Uttar Pradesh

StateCommission

A/1995/1388

Unit Trust Of India - Complainant(s)

Versus

Shri Alfred Sebastian - Opp.Party(s)

Abdul Mateen

14 May 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1995/1388
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Unit Trust Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shri Alfred Sebastian
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित

अपील संख्‍या 1388/1995

 

(जिला मंच लखनऊ द्वारा परिवाद सं0 285/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 04/05/1995 के विरूद्ध)

 

1- अध्‍यक्ष, यूनिट ट्रस्‍ट आफ इंडिया, 13, श्री विट्ठल दास ठाकरसे मार्ग, न्‍यू मैरिन लाइन्‍स, बाम्‍बे- 400020  ।

2- डिप्‍टी जनरल मैनेजर, यूनिट ट्रस्‍ट आफ इंडिया, वासी मेन ब्रांच आफिस, परसपोलिस, तृतीय तल, प्‍लाट नं0 74, सेक्‍टर-17, वासी न्‍यू बाम्‍बे- 400705  ।

 

                                                                                        …अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

 

श्री अल्‍फ्रेड सेबस्टिन, 4-बी0 पराग नरावन रोड, लखनऊ। 226001

.........प्रत्‍यर्थी/परिवादी 

 समक्ष:

       1. मा0 श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, पीठा0 सदस्‍य।

  2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य ।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित          : विद्वान अधिवक्‍ता श्री अब्‍दुल मोईन के सहयोगी

                                     श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित            : कोई नहीं।

 

दिनांक :-  07-07-2015

 

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

 

निर्णय

     यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, लखनऊ  परिवाद सं0 285/1993 अल्‍फ्रेड सेबस्टिन बनाम अध्‍यक्ष, ट्रस्‍ट आफ इंडिया में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 04/05/1995 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिला फोरम ने निम्‍नलिखित निर्णय/आदेश पारित किये है:-

     1- ‘’ परिवाद इस सीमा तक स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण सं0 1 व 2 को (यूनिट ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया को) आदेशित किया जाता है कि वे इस निर्णय की तिथि से 90 दिन के अंदर परिवादी को मु0 2585/- रूपये मय ब्‍याज अर्थात मु0 850/ रूपये मय ब्‍याज बतौर हर्जाना क्षतिपूर्ति 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से 01/07/1991 से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक तथा मु0 850/ रूपये मय ब्‍याज बतौर हर्जाना/क्षतिपूर्ति 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से 01/01/92 से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक एवं मु0 884/ रूपये मय ब्‍याज और हर्जाना/क्षतिपूर्ति 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से 01/07/92 से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक

2

अदा करे। इसके अतिरिक्‍त विपक्षीगण 1 व 2 परिवादी को मु0 2000/ रूपये बतौर हर्जाना/क्षतिपूर्ति (बम्‍बई यात्रा व्‍यय व मानसिक/शारीरिक भत्‍ता के आधार पर) उक्‍त निर्धारित अवधि अंतर्गत हो अदा करे।

2-  अन्‍यथा स्थितियों में उक्‍त समस्‍त धनराशियों पर इस निर्णय की तिथि से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक विपक्षी सं0 1 व 2 परिवादी को, ब्‍याज 18 प्रतिशत वार्षिक अदा करे।

3-   विपक्षीगण सं0 1 व 2 परिवादी को उक्‍त के अतिरिक्‍त मु0 250/ रूपये बतौर वाद व्‍यय भी अदा करें।

     परिवाद का कथन संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी सं0 1 व 2 के 1360 जी.आई.यू.एस. -90 यूनिट उसके एजेन्‍ट विपक्षी सं0 3 मे0 राहुल चन्‍द्र लखनऊ के माध्‍यम से मार्च 1991 में क्रय किये थे जिसका मूल्‍य 20,432/ रूपये अदा किया था। परिवादी तथा उसकी पत्‍नी के नाम हस्‍तान्‍तरितकरने हेतु उक्‍त यूनिट परिवादी ने आवश्‍यक अभिलेख के साथ भेजे थे जो पंजीकृत थे। विपक्षी सं0 1 को भेजे गये थे जिन्‍होंने एन रजिस्‍ट्री को ‘’ क्‍लोज्‍ड एण्‍ड सेम’’ से संबंधित शाखा को भेज दिये थे और ये यूनिक/अभिलेख विपक्षी सं0 2 द्वारा 06 मई 1991 को प्राप्‍त किये गये थे। इन यूनिट परिवादी के नाम अंतरण के संबंध में परिवादी द्वारा पत्र व्‍यवहार करने पर विपक्षी सं0 1 द्वारा अपने पत्र यू.टी./वास/302 दिनांक 18/04/1992 के माध्‍यम से परिवादी को अवगत कराया गया कि उन्‍हें (विपक्षी सं0 1) को उक्‍त 1360 यूनिट जी.आई.यू.एस. नहीं प्राप्‍त हुए। विपक्षी सं0 1 इस कार्य से परिवादी को मानसिक अघात हुआ और उसे दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद परिवादी ने विपक्षीगण से पत्राचार किया परन्‍तु कोई प्रतिफल नहीं मिला। अचानक परिवादी बम्‍बई गया और वहां उसे दिनांक 03/07/1992 को विपक्षी सं0 1 के अधिकारी ए.जी. जोशी से भेट किया उन्‍हें वस्‍तुस्थिति से अवगत कराया1 उनके निर्देश पर ‘’Closed suoled sahem” लिख कर शाखा कार्यालय गया और एक अधिकारी भी श्री पोइदार से भेट की जिन्‍होंने परिवादी को उक्‍त 1360 यूनिट का सर्टिफिकेट दिखाया जो दिनांक 06 मई 1991 को प्राप्‍त होना स्‍वीकार की गई। परिवादी का कहना है कि उसे विपक्षीगण की लापरवाही के फलस्‍वरूप अनावश्‍यक रूप से बम्‍बई की यात्रा करनी पड़ी और वहां ठहरने के कारण उसे 5600/ रूपये की क्षति हुई थी साथ ही बीमारी के कारण अत्‍यधिक शारीरिक व मानसिक कष्‍टों से पीडि़त होना पड़ा।

    

 

3

     विपक्षी सं0 1 व 2 ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया । विपक्षीगण ने इस बात से इन्‍कार नहीं किया है कि परिवादी प्रश्‍नगत 1360 जी.आई.यू.एस. -90 यूनिट (यू.टी.आई. मेसर्स राहुल चन्‍द्रा एण्‍ड को ) ब्रोकर के माध्‍यम से प्रकाश लाल मालिक से 20,432/ रूपये अदा करके मार्च 1991 में खरीदे थे। विपक्षीगण का कथन है कि प्रश्‍नगत यूनिट के ट्रान्‍सफर से संबंधित पत्र दिनांक 08/04/91 एवं यूनिट सर्टिफिकेट उनके (विपक्षीगण) कार्यालय में 08/05/91 को प्राप्‍त हुआ उसमें यह अनुरोध किया गया था कि यूनिट सर्टिफिकेट का ट्रान्‍सफर प्रकाश लाल मालिक के स्‍थान पर परिवादीगण के नाम कर दिया जाय। ट्रान्‍सफर डीड के अनुसार ट्रांसफर की प्रक्रिया इसलिए अमल में नहीं लाई गई, क्‍योंकि un cashed bost dated dividend warranty प्रकाश लाल मालिक द्वारा विपक्षीगण को वापस नहीं लौटाये गये थे तथा परिवादी ने इन यूनिट की holaling bass के बारे में स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया था एवं तद्नुसार 17/05/1991 का पत्र प्रकाश लाल मलिक को अनुपालन हेतु प्रेषित किया गया। प्रकाश लाल मलिक ने अपने पत्र दिनांक 22/07/1992 द्वारा विपक्षीगण द्वारा उठाई गई आपत्तियों को दूर करने के लिए सूचित किया था। कई रिमाइन्‍डर देने के बाद भी प्रकाश लाल मलिक ने 06 डिवाडेन्‍ट वारन्‍इस जो 01/01/1993 से 01/07/95 की अवधि के थे को ही वापस किया था। दिनांक 01/07/91 से 01/07/95 तक की अवधि के सभी डिविडेन्‍ट वारेन्‍ट दिये नहीं। दिनांक 01/07/1991 से 01/07/1992 की अवधि के डिविडेन्‍ट वारेन्‍ट को भुगतान (encash) ले लिया था। यद्यपि उसे इनके भुगतान लेने का विधिक अधिकारी नहीं था। विपक्षीगण ने अंतत: यह सोचकर कि इस अपने को भी प्रकाश लाल मलिक से ही निपटाया जायेगा। प्रश्‍नगत यूनिटों का ट्रान्‍सफर परिवादीगण के पक्ष में कर दिया तथा पुराने यूनिट सर्टिफिकेट जे. 9020202 के स्‍थान पर नया यूनिट सर्टिफिकेट नं0 जे. 9050028 जारी कर दिया था। दिनांक 19/08/1992 को 06 डिविडेन्‍ट वारेन्‍ट के साथ परिवादीगण द्वारा मांगी गई दावे की धनराशि को अदा करने की जिम्‍मेदारी से इन्‍कार किया।

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। उनकी बहस को विस्‍तार से सुना गया।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि जिला फोरम ने 18 प्रतिशत का ब्‍याज दिलाया है वह अत्‍यधिक है। प्रत्‍यर्थी ने परिवाद पत्र में 12 प्रतिशत ब्‍याज की मांग किया है।

 

 

4

 

मु0 2000/ रूपये बम्‍बई आने जाने में हुए खर्च के लिए दिलाया है वह अत्‍यधिक है। इस प्रकार जिला फोरम का निर्णय/आदेश उचित नहीं है, निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थी ने लिखित बहस दाखिल किया जिसमें यह कहा है कि प्रत्‍यर्थी ने यूनिट सर्टिफिकेट (1360) मेसर्स राहुल चन्‍द्र एण्‍ड कंपनी से क्रय किये थे जो यू.टी.आई. के अधिकृत विक्रेता नहीं थे। श्री प्रकाश मलिक द्वारा तीन डिविडेन्‍ट वारेन्‍ट का भुगतान प्राप्‍त कर लिया गया जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बेचे गये थे। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने श्री प्रकाश मलिक से तीन डिविडेन्‍ट वारेन्‍ट के भुगतान के संबंध में सूचित किया तथा उक्‍त धनराशि मु0 2,550/ रूपये वापस करने को कहा परन्‍तु उन्‍होंने वापस नहीं किया।

     आधार अपील एवं संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया जिससे यह प्रतीत होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने एजेन्‍ट मेसर्स राहुल चन्‍द्र एण्‍ड कंपनी से 1360 जी.आई.यू.एस- 90 यूनिट सन 1991 में खरीदे थे। जिसका अंकित मूल्‍य मु0 20,432/ रूपया था। परिवादी तथा उसकी पत्‍नी के नाम ट्रान्‍सफर करने हेतु उक्‍त यूनिट आवश्‍यक कागजात के साथ भेजे गये थे कि श्री प्रकाश लाल मलिक के नाम के स्‍थान पर परिवादीगण का नाम अंकित किया जाय परन्‍तु सूचना के बावजूद भी परिवादीगण/प्रत्‍यर्थी के नाम अंकित नहीं किया गया। जिसके फलस्‍वरूप श्री प्रकाश लाल मलिक विक्रेता ने दिनांक 01/07/1991 से 01/10/1992 की अवधि के डिविडेन्‍ट वारेन्‍ट का भुगतान यू.टी.आई. के ब्रोकर से प्राप्‍त कर लिया। यह विवाद यू.टी.आई. एवं श्री प्रकाश लाल मलिक के बीच का है। अपीलार्थीगण के सेवा में कमी के कारण गलत व्‍यक्ति ने भुगतान प्राप्‍त कर लिया है। अपीलार्थी ने तर्क दिया कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने परिवाद पत्र में 12 प्रतिशत ब्‍याज की मांग की है, परन्‍तु जिला फोरम ने 18 प्रतिशत ब्‍याज दिलाई है जो उचित नहीं है। अपीलार्थी के तर्क में बल पाया जाता है। अपील अंशत: स्‍वीकार करने योग्‍य है।

आदेश

     अपील अंशत: स्‍वीकार किया जाता है। जिला फोरम ने ब्‍याज की धनराशि 18 प्रतिशत दिलाई है उसे संशोधित करके 18 प्रतिशत के स्‍थान पर 12 प्रतिशत किया जाता है। शेष आदेश

 

 

5

की पुष्टि की जाती है। उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

                                 

    

 

     (चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव)                     (संजय कुमार)

       पीठासीन सदस्‍य                           सदस्‍य 

 

                                                                           

     सुभाष चन्‍द्र आशु0

        कोर्ट नं0 2                                               

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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