राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-746/2004
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-95/2003 में पारित आदेश दिनांक 22.01.2004 के विरूद्ध)
प्रबन्धक, यू0टी0आई0 निदेशक सेवाकेन्द्र 174-175, राजेन्द्र भवन डी0डी0ए0 बिल्डिंग राजेन्द्र प्लैस नई दिल्ली-110008
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
राजेन्द्र प्रकाश वर्मा, पुत्र मुसद्दी लाल वर्मा मकान नम्बर-65 ए-11, बारादरी थाना कोतवाली, मुरादाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एच0 के0 श्रीवास्वत के सहयोगी
श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 07-12-2015
माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-95/2003 में पारित आदेश दिनांक 22.01.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की है। जिसमें जिला मंच द्वारा विपक्षी को आदेशित किया गया है कि वह आदेश की सूचना के एक माह के अंदर परिवादी को (20000-15950=4,050/-रू0) 4,050/-रू0 व उस पर दिनांक 04-08-2003 से भुगतान के दिनांक तक 15 प्रतिशत निर्धारित ब्याज दर सहित अदा करें, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 14-12-1996 को एक हजार यू0टी0आई0एम0आई0पी0 1996 (चतुर्थ) के अन्तर्गत प्रति यूनिट 10/-रू0 मूल्य के हिसाब से खरीदे थे। इस योजना की अवधि दिनांक 31-02-2001 को समाप्त हो चुकी है। इस अवधि के उपरान्त परिवादी को 20,000/-रू0 प्राप्त होना था। परिवादी ने मूल प्रमाण पत्र दिनांक 07-01-2002 को जमा करके एकनालिजमेंट प्राप्त कर लिया था। परिवादी ने चार-पॉंच रिमाइंडर भिजवाये किन्तु भुगतान नहीं हुआ। परिवादी ने दिनांक 14-11-2002 को एक पंजीकृत पत्र विपक्षी को भेजा किन्तु कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ इसलिए विपक्षी के विरूद्ध परिवाद योजित किया गया है।
विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस जारी की गयी परन्तु न तो रजिस्ट्री वापस प्राप्त हुई और न ही विपक्षी की ओर से कोई उत्तर आया। अत: विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी।
पीठ के समक्ष अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री एच0 के0 श्रीवास्तव के सहयोगी श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का अवलोकन किया।
जिला मंच ने अपने निष्कर्ष में यह पाया चूंकि परिवादी द्वारा 20,000/-रू0 शेयरों की कीमत 15 प्रतिशत ब्याज सहित मांगी गयी है किन्तु विपक्षी द्वारा परिवाद में किसी तरह का भाग नहीं लिया गया है और न ही 15950/-रू0 का भी कोई विवरण प्राप्त नहीं किया है। इसलिए परिवादी 20,000/-रू0 शेयरों की कीमत पाने का अधिकारी है। कि चूंकि परिवादी को 15,950/-रू0 का चेक मिल गया है और जिसका भुगतान भी वह प्राप्त कर चुका है इसलिए परिवादी शेष बची धनराशि मय 15 प्रतिशत ब्याज सहित पाने का अधिकारी है।
केस के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि जिला मंच द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है वह विधि अनुसार है और उसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-95/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2004 की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा कोर्ट नं0-5