Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/3133

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Shri Nivas Rathore - Opp.Party(s)

S M Bajpai

18 Mar 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/3133
( Date of Filing : 05 Feb 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Allahabad Bank
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Shri Nivas Rathore
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Mar 2021
Final Order / Judgement

                                                                                                        

                                                     (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 3133/2002

Allahabad Bank,  Main Branch Hazratganj, Lucknow, through its Manager and others.

                                                                            ………Appellants

 

Versus

Shri Niwas rathore, aged about 35 years, son of Late Ram kripal, resident of 569 Cha/299 Ka, Prem nagar, Alambagh, Lucknow.

                                                                         ……….Respondent  

समक्ष:-                       

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से         :  श्री एस0एम0 बाजपेयी,                    

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से        :  कोई नहीं।                           

 

दिनांक:- 18.03.2021

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 1064/2000 श्री निवास राठौर बनाम मैनेजर मेन ब्रांच इलाहाबाद बैंक में पारित निर्णय एवं आदेश दि0 09.09.2002 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता आयोग प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को निर्देशित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 60 दिन के अन्‍दर अंकन 2,000/-रू0 क्षतिपूर्ति एवं 500/-रू0 वाद व्‍यय के रूप में अदा करे।

2.        परिवाद में वर्णित तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बचत खाता सं0- 11298 अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के बैंक में मौजूद है। दि0 25.03.2000 को 500/-रू0 निकालने के लिए आवेदन भरकर दिया जिसका टोकन नं0- T-212 प्रदान किया गया, परन्‍तु धनराशि अपर्याप्‍त बताते हुए आवेदन वापस कर दिया गया। बैंक मैनेजर ने पासबुक के साथ आने के लिए कहा, परन्‍तु पासबुक में जमा धनराशि का इंद्राज नहीं किया गया और न ही पैसे का भुगतान किया गया, जब कि पासबुक में दि0 06.04.2000 को 863/-रू0 होना अंकित है तथा इस राशि को काटकर दि0 11.04.2000 को 1,037/-रू0 जमा होना दर्शित कर दिया गया है। बैंक की त्रुटि के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी पी0सी0एस0जे0 की परीक्षा का फार्म नहीं भर पाया जिसके कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक प्रताड़ना हुई और कैरियर का नुकसान उठाना पड़ा, इसलिए 1,00,000/-रू0 प्रतिकर एवं 5,000/-रू0 वाद व्‍यय की मांग की गई है।

3.        अपीलार्थीगण/विपक्षीगण बैंक का कथन है कि विदड्राल फार्म के साथ पासबुक पेश करना अनिवार्य है, परन्‍तु पासबुक पेश नहीं की गई इसलिए भुगतान नहीं किया गया।

4.        दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि बैंक में पर्याप्‍त धनराशि जमा होने के बावजूद विदड्राल फार्म वापस कर दिया गया। तदनुसार बैंक के स्‍तर से सेवा में कमी पायी गई और उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने नियम विरुद्ध निर्णय/आदेश पारित किया है। बैंक के स्‍तर से किसी प्रकार की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

5.        अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0एम0 बाजपेयी को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

6.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विदड्राल फार्म के साथ पासबुक प्रस्‍तुत करना आवश्‍यक है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से इस पीठ का ध्‍यान दस्‍तावेज सं0- 16 की ओर से आकर्षित किया गया जो विदड्राल फार्म की फोटो प्रति है जिसमें यह उल्‍लेख है कि इस विदड्राल फार्म के साथ पासबुक का होना आवश्‍यक है, चूँकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इस नियम का अनुपालन नहीं किया और पासबुक  संलग्‍न किए बिना विदड्राल फार्म बैंक के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया, इसलिए यदि बैंक द्वारा यह कहा गया कि पासबुक के साथ विदड्राल फार्म प्रस्‍तुत किया जाए तब बैंक द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है।

7.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि यदि खाते में पर्याप्‍त धनराशि के बावजूद पासबुक के अभाव में भुगतान अस्‍वीकार किया गया था तब विदड्राल फार्म पर लिखित आपत्ति दर्ज करते हुए पासबुक के साथ भुगतान किए जाने का उल्‍लेख किया जाना चाहिए था। यथार्थ में ऐसा किया जाना बैंक के कर्मचारी का अनैतिक आचरण हो सकता है, परन्‍तु बैंक कर्मचारी के लिए यह बाध्‍यकारी नहीं है कि वे विदड्राल फार्म को लिखित रूप में उपरोक्‍त वर्णित त्रुटि को दर्ज करते हुए वापस लौटाये। पासबुक के अभाव में विदड्राल फार्म मौखिक रूप से भी वापस लौटाया जा सकता है। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश किसी विधि से समर्थित नहीं है, जब कि अपील में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क विधि सम्‍मत है कि पासबुक के अभाव में विदड्राल फार्म स्‍वीकार नहीं किया गया और इस प्रकार सेवा में कोई कमी नहीं की गई। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिक स्थिति के विपरीत है जो अपास्‍त होने योग्‍य है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।                 

                             आदेश

8.        अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।

9.        अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।                     

 

     (विकास सक्‍सेना)                          (सुशील कुमार) 

          सदस्‍य                                  सदस्‍य           

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

     

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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