Uttar Pradesh

StateCommission

A/1995/1233

Executive Engineer Electricity - Complainant(s)

Versus

Shri Natthilal - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

19 Nov 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1995/1233
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Executive Engineer Electricity
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

 

अपील संख्‍या-1233/1995

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मथुरा द्वारा परिवाद संख्‍या-525/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-10-1994 के विरूद्ध)

 

Executive Engineer, Electricity Distribution Division-I, (UPSEB) Mathura..

                                                                       अपीलार्थी/विपक्षी

                                                  बनाम्

Shri Natthilal, S/o Shri Mool Chand, R/o, Village Chandranagar, Post Chhatikara, Distt. Mathura.                                       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

1-   मा0 श्री अशोक कुमारी चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-   मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

1-  अपीलार्थी की ओर से उपस्थित -   श्री दीपक मेहरोत्रा।

2-  प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित -    कोई नहीं।

दिनांक : 09-12-2014

मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

अपीलाथी ने प्रस्‍तुत अपील विद्धान जिला जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मथुरा द्वारा परिवाद संख्‍या-525/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-10-1994 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें विद्धान जिला मंच ने परिवाद वास्‍ते वापसी या समायोजन विघुत धनराशि 124/-रू0 प्रतिमाह जनवरी, 1991 से एच0टी0 लाइन चलने तक मय 200/-रू0 वाद व्‍यय स्‍वीकृत किया है। विपक्षी परिवादी को बिल 15 दिन के अंदर इस विषय में संशोधन करे तथा परिवादी से वसूली हुई धनराशि का भविष्‍य के बिलों में समायोजन करे।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि वह विपक्षी का 1972 से पावर कनेक्‍शन का उपभोक्‍ता चला आ रहा है तथा तभी से 124/-रू0 प्रतिमाह से बिलों का भुगतान करता चला आ रहा है। परिवादी ग्राम चन्‍द्र नगर, पोस्‍ट छटीकरा, मथुरा का निवासी है तथा उस गॉंव में ग्रामीणों के खेतों में सिंचाई पावर कनेक्‍शन और ट्यूवबेल से ही होता है इसलिए हर एक किसान अपने खेतों में 5-5 हार्स पावर के विघुत कनेक्‍शन लेते रहे। इसलिए 440 बोल्‍ट की दरों से विघुत आपूर्ति होना अत्‍यन्‍त आवश्‍यक हो गया है तथा अधिक लोड होने के कारण रोजाना ही तारों का जलना या ट्रांसफार्मर के जलने की

 

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घटना होने लगी है तथा विघुत आपूर्ति में व्‍यवधान होने के कारण फसल में नुकसान होने लगा है। परेशान होकर वह तथा गॉंव के किसान ग्राम प्रधान में पास पहुँचे जिस पर प्रधान ने अक्‍टूबर, 1991 को विपक्षी के कार्यालय में किसानों के साथ भेंट की तथा उन्‍हें कष्‍ट के विषय में अवगत कराया जिस पर अभियन्‍ता महोदय ने विघुत सुधार का वायदा किया मगर उनका कष्‍ट निवारण नहीं हुआ तो परिवादी स्‍वयं अधिशाषी अभियन्‍ता विघुत वितरण खण्‍ड प्रथम से मिला तथा अन्‍य कर्मचारियों से भी सम्‍पर्क करता रहा। उससे प्रेरित होकर अधिशाषी अभियन्‍ता ने ग्रामीणों के लिए विघुत आपूर्ति के लिए एल0टी0 लाईन दे दिये तथा इस्‍टीमेट बनाने के लिए कहा इस पर विपक्षी के कर्मचारियों ने मौके पर आगर विघुत आपूर्ति की लाइन को हटा कर हाईटेंशन लाइन डालने का कार्य जारी कर दिया। विपक्षी के कर्मचारियों ने ग्राम में लगे सभी ट्यूवबेल एल0टी0 लाईन से हटा दिया तथा कुछ ट्यूवबेल को एच0टी0 लाईन से विघुत आपूर्ति कर दी मगर परिवादी तथा कुछ किसानों को नहीं की। परिवादी को जनवरी, 1991 से कोई विघुत आपूर्ति नहीं हुई जबकि उसने 4000/-रू0 नगद लाइन बदलने के लिए ले लिये थे तथा 124/-रू0 प्रतिमाह वह प्राप्‍त करते रहे। उसके खेत में गेंहू की फसल खड़ी थी जो पानी न मिलने के कारण सूख गयी। उसकी कीमत 25,600/-रू0 थी फिर उसकी बारी की फसल कीमत 15,000/-रू0, सूख गई, इसी प्रकार उसके आगे की फसल खरीफ 10,000/-रू0 फिर 2000/-रू0 व्‍यर्थ गये। इस प्रकार उसे 70,800/-रू0 का नुकसान हुआ क्‍योंकि अभी तक एच0टी0 लाईन नहीं लगी है। परिवादी को विघुत कनेक्‍शन दिया गया है। इसलिए उसने यह परिवाद क्षतिपूर्ति हेतु प्रस्‍तुत किया है।

     विपक्षी का कथन है कि परिवादी का कोई कारण नहीं है उसे सभी औपचारिकताऍं पूर्ण करके नलकूल कनेक्‍शन दिया गया था। उसके गॉंव के कुछ उपभोक्‍ताओं द्वारा परेशानियॉं प्रस्‍तुत की गयी थी तथा उनके अनुरोध पर एच0टी लाईन डाली गयी तथा अन्‍य ट्रांसफार्मर को लगाया गया। मगर जैसे ही निवारण लाइन का किया गया तो उसी गॉंव के एक ग्रामीण रमेश पाठक ने न्‍यायालय में वाद संख्‍या-296/92 दायर कर दिया तथा न्‍यायालय से अस्‍थायी निषेधाज्ञा प्राप्‍त कर ली। जिसका विरोध विपक्षी ने किया तथा दिनांक 04-12-1992 को उस आदेश को निरस्‍त कराया। चूंकि न्‍यायालय का आदेश लाइन डालने के खिलाफ था इसलिए इतने दिनों तक लाइन नहीं डाली जा सकी। मगर जैसे ही वह आदेश निरस्‍त हुआ वैसेही एच0टी0 लाइन डाल दी गयी। इस प्रकार विपक्षी की तरफ से कोई लापरवाही या शिथिलता नहीं बरती गयी तथा वह परिवादी के किसी फसल में नुकसान होने का

 

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उत्‍तरदायित्‍व नहीं है। परिवादी का यह कथन भी गलत है कि उसके खेत पर सिंचाई केवल ट्यूबबेल से ही होती थी। बिजली व अन्‍य तरीके से भी करता रहा और फसल लेता रहा किसी प्रकार अपने माल की अदायगी से उन्‍मुक्‍त नहीं हो सकता। क्‍योंकि विघुत आपूर्ति में विपक्षी की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई जो कुछ हुआ, माननीय न्‍यायालय के आदेश के कारण हुआ।

अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित। प्रत्‍यर्थी की ओर से बावजूद नोटिस कोई उपस्थित नहीं आया।

हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों एवं विद्धान जिला मंच द्वारा पारित आदेश का भली-भॉंति परिशीलन किया।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला मंच ने साक्ष्‍यों तथा अभिलेखों की अनदेखी करते हुए गलत आदेश पारित किया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से एच0टी0 लाईन डाली गयी। गॉंव के ही एक व्‍यक्ति रमेश पाठक ने न्‍यायालय से वाद संख्‍या-296/1992 दायर कर न्‍यायालय से निषेधाज्ञा प्राप्‍त कर ली जिसका विरोध विपक्षी/अपीलार्थी ने किया तथा दिनांक 04-12-1992 को वह निरस्‍त हुआ। वैसे ही लाईन डाल दी गयी। विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से परिवादी/प्रत्‍यर्थी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया जो भी देरी हुई वह कोर्ट के आदेश की वजह से हुई तथा परिवादी ने ऐसा कोई साक्ष्‍य दाखिल नहीं किया है कि फसल का कितना नुकसान हुआ है। परिवादी नलकूप के अलावा दूसरे साधनों से भी सिंचाई करता था इसलिए जिला फोरम का आदेश निरस्‍त कर अपील स्‍वीकार की जाय।

प्रश्‍नगत निर्णय का परिशीलन किया गया। गॉंव के श्री रमेश पाठक ने न्‍यायालय में एक वाद संख्‍या-296/1002 प्रस्‍तुत किया था और निषेधाज्ञा प्राप्‍त कर ली थी जिसके विरोध विघुत विभाग द्वारा किया गया था  यह निषेधाज्ञा दिनांक 04-12-1992 को निरस्‍त कर दी गयी और इसी कारण  अपीलार्थी द्वारा परिवादी/प्रत्‍यर्थी की लाईन को प्रारम्‍भ नहीं किया जा सका और वह विघुत की आपूर्ति नहीं कर सका। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी को जनवरी, 1991 से कोई विघुत आपूर्ति नहीं हुई जबकि उससे 4000/-रू0 नगद लाईन बदलने के लिए लिये गये थे तथा 124/-रू0 प्रतिमाह के वह प्राप्‍त करते रहे। इस संबंध में विद्धान जिला मंच ने यह निष्‍कर्ष निकाला है कि उभयपक्ष के साक्ष्‍य से स्‍पष्‍ट हो जाता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी को जनवरी, 1991 से एस0टी0 लाईन डालने

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तक बिजली नहीं मिली। इसलिए उससे विपक्षी का 124/-रू0 प्रतिमाह लेना उचित नहीं है। विद्धान जिला मंच द्वारा यह सही निष्‍कर्ष निकाला गया है तथा यह भी अभिमत व्‍यक्‍त किया गया है कि अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से सेवा में किसी प्रकार की शिथिलता एवं असावधानी नहीं बरती गयी है, किन्‍तु अपीलकर्ता परिवादी से साधारण शुल्‍क 124/-रू0 प्रतिमाह लेने का हकदार नहीं है इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी ने जो 124/-रू0 प्रतिमाह जनवरी, 1991 से लिया है उसे वह वापस करें या भविष्‍य के बिलों में समयोजित करें।

विद्धान जिला मंच द्वारा अपना निर्णय विधिअनुसार एवं साक्ष्‍य के आधार पर निर्णीत किया गया है जिसमें कि हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

तद्नुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मथुरा द्वारा परिवाद संख्‍या-525/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-10-1994 की पुष्टि की जाती है।

उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍ययभार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

 

( अशोक कुमार चौधरी )                             ( बाल कुमारी )

   पीठासीन सदस्‍य                                सदस्‍य

 

कोर्ट नं0-3

प्रदीप मिश्रा

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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