राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1416/96
चीफ रीजनल मार्केटिंग मैनेजर द्वारा इन्डो अमेरिकन हाइब्रिड सीडस 204
पालिका भवन, आर0के0 पुरम, सेक्टर 13 न्यू दिल्ली। .....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
श्री राम निवास पुत्र श्री बाबूराम निवासी ग्राम नगला पट्टी पोस्ट जखेरा
जिला एटा यू0पी0। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री अरूण टंडन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 21.05.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला फोरम एटा द्वारा परिवाद संख्या 59/95 में पारित निर्णय/आदेश दि. 29.03.96 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश प्राप्ति के 30 दिन के अंदर परिवादी द्वारा उनको दिनांक 13.08.94 को भुगतान की गई बीज की कीमत रू. 3000/- दिनांक 24.02.95 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत ब्याज सहित परिवादी को वापस करें।''
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी से दि. 13.08.94 का बंदगोभी के दो किस्म के 400 ग्राम बीज रू. 3000/- में खरीदे। विपक्षी द्वारा प्रकाशित कार्यबुक के आधार पर दोनों प्रकार की बंदगोभियों को रोपाई से 65-70 एवं 60-65 दिन में हो जानी चाहिए थी। परिवादी ने उक्त बीज की बुवाई 3 एकड़ जमीन में करवाई और पौध तैयार होने पर उसकी रोपाई करवाई। परिवादी नियमित तरीके से खाद की निराई, गुड़ाई व सिंचाई करता रहा एवं आवश्यकतानुसार खाद भी देता रहा, परन्तु तैयार होने पर केवल लगभग 30 प्रतिशत फूल हुए और शेष की फसल की प्रगति भी असंतोषजनक थी, जिससे खेत खाली होने में एक माह से ज्यादा समय की संभावना उत्पन्न हो गई और उक्त 3 एकड़ खेत में दूसरी फसल बोने का मौका भी हाथ से निकल रहा था।
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विपक्षी द्वारा इस प्रकार अनुचित व्यापार पद्धति एवं झूठा आश्वासन के कारण परिवादी को आगामी फसल का रू. 20000/- एवं बंदगोभी की फसल देर से तैयार होने के कारण तत्कालीन बाजार भाव के आधार पर रू. 96000/- का नुकसान साफ दिखाई दिया। परिवादी ने विपक्षी को दि. 19.12.14 को इस आशय की नोटिस भेजी। विपक्षी ने दि. 25.12.94 को अपने एक अधिकारी को परिवादी के गांव में भेजा जिसने विवादित खेतों का निरीक्षण किया तथा उसकी शिकायत को सही मानते हुए नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया, परन्तु विपक्षी ने अपने पत्र दि. 04.01.94 में असत्य बातें लिखीं जैसे परिवादी द्वारा रोपाई दि. 28.09.94 को की गई, जबकि परिवादी द्वारा 14.09.94 और 17.09.94 के मध्य रोपाई की थी।
विपक्षी ने जिला मंच के समक्ष परिवाद का विरोध किया और यह अभिवचित किया कि परिवादी ने बंदगोभी की बुवाई व रोपाई विपक्षी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुसार नहीं किया। जो भी नुकसान हुआ उसके नुकसान का जिम्मेदार परिवादी स्वयं है। परिवादी की शिकायत विपक्षी को मिलने पर उसके द्वारा एक अधिकारी को मौके पर दि. 25.12.94 को भेजा गया था, जिसने यह पाया कि 70 प्रतिशत फसल काटी जा चुकी है तथा 2/3 एकड़ फसल मिर्चे और बैंगन के साथ लगाई गई थी और इन फसलों के बीज में पर्याप्त जगह नहीं छोड़ी गई थी तथा 1/3 एकड़ फसल 28.09.94 को रोंपी गई थी। विपक्षी के अनुसार निरीक्षण के समय यह पाया गया कि पौध की रोपाई दि. 28.09.94 को हुई, जबकि रोपाई 17.09.94 तक हो जानी चाहिए थी, अत: निश्चित तौर पर पौध ज्यादा बड़े हुए।
अपीलार्थी अनुपस्थित हैं। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना गया व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों एवं अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
परिवादी एक कृषक है तथा कृषक अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए विभिन्न संस्थानों से उन्नत किस्म के बीज क्रय करते हैं। हाइब्रिड अधिक पैदावार देते हैं, कंपनियां इनका व्यापक प्रचार और प्रसार करती हैं तथा कृषक भी अपनी आय को बढ़ाने के लिए और अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए हाइब्रिड बीज खरीदते हैं। यह जिम्मेदारी बीज आपूर्तिकर्ता पर है कि नए तरीके के बीज सप्लाई करते समय उन्हें पूरी ट्रेनिंग दें और समय-समय पर अपने अधिकारियों के माध्यम से खेतों का निरीक्षण भी
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कराते रहें, परन्तु हाइब्रिड बीज बेचने वाल संस्थाएं कंपनियां बीज बेचकर फिर किसान के खेतों की तरफ कोई ध्यान नहीं देते हैं और गरीब किसान को अधिक पैसा लगाकर भी अपनी उपज को नहीं बढ़ा पाते हैं और उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। इस तरह के बीज कीमती होते हैं और किसानों को अधिक व्यय करना पड़ता है। इस प्रकरण में भी परिवादी को बंदगोभी के बीजों की आपूर्ति की गई। यद्यपि यह स्पष्ट नहीं है कि कहां पर चूक हुई, परन्तु यह अवश्य है कि कृषक को नुकसान हुआ, जिसकी कुछ न कुछ भरपाई आवश्यक है। जिला मंच ने अपने निर्णय में साक्ष्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जो विधिसम्मत है और पीठ उसमें किसी हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं पाती है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5