Ataurehman filed a consumer case on 21 Oct 2020 against Shri Bala ji motors co. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/100/2017 and the judgment uploaded on 23 Oct 2020.
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-100/2017
अताउर्रहमान(एड0) पुत्र श्री इकबाल अहमद निवासी लाक्रीवाला निकट मुस्लिम गर्ल्स स्कूल, मुरादाबाद। …........परिवादी
बनाम
1-श्री बाला जी मोटर्स कॉर्पोरेशन (अधिकृत सर्विस सेंटर) मानसरोवर कालोनी दिल्ली रोड मुरादाबाद द्वारा इसके प्रोपराइटर/मैनेजिंग डायरेक्टर।
2-बजाज ऑटो लि0 सी-98 आरडीसी राजनगर एडीआर होटर के पास, गाजियाबाद(यू0पी0) द्वारा इसके प्रोपराइटर/मैनेजिंग डायरेक्टर।.....विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 25-10-2017 निर्णय तिथि: 21-10-2020
उपस्थिति
श्रीमती अलका श्रीवास्तव, अध्यक्ष
श्री चन्द किरन, सदस्य
सुश्री रूचिका सारस्वत, सदस्य
(श्रीमती अलका श्रीवास्तव, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
1-परिवादी ने यह परिवाद प्रश्नगत मोटर साईकिल के बदले में नयी मोटर साईकिल अथवा उसकी कीमत 76707/-रूपये, पंजीकरण व्यय 7615/-रूपये, बीमा व्यय 2281/-रूपये, फाइनेंस चार्ज इत्यादि में व्यय 50,000/-रूपये मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु 2,00,000/-रूपये कुल 3,36,603/-रूपये एवं 50,000/-रूपये अधिवक्ता शुल्क दिलाये जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध योजित किया है।
2-संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी-2 द्वारा निर्मित एक मोटर साईकिल मॉडल पलसर-150 बजाज अंकन-76707/-रूपये में बजाज फाइनेंस कंपनी से फाइनेंस कराकर दिनांक 09-05-2017 को विपक्षी-1 से क्रय की थी। जिसकी एक वर्ष की वारंटी प्रदान की गई थी। वारंटी अवधि के दौरान क्रय करने के बाद से ही मोटर साईकिल आगे-पीछे करने पर जाम हो जाती थी और दो सवारी बैठने पर उसकी शौकरों से तरह-तरह की आवाज आती है और गर्म होने पर उसका इंजन बहुत ज्यादा आवाज करता था और मीटर भी काम नहीं करता था। विपक्षी-1 के बताये अनुसार दिनांक 28-5-2017 को मोटर साईकिल की सर्विस भी करायी, जिसके 390/-रूपये परिवादी से ले लिये। परिवादी कई बार विपक्षी-1 के पास मोटर साईकिल में आयी कमी को दूर कराने के लिए गया लेकिन मोटर साईकिल की कमियां दूर नहीं हुई। दिनांक 25-9-2017 को एनएच-24 पर उसकी मोटर साईकिल अचानक रोडवेज बस के सामने जाम हो गई, जिससे परिवादी मरते-मरते बचा है। परिवादी, विपक्षी के सर्विस सेंटर के चक्कर लगाकर थक चुका है लेकिन उसकी समस्या का कोई निराकरण नहीं हुआ है और मोटर साईकिल में उक्त कमियों अब भी विद्यमान हैं। विपक्षीगण ने परिवादी की मोटर साईकिल ठीक न करके सेवा में कमी की है। इसलिए यह परिवाद योजित किया गया है।
3-विपक्षी-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र में वाद का विरोध इस आधार पर किया है कि मोटर साईकिल की गुणवत्ता के बारे में परिवादी को बता दिया गया था और वारंटी कंपनी द्वारा दी जाती है। दिनांक 28-5-2017 व 01-6-2017 को मोटर साईकिल ठीक करके परिवादी को संतुष्ट किया गया था, उसके बाद परिवादी ने मोटर साईकिल के किसी दोष के बारे में अवगत नहीं कराया। परिवादी 390/-रूपये लिये जाने के कारण उत्तरदाता से नाराज है, जबकि उक्त धनराशि सर्विस के दौरान नियमानुसार ली गई है। मोटर साईकिल में कोई दोष नहीं है, परिवादी पूर्ण रूप से मोटर साईकिल का भरपूर उपयोग कर रहा है। परिवादी ने कोई विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है। परिवादी ने नफा नाजायज प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया है। विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी को कोई वाद कारण पैदा नहीं होता है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
4-विपक्षी-2 की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया और दिनांक 04-7-2018 को विपक्षी-2 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अमल में लायी गई।
5-परिवादी ने अपने साक्ष्य में मोटर साईकिल की सेल इनवायस, बीमा पालिसी, विपक्षी बाला जी मोटर्स द्वारा जारी रसीद, सर्विस जॉब कार्ड, विपक्षीगण को दिये गये नोटिस, डाक रसीद, पंजीयन प्रमाण पत्र की छाया प्रतियां व अपना शपथपत्र दाखिल किया है।
6-विपक्षी-1 ने अपने साक्ष्य में श्री पुष्पेन्द्र वर्मा का शपथपत्र दाखिल किया है।
7-हमने पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी और पत्रावली का पूर्ण रूप से अवलोकन किया।
8-परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद पत्र को दोहराते हुए तर्क दिया है कि प्रश्नगत मोटर साईकिल को कई बार विपक्षीगण के सर्विस सेंटर पर दिखाने व सवर्सि कराने के बावजूद भी मोटर साईकिल की उक्त कथित कमियों को दूर नहीं किया गया। इस हेतु परिवादी ने विपक्षीगण को नोटिस भी दिया और सर्विस के रूप में 390/-रूपये परिवादी से गलत वसूले गये हैं।
9-विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने उपरोक्त तर्कों के विरोध में अपने प्रतिवाद पत्र को दोहराते हुए तर्क दिया है कि मोटर साईकिल में कोई दोष या कमी नहीं है। परिवादी भरपूर रूप से मोटर साईकिल का उपयोग कर रहा है। परिवादी 390/-रूपये लिये जाने के कारण नाराज है, जबकि यह धनराशि नियमानुसार ली गई है। परिवाद मिथ्या कथनों पर आधारित है, जो खारिज किया जावे।
10-विपक्षी-1 द्वारा प्रश्नगत मोटर साईकिल परिवादी को दिनांक 09-5-2017 को बेचा जाना स्वीकार है। विपक्षी-1 ने अपने शपथपत्र 16क के पैरा-7 में यह भी स्वीकार किया है कि दिनांक 28-5-2017 एवं 01-6-2017 को परिवादी को प्रश्नगत मोटर साईकिल में व्याप्त समस्याओं से संतुष्ट किया गया। परिवादी ने उक्त तिथियों के विपक्षीगण के सर्विस सेंटर द्वारा बनाये गये जॉब कार्ड अनेक्जर-4 व 5 भी साक्ष्य स्वरूप दाखिल किये हैं, जिनमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पूरी गाड़ी आगे-पीछे करने पर जाम चलती है। दो सवारी पर पीछे (शॉकरों) से आवाजें चैक। चेन, ब्रेक चैक। बैक लाईट जलती रहती है। ऑयल-390/-रूपये तथा अगला पहिया जाम। जिससे विदित होता है कि प्रश्नगत मोटर साईकिल में उक्त कथित कमियां विद्यमान थीं और उक्त कमियां वारंटी अवधि में ही मोटर साईकिल क्रय करने के 18 दिन के अन्तर्गत मोटर साईकिल में आ गईं जो दूर नहीं की गईं और इन कमियों का निराकरण न होने के कारण ही परिवादी ने विपक्षीगण को नोटिस दिनांकित 14-9-2017 पंजीकृत डाक से प्रेषित किया है लेकिन फिर भी परिवादी की समस्या का समाधान नहीं किया गया। उक्त कमियां नगण्य नहीं थीं बल्कि मोटर साईकिल के चालन को गंभीर तौर पर प्रभावित करती हैं। जिससे विपक्षी द्वारा सेवाओं में कमी किया जाना साबित है। परिवादी ने कुल अंकन 3,36,603/-रूपये की क्षतिपूर्ति मांगी है और यह बताया है कि मोटर साईकिल काम नहीं कर रही है। इस संबंध में परिवादी ने मोटर साईकिल के मीटर आदि की कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है, जिससे कि यह माना जाये कि मोटर साईकिल बिल्कुल काम नहीं कर रही है। ऐसी स्थिति में परिवादी की यह बात नहीं मानी जा सकती है कि मोटर साईकिल बिल्कुल बन्द हालत में खराब पड़ी हुई है और परिवादी उसका उपयोग न कर रहा हो। अतएव परिवादी ने अत्यधिक धनराशि की मांग क्षतिपूर्ति के रूप में की है।
11-उपरोक्त विवेचन व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार परी यही निष्कर्ष निकलता है कि विपक्षीगण ने परिवादी को डिफेक्टिव मोटर साईकिल बेचकर और उसमें व्याप्त कमियों को दूर न करके सेवा में कमी व घोर लापरवाही की है। जिसके लिए विपक्षीगण जिम्मेदार हैं और परिवादी, विपक्षीगण को प्रश्नगत मोटर साईकिल की कीमत अंकन-76707/-रूपये की 25 प्रतिशत ह्रास धनराशि (डिप्रेसिएशन अमाउन्ट) अदा करके उक्त मोटर साईकिल के बदले में उसी मॉडल की नयी मोटर साईकिल पाने का अधिकारी है, जिसका पंजीकरण विपक्षी-1 अपने खर्च पर कराकर देंगे अन्यथा परिवादी मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति अंकन-20,000/-रूपये, सर्विस में वसूली गई राशि 390/-रूपये तथा वाद व्यय अंकन-2500/-रूपये विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। यह परिवादी के विकल्प पर होगा कि वह विपक्षीगण से नयी मोटर साईकिल लेवे या क्षतिपूर्ति की उपरोक्त समस्त धनराशि वसूल करे। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण उपरोक्तानुसार आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण, परिवादी से मोटर साईकिल की कीमत की 25 प्रतिशत ह्रास राशि प्राप्त करके बदले में परिवादी को उसी मॉडल की नयी मोटर साईकिल उपलब्ध करायें, जिसका पंजीकरण खर्च विपक्षी-1 द्वारा वहन किया जायेगा अन्यथा विपक्षीगण मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति अंकन-20,000/-रूपये, सर्विस में वसूली गई राशि 390/-रूपये तथा वाद व्यय अंकन-2500/-रूपये परिवादी को अदा करें। यह परिवादी के विकल्प पर होगा कि वह विपक्षीगण से उपरोक्तानुसार नयी मोटर साईकिल लेवे या क्षतिपूर्ति की उपरोक्त समस्त धनराशि विपक्षीगण से प्राप्त करे। इस आदेश का अनुपालन दो माह में किया जावे अन्यथा उक्त समस्त धनराशि पर 9
प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज वाद योजित करने के दिनांक से वास्तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा।
(रूचिका सारस्वत) (चन्द किरन सिंह) (अलका श्रीवास्तव)
सदस्य, सदस्य, अध्यक्ष,
आज यह निर्णय हमारे द्वारा हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(रूचिका सारस्वत) (चन्द किरन सिंह) (अलका श्रीवास्तव)
सदस्य, सदस्य, अध्यक्ष,
दिनांक: 21-10-2020
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