जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 537/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
सुनिल कुमार पुत्र बीरबल सिंह जाति जाट निवासी हमीरी कला तहसील मलसीसर जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
श्रीराम जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये मैनेजर शाखा स्टेषन रोड़, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज.) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री अषोक मांजू, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2. श्री गजेन्द्र सिंह़, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 03.02.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 25.09.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी सुनिल कुमार वाहन मोटरसाइकिल नम्बर RJ 18 SC 3954 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 05.01.2012 से 04.01.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी की मोटरसाइकिल दिनांक 10.11.2012 को चोरी हो गई। जिसकी पुलिस थाना कोतवाली, झुंझुनू में लिखित रिपोर्ट पेष की, जिस पर प्रथम सूचना 451/12 दर्ज की गई । परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को भी चोरी के संबंध में तुंरत सूचना दे दी। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन के साथ विपक्षी द्वारा मांगे गये समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये । परिवादी द्वारा विपक्षी से सम्पर्क करने पर विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को एक महिने में क्लेम दिलवाने का आष्वासन दिया। परिवादी के भाई ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो आष्वासन देते रहे । परिवादी बाहर नौकरी करता है तथा परिवादी जब दिनांक 16.09.2013 को नौकरी से छुट्टी लेकर घर आया तथा परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो कहा आपको क्लेम राषि नहीं मिलेगी। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 30,000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार मौखिक व लिखित बहस के दौरान मोटरसाइकिल RJ 18 SC 3954 का रजिस्टर्ड मालिक होना एवं उक्त मोटरसाइकिल विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 05.01.2012 से 04.01.2013 तक बीमित होना विवादित नहीं होना स्वीकार करतेे हुये कथन किया है कि परिवादी द्वारा तथाकथित रूप से चोरी की घटना के 23 दिन बाद विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई है तथा देरी का कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी का झुंझुनू में कोई शाखा कार्यालय नहीं है, इसलिये इस मंच को यह परिवाद सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस प्रकार परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किये जानेे से परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षी को गलत रूप से पक्षकार बनाया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने मौखिक व लिखित बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि श्रीराम जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा परिवादी से बार-बार वाहन से संबंधित दस्तावेजात की मांग की गई परन्तु परिवादी द्वारा उपलब्ध नहीं करवाये।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपने तर्को के समर्थन में निम्न न्यायदृष्टांत पेष किये:-
2009(2) W.L.C. 745 (SC) - SONIC SURGICAL VS National
Insurance Company Ltd
IV 2009 C.P.J. 121(NC) – GITABEN V/S National Insurance
Company Ltd.,
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी मोटरसाइकिल नम्बर RJ 18 SC 3954 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 05.01.2012 से 04.01.2013 तक की अवधि के लिये विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि श्रीराम जनरल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड का जिला झुंझुनू में कोई शाखा कार्यालय नहीं है। इसलिये परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं है।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। क्योंकि विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उक्त वाहन का जो कवरनोट संख्या 3083781 जिसके तहत उक्त मोटरसाइकिल RJ 18 SC 3954 को दिनांक 05.01.2012 से 04.01.2013 तक के लिये बीमित किया गया है, वह झुंझुनू शाखा कार्यालय से जारी हुआ है। कवरनोट की फोटो प्रति पत्रावली में सलग्न है। पत्रावली में उपलब्ध अन्य दस्तावेजात से भी यह जाहिर हुआ है कि विपक्षी बीमा कम्पनी का झुंझुनू में शाखा कार्यालय है। ग्राहकों को बीमा पालिसी जारी की जाती है। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी को झुंझुनू शाखा कार्यालय के पते पर ही नोटिस जारी किया गया है तथा उसकी तामील होने पर बाद तामील विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से अधिवक्ता उपस्थित आये हैं। इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी ने उक्त तर्क महज अंदाज व कैयास के आधार पर दिया है। इसका केाई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद पत्र में पेष नहीं किया गया है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत न्यायादृष्टांतों में माननीय न्यायाधिपति एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं उनसे हम सहमत हैं परन्तु प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों की भिन्नता के कारण उपरोक्त न्यायदृष्टांत हस्तगत प्रकरण पर लागू नहीं होते।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 10.11.2012 को कस्बा झुंझुनू में चोरी हो गया था। जिसकी सूचना परिवादी के भाई सत्यवीर सिंह द्वारा सम्बन्धित पुलिस थाना कोतवाली झुंझुनू मे दी गई, जिस पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई। एफ.आई.आर. एवं एफ.आर. की फोटो काॅपी पत्रावली मे सलंग्न है। प्रथम सूचना देरी से दर्ज कराने के सम्बंध में पुलिस द्वारा अनुसंधान के दौरान लिये गये बयान गवाह सत्यवीर सिंह में यह स्पष्ट किया गया है कि मोटरसाइकिल तलाष के कारण मुकदमा पहले दर्ज नहीं कराया। इस प्रकार प्रथम सूचना दर्ज कराने में हुई देरी का युक्तियुक्त कारण है। इसके अतिरिक्त परिवादी ने वाहन चोरी के संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी केा तुरंत सूचित किया जाकर नियमानुसारं क्लेम आवेदन पत्र पेष करना बताया है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के क्लेम नम्बर 048833 कि फोरमेट-पप पर पालिसी संख्या 106008/31/12/001704 के संबंध में फूल एवं फाईनल सेटलमेंट से संतुष्ट होकर इन्ष्योरर के हस्ताक्षर करवाये गये हैं। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वाहन के क्लेम की क्षतिपूर्ति की अदायगी किस आधार पर नहीं की गयी, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षीगण द्वारा पेष नहीं किया गया है।
जहां तक राषि अदायगी का प्रष्न है इस संबंध में यह देखना आवष्यक है कि जिस वक्त बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन का बीमा किया था उस वक्त वाहन की कीमत 30,000/-रूपये आंकलन कर परिवादी की ओर से प्रीमियम लिया गया था परन्तु प्रीमियम लिये जाने के बाद व वाहन चोरी होने से पूर्व वाहन को लगभग 10 महिने परिवादी द्वारा काम में भी लिया गया है। बीमा कम्पनी को सूचना देरी से दी गई, यदि परिवादी की ओर से पालिसी की शर्तो का किसी तरह से उल्लंघन भी हुआ है तो भी अमानक आधार पर 75ः राषि परिवादी को दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। बीमा कम्पनी ने 30,000/-रूपये वाहन की वेल्यु मानकर प्रीमियम लिया है, उसकी 75 प्रतिषत राषि 22,500/-रूपये होते हैं, जिसकी अदायगी के उतरदायित्व से विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से विमुख/मुक्त नही हो सकती।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्ध विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी उक्त विपक्षी से 22,500/रुपये (अक्षरे रूपये बाईस हजार पांच सौ) बतौर क्लेम राषि क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त बीमा क्लेम राषि पर दायरी परिवाद पत्र दिनांक 25.09.2013 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 03.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।