Oral
State Consumer Disputes Redressal Commission
U.P. Lucknow.
Complaint Case No.17 of 2024
Sunil Vaishya (Radhey Radhey) s/o Sri Jagdish
Prasad Vaishy, RTI and Social Activist,
R/o Mohalla, Krishnanagar, Thana/Post,
Beniganj, Tehsil, Sandila, District, Hardoi-241304
(U.P.) Email suneelvaish Complainant.
Versus
Sri Bhavesh Kumar Singh ji (The then Chief
Information Commissioner) Sakshya/Record
Lok Dastavezat/Nakar Adhikari, Sunwai Room
no.S-1, Room no.210, Office, 7/7 A, RTI Bhawan,
Vibhuti Khand, Gomtinagar, State Information
Commission, U.P., Lucknow. ...Opp. party.
Present:-
1- Hon’ble Mr. Justice Ashok Kumar, President.
2- Hon’ble Sri Vikas Saxena, Member.
Sri Sunil Vaishya, the complainant in person.
None for the opposite party.
Date: 11.12.2024
JUDGMENT
Per Hon’ble Mr. Justice Ashok Kumar, President: The instant complaint has been filed by the complainant Sri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) claiming himself a RTI Activist and a social worker. The instant complaint has been filed by the complainant with following prayer:
“A. मा0 अध्यक्ष महोदय जी बिंदु संख्या 16 एवं 17 के शत प्रतिशत अनुपालन के मा न्यायिक निर्णयों के अनुरूप समुचित लाभ न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में परिवादी उपभोक्ता को प्रदान करने की कृपा कीजिये।
B. मा0 अध्यक्ष महोदय जी उपरोक्त प्रतिवादी/विपक्षी को तलब कर आदेशित करने का कष्ट करें कि वह परिवादी उपभोक्ता के आवेदन/मांग पत्र दिनांकित 22/10/2022 के अनुरूप सम्पूर्ण साक्ष्यों/संधारित रिकॉर्ड लोक दस्तावेजातों/नकल अभिलेखों की अधिनियम अनुसार दिनांक सहित हस्ताक्षरित एवं अधिनियम अनुसार सत्यापित प्रमाणित प्रतियों दो सेट्स (Two Sets) में लेकर एक पत्रावली में संधारित करने का कष्ट कीजिये तथा एक सेट्स अविलम्ब रजिस्टर्ड डाक से उपभोक्ता को निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रभावी विधिक आदेश न्यायहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
C. मा0 अध्यक्ष महोदय जी परिवादी/उपभोक्ता को आज तक हुए घोर अतिरिक्त श्रम, घोर सामाजिक उपहति, घोर मानसिक संताप एवं अतिरिक्त आर्थिक क्षति पेटे 1,10,00,000 रुपये (एक करोड़ दस लाख रुपये मात्र) एवं परिवाद खर्च पेटे 50,000 रुपये (पचास हजार रूपये) एवं उस पर ता अदायगी 24% (चौबीस प्रतिशत) वार्षिक ब्याज की दर से सम्पूर्ण धनराशि परिवादी/उपभोक्ता को दिलायें जाने हेतु प्रभावी विधिक आदेश न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
D. मा0 अध्यक्ष महोदय जी उपरोक्त प्रतिवादी/विपक्षी दवारा जानबूझकर कानून एवं नियमों का जबरन उल्लंघन अवज्ञा तथा बार-बार अपमान करने वाले प्रतिवादी/विपक्षी के विरुद्ध इनके सर्विस बुक में सम्बंधित सम्पूर्ण असंवैधानिक कृत्यों की प्रविष्टी/बैंड एन्ट्री दर्ज कराने के साथ ही शत प्रतिशत वैधानिक प्रभावी कानूनी कार्यवाही संस्थित करने का विधिक आदेश न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
E. मा0 अध्यक्ष महोदय जी के द्वारा न्यायोचित/न्यायपूर्ण सम्पूर्ण सहायतायें जो प्रार्थी/परिवादी उपभोक्त्ता के पक्ष में हों, आप दवारा सम्पूर्ण सहायतायें प्रार्थी/परिवादी/उपभोक्ता को अवश्य दिलवाई जायेगी, साथ ही यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है लीगल नोटिस दिनांकित 25/11/2022 में वर्णित बिंदु संख्या-6 को शत प्रतिशत अवश्य दृष्टिगत रखा जायेगा यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।”
At the initial stage this court has asked several questions/queries regarding status of the complainant. However, he has claimed that he is a RTI Activist and is indulged in carrying on business of food-grains at the address given in his complaint petition being resident of Mohalla, Krishnanagar, Thana/Post, Beniganj, Tehsil, Sandila, District, Hardoi-241304.
The complainant has filed the instant complaint seeking the relief against the Chief Information Commissioner, State of U.P. The Chief Information Commissioner was arrayed as opposite party by name. Therefore, this court has raised the preliminary question regarding the reference of the Chief Information Commissioner as by name in the complaint petition. No proper reply has been offered by the complainant who was present on the first date of hearing of the instant complaint. However, this court has passed the following order on 6.2.2024:
“06-02-2024
पुकार की गई। इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त को उनके नाम से व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया गया है, जो कि उचित नहीं है जबकि पक्षकार पद नाम से बनाया जाना चाहिए था, क्योंकि नामित मुख्य सूचना आयुक्त सेवानिवृत्त होने के पश्चात पद पर नहीं रह जायेंगे। अत: इस मामले में परिवादी तद्नुसार परिवाद पत्र में संशोधन हेतु आवश्यक कार्यवाही 02 सप्ताह में सुनिश्चित करें। तदोपरांत पत्रावली को पुन: दिनांक 30.5.2024 को नवीन वाद सूची में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।”
An application has been moved by the complainant before the Registrar with the prayer that he will appear for hearing through video conferencing. The hearing was, thereafter, carried out through virtual manner and various orders are passed after hearing the complainant.
During the course of hearing of the instant complaint, this court came to know from different sources that the complainant claiming himself as a RTI worker/activist has filed about 105 petitions before the difference departments seeking information from those departments including the District courts also. This court, thereafter, has obtained the details of those complaints/RTI applications filed by the complainant since 2016 till 2024 prior to filing of the instant complaint. It is also admitted by the complainant that after filing the instant complaint 10-12 RTI applications are also filed by him.
This court considering the conduct of the complainant, has requested the complainant on the previous dates to provide the details of his Income Tax returns of last 5 years as well as registration under VAT Act, SGST and CGST. However, no information has been provided by the complainant even after on several dates this court has asked for the same.
On 4.11.2024, the complaint was again listed for virtual hearing and the video conferencing was carried out and since the complainant has not complied with the previous orders and directions, this court has passed the following order on 4.11.2024 referring therein the previous orders passed by this court and further requiring the certain information:
04-11-2024
वाद पुकारा गया। प्रश्नगत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी श्री सुनील वैश्य (राधे-राधे) द्वारा जो प्रार्थना प्रस्तुत करते हुए अनुतोष चाहा गया है, को पूर्व में भी इस पीठ द्वारा कई तिथियों पर परिवादी को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए विस्तृत आदेश पारित किये गये एवं इस न्यायालय द्वारा पूर्व में कई अवसर परिवादी को विभिन्न आवश्यक प्रपत्रों/अपेक्षित जानकारियों को प्रस्तुत किये जाने हेतु प्रदान किये जाते रहे।
विगत दिनांक 26.9.2024 को प्रश्नगत परिवाद की विस्तार से सुनवाई करने के उपरांत एवं परिवादी श्री सुनील वैश्य जो कि वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय से जुडे थे एवं उनके द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष प्रस्तुत किया गया था, को सुनने के पश्चात व पूर्व आदेशों को दृष्टिगत रखने के उपरांत निम्न विस्तृत आदेश पारित किया गया:-
26.9.2024
"Case is called out.
The instant complaint has been filed by the complainant claiming that he is a RTI Activist and a social worker. The complaint has been filed before this court on 14.1.2024 in which the complainant has referred the details as follows:
Sri Sunil Vaishya (Radhye Radhey) s/o Sri Jagdish Prasad Vaishya, RTI and Social Activists, R/o Mohalla, Krishna Nagar, Thana/Post, Beniganj, Tehsil, Sandila, District, Hardoi-241304
The opposite party is referred as follows:
Sri Bhavesh Kumar Singh ji (The then Chief Information Commissioner) Sakshya/Record Lok Dastavezat/ Nakar Adhikari, Sunwai Room no.S-1, Room no.210, Office, 7/7 A, RTI Bhawan, Vibhuti Khand, Gomtinagar, State Information Commission, U.P., Lucknow.
Reliefs sought by the complainant is mentioned in para 18 which reads as follows:
“A. मा0 अध्यक्ष महोदय जी बिंदु संख्या 16 एवं 17 के शत प्रतिशत अनुपालन के मा न्यायिक निर्णयों के अनुरूप समुचित लाभ न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में परिवादी उपभोक्ता को प्रदान करने की कृपा कीजिये।
B. मा0 अध्यक्ष महोदय जी उपरोक्त प्रतिवादी/विपक्षी को तलब कर आदेशित करने का कष्ट करें कि वह परिवादी उपभोक्ता के आवेदन/मांग पत्र दिनांकित 22/10/2022 के अनुरूप सम्पूर्ण साक्ष्यों/संधारित रिकॉर्ड लोक दस्तावेजातों/नकल अभिलेखों की अधिनियम अनुसार दिनांक सहित हस्ताक्षरित एवं अधिनियम अनुसार सत्यापित प्रमाणित प्रतियों दो सेट्स (Two Sets) में लेकर एक पत्रावली में संधारित करने का कष्ट कीजिये तथा एक सेट्स अविलम्ब रजिस्टर्ड डाक से उपभोक्ता को निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रभावी विधिक आदेश न्यायहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
C. मा0 अध्यक्ष महोदय जी परिवादी/उपभोक्ता को आज तक हुए घोर अतिरिक्त श्रम, घोर सामाजिक उपहति, घोर मानसिक संताप एवं अतिरिक्त आर्थिक क्षति पेटे 1,10,00,000 रुपये (एक करोड़ दस लाख रुपये मात्र) एवं परिवाद खर्च पेटे 50,000 रुपये (पचास हजार रूपये) एवं उस पर ता अदायगी 24% (चौबीस प्रतिशत) वार्षिक ब्याज की दर से सम्पूर्ण धनराशि परिवादी/उपभोक्ता को दिलायें जाने हेतु प्रभावी विधिक आदेश न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
D. मा0 अध्यक्ष महोदय जी उपरोक्त प्रतिवादी/विपक्षी दवारा जानबूझकर कानून एवं नियमों का जबरन उल्लंघन अवज्ञा तथा बार-बार अपमान करने वाले प्रतिवादी/विपक्षी के विरुद्ध इनके सर्विस बुक में सम्बंधित सम्पूर्ण असंवैधानिक कृत्यों की प्रविष्टी/बैंड एन्ट्री दर्ज कराने के साथ ही शत प्रतिशत वैधानिक प्रभावी कानूनी कार्यवाही संस्थित करने का विधिक आदेश न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
E. मा0 अध्यक्ष महोदय जी के द्वारा न्यायोचित/न्यायपूर्ण सम्पूर्ण सहायतायें जो प्रार्थी/परिवादी उपभोक्त्ता के पक्ष में हों, आप दवारा सम्पूर्ण सहायतायें प्रार्थी/परिवादी/उपभोक्ता को अवश्य दिलवाई जायेगी, साथ ही यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है लीगल नोटिस दिनांकित 25/11/2022 में वर्णित बिंदु संख्या-6 को शत प्रतिशत अवश्य दृष्टिगत रखा जायेगा यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।”
The aforesaid complaint came up for consideration before a Division Bench of this court before presiding member Sri Rajendra Singh and Sri Vikas Saxena in which on 6.2.2024 following order has been passed:
“06.02.2024
पुकार की गई। इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त को उनके नाम से व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया गया है, जोकि उचित नहीं है जबकि पक्षकार पद नाम से बनाया जाना चाहिए था, क्योंकि नामित मुख्य सूचना आयुक्त सेवानिवृत्त होने के पश्चात पद पर नहीं रह जायेंगे। अत: इस मामले में परिवादी तदनुसार परिवाद पत्र में संशोधन हेतु आवश्यक कार्यवाही 02 सप्ताह में सुनिश्चित करें। तदोपरांत पत्रावली को पुन: दि0 30.05.2024 को नवीन वाद सूची में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।”
The requisite steps are not yet taken by the complainant with regard to amendment as indicated by the Division Bench vide order dated 6.2.2024.
Thereafter, the complainant has approached the State Government by submitting application dated 19.3.2024. The State Government has sent the said application alongwith letter dated 4.5.2024. The complainant has prayed for hearing of the instant complaint through video conferencing.
Accordingly, on the next date fixed, the complaint was heard by Division Bench (Hon’ble President and Sri Vikas Saxena) on 30.5.2024 on which date the following order has been passed.
“30.05.2024
वाद पुकारा गया।
प्रस्तुत परिवाद आज इस न्यायालय के सम्मुख नवीन वाद के रूप में वीडियों कानफ्रेसिंग से माध्यम से सुनवाई हेतु सूचीबद्ध है। पीठ समय के अनुसार गठित हुई। परिवादी सुनील वैश्य राधे राधे जो कि वर्चुअल हेयरिंग के माध्यम से इस न्यायालय की कार्यवाही में उपलब्ध है जिनकी आवाज न्यायालय के सम्मुख उचित रूप से न ही सुनी जा पा रही है और न ही वे न्यायालय की आवाज को ही स्पष्ट रूप से सुन पा रहे हैं और उनके द्वारा कथन किया गया कि नेटवर्क की व्यवस्था में कमी के कारण सुनवाई में जो कठिनाई आ रही है उस हेतु वह अगली निश्चित तिथि पर इस न्यायालय के सम्मुख स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। तदनुसार वाद स्थगित किया जाता है।
प्रस्तुत वाद की पुन: सुनवाई हेतु दिनांक 13-08-2024 को इसी पीठ अर्थात पीठ संख्या-1 (मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष एवं मा० सदस्य श्री विकास सक्सेना) के समक्ष 3.00 बजे सूचीबद्ध किया जावे।”
On the next date fixed i.e. on 13.8.2024 again the complaint was heard through video conferencing and after hearing the complainant at some length following detailed order has been passed by this bench.
“13.08.2024
परिवादी श्री सुनील वैश्य (राधे-राधे) पुत्र श्री जगदीश प्रसाद वैश्य, आर0टी0आई0 एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख ई-दाखिला माध्यम से प्रस्तुत किया गया। परिवादी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत परिवाद में निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रार्थना की गई:-
“A. मा0 अध्यक्ष महोदय जी बिंदु संख्या 16 एवं 17 के शत प्रतिशत अनुपालन के मा न्यायिक निर्णयों के अनुरूप समुचित लाभ न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में परिवादी उपभोक्ता को प्रदान करने की कृपा कीजिये।
B. मा0 अध्यक्ष महोदय जी उपरोक्त प्रतिवादी/विपक्षी को तलब कर आदेशित करने का कष्ट करें कि वह परिवादी उपभोक्ता के आवेदन/मांग पत्र दिनांकित 22/10/2022 के अनुरूप सम्पूर्ण साक्ष्यों/संधारित रिकॉर्ड लोक दस्तावेजातों/नकल अभिलेखों की अधिनियम अनुसार दिनांक सहित हस्ताक्षरित एवं अधिनियम अनुसार सत्यापित प्रमाणित प्रतियों दो सेट्स (Two Sets) में लेकर एक पत्रावली में संधारित करने का कष्ट कीजिये तथा एक सेट्स अविलम्ब रजिस्टर्ड डाक से उपभोक्ता को निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रभावी विधिक आदेश न्यायहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
C. मा0 अध्यक्ष महोदय जी परिवादी/उपभोक्ता को आज तक हुए घोर अतिरिक्त श्रम, घोर सामाजिक उपहति, घोर मानसिक संताप एवं अतिरिक्त आर्थिक क्षति पेटे 1,10,00,000 रुपये (एक करोड़ दस लाख रुपये मात्र) एवं परिवाद खर्च पेटे 50,000 रुपये (पचास हजार रूपये) एवं उस पर ता अदायगी 24% (चौबीस प्रतिशत) वार्षिक ब्याज की दर से सम्पूर्ण धनराशि परिवादी/उपभोक्ता को दिलायें जाने हेतु प्रभावी विधिक आदेश न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
D. मा0 अध्यक्ष महोदय जी उपरोक्त प्रतिवादी/विपक्षी दवारा जानबूझकर कानून एवं नियमों का जबरन उल्लंघन अवज्ञा तथा बार-बार अपमान करने वाले प्रतिवादी/विपक्षी के विरुद्ध इनके सर्विस बुक में सम्बंधित सम्पूर्ण असंवैधानिक कृत्यों की प्रविष्टी/बैंड एन्ट्री दर्ज कराने के साथ ही शत प्रतिशत वैधानिक प्रभावी कानूनी कार्यवाही संस्थित करने का विधिक आदेश न्यायहित, लोकहित एवं राष्ट्रहित में आप अवश्य पारित करेंगे, यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।
E. मा0 अध्यक्ष महोदय जी के द्वारा न्यायोचित/न्यायपूर्ण सम्पूर्ण सहायतायें जो प्रार्थी/परिवादी उपभोक्त्ता के पक्ष में हों, आप दवारा सम्पूर्ण सहायतायें प्रार्थी/परिवादी/उपभोक्ता को अवश्य दिलवाई जायेगी, साथ ही यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है लीगल नोटिस दिनांकित 25/11/2022 में वर्णित बिंदु संख्या-6 को शत प्रतिशत अवश्य दृष्टिगत रखा जायेगा यह मुझे माननीय जी पर सम्पूर्ण विश्वास है।‘’
दौरान बहस परिवादी श्री सुनील वैश्य द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख न्यायालय द्वारा पूछे गये प्रश्न अर्थात कि इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत परिवाद अंतर्गत धारा-47 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के किस प्रावधान के अंतर्गत योजित किया गया, के उत्तर में श्री सुनील वैश्य उपरोक्त परिवादी द्वारा कथन किया गया कि उन्हें उपरोक्त के सम्बन्ध में इस समय जानकारी नहीं है, क्योंकि उनके पास उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की प्रति उपलब्ध नहीं है। तदोपरांत इस न्यायालय द्वारा पुन: उपरोक्त परिवादी सुनील वैश्य से यह प्रश्न पूछा गया कि उनके द्वारा विपक्षीगण से किस कारण से अनेकों सूचनायें प्राप्त किये जाने हेतु जनसूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये गये। इस न्यायालय द्वारा श्री सुनील वैश्य परिवादी से इस प्रश्न का उत्तर देने हेतु अपेक्षा की गई कि परिवादी द्वारा क्या व्यापार/व्यवसाय किया जाता है। श्री सुनील वैश्य परिवादी द्वारा उपरोक्त के उत्तर में कथन किया गया कि उनके द्वारा मात्र बहुत छोटे स्तर पर गल्ले (फूडग्रेन) का व्यवसाय किया जाता है। न्यायालय द्वारा परिवादी से तदोपरांत इस प्रश्न का उत्तर चाहा गया कि क्या उनके द्वारा व्यापार किये जाने के सम्बन्ध में जी0एस0टी0 (गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स) विभाग के अंतर्गत पंजीकरण सुनिश्चित कराया गया है अथवा नहीं। उपरोक्त के उत्तर में श्री सुनील वैश्य परिवादी द्वारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि उनके द्वारा जी0एस0टी0 के माध्यम से कोई पंजीयन नहीं कराया गया। अर्थात वह अपंजीकृत व्यापारी के रूप में व्यापार सुनिश्चित कर रहे हैं।
न्यायालय द्वारा तदोपरांत श्री सुनील वैश्य परिवादी से प्रश्न किया गया कि वह क्या आयकर विवरणी में अपनी आय से सम्बन्धित अपेक्षित विवरण सम्बन्धित आयकर विभाग को प्रदान करते हैं, तब उत्तर में उनके द्वारा उल्लिखित किया गया कि विगत मात्र 02 वर्ष से उनके द्वारा आयकर विवरणी आयकर विभाग के नियम के अनुसार प्रस्तुत की जा रही है, परन्तु कोई टैक्स/कर उनके द्वारा प्रदान नहीं किया जा रहा है, क्योंकि वास्तव में व्यापार आयकर की सीमा से कम आय का है।
इस न्यायालय द्वारा तदोपरांत परिवादी से यह प्रश्न किया गया कि क्या परिवादी द्वारा किसी सक्षम न्यायालय, आयोग अथवा अधिकरण किसी भी न्यायालय के सम्मुख कोई वाद प्रस्तुत किया गया है। यदि किया है तब उस वाद का विवरण एवं वर्तमान परिस्थितियों से सशपथ पत्र समुचित आदेश के साथ इस न्यायालय को अवगत करायें। यह भी प्रश्न किया गया कि श्री सुनील वैश्य परिवादी द्वारा क्या प्रश्नगत परिवाद के अन्यथा अन्य कोई परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग अथवा राज्य आयोग में प्रस्तुत किया गया है तथा यह कि प्रस्तुत परिवाद में जो जनसूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत विपक्षीगण को प्रेषित प्रार्थना पत्र में सूचनायें मांगी गई हैं उनसे अन्यथा जनसूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत किन आयोग, अधिकारियों एवं संस्थाओं से सूचनायें प्रदान किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये हैं।
तदनुसार समस्त ऊपर उल्लिखित तथ्यों को सविस्तार सशपथ पत्र अपेक्षित प्रपत्रों के साथ इस न्यायालय के परीक्षण व परिशीलन हेतु प्रस्तुत किया जाना आवश्यक समझा जाता है, जिस हेतु श्री सुनील वैश्य परिवादी की प्रार्थना पर 04 सप्ताह का समय आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किये जाने हेतु प्रदान किया जाना न्यायोचित पाया जाता है जो प्रदान किया जाता है। तदनुसार प्रस्तुत वाद पुन: इसी पीठ के सम्मुख दि0 19.09.2024 को अपराह्न 3:30 बजे सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।”
Thereafter, on the next date fixed i.e. on 19.9.2024, again the complaint has been heard in detail and previous orders are also quoted by this bench and this bench has noticed that previous order dated 13.8.2024 has not been complied with by the complainant.
Accordingly, the next has been fixed for today (26.9.2024). Today again the complainant appeared before this bench through video conferencing and has apprised this court that he has visited the office of the State Commission, U.P., Lucknow and has filed an application dated 18.9.2024. The said application has been filed alongwith affidavit which is available on record.
We have perused the said application and found that instead of complying and providing the details as directed by this court earlier, the complainant has mentioned certain facts which do not have any concern whatsoever with the present proceedings.
It is also transpires from the said application and the documents enclosed alongwith the said application shows that the complainant has approached the Hon’ble High court and further that the complainant has regularly filing the applications under the Right to Information Act, 2005 before various authorities and various Govt. Departments.
A list has been placed related to the several applications filed by the complainant Sri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) before the Chief Information Commissioner, Government of U.P.
The list which is available with this bench presently is showing that the complainant has started lodging the complaint against various Government Authorities situated in District Hardoi, District, Lucknow, District, Sitapur, District, Unnao, District, Allahabad (before Hon’ble High Court of Judicature at Allahabad), District Kanpur Nagar etc.
This court has also noticed that the complaints are filed against the Adhishashi Adhikari, Nagar Panchayat, Zila Adhikari, Hardoi, Superintended of Police, Hardoi, Chief Development Officer, Hardoi, Hon’ble Chief Minister, Government of U.P., Dy. Secretary, State Information Commission, Divisional Commissioner, Lucknow Division, District Magistrate, Sitapur, District Magistrate, Unnao, Tehsildar, Unnao, Principal Secretary, Nagar Vikas, Government of U.P., District Magistrate, Lucknow, Secretariat Governor of U.P., Director, Sthaniya Nikay, Dy. Registrar, Hon’ble High Court, bench Lucknow Addl. District Judge, Kanpur Nagar, Principal Secretary (Home/Police), Lucknow, Station House Officer (Police), Para, District, Lucknow, Secretary, Board of Revenue, Addl. District Magistrate, Hardoi etc.
The applications under Right to Information Act, 2005 are regularly filed by the complainant w.e.f. year 2016 till now. The reason behind filing the complaints/moving the applications under Right to Information Act is nowhere described by the complainant and the purpose behind filing the said applications is not know.
As indicated hereinabove, the complainant has not provided the requisite information as directed by this court in previous orders. For ready reference, the details of the applications filed under the RTI Act by the complainant are as follows:-
The complainant has prayed for submission of an application for amendment to amend the array/details of the opposite party. The prayer is accepted. Necessary application be filed within 2 weeks as prayed. The complainant further prayed for and is allowed 4 weeks time to provide all necessary details as indicated by this court in previous orders. The prayer is allowed.
List this complaint again for hearing before this bench on 4.11.2024 at 3.30 p.m. through video conferencing."
उपरोक्त आदेश दिनांक 26.9.2024 के अनुपालन में आज प्रश्नगत परिवाद पुन: इस विशेष पीठ के सम्मुख सुनवाई हेतु सूचीबद्ध है। आदेश दिनांक 26.9.2024 में स्पष्ट रूप से अंतिम प्रस्तर में निम्न तथ्य उल्लिखित किये गये हैं:-
"The complainant has prayed for submission of an application for amendment to amend the array/details of the opposite party. The prayer is accepted. Necessary application be filed within 2 weeks as prayed. The complainant further prayed for and is allowed 4 weeks time to provide all necessary details as indicated by this court in previous orders. The prayer is allowed.
List this complaint again for hearing before this bench on 4.11.2024 at 3.30 p.m. through video conferencing."
उक्त आदेश का अनुपालन परिवादी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया, न ही पूर्व के आदेशों का अनुपालन ही सुनिश्चित किया गया तथा परिवादी द्वारा दीपावली के अवकाश के दौरान कल दिनांक 03.11.2024 दिन रविवार को सायंकाल 7.16 बजे एक ई-मेल आयोग की मेल आई0डी0 पर प्रेषित की गई, जो कुल 03 पृष्ठों में उपलब्ध है, साथ ही सहायक के वाट्सएप पर भी उक्त 3 पृष्ठ प्रेषित किये गये, जिसमें परिवादी द्वारा पूर्व आदेश दिनांक 26.9.2024 का अनुपालन न किये जाने का मात्र संक्षिप्त उल्लेख किया गया, परन्तु दिनांक 26.9.2024 से पूर्व में पारित किये गये आदेशों एवं दिनांक 26.9.2024 का अनुपालन सुनिश्चित न किये जाने के सम्बन्ध में कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया।
प्रश्नगत परिवाद में विपक्षी के रूप में 'मा0 राज्य मुख्य सूचना आयुक्त' के नाम से पक्षकार उद्धृत किया गया है, न कि पदनाम से, अत्एव पूर्व की तिथियों पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हो रहे परिवादी को उपरोक्त सम्बन्ध में समुचित प्रार्थना पत्र विधिनुसार प्रस्तुत करते हुए अवसर प्रदान
किया गया, जो प्रार्थना पत्र उनके द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया तद्नुसार विपक्षी के रूप में तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त उ0प्र0 शासन श्री भवेश कुमार सिंह का नाम आज दिनांक तक उल्लिखित है। श्री भवेश कुमार सिंह, मुख्य सूचना आयुक्त के पद से माह फरवरी, 2024 में अवकाश ग्रहण कर चुके है अत्एव उनको विपक्षी के रूप में पक्षकार नामित किये जाने का कोई न तो औचित्य ही पाया गया, न ही विधिनुसार उचित ही पाया जाता है।
विगत तिथियों पर इस न्यायालय द्वारा यह भी पाया गया था कि परिवादी द्वारा विगत लगभग 08 वर्षों में कुल लगभग 100 वाद सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत राज्य के विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों, विभिन्न संस्थाओं यहॉ तक के जिला न्यायालय के न्यायाधीशों के विरूद्ध योजित किये गये हैं, जो प्रथम दृष्टया सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का स्पष्ट दुरूपयोग परिवादी द्वारा किया जाना पाया जाता है।
आज पुन: प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई हेतु इस विशेष पीठ का गठन परिवादी की प्रार्थना पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनिश्चित किया गया, तद्नुसार पीठ का गठन एवं सुनवाई सुनिश्चित की जा रही है, परन्तु खेद का विषय है कि परिवादी वीडियो कान्फ्रेंसिंग समय अपने घर के कक्ष में उपस्थित हैं व एक सम्भ्रांत नागरिक के रूप उनके द्वारा अपने शरीर के निचले भाग में उपयुक्त वस्त्रों को भी धारण नहीं किया गया है। वास्तव में इस न्यायालय द्वारा यह भी पाया गया कि परिवादी का आचरण न्यायपलिका के प्रति अत्यंत दूषित एवं गलत प्रवत्ति का है। इस पीठ द्वारा पारित आदेशों के पश्चात अपेक्षित सूचनायें प्राप्त न कराया जाना एवं इस राज्य उपभोक्ता आयोग, के सम्बन्ध में अनुचित रूप से जानकारियॉ प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में अनेकों पत्र वास्ते व्यक्तिगत सूचनायें प्रेषित किया जाना भी परिवादी की दूषित मानसिकता का द्योतक है। तद्नुसार परिवादी को एक अंतिम अवसर इस न्यायालय द्वारा ऊपर उल्लिखित पूर्व आदेश दिनांक 26.9.2024 के परिप्रेक्ष्य में अपेक्षित/आदेशित प्रपत्रों को प्रदान/प्रस्तुत किये जाने हेतु दिया जाता है।
परिवादी से इस न्यायालय द्वारा आज दौरान परिवाद सुनवाई के समय परिवादी की आमदनी एवं परिवार के जीविकोपार्जन के सम्बन्ध में जानकारियॉ न प्रदान किये जाने का उल्लेख किया तब परिवादी श्री सुनील वैश्य द्वारा उल्लिखित किया गया कि जहॉ तक यू0पी0एस0जी0एस0टी0 एवं यू0पी0सी0जी0एस0टी0 के अन्तर्गत उनके द्वारा पंजीकरण क्यों नहीं कराया गया का संबंध है उनके द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख अवगत कराया गया चूंकि उनका प्रतिदिन का गल्ले का व्यवसाय 9 कुंतल 99 कि0ग्राम से कम है अत्एव यू0पी0एस0जी0एस0टी0 एवं यू0पी0सी0जी0एस0टी0 के अन्तर्गत पंजीकरण की अनिवार्यता उनके लिए लागू नहीं होती है। परिवादी के कथनानुसार स्वयं उनके द्वारा 9 कुंतल 99 कि0ग्राम से कम का व्यापार प्रतिदिन किया जा रहा है। यदि उपरोक्त व्यापार स्तर को एक माह के 25 दिवस में क्रियाशील करना पाया जाता है तब कुल विक्रित अनाज/गल्ला 999 कि0ग्रा0 X 25 दिवस अर्थात 240 कुंतल 975 कि0ग्राम होता है, जो वार्षिक रूप से 999 कि0ग्रा0 X 320 अर्थात लगभग 3,19,680 कि0ग्राम (कुल 3,196.8 कुंतल)
तद्नुसार उपरोक्त सम्बन्ध में यह न्यायालय प्रथम दृष्टया परिवादी को यू0पी0एस0टी0एस0टी0 एवं यू0पी0सी0जी0एस0टी0 के कर उत्तरदायित्व से भी समुचित रूप से व्यापार में लीन होना पाती है तद्नुसार यह न्यायालय आयुक्त जी0एस0टी0 उ0प्र0 शासन को आदेशित करती है कि परिवादी के उपरोक्त व्यापार स्तर के सम्बन्ध में समुचित विस्तृत जानकारी विधिनुसार प्राप्त कर इस न्यायालय के सम्मुख अपनी रिपोर्ट अगली तिथि से एक सप्ताह पूर्व उपलब्ध करायें।
निबन्धक, राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा इस आदेश की प्रति तद्नुसार आयुक्त जी0एस0टी0 उ0प्र0 को प्रेषित की जावे। परिवादी श्री सुनील वैश्य द्वारा इस न्यायालय के पूर्व आदेश दिनांक 26.9.2024 एवं पूर्व आदेशों का शत-प्रतिशत अनुपालन 04 सप्ताह में सुनिश्चित किया जावे जिस हेतु उनके द्वारा प्रार्थना की गई, प्रार्थना स्वीकृत की जाती है। तद्नुसार प्रश्नगत परिवाद को पुन: इसी पीठ के सम्मुख दिनांक 11.12.2024 को 3.00 बजे सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।
In pursuance of the order dated 4.11.2024, the Registrar of this court has requested the Commissioner, GST and Central Excise Tax (केन्द्रीय उत्पाद शुल्क) requested him to provide certain informations as desired by this court.
Therefore, the Registrar has sent a letter no.192 dated 26/27.11.2024 addressed to the office of the Principal Commissioner, Central Goods and Service Taxes and Central Excise, Apratyaksh Kar Bhawan, Gomti Nagar, Lucknow. In pursuance thereto the Assistant Commissioner, CGST Division of Sitapur has deputed the Superintendent of CGST, Range Hardoi to visit the premises of the complainant and to submit the information and necessary action report.
Accordingly, the Superintendent of CGST, Range Hardoi has submitted his ‘visit report’ to the Assistant Commissioner alongwith certain photographs of the premises. The contents of the visit Report are as follows:
“VISIT REPORT
1) As directed by the Assistant Commissioner, CGST Division, Sitapur, I visited the premises of Shri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) s/o Jagdish Prasad Vaishya at Mohalla- Krishnagar, Beniganj, Distt: Hardoi, on 21/11/2024.
2) On reaching the above address, it was found that one Rahul Kumar s/o Kailash Gupta was residing there. Shri Rahul Kumar introduced himself as the cousin of Shri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) and stated that Shri Sunil Vaishya normally resides in Lucknow and only rarely visits Beniganj. He further stated that Shri Sunil Vaishya has no occupation/business whatsoever in Beniganj. On being further questioned by the undersigned. Shri Rahul Kumar stated that he does not know the address of Shri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) in Lucknow and also does anything about the occupation/business of Shri Sunil Vaishya at Lucknow. Shri Rahul Kumar again reiterated that Shri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) does not normally reside at Beniganj and that only he (Rahul Kumar) resides at the said premises.
3) A Panchanama was prepared by the undersigned at the said premises itself. However, no local person was prepared to sign the Panchnama as a Panch because of the nuisance value of Shri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) who is known in the locality as a nuisance-maker and as person who has filed frivolous cases under RTI Act against various persons/ Departments. Hence this visit note has been prepared.
4) It is clear from the above facts that Shri Sunil Vaishya (Radhey Radhey) s/o Jagdish Prasad Vaishya does not normally reside at Mohalla- Krishnagar, Beniganj, Distt: Hardoi and has no business/occupation at Beniganj whatsoever.
5) Some photographs of the said premises and also of Shri Rahul Kumar standing in front of the said premises are enclosed with this Visit Report.”
From perusal of the aforesaid visit report of the Superintendent of CGST this court has found the initial suspicion of this court was correct and true. The complainant is not only harassing the various departmental authorities but is mis-utilising the provisions of the Right to Information Act, 2005 against various persons individually.
Prima-facie, we are of the opinion that the complainant is extracting money from those persons against whom the alleged information under the RTI Act is sought by him. The extortion is a criminal offence and we are prima-facie of the opinion that the act of the complainant is clearly under the extortion activity which is being carried out by him since last more than 8½ years. The complainant has approached the Hon’ble High Court on various occasions alleging before the Hon’ble High Court that he has been harassed by the departmental authorities/police authorities. He has also prayed before the Hon’ble High court for personal security etc.
We do not find any substance in the claim of the complainant. The act of the complainant is criminal activity and is nothing but the abuse of process of law.
Now the question remains as to how the complainant managing his family without any source of income. As is clear that he is not registered in the SGST, CGST or VAT etc. for any kind of business and registration under those Acts is must, therefore, he is also guilty of the offence under the provisions of VAT Act/SGST/CGST. Therefore, the concerned authorities should have taken appropriate action against him in accordance with law.
Accordingly, we direct the Principal Commissioner, Central Goods and Service Taxes and Central Excise, Apratyaksh Kar Bhawan, Gomti Nagar, Lucknow to immediate conduct an enquiry against him in accordance with law.
It is also relevant to mention here that after raising the objection about the maintainability of the instant complaint, the complainant has moved various RTI applications seeking various personal and other informations from this Commission.
In view of above we do not find any substance in the instant complaint.
Accordingly, The instant complaint is dismissed with cost of Rs.2,00,000.00 (Rs. Two lacs) which will be paid by the complainant within 30 days under the head of Mukhya Mantri Apda Rahat Kosh (मुख्य मंत्री आपदा राहत कोष).
It is made clear that the aforesaid amount of Rs.2,00,000.00 (Rs. Two lacs) will not be paid then the same will be recovered by the District Magistrate, Hardoi as arrears of land revenue within a period of 60 days from today.
The Registrar of this Commission will send a certified copy of this judgment and order to the Principal Commissioner, Central Goods and Service Taxes and Central Excise, Apratyaksh Kar Bhawan, Gomti Nagar, Lucknow and District Magistrate, Hardoi within 3 days for compliance of the order.
Let copy of this order be made available to the parties as per rules.
The Stenographer is requested to upload this order on the website of this Commission within 3 days.
(Justice Ashok Kumar) (Vikas Saxena)
President Member
Jafri PA 1
Court 1