जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 23/2016
मोहम्मद साकिर पुत्र अब्दुल समद, जाति-चढवा मुसलमान, निवासी-नकाष गेट, रामपोल के पास, ठठेरों का मौहल्ला, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। मोबाइल नम्बर-9269508425 -परिवादी
बनाम
1. मैनेजर/एम.डी., श्री राजस्थान पार्सल सेवा, रोडवेज बस स्टेण्ड के अन्दर, नागौर, तहसील व जिला-नागौर।
2. मैनेजर/एम.डी., राजस्थान पार्सल सेवा, रोडवेज बस स्टेण्ड के अन्दर, षिवगंज, जिला-सिरोही, (राज.)।
3. मैनेजर/एम.डी., आषापुरा ट्रेड एण्ड ट्रांसपोर्ट प्रा.लि. डी-905, गणेष मेरीडियन, अमीराज फार्म के सामने न्यू गुजरात हाईकोर्ट के पास, एस.जी. हाईवे अहमदाबाद-380060 (गुजरात)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री देवेन्द्रराज कल्ला, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री हरीराम खारडिया, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
निर्णय दिनांक 24.05.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से नागौर से षिवगंज भेजने के लिए एक पार्सल दिनांक 04.08.2015 को सायं 6.37 बजे 150 रूपये देकर बुक करवाया। जिसके लिए परिवादी को बुकिंग संख्या 136000281894 जरिये एस.एम.एस. के मैसेज सेंटर ।ड.ैळच्ैज्ड से प्राप्त हुई। यह पार्सल परिवादी द्वारा भेजे गये पते पर प्राप्त होना था। परिवादी नागौर में कपडे रंगाई, छपाई आदि का कार्य करता है तथा अपना माल आसपास के जिलां में भेजता है। दिनांक 04.08.2015 को परिवादी ने अपने रंगाई, छपाई से तैयार चुन्दरी बंधेज के करीब 415 नग, जिनकी कीमत 60,175/- रूपये थी, उक्त पार्सल के जरिये षिवगंज भिजवाने के लिए अप्रार्थी संख्या 1 से बुक करवाया था। इस दौरान अप्रार्थी संख्या 1 ने अप्रार्थी संख्या 2 के जरिये उक्त पार्सल दो दिन में गंतव्य स्थान पर उपलब्ध करवा देने का वचन दिया। जिसकी बुकिंग रसीद भी परिवादी को उपलब्ध कराई गई। जिससे परिवादी भी आष्वस्त हो गया। लेकिन परिवादी द्वारा भिजवाया गया उक्त पार्सल दो दिन बाद भी गंतव्य तक नहीं पहुंचा तो उसे माल नहीं पहुंचने की सूचना मिल गई तो उसने बुकिंग रसीद में दर्ज अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के मोबाइल नम्बर पर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि पार्सल मिस हो गया है, तुरन्त एक-दो दिन में गंतव्य स्थान पर पहुंचाकर आपको रसीद उपलब्ध करवा दी जायेगी। लेकिन इसके करीब एक माह बाद तक भी पार्सल नहीं पहुंचा तो परिवादी ने फिर अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से सम्पर्क किया तो यह दोनां उसे झूठा आष्वासन देकर समय गुजारते रहे और आज दिनांक तक उक्त माल गंतव्य तक नहीं पहुंचाया गया। इन सबके बावजूद परिवादी अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया तो उसने अप्रार्थी संख्या 3 को षिकायत करने का कहा। तब अप्रार्थी संख्या 3 का अधिकृत व्यक्ति उसके घर आया तथा कहा कि हमारी गलती से आपका पार्सल गुम हो गया है और आप 10,000/- रूपये में समझौता कर मामला समाप्त करो। तो परिवादी की ओर से कहा गया कि उसमें 60,175/- रूपये का माल था, 10,000/- रूपये में कैसे मामला समाप्त कर लें और उपर से उसकी साख और दाव पर लगी है। इसलिए उसे तो पार्सल ही उपलब्ध करा दो मगर अप्रार्थीगण ने पार्सल उपलब्ध कराने से मना करते हुए कह दिया कि कुछ भी कर लो पार्सल तो प्राप्त नहीं होगा। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा दोश एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है।
अतः परिवादी को अप्रार्थीगण से उक्त पार्सल दिलवाया जावे, विकल्प में पार्सल में भेजे गये माल की कीमत 60,175/- रूपये मय 12 प्रतिषत ब्याज के दिलाये जावे। साथ ही परिवादी को परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।
2. अप्रार्थी संख्या 2 व 3 बावजूद तामिल उपस्थित नहीं आया तथा न ही उसकी तरफ से कोई जवाब प्रस्तुत हुआ। अप्रार्थी संख्या 1 की तरफ से उसके अधिवक्ता ने जवाब षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये।
3. अप्रार्थी संख्या 1 का अपने जवाब में मुख्य रूप से कहना है कि उसने परिवादी के पार्सल को षिवगंज तक पहुंचा दिया था जिसकी डिलीवरी की रसीद पेष है, पार्सल की आगे डिलीवरी करने का काम अप्रार्थी संख्या 2 का था, जिसने उक्त पार्सल डिलीवर किया। उसने यह भी कहा कि परिवादी ने जिस पार्सल की बुकिंग करवाई उसमें उसने कॉटन का सामान बताया तथा कीमत करीब 500/- रूपये ही बताई थी, जिसका इंष्योरेंस भी किया गया था तथा रसीद उसी समय परिवादी को उपलब्ध करा दी गई थी। यह भी बताया गया है कि यदि परिवादी पार्सल में भेजे जाने वाले सामान का बिल पेष करता तो उसके अनुसार घोशित वेल्यू तय होती एवं उसके अनुसार ही पार्सल भेजने का चार्ज तय किया जाता जबकि अब परिवादी ने गलत रूप से पार्सल की कीमत 60,175/- रूपये बताई है। जो मानने योग्य नहीं है। यह भी बताया गया है कि अप्रार्थी की सेवा में कोई कमी नहीं है बल्कि परिवादी ने अप्रार्थी को तंग व परेषान करने के लिए मनगढत तथ्यों के आधार पर गलत परिवाद पेष किया है जो खारिज किया जावे।
4. बहस सुनी जाकर पत्रावली का अवलोकन किया गया। बहस के दौरान परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि जो पार्सल भिजवाया गया था उसमें रंगाई, छपाई से तैयार बंधेज चून्दरी के 415 नग कीमतन 60,175/- रूपये के थे। लेकिन अप्रार्थीगण द्वारा यह पार्सल नियत स्थान पर नहीं भिजवाकर सेवा दोश किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवादी को उपर्युक्त राषि मय ब्याज दिलाया जाने के साथ ही मानसिक परेषान का हर्जा भी दिलाया जाये। उन्होंने बहस के दौरान पार्सल भेजे गये सामान चून्दरी आदि का बिल प्रदर्ष 2 पेष करने के साथ ही 2014 (3) सीपीआर 655 (एनसी) मैसर्स एसोसिएटेड रोड कैरियर लिमिटेड बनाम मैसर्स पायोनियर प्रोडक्टस लिमिटेड का न्याय निर्णय भी पेष किया है।
5. उक्त के विपरित अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपने जवाब के साथ प्रस्तुत प्रलेख रसीदें/डिलीवरी रिपोर्ट प्रदर्ष ए 1 से ए 11 की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्शित कर तर्क दिया है कि वास्तव में जो पार्सल भेजा गया था, उसकी कीमत डिक्लेरड वेल्यू अनुसार 500/- रूपये ही थी जो स्वयं परिवादी द्वारा बताई गई थी तथा इसी आधार पर पार्सल भेजने हेतु 150/- रूपये की राषि चार्ज की गई थी जबकि परिवादी द्वारा अब बहस के दौरान जो बिल पेष किया गया है वह बाद में बनाया गया प्रतीत होता है। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि डिक्लेरड वेल्यू अनुसार ही पार्सल का इंष्योरेंस करवाया गया था लेकिन अब परिवादी गलत रूप से पार्सल की कीमत ज्यादा बता रहा है, ऐसी स्थिति में परिवाद खारिज किया जावे।
6. पक्षकारान के विद्वान अधिवक्ता द्वारा दिये तर्कों पर मनन कर पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्वीकृत स्थिति है कि अप्रार्थीगण सषुल्क पार्सल व्यवसाय का काम करते हैं तथा परिवादी ने दिनांक 04.08.2015 को एक पार्सल नागौर से षिवगंज भिजवाने हेतु अप्रार्थी संख्या 1 के वहां 150/- रूपये षुल्क अदा कर बुक करवाया था। परिवादी के कथनानुसार यह पार्सल आज तक नियत स्थान पर नहीं पहुंचा, ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि परिवादी का मामला उपभोक्ता विवाद की तारीफ में आता है। यद्यपि अप्रार्थी संख्या 1 का यह कथन है कि उसने पार्सल अप्रार्थी संख्या 2 के कार्यालय षिवगंज तक पहुंचा दिया था एवं आगे डिलीवरी का कार्य अप्रार्थी संख्या 2 का था लेकिन इस सम्बन्ध में यह स्वीकृत स्थिति है कि अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की ओर से परिवाद के खण्डन में कोई जवाब या प्रलेख पेष नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद एवं उसके समर्थन में प्रस्तुत षपथ-पत्र को देखते हुए यही माना जायेगा कि परिवादी द्वारा जो पार्सल षिवगंज भिजवाया गया था, वह नियत स्थान पर डिलीवर नहीं हुआ, जो कि स्पश्टतया अप्रार्थीगण का सेवा दोश रहा है।
7. पक्षकारान में अब मुख्य विवाद यह रहा है कि परिवादी के कथनानुसार पार्सल में भेजे गये माल की कीमत 60,175/- रूपये रही है जबकि अप्रार्थी संख्या 1 का तर्क रहा है कि पार्सल भेजे जाते समय परिवादी ने पार्सल की डिक्लेरड वेल्यू 500/- रूपये बताई थी तथा इसी अनुसार पार्सल का इंष्योरेंस करवाया गया था। स्वयं परिवादी द्वारा पार्सल भिजवाये जाने बाबत् जो रसीद प्रदर्ष 1 पेष की गई है, उसके अवलोकन पर भी स्पश्ट है कि दिनांक 04.08.2015 को परिवादी द्वारा जो पार्सल नागौर से षिवगंज भिजवाया गया था उसकी डिक्लेरड वल्यू 500/- रूपये तय की गई थी। इसी रसीद को स्वीकार करते हुए अप्रार्थी पक्ष द्वारा भी इसकी फोटो प्रति प्रदर्ष ए 1 पेष की गई है। जिसमें नीचे अंकित नोट/षर्त अनुसार पार्सल के खो जाने या नश्ट हो जाने की स्थिति में अप्रार्थी बुकिंग के समय तय की गई माल की घोशित कीमत या 5,000/- रूपये जो भी कम हो अदा करने हेतु दायी होंगे, यद्यपि परिवादी द्वारा बहस के दौरान एक रसीद/बिल प्रदर्ष 2 पेष कर बताया गया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 04.08.2015 को पार्सल के जरिये जो सामान भिजवाया गया था, उसमें 415 नग बंधेज चून्दडी आदि थे, जिनकी कीमत 60,175/- रूपये थी, लेकिन इस सम्बन्ध में पत्रावली के अवलोकन पर स्पश्ट है कि यह बिल परिवाद के साथ पेष नहीं किया जाकर आज बहस के दौरान पेष किया गया है, साथ ही इस बिल प्रदर्ष 2 में जिस चम्पालाल के नाम से बिल होना बताया गया है उसका उल्लेख परिवाद में नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि इस बिल प्रदर्ष 2 में अंकित माल ही पार्सल के जरिये षिवगंज भिजवाया गया हो। फिर यह भी उल्लेखनीय है कि यदि वास्तव में पार्सल के जरिये भेजे जाने वाला माल 60,175/- रूपये का था तो पार्सल की रसीद प्रदर्ष 1 में इसकी घोशित कीमत मात्र 500/- अंकित किये जाने का कारण भी परिवादी द्वारा नहीं बताया गया। अप्रार्थी पक्ष द्वारा रसीद प्रदर्ष ए 1 के अलावा जो अन्य प्रलेख पेष किये गये हैं, उनसे भी यही प्रतीत होता है कि जहां पार्सल के जरिये भेजे जाने वाले माल की घोशित कीमत अधिक रही है वहां पार्सल भेजने के चार्ज भी अधिक रहे हैं। ऐसी स्थिति में पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए प्रथम दृश्टया यह नहीं माना जा सकता कि वास्तव में रसीद प्रदर्ष 1 के जरिये भेजे गये पार्सल में रहे माल की कीमत 60,175/- रूपये रही हो। बल्कि रसीद प्रदर्ष 1 के अनुसार इस पार्सल में भेजे गये माल की घोशित कीमत 500/- रूपये ही तय की गई थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्याय निर्णय 2014 (3) सीपीआर 655 (एनसी) मैसर्स एसोसिएटेड रोड कैरियर लिमिटेड बनाम मैसर्स पायोनियर प्रोडक्टस लिमिटेड वाले मामले में भी माननीय राश्ट्रीय आयोग द्वारा पार्सल की डिक्लेरड वेल्यू मय ब्याज दिलाया जाना सही माना गया है।
8. उपर्युक्त विवेचन से स्पश्ट है कि हस्तगत मामले में अप्रार्थी पक्ष द्वारा परिवादी की ओर से बुक करवाया गया पार्सल नियत स्थान पर न पहुंचाकर सेवा दोश किया है, ऐसी स्थिति में परिवादी पार्सल में रहे माल की घोशित कीमत मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होने के साथ ही अप्रार्थीगण द्वारा किये गये सेवा दोश से हुई मानसिक परेषानी स्वरूप हर्जा एवं परिवाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
9. परिवादी मो. साकिर द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 खिलाफ अप्रार्थीगण स्वीकार कर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को पार्सल के जरिये भेजे गये माल की घोशित कीमत 500/- रूपये अदा करे तथा इस राषि पर दिनांक 07.01.2016 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज भी अदा करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि परिवादी को मानसिक रूप से हुई परेषानी बाबत् 5,000/- रूपये एवं परिवाद व्यय के 3,000/- रूपये भी अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।
10. आदेष आज दिनांक 24.05.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या