Rajasthan

Jalor

C.P.A 136/2013

Bhure Kha - Complainant(s)

Versus

Shri Ram Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Sikandar Ali

04 Mar 2015

ORDER

न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर

पीठासीन अधिकारी

अध्यक्ष:-  श्री  दीनदयाल प्रजापत,

सदस्यः-   श्री केशरसिंह राठौड

      ..........................

1.            भूरे खंा पुत्र फकीर मौहम्मद, जाति दहिया मुसलमान, उम्र- 50 वर्ष, निवासी- बेलिमो का वास, साचोंर, तहसील- साचोंर, जिला- जालोर।                

.......प्रार्थी।

                बनाम    

1.            श्री राम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 जरिये जनरल मैनेजर,   म्. 8ए  म्च्प्च्  त्प्ब्ब्व्  प्दकनेजतपंस  ।मतं  ैपजंचनतंए   श्रंपचनतण्          

 

...अप्रार्थी।

                                सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 136/2013

परिवाद पेश करने की  दिनांक:-07-10-2013

अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता  संरक्षण  अधिनियम ।

उपस्थित:-

1.            श्री सिकन्दर अली ,  अधिवक्ता प्रार्थी।

2.            श्री  तिलोकचन्द मेहता, अधिवक्ता अप्रार्थी।

 

 

ःः  निर्णय:ः     दिनांक:  04-03-2015

1.              संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी भूरे खां के मालिकाना अधिकार की ट्रक अशोक लिलैण्ड, नम्बर- ळश्र 08.ॅ.0027  दिनांक 08-06-2011 से 07-06-2012 तक अप्रार्थी श्री राम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 के पास बीमित थी, तथा उक्त बीमित अवधि के दौरान दिनांक 16-05-2012 को ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, तथा दुर्घटना में हूए नुकसान के सम्बन्ध में प्रार्थी ने अप्रार्थी के पास प्रार्थनापत्र पेश किया था, जिस पर अप्रार्थी के निर्देशानुसार उक्त वाहन को रिपेयरिगं करवाया गया, जिसका रिपेयरिगं खर्चा  चार लाख उन्नीस हजार रूपयै आया था, जिसके सभी कागजात व बिल अप्रार्थी द्वारा इन्श्योरेन्स कम्पनी के पास भेजे गये थे, लेकिन अप्रार्थी ने सिर्फ रूपयै  100551/- का चैक ही प्रार्थी के खाते में जमा करवाया, जिस सम्बन्ध में कई बार अप्रार्थी से मिलने के बावजूद न तो संतोषप्रद जवाब दिया , तथा न ही रिपेयरिंग खर्चे के बकाया पैसो का भुगतान किया । तथा प्रार्थी ने दिनांक 07-05-2013 प्रार्थनापत्र व 12-09-2013 को रजिस्टर्ड नोटिस प्रेषित कर बकाया राशि की मांग की, लेकिन अप्रार्थी ने भुगतान नहीं किया हैं। तब प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व बकाया वाहन रिपेयरिंग खर्चा के रूपयैै 3,18,449/-, तथा हरजाने के रूपयैै 50,000/-, व परिवाद व्यय के रूपयै 10,000/-, दिलाने हेतु अप्रार्थी के विरूद्व यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।

 

2.                                 प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थी को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। जिस पर अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री तिलोकचन्द मेहता ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थी ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि  प्रार्थी के द्वारा अपने वाहन ट्रक की क्षति राशि में  ब्संपउ  क्पेबींतहम  ब्ंउ  ैंजपेंिबजपवद टवनबीमत   (फुल एण्ड फाईनल) देते हूए रूपयै 1,00,551/- प्राप्त कर लिये हैं। जिससे उक्त परिवाद मेन्टेनेबल नहीं होने से निरस्त करने योग्य हैं।  तथा प्रार्थी  का वाहन संख्या.ळश्र 08.ॅ.0027   अप्रार्थी के यहंा दिनांक 08-06-2011 से 07-06-2012 तक बीमित होने व दिनांक 16-05-2012 को दुर्घटनाग्रस्त होने का विवाद नही हैं।  तथा वाहन रिपेयरिगं का खर्चा रूपयैै 4,19,000/- हुआ, माने जाने योग्य नहीं हैं। तथा प्रार्थी के वाहन की क्षति सर्वे रिपोर्ट  शर्मा ऐसोसिएट  से करवाई गई।  जिसने अपनी रिपोर्ट में प्रार्थी के वाहन की क्षति रूपयै 110051/- होना पाया, उक्त रिपोर्ट पेश होने पर  पाॅलिसी की शर्तो के अधीन एवं वाहन के निर्माण वर्ष को मध्य नजर रखते हूए  प्रार्थी के वाहन की क्षति की देय योग्य राशि रूपयै  1,00,551/- बनी, जिसका भुगतान किया, जो राशि प्रार्थी स्वंय स्वीकार करता हैं।  तथा अप्रार्थी में कोई बकाया राशि नहीं रहती हैं। तथा प्रार्थी का दावा क्लेम निस्तारित किया जा चुका है। जिससे  अप्रार्थी की सेवा में त्रुटि का मामला नहीं बनता हैं।  तथा प्रार्थी ने वाहन रिपेयरिंग के रूपयै 3,18,449/- तथा हरजाने के उपर 50,000/- व मुकदमा खर्च रूपयै 10000/-  की मांग गलत की हैं, जो राशि प्रार्थी पाने का अधिकारी नहीं हैं। तथा प्रार्थी  ने ब्संपउ  क्पेबींतहम  ब्ंउ  ैंजपेंिबजपवद टवनबीमत  बीमा कम्पनी को देने के तथ्य को छिपाया हैं। तथा गलत आधारो पर परिवाद पेश किया हैं। इसप्रकार अप्रार्थी ने जवाब परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थी का परिवाद मय खर्चा खारीज करने का निवेदन किया हैं।

 

3.           हमने उभय पक्षो को जवाब एवं साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद,  उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिन पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो हमारे सामने मुख्य रूप से तीन विवाद बिन्दु उत्पन्न होते हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक  हैें:-

 

1.   क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ?               प्रार्थी

 

2 .   क्या अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्षतिग्रस्त वाहन की सम्पूर्ण रिपेयरिंग

       राशि रूपयै 4,19,000/- का भुगतान नहीं कर सेवा प्रदान

       करने में कमी एवं गलती कारित की हैं ?           

                                                  प्रार्थी                                      

                                                                                 

3. अनुतोष क्या होगा ?      

 

प्रथम विधिक विवाद बिन्दु:-

          क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ?      प्रार्थी    

           

       उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी का वाहन ट्रक संख्या. ळश्र 08.ॅ.0027   दिनांक 08-06-2011 से दिनांक 07-06-2012 तक अप्रार्थी के यहंा बीमित था। उक्त कथनो के सत्यापन हेतु प्रार्थी ने बीमा पाॅलिसी संख्या- 10003/31/12/140659 की प्रति पेश की हैं। जो अप्रार्थी श्री राम जनरल इन्श्योरेन्स  कम्पनी द्वारा  प्राथी के नाम, प्रार्थी के वाहन संख्या- ळश्र 08.ॅ.0027   का बीमा अप्रार्थी ने प्रिमियम राशि रूपयै 22,520/- लेकर वाहन की कीमत रूपयै 7,50,000/- मानकर जोखिम वहन करने हेतु  बीमा पाॅलिसी जारी की हैं। इसप्रकार  प्रार्थी एवं अप्रार्थी के मध्य प्रिवीटी आफ कान्ट्रैक्ट का सम्बन्ध जो ग्राहक-सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2  1   डी  के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में आता हैं, इसप्रकार प्रथम विवाद  बिन्दु  प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थीके विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

 

द्वितीय विवाद बिन्दु:-  

      क्या अप्रार्थी ने प्रार्थी के क्षतिग्रस्त वाहन की सम्पूर्ण रिपेयरिंग

       राशि रूपयै 4,19,000/- का भुगतान  नहीं  कर सेवा प्रदान

       करने में कमी एवं गलती कारित की हैं ?          

                                                  प्रार्थी                                        

                                      

              उक्त द्वितीय विवाद बिन्दु को भी सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी का बीमित वाहन दुर्घटना कारित होकर क्षतिग्रस्त हुआ, जिसे अप्रार्थी के निर्देशानुसार पुनः रिपेयरिगं/ठीक करवाया, जिसका खर्चा/व्यय रूपयै 4,19,000/- हुआ हैं।  तथा प्रार्थी ने वाहन रिपेयरिगं के बिल रूपयै 4,19,000/- का भुगतान करने हेतु क्लेम आवेदन के रूप में प्रस्तुत कर दिये, तथा अप्रार्थी ने सीधे प्रार्थी के बैंक खाता में क्लेम राशि रूपयै 1,00,551/-  ही जमा करवाये, तथा शेष राशि रूपयै 3,18,449/-  के बारे में प्रार्थी, अप्रार्थी से मिला, तो कोई सन्तोषजनक जवाब नहीं दिया, तथा प्रार्थी ने दिनांक 07-05-2013 को प्रार्थनापत्र पेश कर शेष राशि की मांग की , जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।  तथा प्रार्थी ने दिनांक 12-09-2013 को रजिस्टर्ड नोटिस अप्रार्थी को प्रेषित कर बकाया वाहन क्षति राशि रूपयै 3,18,449/-   की मांग की। फिर भी अप्रार्थी ने बकाया राशि प्रार्थी को अदा नहीं की हैं। प्रार्थी ने उक्त कथनो के सत्यापन हेतु लीगल नोटिस दिनांक 12-09-2013 की प्रति एवं रजिस्ट्री डाक से  भेजने की रसीद पेश की है।  तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी के परिवाद एंव साक्ष्य का खण्डन करने हेतु जवाब परिवाद पेश कर कथन किये हैं कि प्रार्थी को वाहन क्षति की राशि में ब्संपउ  क्पेबींतहम  ब्ंउ  ैंजपेंिबजपवद टवनबीमत  फुल एण्ड फाईनल  का वाउचर देते हूए रूपयै 1,00,551/-   प्रार्थी द्वारा प्राप्त कर लिये हैं, जिससे उक्त परिवाद मैन्टेनेबल नहीं होने से निरस्त करने योग्य हैं। तथा अप्रार्थी ने ब्संपउ  क्पेबींतहम  ब्ंउ  ैंजपेंिबजपवद टवनबीमत  की प्रति पेश की हैं, जिसमें उक्त वाउचर किस तारीख का हैं तिथी अंकित नहीं हैं, तथा उक्त वाउचर पर रेवेन्यू टिकट नहीं लगा हुआ हैं। जो रूपयै 5,000/-से अधिक की राशि भुगतान करने हेतु आवश्यक होता हैं।  तथा उक्त वाउचर पर सर्वेयर कमलेश शर्मा के भी हस्ताक्षर हैं। जो अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत सर्वे रिपोर्ट की प्रति के अनुसार सर्वेयर के हस्ताक्षर होना ज्ञात हो रहा हैं। तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी को वाहन क्षति का भुगतान प्रार्थी स्वंय को नहीं कर के उसके बैंक एकाउन्ट में सीधे नेफ्ट  के जरिये जमा करवाया गया हैं, जो किस तारीख को जमा करवाया, कोई तिथी जवाब परिवाद में अंकित नहीं की हैं, तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी को वाहन रिपेयर की कितनी राशि के बिल पेश किये, यह कथन भी अप्रार्थी ने जवाब में अंकित नहीं किया हैं, तथा सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार प्रार्थी को भुगतान करने के कथन किये हैं। हमारी राय में सर्वेयर वाहन की बाहरी क्षतियों को आॅंकलन करने वाला होता हैं। तथा वास्तविक वाहन की क्षति वाहन को रिपेयर करने वाला आॅर्थोराईज्ड  मान्यता प्राप्त  सर्विस सेन्टर वाहन रिपेयर के बाद ही वास्तविक क्षति अंकित कर सकता हैं। तथा सर्वेयर की रिपोर्ट  वाहन क्षति का अन्तिम आॅंकलन या मूल्याकंनकर्ता नहीं कहा जा सकता हैं । तथा सर्वेयर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष व्यक्ति नहीं होकर बीमा कम्पनी का कामदार जो फीस लेकर रिपोर्ट, बीमा कम्पनी के अनुसार बनाता हैं, जो सर्वेयर की रिपोर्ट को अन्तिम नहीं माना जा सकता हैं। तथा उक्त प्रकरण में डिस्चार्ज वाउचर पर सर्वेयर के हस्ताक्षर होने से ऐसा सन्देह होता हैं कि सर्वेयर ने वाहन का सर्वे करते समय अप्रार्थी के कहे अनुसार  प्रार्थी के रिक्त डिस्चार्ज वाउचर पर हस्ताक्षर करा लिये हैं। तभी डिस्चार्ज वाउचर पर रेवेन्यू टिकट एवं तिथी अंकित नहीं हैैं। तथा सर्वेयर ने ही डिस्चार्ज वाउचर पर नीचे अपने हस्ताक्षर कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को डिस्चार्ज वाउचर पेश किया जाना लग रहा हैं। इसप्रकार का संन्देहजनक डिस्चार्ज वाउचर  फुल एण्ड फाईनल भुगतान होना माने जाने योग्य नही है।ं तथा प्रार्थी ने क्लेम आवेदन के सम्बन्ध में भुगतान की गई राशि के अलावा बकाया राशि अदा करने की मांग नोटिस दिनांक 12-09-2013 के जरिये की हैं, जिस पर अप्रार्थी ने कोई विचार नहीं किया, तथा न ही प्रार्थी को कोई जवाब दिया गया हैं।  जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी की प्रार्थी उपभोक्ता को प्रदान की जाने वाली सेवा में कमी एवं गलती कारित करना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। इसप्रकार द्वितीय बिन्दु भी प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थी विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

तृतीय विवाद बिन्दु- 

                                  अनुतोष क्या होगा ? 

 

       जब प्रथम एवं द्वितीय विवाद बिन्दु प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित हो जाने से तृतीय विवाद बिन्दु का निस्तारण स्वतः ही प्रार्थी के पक्ष में हो जाता हैं। लेकिन हमे यह देखना हैं कि प्रार्थी विधिक रूप से क्या एवं कितनी उचित सहायता अप्रार्थी से प्राप्त करने का अधिकारी हैं। या उसे दिलाई जा सकती हैं। जिसके  सम्बन्ध में हमारी राय में प्रार्थी ने वाहन क्षति की राशि रूपयै 4,19,000/-होने के कथन किये हैं।  लेकिन उक्त क्षति  बाबत् वाहन रिपेयर के बिलो की प्रतियां पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं की हैं, तथा मूल बिल अप्रार्थी बीमा कम्पनी को प्रस्तुत कर दिये जाने के कथन किये हैं। इसलिए प्रार्थी, अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने क्लेम आवेदन पर पुर्नः निस्तारण  करवाने का अधिकारी माना जाता हैं  तथा सेवा दोष के रूप में मानसिक, शारीरिक हरजाना के रूपयै 5000/- एवं परिवाद व्यय के रूप में रूपयै 2000/- अप्रार्थी से दिलाये जाना उचित प्रतीत माना जाता हैं। इस प्रकार प्रार्थी का परिवाद आशिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य हैं।

 

                   आदेश 

                 अतः प्रार्थी भूरे खंा का परिवाद विरूद्व अप्रार्थी श्री राम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 जरिये जनरल मैनेजर, जयपुर के विरूद्व आशिंक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता हैं कि निर्णय तिथी से 60 दिन के भीतर प्रार्थी के क्लेम दावा संख्या- 10003/31/12/140659 के सम्बन्ध में प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत वाहन रिपेयर के बिलो की एक-एक फोटो प्रति प्रार्थी को उपलब्ध करा, कर तथा प्रार्थी के क्लेम आवेदन  पर पुर्नः विचार कर निस्तारण करे, तथा प्रार्थी को हुई मानसिक शारीरिक हरजाने के रूपयै  5,000/- अक्षरे पाॅच हजार रूपयै मात्र एवं परिवाद व्यय के रूपयै 2000/-  अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र  भी अदा करेे।

                निर्णय व आदेश आज दिनांक 04-03-2015 को विवृत मंच में  लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

              केशरसिंह राठौड                          दीनदयाल प्रजापत

                    सदस्य                                        अध्यक्ष

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