Rajasthan

Jaipur-I

CC/1204/2012

ARVIND SINGHAL - Complainant(s)

Versus

SHREE SAI PARSHAL - Opp.Party(s)

PRADEEP KUMAR MODI

01 Aug 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/1204/2012
 
1. ARVIND SINGHAL
10, PANCHVATI COLONY, GURJAR KI THADI JAIPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. SHREE SAI PARSHAL
D-58/A, FIRST FLOOR, OPP. DOLPHIN SCHOOL, MADHO SINGH CIRCLE BAPARK JAIPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. Seema sharma PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. O.P. Rajoriya MEMBER
 
For the Complainant:
pradeep kumar
 
For the Opp. Party:
anil bhatiya
 
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 1204/2012
अरविन्द सिंघल प्रोपराईटर, सिंघल इलेक्ट्रीकल्स, पता 10 पंचवटी काॅलोनी, गुर्जर की थडी, जयपुर (राज0)
                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    श्री सांई पार्सल सर्विस, जरिए प्रबंधक/निदेशक पता डी-58/ए, प्रथम मंजिल, डोल्फिन स्कूल के सामने, माधोसिंह सर्किल, बनीपार्क, जयपुर Û
2.    श्री सांई पार्सल सर्विस, जरिए प्रबंधक/निदेशक हैड आॅफिस 188-ए, बरकत नगर, टोंक फाटक, जयपुर Û
              विपक्षी

अधिवक्तागण :-
श्री प्रदीप कुमार मोदी - परिवादी
श्री अनिल भाटिया - विपक्षी सॅंख्या 1 व 2

                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 17.10.12

                       आदेश     दिनांक: 20.01.2015

परिवादी अरविन्द सिंघल प्रोपराईटर सिंघल इलेक्ट्रीकल्स की ओर से विपक्षी श्री सांई पार्सल सर्विस जरिए प्रबंधक/निदेशक के विरूद्ध यह परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत पेश हुआ है ।  परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी सिंघल इलेक्ट्रीकल्स का प्रोपराईटर है तथा ए-क्लास इलेक्ट्रीकल्स ठेकेदार है तथा वह विभिन्न स्थानों पर सरकारी व प्राईवेट ठेके लेता है तथा विपक्षीगण श्री सांई पार्सल सर्विस के नाम से डाक व पार्सल निश्चित शुल्क प्राप्त कर के एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुॅचाने का कार्य करते हैं ।
परिवादी ने दिनांक 24.06.2012 को इलेक्ट्रीक सामान फिटिंग हेतु एक कट्टा जिसमें इलेक्ट्रीकल्स फिटिंग का महत्वपूर्ण व कीमती सामान था जिसकी कीमत करीब 15000/- रूपए थी। विपक्षी के सिंधी कैम्प बस स्टेण्ड स्थित काउन्टर से 100/-रूपए शुल्क देकर बुक करवाया था तथा उनके द्वारा रसीद जारी की गई थी । विपक्षीगण द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि पार्सल दूसरे दिन अलवर पहुॅंचा दिया जाएगा । जब परिवादी का साथ विपक्षीगण के अलवर स्थित कार्यालय में पार्सल लेने गया तो उन्होंने बताया कि आपका पार्सल अभी तक नहीं आया है और जा जाने पर आपको दे दिया जाएगा । परिवादी द्वारा बार-बार पूछताछ करने पर भी पार्सल नहीं मिला और न ही उनके स्थानीय कर्मचारियों द्वारा कोई संतोषजनक जवाब दिया गया और न ही भेजे गए माल के सम्बन्ध में कोई जानकारी उपलब्ध करवाई गई । इस पर परिवादी ने अपने अधिवकता के माध्यम से एक विधिक नोटिस विपक्षी सॅंख्या 1 को भेजा था । जिसका विपक्षीगण ने गलत तथ्यों के आधार पर जवाब भेज दिया ं इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादी को बुक करवाया गया सामान अथवा उसकी कीमत नहीं लौटाई गई जिससे परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक संताप हुआ और विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद पेश करना पड़ा । इसलिए परिवादी को बुक करवाए गए सामान की कीमत 15000/- रूपए मय ब्याज 18 प्रतिशत दिलवाई जावे । इसके अलावा क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय दिलवाया जावे ।
विपक्षीगण की ओर से प्रारम्भिक आपत्ति उठाई गई है कि परिवादी द्वारा जो पार्सल दिनांक 24.06.2012 को बुक करवाया गया था उसमें भेजे गए माल की कोई घोषणा नहीं की थी कि उसके द्वारा पार्सल में क्या माल भेजा जा रहा है इसलिए इ समंच से वह किसी प्रकार की सहायता प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण द्वारा अपने जवाब में आगे यह भी कहा गया है कि परिवादी ने तथ्यों को छिपाकर परिवाद प्रस्तुत किया है । विपक्षीगण के यहां किसी भी माल को बुक करवाने के लिए  सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा माल की किस्म व उसका मूल्य घोषित किया जाता है और नुकसान होने की स्थिति में विपक्षीगण की समस्त जिम्मेदारी 50/- रूपए प्रति पार्सल तक ही है । विपक्षीगण द्वारा परिवादी का माल राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बस के जरिए गन्तव्य स्थान पर भेजा गया था और यदि माल गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुॅंचा है तो जिम्मेदारी राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की है और यदि कोई नुकसान होना माना जाता है तो उसकी राशि की अदायगी की जिम्मेदारी राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की है । परिवादी द्वारा राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को आवश्यक पक्षकार नहीं बनाया गया है इस आधार पर परिवाद चलने योग्य नहीं है । विपक्षीगण ने अपने जवाब में माननीय राष्ट्रीय आयोग व विभिन्न राज्य आयोगों द्वारा दिए गए विभिन्न न्यायिक दृष्टांतों को रैफर किया है और यह कहा है कि जब पक्षकारों के मध्य संविदात्मक सम्बन्ध है तो किसी भी पक्षकार पर अधिक दायित्व नहीं डाला जा सकता है । यदि परिवादी द्वारा भेजे जाने वाले माल की घोषणा नहीं की जाती है तो सीमित दायित्व रहता है इसलिए परिवादी का परिवाद इन आधारों  पर चलने योग्य नहीं है । विपक्षीगण द्वारा अपने जवाब में आगे कहा गया है कि परिवादी के सिंघल इलेक्ट्रकल्स के प्रोपराईटर होने के तथ्य की उन्हें जानकारी नहीं है । परिवादी द्वारा माल बुक करवाते समय उसका मूल्य 15000/- रूपए बाबत कोई घोषणा नहीं की गई । विपक्षीगण द्वारा जांच की गई तो पाया कि माल गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुॅचा है और माल राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के पास ही है । विपक्षीगण द्वारा परिवादी से दस्तावेजात की मांग करने के बावजूद भी परिवादी द्वारा दस्तावेजात विपक्षीगण को उपलब्ध नहीं करवाए गए । अत: परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे ।
विपक्षीगण की ओर से सर्वोच्च न्यायालय का न्याय निर्णय ाा (1996) सी पी जे 25 (एस सी)  बैराठी निटिंग कम्पनी बनाम डी एच एल वल्र्डवाइड एक्सप्रेस परिशिष्ठ आर-1, ााा(1993) सी पी जे 308 (एन सी) मैसर्स ब्ल्यूडार्ट कोरियर्स सर्विस एण्ड अनोदर बनाम मैसर्स मोडर्न वूल लिमिटेड परिशिष्ठ आर-2, ा (1994) सी पी जे 52 ( एन सी) एयरपेक कोरियर्स (इण्डिया) प्रा.लि. बनाम एस. सुरेश परिशिष्ठ आर-3, 1997(1) सी पी आर 15 एयरपेक इन्टरनेशनल प्राईवेट लिमिटेड बनाम के.पी.ननु एण्ड अनोदर परिशिष्ठ-4, ाा (2006) सी पी जे 502 सुहाग साड़ी केन्द्र बनाम वैशाली ट्रंासपोर्ट एण्ड फोरवर्डिंग एजेन्सी परिशिष्ठ -5 प्रस्तुत किए हैं ।
हमने उभय पक्षों को सुना एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । उनके द्वारा प्रस्तुत किए हुए न्यायिक दृष्टांतों का भी सावधानीपूर्वक अवलोकन किया ।
इस सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है कि परिवादी अरविंद सिंघल प्रोपराईटर सिंघल इलेक्ट्रीकल्स ने दिनांक 24.06.2012 को 100/- रूपए शुल्क देकर एक पार्सल अलवर के लिए बुक करवाया था तथा विपक्षीगण द्वारा दी जा रही सेवाओं के सम्बन्ध में रसीद सॅंख्या 100184626 प्रदर्श-1 जारी की गई थी । परिवादी का कथन है कि अलवर के लिए माल बुक करवाए जाने पर सामान्यत: यह माल अगले दिन ही उनके  स्थानीय कार्यालय पर डिलीवर कर दिया जाता है परन्तु परिवादी के साथी द्वारा मालूम करने पर यह माल गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुॅंचा । इस पर परिवादी द्वारा विपक्षी से सम्पर्क किया तो बताया गया कि उनके द्वारा बुक करवाया गया माल राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के माध्यम से भिजवाया जाता है यदि गन्तव्य स्थान पर माल नहीं पहुॅंचा है तो इसकी जिम्मेदारी राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की है । हम विपक्षीगण द्वारा उठाई गई इस आपत्ति से सहमति प्रकट नहीं करते हैं । क्योंकि माल बुक करवाते समय परिवादी को इस तथ्य की जानकारी नहीं दी गई कि बुक करवाया गया माल राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बस के माध्यम से भिजवाया जाता है इसलिए परिवादी द्वारा राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक अथवा किसी संबंधित व्यक्ति को पक्षकार बनाए जाने का कोई औचित्य प्रकट नहीं होता है । यदि विपक्षीगण द्वारा माल को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बस अथवा किसी अन्य माध्यम से भिजवाया जाता है तो इसका दायित्व विपक्षीगण पर ही है और वह यह कह कर अपने दायित्व से नहीं बच सकते हैं कि उन्होंने माल को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बस से भेजा था और माल को डिलीवर नहीं किए जाने के बारे में उनका कोई दायित्व नहीं बनता है । चूंकि परिवादी द्वारा निर्धारित शुल्क देकर जयपुर से माल अलवर के लिए जब रसीद सॅंख्या 100184626 के द्वारा बुक करवाया गया था तब विपक्षीगण का यह दायित्व था कि वह बुक करवाए गए सामान को सही व सुरक्षित अवस्था में निर्धारित अवधि के अंदर पहुॅंचा कर सुपुर्द करते परन्तु उनके द्वारा माल बुक किया जाकर उसे डिलीवर नहीं करना सेवा दोष के अन्तर्गत आता है ।
विपक्षीगण की ओर से यह भी बहस की गई है कि परिवादी ने माल बुक करवाते समय माल की कीमत के सम्बन्ध में घोषणा नहीं की थी कि माल की कीमत 15000/- रूपए थी और ना ही माल की कोई सूचि पेश की है इसलिए यह नहीं माना जा सकता है कि उसकी कीमत 15000/- रूपए थी बल्कि कम्पनी का दायित्व अधिकतम 50/- रूपए प्रति पार्सल तक सीमित है । इस सम्बन्ध में उनके द्वारा हमारा ध्यान उपरोक्त न्यायिक दृष्टांत की ओर दिलवाया गया है । इसके विपरीत परिवादी का यह कथन है कि उन्होंनंे माल बुक करवाते समय उसकी कीमत 15000/- रूपए होना बताई थी जिसका हवाला विपक्षीगण द्वारा जारी की गई रसीद में दिया गया है।
 परिवादी की ओर से हमारा ध्यान माननीय पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कोलकता द्वारा ा (2012) सी पी जे 204 इनलेण्ड कोरियर्स प्रा0लि0 बनाम इन्डो‘- जापान हाइब्रीड के मामले में दिए गए निर्णय की ओर दिलवाया है।
हमने दोनों पक्षों द्वारा दिए गए न्यायिक दृष्टांतो का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया एवं उनमें प्रतिपादित सिद्धान्त से पूरी तरह सहमति प्रकट करते हैं परन्तु विपक्षी द्वारा पेश किए गए न्यायिक दृष्टांत तथ्यों की भिन्नता के कारण इस मामले में लागू नहीं होते हैं ।
विपक्षी द्वारा जो रसीद परिवादी को माल बुक करवाते समय जारी की गई उसमें माल की कीमत 15000/- रूपए होना अंकित है । चूंकि रसीद में माल की कीमत 15000/- रूपए होना अंकित है इसलिए परिवादी द्वारा  बुक करवाए गए माल का विवरण एवं उसकी कीमत से संबंधित बिल को पेश करने की आवश्यकता नहीं रहती है । परिवादी की ओर से जो हमारा ध्यान ा (2012) सी पी जे 204 इनलेण्ड कोरियर्स प्रा0लि0 बनाम इन्डो- जापान हाइब्रीड की ओर दिलवाया गया है उसमें पश्चिम बंगाल राज्य आयोग द्वारा निर्णित किया गया है कि जब बुक करवाए गए माल की कीमत 1000/- रूपए से अधिक थी तो विपक्षी कम्पनी का यह दायित्व था कि वह माल को बुक करवाते समय उसका बीमा करवाते परन्तु उनके द्वारा ऐसी कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है इसलिए विपक्षी कम्पनी अपने दायित्व से नहीं बच सकती है और वह परिवादी को क्षतिपूर्ति की अदायगी के लिए उत्तरदायी है। चूंकि परिवादी ने अपने बुक करवाए गए माल कीमत 15000/- रूपए होना बताया है तथा विपक्षी कम्पनी द्वारा जारी की गई रसीद में माल की कीमत 15000/- रूपए अंकित है इसलिए परिवादी यह राशि विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है ।

आदेश

अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि  विपक्षीगण संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से उत्तरदायी होते हुए आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को 15000/-रूपए अक्षरे पन्द्रह हजार रूपए का भुगतान करेंगे अन्यथा परिवादी इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 17.10.2012 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा। इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेंगे। परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  
निर्णय आज दिनांक 20.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।


( ओ.पी.राजौरिया )   (श्रीमती सीमा शर्मा)  (महेन्द्र कुमार अग्रवाल)    
     सदस्य              सदस्य          अध्यक्ष      

 

 

 
 
[HON'BLE MRS. Seema sharma]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. O.P. Rajoriya]
MEMBER

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