Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/182/2011

Shri Amar Singh - Complainant(s)

Versus

Shriram General Insurance Company - Opp.Party(s)

28 Aug 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/182/2011
 
1. Shri Amar Singh
R/o Chau Ki Basti, Near K.G.K Colloge. Linepaar,Majhola , Moradabad
Moradabad
Uttar Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. Shri Ram General Insurance Company
Branch A-16 Gandhi Nagar IInd Floor Rampur Road, Distt. Moradabad
Moradabad
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. P.K Jain PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Azra Khan MEMBER
 HON'BLE MRS. Manju Srivastava MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे मोटर वाहन दुर्घटना क्‍लेम के रूप में 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 5,03,366/- रूपये दिलाऐ जायें। मानसिक कष्‍ट की मद में 25,000/- रूपया क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्‍यय अतिरिक्‍त दिलाऐ जाने की भी प्रार्थना परिवादी ने की।
  2.  संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी टाटा 407 ट्रक सं0- यू0पी021-ए0एन0/0054 का पंजीकृत स्‍वामी है। दिनांक 23/01/2010 से  22/01/2011 की अवधि हेतु विपक्षी सं0-2 से उसने इस ट्रक का बीमा कराया था। दिनांक 03/12/2010 की प्रात: लगभग 3.30 बजे परिवादी के इस वाहन की थाना रजबपुर जिला मुरादाबाद के क्षेत्रान्‍तार्गत एक अन्‍य ट्रक सं0-यू0पी035 एच0/4555 से टक्‍कर हो गई। दुर्घटना की सूचना तत्‍काल थाना रजबपुर को  दी गयी और विपक्षीगण को भी सूचित किया गया। विपक्षीगण ने सर्वेयर श्री वी0 पी0 माहेश्‍वरी को नियुक्‍त किया जिन्‍होंने परिवादी के दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन और मौके का मुआयना किया। सर्वेयर ने परिवादी को आश्‍वासन दिया कि  उनका दुर्घटना दावा जल्‍दी सेटिल कर दिया जाऐगा। परिवादी को ज्ञात हुआ   कि सर्वेयर ने 5,03,366/- रूपये के नुकसान की संस्‍तुति विपक्षीगण को की।  परिवादी ने विपक्षीगण के समक्ष दुर्घटना दावा प्रस्‍तुत किया। परिवादी के  अनुसार दिनांक 10/05/2011 के पत्र द्वारा उसे सूचित किया गया कि उसका क्‍लेम विपक्षीगण ने अस्‍वीकृत कर दिया है। परिवादी का आरोप हैं कि उसका दावा विधि विरूद्ध तरीके से अस्‍वीकृत किया गया। परिवादी ने विपक्षीगण को  नोटिस भी दिया, किन्‍तु वे भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हैं अत: परिवादी को बाध्‍य होकर यह परिवाद योजित करना पड़ाा।  
  3.  परिवाद के साथ परिवादी ने अपने दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन की आर0सी0,  परमिट, बीमा कवरनोट, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गऐ क्‍लेम  अस्‍वीकृति के पत्र दिनांकित 10/0522011 और विपक्षीगण को परिवादी की  ओर से भेजे गऐ कानूनी नोटिस की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है,  यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/14 लगायत 3/18 हैं।
  4.   विपक्षीगण की और से प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 9/1 लगायत 9/4  दाखिल हुआ जिसमें परिवादी के ट्रक का दिनांक 23/01/2010 से  22/01/2011 की अवधि हेतु बीमा किऐ जाने और परिवादी के ट्रक की  दिनांक 03/12/2010 को हुई  दुर्घटना की सूचना मिलने पर श्री वी0पी0 माहेश्‍वरी  सर्वेयर एण्‍ड लोस असेसर को नियुक्‍त किया जाना तो स्‍वीकार किया गया है,  किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। विपक्षीगण ने अग्रेत्‍तर कहा   कि बार-बार सूचना देने के बावजूद परिवादी ने दुर्घटनागस्‍त वाहन का लोड  चालान विपक्षीगण को उपलब्‍ध नहीं कराया। अभिकथित रूप से दुर्घटना के  समय ट्रक में स्‍वीकृत भार से अधिक माल ले जाया जा रहा था जिस कारण ट्रक चालक ट्रक को कन्‍ट्रोल नहीं कर पाया और इस बजह से दुर्घटना हुई। माल का लोड चालान उपलब्‍ध न कराऐ जाने से बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन हुआ है जिस बजह से परिवादी का दावा अस्‍वीकृत किया गया और  ऐसा करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की। विपक्षीगण की ओर से यह भी  कहा गया कि उनके सर्वेयर एण्‍ड लोस असेसर ने जॉंच के उपरान्‍त 1,18,940/-  रूपये के नुकसान का आंकलन किया था। परिवादी का यह कथन असत्‍य है  कि विपक्षीगण के सर्वेयर ने 5,03,366/- रूपये के नुकसान की संस्‍तुति की  थी।
  5.   उपरोक्‍त कथनों के आधार पर यह कहते हुऐ कि  विपक्षीगण ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी अथ्‍वा लापरवाही नहीं की, परिवाद सव्‍यय  खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। 
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र  कागज सं0-11/1 लगायत 11/12 दाखिल किया जिसके साथ उसने दुर्घटनाग्रस्‍त ट्रक की आर0सी0, परमिट, बीमा कवरनोट, आर0ए0मोटर्स प्रा0 लि0 का दुर्घटनाग्रस्‍त ट्रक के नुकसान का एस्‍टीमेट, विपक्षीगण से प्राप्‍त क्‍लेम अस्‍वीकृति के पत्र दिनांकित 10/05/2011, ट्रक की  बिल्‍टी और विपक्षीगण को परिवादी की ओर से भेजे गऐ कानूनी नोटिस एवं नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की रसीदों की फोटो प्रतियों को संलग्‍नक-1 लगायत संलग्‍नक-8 के रूप में दाखिल किया, यह संलग्‍नक पत्रावली के कागज सं0-11/13 लगायत 11/20 हैं।
  7. विपक्षीगण की ओर से बीमा कम्‍पनी के लीगल आफिसर श्री सतीश चन्‍द्र  गोयल का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/4 दाखिल हुआ। इसके साथ विपक्षीगण के सर्वेयार और लोस असेसर श्री वी0पी0 माहेश्‍वरी की  सर्वे रिपोर्ट, परिवादी से लोड चालान उपलब्‍ध कराऐ जाने हेतु अभिकथित रूप  से भेजे गऐ पत्र दिनांकित 23/04/2011, 01/05/2011 तथा पत्र दिनांकित 10/05/2011, बीमा सर्टिफिकेट और बीमा पालिसी की शर्तों को संलग्‍नक-1 लगायत संलग्‍नक-5 के रूप में दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के  कागज सं0-13/5 लगायत 13/16 हैं।
  8.   दोनों पक्षों की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  9.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  10.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने साक्ष्‍य शपथ पत्र के संलग्‍नक-4 (पत्रावली का कागज सं0-11/16) की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि दुर्घटना में परिवादी के ट्रक की रिपेयर हेतु 5,03,366/- रूपया का व्‍यय आंकलित हुआ था। इसके बावजूद विपक्षीगण के सर्वेयर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-13/5 लगायत 13/8 में नुकसान का आंकलन मात्र 1,18,940/- रूपया आंकलन किया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अग्रेत्‍तर  तर्क दिया कि सर्वेयर द्वारा संस्‍तुत उक्‍त धनराशि भी विपक्षीगण ने परिवादी को  नहीं दी और उसका क्‍लेम इस आधार पर अस्‍वीकृत कर दिया कि बार-बार   मांगने के बावजूद परिवादी ने वाहन का लोड चालान विपक्षीगण को उपलब्‍ध  नहीं कराया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार विपक्षीगण द्वारा क्‍लेम अस्‍वीकृत किया जाना विधि विरूद्ध है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता  ने पत्र दिनांकित 13/04/2011, 01/05/2011 और पत्र दिनांकित 10/05/2011  जो पत्रावली के क्रमश: कागज सं0-13/9, 13/10 एवं 13/11 हैं, की ओर  हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि बार-बार मांगने पर भी परिवादी ने  लोड चालान विपक्षीगण को उपलब्‍ध नहीं कराया। ऐसी दशा में परिवादी का  क्‍लेम अस्‍वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की।
  11.    विपक्षीगण ने लोड चालान कथित रूप से मांगने विषयक उपरोक्‍त पत्र कागज सं0-13/9, 13/10 एवं 13/11 परिवादी को पंजीकृत डाक से भेजा जाना तो कहा है, किन्‍तु इन्‍हें कथित रूप से भेजे जाने की डाकखाने की कोई  रसीद दाखिल नहीं की गई है ऐसी दशा में यह र्स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि लोड चालान मांगे जाने विषयक उक्‍त पत्र विपक्षीगण ने परिवादी को  भेजे थे। यह प्रमाणित नहीं होता कि क्‍लेम निस्‍तारण से पूर्व परिवादी से विपक्षीगण ने लोड चालान मांगा था। अन्‍यथा भी मात्र इस आधार पर कि  दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन ओवर लोड था तब तक क्‍लेम अस्‍वीकृत नहीं किया जा  सकता जब तक कि यह प्रमाणित न हो जाऐ कि दुर्घटना का कारण वाहन का ओवर लोड होना था। 2012 (2) सी0पी0आर0 पृष्‍ठ-84, न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम कोटलू ब्रहमन्‍ना एक्‍स सर्विसमैन ट्रांसपोर्ट कोआपरेटिव सोसाईटी लिमिटेड के मामले में ....मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा निम्‍न व्‍यवस्‍था दी गई है:-

                     “ If overloading is not prime cause of accident, Insurance Company cannot repudiate claim. “

   12.   यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाये कि परिवादी का ट्रक दुर्घटना के समय ओवर लोड था फिर भी कोटलू ब्रहमन्‍ना एक्‍स सर्विसमैन                ट्रांसपोर्ट कोआपरेटिव सोसाईटी लिमिटेड की उपरोक्‍त निर्णयज विधि के दृष्टिगत विपक्षीगण द्वारा क्‍लेम अस्‍वीकृत किया जाना विधि                     अनुकूल नहीं कहा जा सकता। विपक्षी के सर्वेयर /लोस असेसर की रिपोर्ट कागज सं0-13/5  लगायत 13/8 में परिवादी कोई ऐसी त्रुटि इंगित नहीं           कर पाया जिसके आधार पर उक्‍त रिपोर्ट एवं उसमें किऐ गऐ लोस असेस्‍मेन्‍ट पर किसी प्रकार की कोई  शंका की जाये। सर्वे रिपोर्ट में परिवादी             को 1,18,940/- रूपये दिलाऐ जाने की संस्‍तुति की गई थी। परिवादी को यह धनराशि विपक्षीगण से दिलाया जाना हम न्‍यायोचित समझते हैं।               इस धनराशि पर परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु परिवादी को 9 प्रतिशत वार्षिक की दर               से ब्‍याज भी दिलाया जाना उपयुक्‍त होगा। तदानुसार परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 आदेश

  परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक  की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित1,18,940/- (एक लाख अठारह हजार नो सौ चालीस रूपये केवल) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में, विपक्षीगण के विरूद्ध सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षीगण से 2,500/- (दो  हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान परिवादी को दो माह में किया जाये।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     28.08.2015           28.08.2015        28.08.2015

 

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 28.08.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     28.08.2015           28.08.2015        28.08.2015

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. P.K Jain]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Azra Khan]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Manju Srivastava]
MEMBER

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