( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :858/2023
सहारा इण्डिया लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड
श्री निर्भय कुमार सक्सेना व एक अन्य
दिनांक : 29-05-2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-105/2017 निर्भय कुमार सक्सेना व एक अन्य बनाम सहारा इण्डिया लाईफ इंश्योरेंस लि0 व एक अन्य में जिला आयोग प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 23-02-2023 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
जिला आयोग ने परिवादी द्वारा जमा धनराशि 95,852/-रू0 पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय के 45 दिन के अंदर अदा करने का आदेश पारित किया है साथ ही वाद व्यय के रूप में मु0 10,000/-रू0 भी अदा करने का आदेश पारित किया गया है। निर्धारित अवधि में यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अभिनव मनी त्रिपाठी उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री नितिन खन्ना उपस्थित।
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अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है अत: अपील निरस्त की जावे।
पीठ द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादीगण द्वारा दो पालिसी क्रमश: पालिसी नम्बर-00559898 एवं 00559890 ली गयी थी परन्तु परिवादीगण द्वारा उक्त पालिसी की धनराशि बीमा कम्पनी से वापस चाही गयी, किन्तु विपक्षीगण द्वारा बीमा पालिसी में वर्णित बीमा धनराशि परिवादीगण को वापस नहीं की गयी जिसके संबंध में विपक्षी संख्या-1 द्वारा दिनांक 29-03-2016 को परिवादी को एक पत्र लिखा गया और मासिक किश्त बंद कराये जाने के लिए स्वयं कहा गया इसलिए परिवादी/उपभोक्ता द्वारा मासिक किश्त देना बंद कर दी गयी और परिवादी के अनुरोध प्राप्त किये बिना बीमा कम्पनी ने आशयपूर्वक भुगतान के तरीके में परिवर्तन कर दिया इसलिए जिला आयोग द्वारा उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया है जो विधि सम्मत है और जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो मय अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1