Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/119/2015

Shri Narendra Kumar - Complainant(s)

Versus

Shri Ram General Insurance Company - Opp.Party(s)

Shri Ajay kumar Gupta

07 May 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या- 119/2015  

1-नरेन्‍द्र कुमार पुत्र श्री रामकिशन निवासी मौ. गांधी नगर सुल्‍तानपुर बाजपुर जिला ऊधमसिंह नगर उत्‍तरांचल-262401

1/1- श्रीमती कृष्‍णा वती पत्‍नी स्‍व. श्री नरेन्‍द्र कुमार।

1/2- चन्‍द्र प्रकाश पुत्र स्‍व. श्री नरेन्‍द्र कुमार।

निवासीगण वार्ड नं.-2 सुल्‍तानपुर पट्टी सुल्‍तानपुर ऊधमसिंह नगर उत्‍तराखण्‍ड।

                                                                                                                                                                                            ….....परिवादीगण

बनाम

श्रीराम लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा-

1-शाखा प्रबन्‍धक शाखा कार्यालय मित्‍तल काम्‍पलेक्‍स द्वितीय तल आईसीआईसीआई बैंक के ऊपर निकट चौधरी चरण सिंह चौराहा मुरादाबाद-244001

2-मुख्‍य प्रबन्‍धक रजिस्‍टर्ड कार्यालय प्‍लाट नं.-31 व 32 पंचम तल रामकी सेलेनियम आन्‍ध्रा बैंक ट्रेनिंग सेंटर के पास जिला गाची बाओली, हैदराबाद(आन्‍ध्र प्रदेश)-500032              

                                                                                                                                                                                              ….......विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 26-10-2015                                  निर्णय तिथि: 07.05.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादीगण ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उन्‍हें स्‍वर्गीय मुकेश कुमार की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप उसकी बीमा राशि चार लाख रूपये तथा क्षतिपूर्ति के रूप में चार लाख रूपये अतिरिक्‍त इस प्रकार कुल आठ लाख रूपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाये जायें। परिवाद व्‍यय की मद में अंकन-5500/-रूपये अतिरिक्‍त मांगे हैं।   
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी सं.-1/1 के पुत्र स्‍व. मुकेश कुमार ने अपने जीवनकाल में विपक्षीगण से चार लाख रूपये की एक बीमा पालिसी दिनांक 25-02-2013 को ली थी। दुर्भाग्‍यवश दिनांक 10-6-2013 को अचानक हृदय गति रूक जाने की वजह से घर पर ही मुकेश का स्‍वर्गवास हो गया, इतना भी समय नहीं था कि उसे किसी चिकित्‍सक के पास ले जाया जा सके। परिवादनी सं.-1/1 के पति श्री नरेन्‍द्र कुमार पालिसी में नामिनी थे, यह परिवाद बहैसियत नामिनी उन्‍होंने ही योजित किया था। दुर्भाग्‍यवश इस परिवाद की सुनवाई के दौरान नरेन्‍द्र कुमार का भी स्‍वर्गवास हो गया। परिवादनी सं.-1/1 बहैसियत पत्‍नी और परिवादी सं.-1/2 बहैसियत पुत्र मूल परिवादी नरेन्‍द्र कुमार के विधिक उत्‍तराधिकारी हैं।
  3. परिवादीगण ने अग्रेत्‍तर कथन किया है कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु की सूचना विपक्षी-1 को समय से भेजी गई और आवश्‍यक औपचारिकतायें पूरी करते हुए विपक्षी-1 के कार्यालय में क्‍लेम प्रस्‍तुत किया। अनेक चक्‍कर लगाने के बाद भी विपक्षीगण ने क्‍लेम का निस्‍तारण नहीं किया। अन्‍तत: नरेन्‍द्र कुमार को अवगत कराया गया कि मुकेश कुमार का मृत्‍यु दावा हेड आफिस से अस्‍वीकृत हो गया, रेपुडिएशन लेटर की कापी भी उन्‍हें उपलब्‍ध करायी गई। परिवादीगण के अनुसार मृत्‍यु दावा इस आधार पर अस्‍वीकृत किया गया कि पालिसी धोखे से ली गई थी और जिस समय पालिसी ली गई थी, उस समय बीमित मुकेश कुमार जीवित नहीं थे, उनकी पहले ही मृत्‍यु हो चुकी थी। परिवादीगण के अनुसार विपक्षीगण के उक्‍त कथन असत्‍य हैं और विधि वि‍रूद्ध तरीके से गलत आधार लेकर विपक्षीगण ने क्‍लेम अस्‍वीकृत किया है। उनका यह भी कथन है कि विपक्षीगण द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर ने गलत जांच रिपोर्ट प्रस्‍तुत की है। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवादीगण ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
  4. परिवादीगण द्वारा परिवाद के साथ विपक्षी-2 द्वारा भेजे गये क्‍लेम रेपुडिएशन लेटर, नगर पंचायत द्वारा जारी मुकेश कुमार का मृत्‍यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्‍टर की नकल तथा विपक्षीगण को भिजवाये गये कानूनी नोटिस की नकलों को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/7 लगायत 3/10 है।
  5. विपक्षीगण की ओर से बीमा कंपनी के असिस्‍टेंट जनरल मैनेजर के शपथपत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं.-7/1 लगायत 7/3 दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि कंपनी को प्राप्‍त बीमा प्रस्‍ताव फार्म में उल्लिखित तथ्‍यों के आधार पर दिनांक 25-02-2013 को सद्भावना के आधार पर प्रश्‍नगत बीमा पालिसी जारी की गई थी। बाद में बीमित मुकेश कुमार की हृदय गति रूक जाने के कारण अभिकथित रूप से दिनांक 10-6-2013 को मृत्‍यु होना बताते हुए जब उसका दावा बीमा कंपनी को प्राप्‍त हुआ तो उसकी जांच करायी गई। जांच में इनवेस्‍टीगेटर ने पाया कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु पालिसी लिये जाने से पूर्व हो चुकी थी और बीमा कंपनी के साथ धोखाधड़ी करते हुए गलत तथ्‍यों के आधार पर मृत व्‍यक्ति के नाम प्रश्‍नगत बीमा पालिसी जारी करायी गई। विपक्षीगण ने उक्‍त कारणों से परिवादी पक्ष का बीमा दावा अस्‍वीकृत कर दिया और ऐसा करके विपक्षीगण ने न तो कोई त्रुटि की है और न ही यह सेवा में कमी का मामला है। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद सव्‍यय खारिज किये जाने की विपक्षीगण ने प्रार्थना की।
  6. परिवादी पक्ष की ओर से मूल परिवादी नरेन्‍द्र कुमार ने दिनांक 02-5-2016 को अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/5 दाखिल किया, जिसके साथ उसने रेपुडिएशन लेटर, नगर पंचायत द्वारा जारी मृत्‍यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्‍टर की नकल और विपक्षीगण को भेजे गये कानूनी नोटिस की नकलों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-9/6 लगायत 9/9 हैं।
  7. बीमित मुकेश कुमार के पिता, मूल परिवादी नरेन्‍द्र कुमार के स्‍वर्गवास के उपरान्‍त उसके स्‍थान पर प्रतिस्‍थापित विधिक प्रतिनिधि चन्‍द्र प्रकाश ने अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-18 दाखिल किया, जिसमें उसने नरेन्‍द्र कुमार द्वारा पूर्व में दाखिल परिवाद कथनों की पुष्टि करते हुए प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की प्रथम प्रीमियम रसीद, मुकेश कुमार के मृत्‍यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्‍टर की नकल, वार्ड सं.-2 गांधीनगर, नगर पंचायत सुल्‍तानपुर के सभासद द्वारा मुकेश की मृत्‍यु के संदर्भ में दिये गये प्रमाण पत्र दिनांकित 22-8-2014, मौहल्‍ला गांधीनगर, सुल्‍तानपुर जिला ऊधमसिंह नगर की सभासद श्रीमती शकुन्‍तला सैनी द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र, रेपुडिएशन लेटर तथा विपक्षीगण को भिजवाये गये नोटिस की नकलों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-18/2 लगायत 18/8 हैं।
  8. विपक्षीगण की ओर से बीमा कंपनी के असिस्‍टेंट जनरल मैनेजर श्री श्रीधर का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-19/1 लगायत 19/5 दाखिल हुआ, जिसमें उन्‍होंने प्रतिवाद पत्र में उल्लिखित कथनों को सशपथ दोहराया। इसके अतिरिक्‍त अभिलेखीय साक्ष्‍य में विपक्षीगण ने सूची कागज सं.-19/6 के माध्‍यम से प्रश्‍नगत पालिसी लेने हेतु विपक्षीगण के समक्ष प्रस्‍तुत मूल बीमा प्रस्‍ताव, मृतक मुकेश कुमार के वोटर आईडी, उसके स्‍कूल की टी.सी. की नकल, पालिसी की शर्तें, मृतक मुकेश कुमार के पिता नरेन्‍द्र कुमार द्वारा अभिकथित रूप से विपक्षी-1 को भेजे गये पत्र, मुकेश कुमार के मृत्‍यु प्रमाण पत्र, विपक्षीगण के सर्वेयर की मूल सर्वे रिपोर्ट, क्‍लेम फार्म मूल रूप में, नगर पंचायत सुल्‍तानपुर की सभासद श्रीमती शकुन्‍तला सैनी द्वारा अभिकथित रूप से दिये गये मृत्‍यु प्रमाण पत्र, आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुनिता तथा नगर पंचायत सुल्‍तानपुर की अधिशासी अधिकारी द्वारा मृतक मुकेश कुमार की मृत्‍यु के संबंध में दिये गये प्रमाण पत्र मूल रूप में, परिवार रजिस्‍टर के सुसंगत पृष्‍ठ की प्रमाणित प्रतिलिपि तथा क्‍लेम रेपुडिएशन लेटर की नकलों को दाखिल किया गया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-19/7 लगायत 19/37 हैं।
  9. किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  10. हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  11. पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों से प्रकट है कि बीमा प्रस्‍ताव कागज सं.-19/7 के आधार पर विपक्षीगण ने मुकेश कुमार पुत्र स्‍व. श्री नरेन्‍द्र कुमार निवासी गांधीनगर, सुल्‍तानपुर जिला ऊधमसिंह नगर, उत्‍तराखण्‍ड के नाम दिनांक 25-02-2013 को एक बीमा पालिसी जारी की थी, जिसमें बीमित राशि अंकन-4,00,000/-रूपये थी। बीमा प्रस्‍ताव दिनांक 19-02-2013 का है। स्‍वीकृत रूप से बीमित मुकेश कुमार का स्‍वर्गवास हो चुका है। परिवादीगण के अनुसार मुकेश की मृत्‍यु दिनांक 10-6-2013 को बीमा पालिसी जारी होने के लगभग साढ़े तीन माह बाद अचानक हार्ट अटैक से हुई थी। इसके विपरीत विपक्षीगण का तर्क है कि बीमित मुकेश की मृत्‍यु बीमा पालिसी जारी होने के पूर्व वर्ष 2012 में हो चुकी थी और प्रश्‍नगत पालिसी बीमा कंपनी के साथ धोखाधड़ी करके फर्जी तरीके से जारी करायी गई थी। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार चूंकि पालिसी मृत व्‍यक्ति के नाम जारी हुई थी, अतएव बीमा दावा अस्‍वीकृत करके बीमा कंपनी ने कोई त्रुटि नहीं की।
  12. अब देखना यह है कि क्‍या बीमित मुकेश कुमार की मृत्‍यु बीमा पालिसी जारी होने से पूर्व वर्ष 2012 में हो चुकी थी अथवा उसकी मृत्‍यु पालिसी लेने के लगभग साढ़े तीन माह बाद दिनांक 10-6-2013 को हुई, जैसा कि परिवादी पक्ष का कथन है।
  13. विपक्षीगण ने यह दर्शाने के लिए कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु वर्ष 2012 में हुई थी, अपने इनवेस्‍टीगेटर की इनवेस्‍टीगेशन रिपोर्ट कागज सं.-19/17 लगायत 19/36 का अवलम्‍ब लिया है। इस इनवेस्‍टीगेशन रिपोर्ट के साथ संलग्‍नक के रूप में दाखिल नगर पंचायत सुल्‍तानपुर जिला ऊधमसिंह नगर की सभासद श्रीमती शकुन्‍तला, आंगनबाड़ी कार्यकत्री श्रीमती सुनिता तथा नगर पंचायत सुल्‍तानपुर के अधिशासी अधिकारी द्वारा दिये गये प्रमाण पत्रों, जो पत्रावली के क्रमश: कागज सं.-19/32 लगायत 19/34 है, की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुए विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने कहा कि इन प्रमाण पत्रों में यह स्‍पष्‍ट लिखा है कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि अर्थात दिनांक 31-3-2014 से लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व हो चुकी थी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार ये तीनों प्रमाण पत्र इस तथ्‍य की पुष्टि करते हैं कि बीमा पालिसी जारी होने की तिथि अर्थात दिनांक 25-02-2013 को बीमित मुकेश कुमार जीवित नहीं थे और प्रश्‍नगत पालिसी बीमा कंपनी के साथ धोखाधड़ी करके मृत व्‍यक्ति के नाम जारी करायी गई थी। प्रतिउत्‍तर में परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने सभासद शकुन्‍तला के बाद के प्रमाण पत्र कागज सं.-18/6 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया, कहा कि सभासद शकुन्‍तला ने इसमें स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया है कि बीमा कंपनी के इनवेस्‍टीगेटर ने प्रमाण पत्र दिनांकित 31-3-2014(कागज सं.-19/32) उनसे धोखे से हस्‍ताक्षरित कराया था तथा उनके द्वारा जांच करने पर पाया गया कि बीमित मुकेश कुमार, जिसे वह भली-भॉति जानती थीं, की मृत्‍यु माह जून, 2013 में हुई थी। सभासद शकुन्‍तला ने बीमा कंपनी के इनवेस्‍टीगेटर के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने का भी अनुरोध किया है। उल्‍लेखनीय है कि बीमा कंपनी की ओर से यह कहने का साहस नहीं किया जा सका है कि सभासद शकुन्‍तला द्वारा बाद में दिया गया उक्‍त प्रमाण पत्र कागज सं.-18/6 फर्जी है। ऐसी दशा में प्रमाण पत्र कागज सं.-18/6 में उलिलखित तथ्‍यों पर अविश्‍वास किये जाने का कोई कारण दिखायी नहीं देता कि बीमित मुकेश कुमार की मृत्‍यु माह जून, 2013 में बीमा पालिसी जारी होने के बाद हुई थी। सभासद श्रीमती शकुन्‍तला के प्रमाण पत्र कागज सं.-18/6 के विद्यमान रहते उनके प्रमाण पत्र दिनांकित 31-03-2014 का कोई अर्थ नहीं रह जाता। परिवादी सं.-1/2 चन्‍द्र प्रकाश, जो बीमित का सगा भाई है, के शपथपत्र के साथ दाखिल मौहल्‍ला गांधीनगर, सुल्‍तानपुर जिला ऊधमसिंह नगर की नगर पंचायत के वार्ड-2 के सभासद ने भी अपने प्रमाण पत्र दिनांकित 22-8-2014 में इस बात की पुष्टि की है कि बीमित मुकेश कुमार की मृत्‍यु माह जून, 2013 में हुई थी। विपक्षीगण की ओर से दाखिल परिवार रजिस्‍टर की प्रमाणित प्रति कागज सं.-19/35 में भी यह लिखा है कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु 10 जून, 2013 को हार्ट फेल होने की वजह से हुई थी। परिवार रजिस्‍टर की इस नकल के अवलोकन से यह भी प्रकट है कि माह जनवरी, 2013 में जब सर्वेक्षण किया गया था तो उस समय बीमित मुकेश कुमार जीवित था। इस तथ्‍य के दृष्टिगत कि माह जनवरी, 2013 में मुकेश कुमार परिवार रजिस्‍टर के अनुसार जीवित था, विपक्षीगण के इनवेस्‍टीगेटर का यह निष्‍कर्ष कि बीमित की मृत्‍यु वर्ष 2012 में हो गई थी, स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है। जहां तक विपक्षीगण की ओर से दाखिल आंगनबाड़ी कार्यकत्री श्रीमती सुनिता के प्रमाण  पत्र दिनांकित 31-3-2014(कागज सं.-19/34) का प्रश्‍न है, यह प्रमाण पत्र आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा अनुरक्षित किये जाने वाले परिवार रजिस्‍टर की प्रमाणित प्रति कागज सं.-19/35 के आलोक में नितान्‍त असत्‍य दिखायी देता है क्‍योंकि परिवार रजिस्‍टर की प्रमाणित प्रति में यह स्‍पष्‍ट लिखा है कि बीमित मुकेश कुमार की मृत्‍यु दिनांक 10-6-2013 को हुई थी। नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी ने जो प्रमाण पत्र कागज सं.-19/33 दिया है, वह सभासद शकुन्‍तला के प्रमाण पत्र दिनांकित 31-3-2014 और आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुनिता के प्रमाण पत्र दिनांकित 31-3-2014 के आधार पर दिया है। कहने का आशय यह है कि अधिशासी अधिकारी द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र कागज सं.-19/33 सभासद शकुन्‍तला एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुनिता के प्रमाण पत्रों दिनांकित 31-3-2014 के अतिरिक्‍त अन्‍य किसी साक्ष्‍य अथवा प्रमाण पर आधारित नहीं है। यह भी गौर करने वाली बात है कि यही अधिशासी अधिकारी जिन्‍होंने शकुन्‍तला और सुनिता के प्रमाण पत्रों के आधार पर दिनांक 31-3-2014 को यह प्रमाण पत्र दिया है कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व हो चुकी है, उन्‍हीं अधिशासी अधिकारी ने अपने हस्‍ताक्षरों से उत्‍तराखण्‍ड सरकार के शहरी विकास विभाग द्वारा निर्धारित प्रारूप पर दिनांक 20-02-2014 को इस आशय का मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी किया था कि बीमित मुकेश कुमार की मृत्‍यु दिनांक 10-6-2013 को हुई थी। कहने का आशय है कि जब अधिशासी अधिकारी दिनांक 20-02-2014 को इस आशय का मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी कर चुके थे कि मुकेश कुमार की मृत्‍यु दिनांक 10-6-2013 को हुई थी तब उनके द्वारा दिनांक 31-3-2014 को इस आशय का प्रमाण पत्र जारी करने का कोई औचित्‍य नहीं था कि मुकेश की मृत्‍यु ‘’लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व’’ हो चुकी है। कदाचित ऐसा प्रतीत होता है कि नगर पंचायत सुल्‍तानपुर के अधिशासी अधिकारी का प्रमाण पत्र कागज सं.-19/33 उनसे विपक्षीगण के इनवेस्‍टीगेटर द्वारा ‘’हासिल’’ किया गया था, उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में सभासद शकुन्‍तला, आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुनिता तथा नगर पंचायत सुल्‍तानपुर के अधिशासी अधिकारी द्वारा बीमित मुकेश कुमार की मृत्‍यु की तिथि के संदर्भ में दिये गये प्रमाण पत्र दिनांकित 31-3-2014, जो पत्रावली के क्रमश: कागज सं.-19/32, 19/33 एवं 19/34 हैं, विपक्षीगण के लिए सहायक नहीं हैं।
  14. मूल बीमा प्रस्‍ताव, जिसके आधार पर मुकेश कुमार के नाम बीमा पालिसी जारी हुई थी, पत्रावली का कागज सं.-19/4 है। यह बीमा प्रस्‍ताव दिनांक 19-02-2013 को भरा गया था। इसमें उल्लिखित तथ्‍यों को विपक्षीगण के एजेंट ने सत्‍यापित करते हुए मुकेश कुमार के नाम बीमा पालिसी जारी किये जाने की अनुसंशा की थी। यदि बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमित जीवित नहीं था और उसपर ‘’मुकेश कुमार’’ के हस्‍ताक्षर फर्जी कराये गये थे तो कदाचित विपक्षीगण ने अपने एजेंट के विरूद्ध कार्यवाही अवश्‍य की होगी किन्‍तु किसी प्रकार की कोई कार्यवाही एजेंट के विरूद्ध किया जाना पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों से दिखायी नहीं देता। एजेंट के विरूद्ध कार्यवाही न किया जाना भी इस बात को बल प्रदान करता है कि बीमा प्रस्‍ताव फार्म पर बीमित के ही हस्‍ताक्षर हैं और उक्‍त पालिसी धोखाधड़ी करके मृत व्‍यक्ति के नाम नहीं ली गई थी।
  15. उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि विपक्षीगण यह प्रमाणित करने में सफल नहीं हो पाये हैं कि मृतक मुकेश कुमार के नाम परिवाद के पैरा-1 में उलिलखित बीमा पालिसी फर्जी तरीके से मृत व्‍यक्ति के नाम जारी करायी गई थी और पालिसी जारी करने की तिथि पर मुकेश कुमार जीवित नहीं था। इसके विपरीत यह प्रमाणित हुआ कि बीमित की मृत्‍यु बीमा पालिसी जारी होने के बाद दिनांक 10-6-2013 को हुई थी, जैसा कि परिवादी पक्ष का कथन है। परिवादीगण को पालिसी में उलिलखित बीमा धनराशि अंकन-4,00,000/-रूपये 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाया जाना न्‍यायोचित दिखायी देता है। तद्नुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।   

परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अंकन-4,00,000(चार लाख) रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादीगण के पक्ष में विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादीगण परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षीगण से अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने के भी अधिकारी होंगे। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान दो माह में किया जाये।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •       अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •      अध्‍यक्ष

दिनांक: 07-05-2018

 

 

 

 

 

 

 

 

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