Rajasthan

Churu

770/2011

ARJUN SINGH - Complainant(s)

Versus

SHREE RAM TRASPORT CO. & Ors - Opp.Party(s)

SANJIV VERMA

20 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 770/2011
 
1. ARJUN SINGH
VPO FRANSA TEH. RATANGARH, CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री संजीव वर्मा अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थीगण की ओर से श्री जगदीश रावत अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से एक वाहन आर.जे. 31 पी. 1298 हेतु 297000 रूपये माह अप्रेल 2010 में वित्त पोषित करवाया था। उक्त वाहन जिला परिवहन अधिकारी द्वारा बकाया टैक्स के पेटे सीज करने पर प्रार्थी वाहन के उपयोग व उपभोग से वंचित हो गया व प्रार्थी की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी जिस कारण प्रार्थी समय पर अप्रार्थीगण के यहां किस्ते जमा नहीं करवा सका और प्रार्थी की स्थिति जब ठीक हुई तो प्रार्थी अप्रार्थीगण के यहां किश्त जमा करवाने हेतु गया तो प्रार्थी को पता चला कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के विरूद्ध हायर प्रचेजेज एग्रीमेन्ट की शर्तों के विपरित ब्याज व नाजायज पैनेल्टी प्रार्थी के खाते में लगायी हुई है। प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से हायर प्रचेजेज एग्रीमेन्ट के विपरित लगायी गयी ब्याज व पैनेल्टी को निरस्त करने का निवेदन किया। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के निवेदन को अस्वीकार कर दिया। अप्रार्थीगण द्वारा हायर पर्चैज एग्रीमेन्ट के विपरित ब्याज व पैनेल्टी प्रार्थी के विरूद्ध अंकित करना अप्रार्थीगण का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने ब्याज व पैनेल्टी निरस्त करने करने हेतु तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के विरूद्ध ब्याज व पैनेल्टी हायर पर्चैज के अनुसार ही लगायी गयी है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी किश्तें जमा करवाने में डिफाल्टर रहा है। प्रार्थी की ओर आज भी अप्रार्थीगण का 14,08,103 रूपये बकाया निकलता है। उक्त आधार पर अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी का परिवाद खारिज करने की मांग की।

           पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है। 

           उभय पक्षों के तर्कों पर मनन करने पर वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु केवल यह है कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी द्वारा लिये गये ऋण पर ब्याज व पैनेल्टी हायर पर्चैज एग्रीमेन्ट के विपरित आरोपित की है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि प्रार्थी के विरूद्ध सभी ब्याज व पैनेल्टी एग्रीमेन्ट के अनुसार ही अंकित की है। हमने अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत हायर पर्चैज एग्रीमेन्ट जो कि दिनांक 03.04.2010 को पक्षकारों के मध्य निष्पादित किया गया था का अवलोकन किया। उक्त हायर पर्चैज एग्रीमेन्ट में ब्याज व पैनेल्टी के सम्बंध में स्पष्ट कोई तथ्य अंकित नहीं है। एग्रीमेन्ट के साथ लगी सीट सेड्यूल- 1 व 2 के अवलोकन से पता चलता है कि अप्रार्थीगण ने रेट अॅाफ इन्टरेस्ट 17.19 व अतिरिक्त ब्याज के रूप में 36 प्रतिशत अंकित किया हुआ है। मंच की राय में अप्रार्थीगण के उक्त दस्तावेजों में जो ब्याज व पैनेल्टी लगायी गयी है वह विधि के विपरित प्रतीत होती है। प्रार्थी ने वर्ष 2010 में 2,97,000 रूपये ऋण लिया था और जो 4 वर्ष बाद अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत स्टेटमेन्ट के अनुसार 14,08,103 रूपये हो गया। मंच की राय में उक्त राशि किसी भी रूप से विधिसम्वत व विधि अनुरूप नहीं मानी जा सकती। ऐसा प्रतीत होता है कि अप्रार्थीगण ने जो हायर पर्चैज एग्रीमेन्ट निष्पादित किया है वह अनुबन्ध अधिनियम की शर्तों के विपरित तैयार किया गया है जो विधि अनुसार सक्षम सिविल न्यायालय में चूनौती योग्य है। इस मंच को उक्त अनुबन्ध को नल एण्ड वाॅयड् घोषित करने हेतु अधिकारीता प्राप्त नहीं है। लेकिन उपभोक्ता अधिनियम की धारा 3 के दृष्टिगत हम अप्रार्थीगण को ब्याज व पैनेल्टी के सम्बंध में दिशा निर्देश दिया जाना उचित समझते है।

           अतः अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी से हायर पर्चैज एग्रीमेन्ट के अनुसार देय वित्त पोषित राशि वसूली के समय भारत सरकार के विधि द्वारा स्थापित ब्याज के सम्बंध मंे नियमों, निर्देशों के अनुसार ही ब्याज व पनैल्टी वसूल करें। प्रकरण उक्तानुसार निस्तारित किया जाता है। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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