Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/622/2016

Rammo Devi - Complainant(s)

Versus

Shri Ram Finance - Opp.Party(s)

22 Feb 2018

ORDER

 
                                                                   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
 
                                                                 अध्यासीनः  डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
                                                                                   पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
                                                                                  श्रीमती सुधा यादव.........................................सदस्या         
 
 
                                                                                    उपभोक्ता वाद संख्या-622/2016
श्रीमती रम्मो देवी पत्नी स्व0 श्री पाल सिंह निवासी अकबरपुर, कानपुर देहात, वर्तमान निवास 119/363 दर्षनपुरवा, कानपुर नगर।
                                                                                                                                                              ................परिवादिनी
बनाम
1. श्रीराम इक्यूपमेंट फाइनेंस कं0लि0 पता स्थित 303-306 सबरी समृद्धि बिल्डिंग, बी-1 पूर्व मार्ग, सेक्टर-2, चेम्बूर, एस0टी0 स्टैण्ड, चेम्बूर, मुम्बई-400071 फोन नं0-022-6046500
2. श्रीराम ट्रांसपोर्ट स्थित प्लाट नं0-59, 60 ष्याम नगर, रामपुरम, कानपुर नगर।
                                                                                                                                                            ...........विपक्षीगण
                                                                                                                                      परिवाद दाखिल होने की तिथिः 17.10.2016
                                                                                                                                     निर्णय की तिथिः 23.02.2018
                                                                    डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
 ःःः                                                                                               निर्णयःःः
 
 
1.  परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण से परिवादिनी को आर्थिक क्षति के रूप में रू0 5,00,000.00, मानसिक व सामाजिक क्षति हेतु रू0 1,00,000.00, विपक्षी कंपनी के कृत्यों से पीडित होकर बीमार होने के कारण रू0 1,00,000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी के पुत्र जीतेन्द्र पाल सिंह ने राजेष अग्निहोत्री से दिनंाक 28.09.11 को एक ट्रक सं0-यू0पी0-78 एन-5657 का सौदा रू0 12,00,111.00 में किया था। परिवादिनी के पुत्र ने उक्त ट्रक पर श्रीराम इक्यूपमेंट फाईनेन्स कं0लि0 से रू0 9,36,107.00 का ऋण लिया, जिसकी मासिक किष्त रू0 38,893.00 तय की गयी। जिसे परिवादिनी के पुत्र द्वारा 6-7 किष्तें अदा की गयी, किन्तु किसी कारणवष बाद की किष्तें अदा करने  में विलम्ब हो गया। जिस पर परिवादिनी के पुत्र ने श्रीराम कंपनी लि0 को 
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नगद रूपया किष्तों में अदा किया। जिसे उक्त कंपनी द्वारा ओवर ड्यूज बताकर जमा कर दिया गया। परिवादिनी के पुत्र द्वारा रू0 3,50,000.00 का भुगतान किया गया था। किन्तु विपक्षी सं0-1 द्वारा जो प्रक्रिया अपनाई जा रही थी, परिवादिनी का पुत्र अत्यधिक परेषान था। विपक्षी सं0-1 ने वर्श 2013 में उपरोक्त वाहन पर लिये गये ऋण रू0 9,36,107.00 में जमा रकम रू0 3,50,000.00 की जगह मात्र रू0 56,107.00 घटाकर परिवादिनी के पुत्र पर दबाव बनाकर पुनः उसी गाड़ी पर कंपनी द्वारा रू0 8,80,000.00 का ऋण परिवादिनी के नाम पर कर दिया। जबकि उपरोक्त वाहन परिवहन विभाग उत्तर प्रदेष के कागजात पर कंपनी द्वारा अविक्रय करार (हायर पर्चेज करार) चढ़ा है, वही उसे हटवा भी सकती है व आपत्ति दर्ज करवा सकती है या एन0ओ0सी0 द्वारा मुक्त कर सकती है। परिवादिनी द्वारा किष्तें निरंतर अदा न कर पाने पर परिवादिनी की गाड़ी जबरन विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 05.06.13 को अपने कब्जे में ले लिया। इस कृत्य का अधिकार कंपनी को नहीं था। परिवादिनी द्वारा दिनांक 26.03.14 को धन की व्यवस्था रू0 2,35,000.00 करने पर वाहन परिवादिनी को वापस दिया। इस प्रकार परिवादिनी का वाहन लगभग 10 माह तक कंपनी के कब्जे में होने से परिवादिनी को गंभीर आर्थिक हानि उठानी पड़ी। जबकि कंपनी का यह कृत्य करार के विरूद्ध था, क्योंकि समस्त किष्तों या रकम का भुगतान 45 किष्तों में करना था। अतः बीच में ही वाहन उठा लेना, एक अवैधानिक कृत्य था। जबकि कंपनी धन के एवज में ब्याज की रकम ले रही है। परिवादिनी द्वारा दिनांक 29.04.14 को रू0 31,980.00 व 25820.00 दिनांक 04.06.14 को रू0 1620.00 व 27380.00, दिनांक 04.07.14 को रू0 890.00 व 28110.00, दिनांक 04.09.14 को रू0 2070.00 व रू0 26930.00, दिनांक 18.10.14 को रू0 3830.00 व 25170.00, दिनांक 21.11.14 को रू0 2500.00 व 26500.00, दिनांक 27.12.14 को रू0 2600.00 व रू0 14900.00 दिनांक 11.03.15 को रू0 10000.00, दिनांक 01.05.15 को रू0 15000.00, दिनांक 07.05.15 को रू0 14000.00, दिनांक 16.06.15 को रू0 30000.00, दिनांक 27.06.15 को रू0 20000.00, दिनांक 17.08.15 को रू0 29000.00 एवं लगभग रू0 50,000.00 अन्य नगद  जमा किया,  जिसकी रसीद विपक्षी 
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सं0-1 द्वारा प्रदान नहीं की गयी। इस आधार पर परिवादिनी का कुल ऋण रू0 8,80,000.00 में रू0 6,43,000.00 जमा किया गया। इस ऋण की अदायगी 45 किष्तों में वर्श 2017 तक करनी थी। इसके पष्चात बराबर रकम चुकता न होने के कारण विपक्षी सं0-1 के कर्मचारी धमकाने लगे कि ट्रक सड़क पर आया तो खींच लेंगे। पुनः दबाव बनाकर कहा कि यह कंपनी बन्द हो रही है, दूसरी कंपनी से अपना ऋण कराना पड़ेगा। इस प्रकार उपरोक्त वाहन पर पुनः इसी कंपनी का द्वितीय स्वरूप श्रीराम ट्रांसपोर्ट से रू0 7,12,000.00 का लोन पुनः करा दिया। जबकि परिवादिनी इसके पूर्व लिये गये ऋण का रू0 8,80,000.00 के बावत रू0 6,43,000.00 जमा कर चुकी थी। दिनांक 20.04.16 को रू0 20000.00 जिसकी रसीद विपक्षी ने दी। दिनांक 25.05.16 को रू0 10000.00, दिनांक 30.06.16 को रू0 5000.00 व दिनांक 20.06.16 को रू0 8000.00 भी जमा किया था। तत्पष्चात परिवादिनी का ट्रक दिनांक 09.07.16 को बुलंद ट्रांसपोर्ट कंपनी साहिबाबाद की बिल्टी सं0-30605 एच.सी.सी.बी.पी.एल. नवाबगंज उन्नाव से 880 पेटी थम्सअप सवा लीटर की, ड्राईवर दीपक दिवाकर पुत्र राम अवतार निवासी तिगई अकबरपुर कानपुर देहात गया था। जिसे चालक ने लावारिस हालत में सासनी पराग डेयरी सासनी थाना हाथरस के पास छोड़ दिया। ट्रक की सूचना थाने से प्राप्त होने पर रिलीज प्रार्थनापत्र दिया गया, किन्तु विपक्षीगण द्वारा फार्म 26 पर हस्ताक्षर न करने के कारण पंजीयन प्रमाण पत्र न मिल सका, जिससे विपक्षीगण का कृत्य सेवा के कमी को दर्षाता है व वाहन लगभग 45 दिन बाद रिलीज हो सका। विपक्षी कंपनी ऋण धनराषि की रकम में हेराफेरी करके जबरन ज्यादा धन वसूली पर अमादा है। परिवादिनी एक 70 वर्शीय वृद्ध महिला है एवं हृदयरोग से पीड़ित है। विपक्षी श्रीराम कंपनी द्वारा किया गया उपरोक्त कृत्य उपभोक्ता प्रतितोश निवारण अधिनियम के विरूद्ध है। फलस्वरूप परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षीगण ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन 
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किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है। परिवादिनी के बेटे जितेन्द्र पाल सिंह ने दिनांक 28.09.11 को प्रष्नगत ट्रक क्रय किया था, जिसका ऋण खाता सं0-एस.ई.एफ.06611 022001 है, जो दिनांक 30.07.13 को बन्द कर दिया गया था। परन्तु परिवादिनी की याचना पर उसके बेटे के ऋण खाता को बन्द कर परिवादिनी के नाम पुनः इकरारनामा निश्पादित किया गया, जिसका ऋण खाता सं0-एस.ई.एफ.06630628003 दिनांकित 26.03.16 को बंद कर दिया गया तथा ऋण की समस्त बकाया राषि दिनांक 16.03.16 को एक नया ऋण खाता निश्पादित कराया गया, जिसका ऋण खाता सं0-1603150003 है, जो आज दिनांक तक प्रभावी है तथा परिवादिनी को दिनांक 20.04.17 तक उक्त ऋण खाते की अदायगी किष्तों में करनी है तथा वर्तमान समय में परिवादिनी के ऋण खाते पर दिनांक 19.11.16 तक रू0 7,96,087.41 बकाया है। परिवादिनी द्वारा अपनी ओवरड्यूज की धनराषि से बचने हेतु असत्य कथनों पर प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। परिवादिनी द्वारा लगातार किष्तों की धनराषि अदा करने में विलम्ब किया जाता रहा है एवं वर्तमान में भी परिवादिनी के ऋण खाते में उपरोक्त रू0 7,96,087.41 से अधिक बकाया है। परिवादिनी द्वारा प्रष्नगत वाहन का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा था एवं इस आधार पर परिवादिनी उपभोक्ता की परिधि में नहीं आती है। परिवादिनी पर दिनांक 19.11.16 तक रू0 7,96,087.41 बकाया हैं। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कालबाधित है एवं परिवादिनी द्वारा स्वयं वर्णित किया है कि परिवाद का कारण वर्श 2013 में उत्पन्न हुआ तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-24 के अंतर्गत वाद का कारण उत्पन्न होने से दो वर्श की समय-सीमा के अंदर परिवाद प्रस्तुत कर दिया जाना चाहिए, परन्तु परिवादिनी द्वारा तीन वर्श से अधिक अवधि व्यतीत हो जाने के उपरांत दिनांक 14.10.16 को प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। परिवादिनी द्वारा अपने उपषम में रू0 7,00,000.00 से अधिक की मांग की गयी      है, जबकि परिवादिनी स्वयं के अनुसार उसके द्वारा रू0 200.00 का परिवाद 
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षुक्ल अदा किया गया है। जबकि रू0 5,00,000.00 से रू0 10,00,000.00 तक के उपषम के लिए परिवादिनी को निर्धारित परिवाद षुल्क रू0 400.00 अदा किया जाना चाहिए। अतः परिवादिनी द्वारा अपर्याप्त परिवाद षुल्क अदा किये जाने के कारण परिवादिनी का परिवाद डिफेक्टिव होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है। अतः परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध सव्यय निरस्त किया जाये।
4. परिवादिनी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 14.10.16, 02.11.16 व 21.04.17 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-4/1 लगायत् 4/4 के साथ संलग्न कागज सं0-4/5 लगायत् 4/66 व कागज सं0-1 लगायत् 38 दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में अनुराग त्रिपाठी, विधि प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 02.01.17 व 11.05.17 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
8. उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
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9. उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध यह आक्षेप लगाया गया है कि परिवादिनी का प्रष्नगत वाहन के सम्बन्ध में लिये गये ऋण की धनराषि लगातार विपक्षी ऋणदाता कंपनी को अदा कर रही है। इसके बावजूद दिनांक 09.07.16 को बुलंद ट्रांसपोर्ट कंपनी का माल लेकर जब परिवादिनी का ट्रक नवाबगंज उन्नाव से अकबरपुर कानपुर देहात जा रहा था, जिसे चालक ने लावारिस हालत में सासनी पराग डेयरी सासनी थाना हाथरस के पास छोड़ दिया था। ट्रक की सूचना थाने से प्राप्त होने पर रिलीज प्रार्थनापत्र दिया गया, किन्तु विपक्षीगण द्वारा फार्म 26 पर हस्ताक्षर न करने के कारण ट्रक न मिल सका, जिससे परिवादिनी का ट्रक 45 दिन बाद रिलीज हो सका। विपक्षी ऋणदाता कंपनी, ऋण धनराषि की जबरन ज्यादा धन वसूली की है। परिवादिनी एक 70 वर्शीय वृद्ध महिला है। विपक्षी श्रीराम कंपनी द्वारा किया गया उपरोक्त कृत्य विधि विरूद्ध है। उपरोक्त कारणों से परिवादिनी द्वारा 45 दिन बाद ट्रक रिलीज होने के कारण आर्थिक क्षति के रूप में रू0 5,00,000.00, आर्थिक व सामाजिक क्षति के लिए रू0 1,00,000.00 तथा विपक्षी ऋणदाता कंपनी के उपरोक्त कृत्य से बीमार होने के कारण रू0 1,00,000.00 दिलाये जाने की याचना की गयी है। इसके विपरीत विपक्षी फाइनेन्स कंपनी का यह कथन है कि परिवादिनी द्वारा लगातार किष्तों की धनराषि अदा करने में विलम्ब किया जाता रहा है। वर्तमान में भी परिवादिनी के ऋण खाते में उपरोक्त धनराषि रू0 7,96,087.41 से अधिक बकाया है। जबकि इस सम्बन्ध में परिवादिनी यह कह चुकी है कि विपक्षी कंपनी ऋण धनराषि की रमक में हेराफेरी करके, जबरन ज्यादा वसूली पर आमदा है, जिससे यह विदित होता है कि प्रस्तुत मामला परिवादिनी द्वारा किष्तों के रूप में जमा की जा रही धनराषि के आकलन से सम्बन्धित है। परिवादिनी द्वारा विपक्षी पर हेराफेरी का भी आरोप लगाया गया है। परिवादिनी द्वारा लगाये गये उपरोक्त आरोपों को संक्षिप्त विचारण के द्वारा निर्णीत किया जाना संभव नहीं है। प्रस्तुत मामले में परिवादिनी की ओर से विपक्षी ऋणदाता कंपनी पर लगाये गये उपरोक्त आरोप तथा उसके विपरीत विपक्षीगण  द्वारा किये 
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गये कथन को, उभयपक्षों से विस्तृत साक्ष्य तथा मौखिक साक्ष्य लिये जाने के उपरांत ही निर्णीत किया जाना संभव है। परिवादिनी द्वारा विपक्षी पर यह भी आरोप लगाया गया है कि विपक्षी द्वारा परिवादिनी का ट्रक अधिग्रहीत कर लेने के कारण परिवादिनी का वाहन कंपनी के कब्जे में रहा है। यह कृत्य करार के विरूद्ध था, किन्तु परिवादिनी द्वारा उपरोक्त कथन से सम्बन्धित इकरारनामे की किसी षर्त का उल्लेख नहीं किया गया है। विपक्षीगण की कार्यवाही से प्रष्नगत वाहन को 45 दिन बाद थाना हाथरस से रिलीज करवाने का आरोप भी विपक्षी पर लगाया गया है और इस सब के लिए परिवादिनी द्वारा, क्षतिपूर्ति भी याचित की गयी है। विपक्षी द्वारा परिवादिनी पर ऋण की अदायगी में डिफाल्टर होना बताया गया है। विपक्षी द्वारा परिवाद कालबाधित होने तथा अपर्याप्त षुल्क अदा किये जाने के कारण परिवाद को डिफेक्टिव होना भी बताया है। 
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों में तथा प्रमुखतः परिवादिनी द्वारा, विपक्षीगण पर हेराफेरी का आरोप लगाने तथा मामला किष्तों की अदायगी में आकलन से सम्बन्धित होने के कारण, उभयपक्षों से विस्तृत साक्ष्य लेकर दीवानी प्रक्रिया के अनुसार मामला निर्णीत किये जाने योग्य होने के कारण तथा संक्षिप्त विचारण द्वारा फोरम के द्वारा विचारणीय न होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। इस सम्बन्ध में मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा विधि निर्णय पी0एन0 खन्ना बनाम बैंक आॅफ बड़ौदा 2015 ब्च्श्र च्ंहम छव.54 ;छब्द्ध एवं ।कमसांत च्तंजपइीं ठण् ;डतेण्द्ध टेण् ैीपअंरप म्ेजंजम स्पअमेजवबा - थ्ंतउे ;च्द्ध स्जकण् प्प् ;2015द्ध ब्च्श्र च्ंहम छव.221 ;छब्द्ध में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जहां पर मामला धोखाधड़ी, जालसाजी एवं छलकपट से सम्बन्धित होगा, उन मामलों के विनिष्चयन के लिए विस्तृत साक्ष्य की आवष्यकता होगी। ऐसे मामलें उपभोक्ता फोरम के द्वारा निर्णीत नहीं किये जा सकते।
 
ःःःआदेषःःः
10. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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परिवादिनी सक्षम न्यायालय/मंच के समक्ष अपना परिवाद योजित करने के लिए स्वतंत्र है।
 
   (पुरूशोत्तम सिंह)      ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य        सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
 
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
 
  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य        सदस्या                   अध्यक्ष
 
 

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