तो फोरम को ऐसे परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं होगा। यह रूलिंग वर्तमान मामले के तथ्यों पर पूरी तरह लागू होता है, इस रूलिंग के दृष्टिगत यह परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि उसका कनटेनर बेचने से पूर्व विपक्षी-1 ने परिवादी को कोई सूचना नहीं दी। विपक्षी-1 की ओर से परिवादी के उक्त तर्क का प्रतिवाद करते हुए हमारा ध्यान परिवादी व ऋण के गारंटर को भेजे गये प्री सेल नोटिस की नकल कागज सं.-27/26 की और आकर्षित किया। यह नोटिस दिनांकित 06-01-2015 का है। परिवाद दिनांक 09-02-2016 को फोरम के समक्ष योजित हुआ। प्री सेल नोटिस की पुस्त पर इस नोटिस को डाक द्वारा भेजे जाने की डाकखाने की मोहर है, जिससे प्रकट है कि यह नोटिस परिवादी और ऋण के गारंटर को दिनांक 06-01-2015 को पंजीकृत डाक से भेजा गया था। ऐसी दशा में परिवादी पक्ष के इस कथन में कोई बल नहीं रह जाता है कि कनटेनर बेचने से पूर्व विपक्षी-1 ने परिवादी को कोई सूचना नहीं दी थी। प्रकट है कि विपक्षी-1 ने कनटेनर बेचने से पूर्व विधिक प्रक्रिया का अनुपालन किया था। परिवाद कथनों के अवलोकन से ऐसा भी आभास नहीं होता है कि विपक्षी कंपनी ने परिवादी का कनटेनर ओन-पोने दाम में बेचा हो।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि प्रत्येक दृष्टिकोण से परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण खारिज किया जाता है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों में उभयपक्ष अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 11-05-2018
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