View 46316 Cases Against General Insurance
Mohd. Akhil Kuamr filed a consumer case on 15 Sep 2018 against Shriram General Insurance Company Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/2/2016 and the judgment uploaded on 24 Sep 2018.
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-02/2016
मौ. आकिल पुत्र श्री मौ. उमर निवासी मकान नं.-174 चौधरपुर थाना डिडौली जिला अमरोहा। …........परिवादी
बनाम
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. द्वारा प्रबन्धक श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. रामपुर रोड गांधीनगर मुरादाबाद। ….....विपक्षी
वाद दायरा तिथि: 03-12-2015 निर्णय तिथि: 15.09.2018
उपस्थिति
श्री लियाकत अली, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री लियाकत अली, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
यह परिवाद बीमा धनराशि अंकन-3,85,000/-रूपये मय 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पाने के लिए विपक्षी के विरूद्ध दायर किया है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी का ट्रक सं.-यूपी-77एन-8940 विपक्षी के यहां दिनांक 13-01-2015 से 12-01-2016 तक बीमित था। दिनांक 07-5-2015 को सुबह 9 बजे थाना असमोली जिला संभल के क्षेत्र में उक्त ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें भारी क्षति हुई। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को दी और पाकबड़ा जिला मुरादाबाद में यूसुफ मैकेनिक के यहां उक्त ट्रक की मरम्मत करायी, जिसमें परिवादी के अंकन-3,85,000/-रूपये खर्च हुए। विपक्षी के सर्वेयर ने स्थल निरीक्षण किया। परिवादी ने अंकन-3,85,000/-रूपये बीमा राशि की मांग विपक्षी से की, जो विपक्षी ने अदा नहीं की, इस कारण यह वाद दायर किया है।
विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में उक्त बीमा पालिसी और कथित दुर्घटना की सूचना मिलना तथा सर्वेयर नियुक्त करना स्वीकार किया है तथा वाद का विरोध इस आधार पर किया है कि परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादी ने सर्वेयर को आवश्यक कागजात उपलब्ध नहीं कराये। बीमा कंपनी ने परिवादी को कई पत्र ड्राईविंग लाइसेंस, एफआईआर की नकल आदि उपलब्ध कराने के लिए लिखे, जो परिवादी ने उपलब्ध नहीं कराये। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना देते समय ट्रक चालक के रूप में स्वयं का नाम बताया था लेकिन सर्वेयर को दूसरे व्यक्ति अब्दुल खालिक के चालक लाइसेंस की प्रति दी है। इस दुर्घटना के समय वैध एवं प्रभावी चालक लाइसेंस ड्राईवर के पास नहीं था। परिवादी ने कोई औपचारिकता पूरी नहीं की। सर्वेयर ने अंकन-60600/-रूपये का नुकसान कथित दुर्घटना में होना बताया है। परिवाद मय खर्चा खारिज होने योग्य है।
परिवादी ने अपने साक्ष्य में प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, विपक्षी के पत्र की छायाप्रति, अब्दुल खालिक के चालक लाइसेंस की छायाप्रति, प्रश्नगत ट्रक की आरसी की छायाप्रति, बीमा पालिसी की छायाप्रति, फिटनेस प्रमाण पत्र की छायाप्रति, परमिट की छायाप्रति, रसीद की छायाप्रति तथा अपना शपथपत्र दाखिल किया है।
विपक्षी ने अपने साक्ष्य में अपने लीगल आफिसर श्री सिद्धार्थ पाण्डेय तथा अपने सर्वेयर श्री जीके बंसल के शपथपत्र दाखिल किये हैं।
हमने पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी और पत्रावली का पूर्ण रूप से अवलोकन किया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद पत्र को दोहराते हुए तर्क दिया कि बीमा कंपनी ने कथित दुर्घटना को अस्वीकार नहीं किया है और दुर्घटनाग्रस्त ट्रक को ठीक कराने में परिवादी को अंकन-3,85,000/-रूपये खर्च करने पड़े। प्रश्नगत ट्रक को दुर्घटना के समय अब्दुल खालिक पुत्र श्री हनीफ चला रहा था, जिसके चालक लाइसेंस की छायाप्रति परिवादी ने दाखिल की है, जो दुर्घटना की तिथि पर वैध एवं प्रभावी था। विपक्षी ने आज तक परिवादी को बीमा धनराशि अदा नहीं की, इसलिए विपक्षी की सेवा में भारी कमी व लापरवाही रही है।
उपरोक्त तर्क के विरोध में विपक्षी बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रतिवाद पत्र को दोहराते हुए कहा दुर्घटना के समय परिवादी अपने ट्रक को स्वयं चला रहा था, जिसको उसने दुर्घटना की सूचना देते समय स्वयं स्वीकार किया है लेकिन परिवादी ने अपना चालक लाइसेंस दाखिल नहीं किया है, इसलिए दुर्घटना के समय प्रश्नगत दुर्घटना के समय चालक के पास वैध एवं प्रभावी चालक लाइसेंस नहीं था, जो बीमा शर्तों का उल्लंघन है। परिवादी ने विपक्षी के अनेक पत्रों के बावजूद औपचारिकतायें पूर्ण नहीं की। परिवादी ने कथित अंकन-3,85,000/-रूपये के खर्च के बिल अथवा मैकेनिक का शपथपत्र अपने साक्ष्य में दाखिल नहीं किया है। इसलिए परिवादी कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में नजीर I(2012) सीपीजे 341(एनसी) छन्नप्रीत सिंह बनाम यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. व 2016(1) सीपीआर 663 (एनसी) रामजीवन शर्मा बनाम न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. एवं IV(2011) सीपीजे 458 (एनसी) खिमजी भाई एण्ड सन्स बनाम न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. प्रस्तुत की हैं।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह नहीं लिखा है कि दुर्घटना के समय उसके ट्रक को कौन चला रहा था। परिवादी ने अपने शपथपत्र के पैरा-8 में कहा है कि उसने चालक अब्दुल खालिक का चालक लाइसेंस भी विपक्षी को दे दिया था क्योंकि दुर्घटना के समय अब्दुल खालिक ही ट्रक चला रहा था।
परिवादी ने कथित चालक अब्दुल खालिक के चालक लाइसेंस की छायाप्रति दाखिल की है, जो दुर्घटना के समय ट्रक को चलाने के लिए वैध था।
विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी द्वारा दी गई दुर्घटना की सूचना पत्रावली पर दाखिल नहीं की है, जिसमें विपक्षी, परिवादी को ही ट्रक चलाना बताता है।
अतएव पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह साबित है कि दुर्घटना के समय उक्त ट्रक को अब्दुल खालिक पुत्र श्री हनीफ चला रहा था, जिसका चालक लाइसेंस प्रश्नगत ट्रक चलाने के लिए दुर्घटना के समय वैध व प्रभावी था।
परिवादी ने अपने ट्रक की मरम्मत के बिल अथवा कथित मैकेनिक युसूफ का शपथपत्र दाखिल नहीं किया है और न ही कोई ऐसा साक्ष्य दिया है, जिससे साबित हो कि वास्तव में उसने अंकन-3,85,000/-रूपये का भुगतान अपने ट्रक की मरम्मत के लिए कथित मैकेनिक युसूफ को किया हो और वास्तव में उसके दुर्घटनाग्रस्त ट्रक की मरम्मत में अंकन-3,85,000/-रूपये खर्च हुए हों।
हमने विपक्षी की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त तीनों नजीरों का अवलोकन किया। इन नजीरों में सर्वेयर की रिपोर्ट को महत्व दिया गया है।
विपक्षी ने सर्वे रिपोर्ट के समर्थन में सर्वे रिपोर्ट के साथ सर्वेयर का शपथपत्र भी दाखिल किया है। सर्वेयर ने अपने शपथपत्र से सर्वे रिपोर्ट का पूर्णत: समर्थन किया है। सर्वेयर श्री जीके बंसल के शपथपत्र पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है। सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में प्रश्नगत ट्रक में कथित दुर्घटना से हुई क्षति का आंकलन अंकन-60,600/-रूपये किया है।
अतएव उपरोक्त नजीरों के आधार पर परिवादी अंकन-60,600/-रूपये बीमा राशि विपक्षी बीमा कंपनी से पाने का अधिकारी है। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह अंकन-60,600/-रूपये बीमा धनराशि मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दौरान मुकदमा तावसूली तथा अंकन-2500/-रूपये वाद व्यय परिवादी को दो माह में अदा करे।
(सत्यवीर सिंह) (लियाकत अली)
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (लियाकत अली)
दिनांक: 15-09-2018
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.