जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री विष्णु चैनानी मृतक जरिए-
1. श्री दीपक चैनानी, आयु- 32 वर्ष, पुत्र स्व. श्री विष्णु चैनानी,
2. श्रीमति पुष्पा चैनानी, ाआयु- 63 वर्ष, पत्नी स्व. श्री विष्णु चैनानी
- प्रार्थीगण
बनाम
जन सम्पर्क अधिकारी वास्ते श्री राम जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, स्थान- ई/8, ईपीआईपी, रीको इण्डस्टीªयल एरिया, सीतापुरा, जयपुर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 120 /2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री दीपक चैनानी, अधिवक्ता, प्रार्थीगण
2.श्री तेजभान भगतानी, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-06.09.2016
1. प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि प्रार्थी (मृतक) ने अपनी कार ह्यून्डाई आई-10 का बीमा प्रार्थी बीमा कम्पनी से जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 106002/31/12/003954 का दिनांक 29.8.2011 से 28.8.2012 तक की अवधि के लिए करवाई । उक्त वाहन जनवरी, 2011 में दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर उसने कम्पनी के अधिकृत प्रतिष्ठान श्री विनायक ह्यून्डाई, पटेल स्टेडियम के सामने, जयपुर रोड, अजमेर से सर्वे दिनांक 19.01.2012 को करवाया । जिन्होनें वाहन के क्षतिग्रस्त वाहन के आगे के कांच की क्षतिपूर्ति की राषि रू. 5967/- आंकलित की और उसे यह आष्वासन दिया
गया कि 7 दिन की अवधि में क्षतिपूर्ति राषि का भुगतान प्राप्त हो जावेगा । तत्पष्चात् उसने दिनांक 20.1.2013 को उक्त षीषा बदलवाने की राषि रू. 5967/- का भुगतान कम्पनी को कर दिया । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 27.10..2012 के द्वारा उसका क्लेम खारिज कर दिया । उसने दिनांक 10.2.2012 को विधिक नोटिस भी दिया, किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई । अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इस कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में श्री दीपक चैनानी प्रार्थी संख्या 1 ने अपना षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्ति में यह दर्षाया है कि प्रार्थी ने अपने वाहन संख्या आर.जे.01.सीए. 8366 का बीमा वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए करवाया था । । आगे पैरावाईज जवाब में भी यही कथन किया है कि प्रार्थी ने बीमा प्रस्ताव प्रपत्र भरते समय अपने वाहन के संबंध में 25 प्रतिषत क्षतिपूर्ति राषि के नो क्लेम बोनस के तथ्य को छिपाते हुए बीमा प्राप्त किया है । इसलिए उत्तरदाता ने बीमा पाॅलिसी की षर्तो के तहत प्रार्थी का बीमा दावा निरस्त कर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की है। अन्त में परिवाद न्यायिक दृष्टान्त का हवाला देते हुए सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री के.के.षर्मा, उपप्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थी पक्ष का कथन रहा है कि वाहन के अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमित होने के बावजूद हुए नुकसान बाबत् वाहन के अधिकृत पं्रतिष्ठान द्वारा वाहन के सर्वे किए जाने के बाद दिए गए आष्वासन के अनुरूप क्षतिपूर्ति राषि का भुगतान नहीं किया जाकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सूचित किया है कि प्रार्थी पक्ष अप्रार्थी बीमा कम्पनी से कोई लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है, स्वयं बीमा कम्पनी के बताए गए नियमों के विपरीत है । प्रार्थी पक्ष ने उक्त बीमा कम्पनी से वाहन की बीमा पाॅलिसी क्रय की है व सम्पूर्ण बीमा प्रीमियम का भुगतान भी प्राप्त किया गया है । अतः उक्त कम्पनी द्वारा प्रार्थी पक्ष को जारी की जाने वाली पाॅलिसी बाबत् किसी नियम की अनदेखी की गई है, तो इसका सम्पूर्ण दोष प्रार्थी पक्ष पर कतई नहीं हो सकता । बीमा कम्पनी ने बिना किसी समुचित कारण के बेची गई बीमा पाॅलिसी के तहत देय लाभों से प्रार्थी पक्ष को वंचित किया है । उनका यह कृत्य सेवा में कमी का द्योतक है । परिवाद स्वीकार की जानी चाहिए ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से इन तर्को का खण्डन करते हुए अपने प्रमुख तर्क में बताया है कि हस्तगत प्रकरण में वास्तविक तथ्यों को छिपा कर बीमा कराया गया था । पूर्व बीमा कम्पनी चोला मण्डलम से प्राप्त दुर्घटना बीमा राषि के तथ्यों को छिपा कर इस उत्तरदाता से प्रार्थी ने नो क्लेम बोनस का लाभ प्राप्त कर उक्त बीमा कराया गया था । इस प्रकार प्रार्थी पक्ष अप्रार्थी बीमा कम्पनी से कोई क्षतिपूर्ति राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही ंहै । इस संदर्भ में माननीय राष्ट्रीय आयोग के न्यायिक दृष्टान्त त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1255 ध्2009 ज्ंजं ।प्ळ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ळनस्रंतप ैपदही के प्रकाष में उनका तर्क है कि इन हालात में परिवाद स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त में प्रतिपादित सिद्वान्तों का अवलोकन कर लिया है ।
6. यहां यह उल्लेखनीय है कि यदि किसी भी पक्षकार को वाहन के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा किसी प्रकार का कोई आष्वासन दिया जाता है तो ऐसा आष्वासन हर सूरत में मान्य नहीं होकर इसके आधार पर क्लेम देय होना नहीं माना जा सकता है। हस्तगत प्रकरण में वाहन में हुई दुर्घटना बाबत् अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित किया गया था , किन्तु यह तथ्य भी स्वीकृत एवं विचारणीय है कि प्रार्थी पक्ष द्वारा उक्त वाहन का दिनंाक 28.8.2010 से 29.8.2011 तक की अवधि का बीमा चोला मण्डलम बीमा कम्पनी से करवाया गया था जैसा कि उपलब्ध बीमा पाॅलिसी से स्पष्ट है एवं तत्समय बीमित द्वारा 20 प्रतिषत नो क्लेम बोनस भी प्राप्त किया गया था । इसके बाद प्रार्थी पक्ष बीमित द्वारा दिनंाक 28.8.2011 से 28.8.2012 तक की अवधि के लिए पुनः उक्त वाहन का अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा करवाया गया व इस पाॅलिसी के अन्तर्गत भी प्रार्थी पक्ष द्वारा 25 प्रतिषत नो क्लेम बोनस की छूट प्राप्त की गई है । इस प्रकार दो-दो अवधि में प्रार्थी पक्ष नो क्लेम बोनस का फायदा प्राप्त कर अब उक्त बीमित अवधि के लिए हस्तगत क्लेम प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है । जिन आधारों पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी पक्ष का क्लेम अनुचित पाते हुए खारिज किया है, में किसी प्रकार का कोई सेवा दोष रहा हो, ऐसा मंच की राय में नहीं माना जा सकता । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम उचित आधारों पर खारिज किया है । ऐसी स्थिति में प्रार्थी पक्ष का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 06.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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