// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/92/2013
प्रस्तुति दिनांक 05/06/2013
अमिता मालवीय पति श्री अविनाश अवस्थी
उम्र 35 वर्ष, निवासी चकरभाटा,
थाना चकरभाटा,
जिला बिलासपुर छ.ग ......आवेदिका/परिवादी
विरूद्ध
परमेश्वर सिंह चुन्नू, पिता गुलजार सिंह,
प्रो. जया आटो डील, ईदगाह चौक,
पुलिस लाईन, बिलासपुर, जिला बिलासपुर छ.ग. .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 06/05/2015 को पारित)
१. आवेदिका अमिता मालवीय ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक से क्रय किए गए वाहन का दस्तावेज दिलवाने अथवा उसकी कीमत ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका को अपने नीजि उपयोग के लिए वाहन की आवश्यकता होने पर वह पुराने वाहनों के खरीदी बिक्री का व्यवसाय करने वाले अनावेदक से मिली और उसके दुकान जया आटो डील से एक टी.व्ही.एस. वाहन स्कूटी क्रमांक सी.जी.10 ई.ए. 7211 क्रय कर उसका मूल्य 17,000/-रू. कमीशन 300/रू. के साथ अदा किया। अनावेदक उक्त वाहन के स्वामी का नाम परिवर्तन कराकर देने हेतु एक माह का समय लिया, किंतु एक माह की अवधि बीत जाने के बाद भी अनावेदक द्वारा वाहन का दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया और नये-नये बहाने बनाने लगा, तब आवेदिका, अनावेदक के विरूद्ध थाना सिविल लाईन में रिपोर्ट दर्ज करायी, जहॉं अनावेदक शिकायत के पृष्ठ भाग में दिनांक 02.05.2013 तक वाहन के कागजात सोंपने अथवा वाहन वापस लेकर रकम लौटाने संबंधी लेख किया, किंतु उसके बाद भी अनावेदक द्वारा दस्तावेज अथवा रकम लौटाने संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की गई, अत: यह परिवाद पेश करना बताया गया है और वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।
3. अनावेदक की ओर से जवाब पेश कर आवेदिका को प्रश्नाधीन वाहन की बिक्री किया जाना तो स्वीकार किया गया, किंतु इस बात से इंकार किया गया कि उसने वाहन से संबंधित दस्तावेजों का नामांतरण कराने की जिम्मेदारी अपने उपर लिया था, उक्त संबंध में उसका कथन है कि यह कार्य स्वयं आवेदिका को करना था, यद्यपि उसने इस संबंध में एक आर.टी.ओ. एजेंट से आवेदिका का परिचय करा दिया था, आगे उसने स्वयं आवेदिका को मूल वाहन स्वामी से संपर्क न कर आर.टी.ओ. आफिस से नामांतरण कराने में लापरवाह होना प्रकट किया है तथा कहा है कि उसने थाने में पुलिस की उत्प्रेरण से तंग आकर लिखापढी किया था। आगे उसने केवल परेशान करने के उद्देश्य से आवेदिका द्वारा यह परिवाद पेश करना बताया है और उसे निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
5. देखना यह है कि क्या आवेदिका, अनावेदक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदिका द्वारा दिनांक 25.10.2012 को अनावेदक के जया आटो डील से एक पुरानी टी.व्ही.एस. स्कूटी क्रमांक सी.जी. 10 ई.ए. 7211 क्रय किए जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं। यह भी विवादित नहीं कि अनावेदक जया आटो डील के नाम से कमीशन पर पुरानी वाहनों की खरीदी बिक्री का व्यवसाय करता है ।
7. आवेदिका का कथन है कि उसे अपनी नीजि उपयोग के लिए वाहन की आवश्यकता होने पर अनावेदक से संपर्क किया और उसके दुकान से पसंद कर 17,000/-रू. में प्रश्नाधीन टी.व्ही.एस. क्रय किया । आगे कथन है कि अनावेदक उससे वाहन से संबंधित दस्तावेज नामान्तरण कराने हेतु एक माह की मोहलत मांग किया था, किंतु जब एक माह बाद भी दस्तावेज प्रदान नहीं किया, तब वह थाना सिविल लाईन जाकर लिखित शिकायत दी, जिसके पृष्ठ भाग में अनावेदक थाने में लिखकर दिया कि दिनांक 02.05.2013 तक वाहन के कागजात दे देगा अन्यथा वाहन वापस लेकर रकम लौटा देगा, किंतु उसके बाद भी अनावेदक न तो वाहन का दस्तावेज दिया और न ही रकम लौटाया ।
8. इसके विपरीत अनावेदक का कथन है कि वाहन नामांतरण कराने की जिम्मेदारी उसकी नहीं थी, बल्कि यह कार्य स्वयं आवेदिका को पूर्व वाहन स्वामी से मिल कर आर.टी.ओ. कार्यालय से करवाना था। आगे उसने इस संबंध में थाने में लिखापढी पुलिस के उत्प्रेरणावश किए जाने की बात बताया है, किंतु यह स्पष्ट नहीं किया है, कि उसने पुलिस उत्प्रेरणा की शिकायत उच्चाधिकारियों से किसलिए नहीं किया, जो इस बात को जाहिर करता है कि वह स्वेच्छा से थाने में लिखकर दिया था, किंतु अब वह अपने लिखित से मुकर रहा है ।
9. इसके अलावा आवेदिका द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त प्रश्नाधीन वाहन के नामांतरण संबंधी दस्तावेजों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि उन पर न तो आवेदिका की असल हस्ताक्षर है और न ही पूर्व वाहन मालिक के असल हस्ताक्षर एवं फोटोग्राफ हैं, यदि उक्त नामांतरण की कार्यवाही आवेदिका द्वारा कराई गई होती, जैसा कि अनावेदक का कथन है, तो स्पष्ट है कि उन नामांतरण संबंधी दस्तावेजों में कम से कम आवेदिका का हस्ताक्षर असली होता, जो भी इस बात को प्रकट करता है कि उक्त कार्यवाही अनावेदक द्वारा ही कराई गई थी और इस प्रकार उसके द्वारा अपने व्यवसाय में अनुचित व्यापारिक प्रथा अपना कर कदाचरणयुक्त व्यवसाय किया गया है ।
10. उपरोक्त कारण से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि आवेदिका, अनावेदक के विरूद्ध अनुचित व्यापारिक प्रथा अपना कर कदाचरणयुक्त व्यवसाय करते हुए सेवा में कमी किए जाने का तथ्य मामले में स्थापित करने में सफल रही है, अत: हम आवेदिका के पक्ष में अनावेदक के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदक, आवेदिका को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर प्रश्नाधीन वाहन से संबंधित समस्त वैध दस्तावेज नामांतरण उपरांत उपलब्ध कराएगा अन्यथा आवेदिका से प्रश्नाधीन वाहन वापस लेकर उसकी कीमत 17,000/-रू. (सत्रह हजार रूपये) अदा करेगा ।
ब. अनावेदक, आवेदिका को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/- रू.(पांच हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।
स. अनावेदक, आवेदिका को वादव्यय के रूप में 2,000/- रू.(दो हजार रू.) की राशि भी अदा करेगा।
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य