Rajasthan

Churu

65/2014

RAMESH - Complainant(s)

Versus

SHREE RAM Ins. Ors - Opp.Party(s)

L.K.G.

12 Mar 2015

ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री ललित कुमार गौतम अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी की ओर से श्री जगदीश रावत अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि अप्रार्थी ने प्रार्थी को नो-ड्यूज व फार्म संख्या 35 परिवाद प्रस्तुत करने के बाद दिनांक 16.04.2014 को प्रदान कर दी है। यदि अप्रार्थी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने से पूर्व नो-ड्यूज व फार्म संख्या 35 दे दिया जाता तो उसे यह परिवाद प्रस्तुत नहीं करना पड़ता इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी की ओर अप्रार्थी का 759 रूपये बकाया होने के कारण उसे नो-ड्यूज व फार्म संख्या 35 नहीं दिया गया परन्तु बाद में प्रार्थी के प्रकरण पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए नो-ड्यूज व फार्म संख्या 35 प्रार्थी को दे दिया गया। यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी ने अपने वाहन के अतिरिक्त देवेन्द्र सिंह, जयवीर सिंह, कृष्ण कुमार, राजकुमार की ओर से वाहन के सम्बंध में गारण्टी दी हुई है और ऋण अनुबन्ध में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि यदि अन्य ऋणीयों द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो वह अदा करेगा। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद के सम्बंध में शपथ-पत्र व विधिक नोटिस दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी ने प्रार्थी के स्टेटमेन्ट आॅफ अकांउट के अतिरिक्त देवेन्द्र सिंह, जयवीर सिंह, कृष्ण कुमार, राजकुमार के स्टेटमेन्ट आॅफ अकाउन्ट की प्रतियां प्रस्तुत की है। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

     उपरोक्त प्रकरण में अप्रार्थी अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत प्रार्थी के ऋण स्टेटमेन्ट के अतिरिक्त देवेन्द्र सिंह, जयवीर सिंह, कृष्ण कुमार, राजकुमार के स्टेटमेन्ट आॅफ अकाउन्ट की प्रतियों का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। अवलोकन के पश्चात यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी व प्रार्थी द्वारा दिये गये गारण्टी वाले ऋणीयों की ओर अप्रार्थी कम्पनी की काफी राशि बकाया निकलती है। प्रार्थी अधिवक्ता ने ऐसा कोई दस्तावेज या साक्ष्य पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि उसकी व उपरोक्त व्यक्तियांे की ओर अप्रार्थी कम्पनी का कोई बकाया ना हो। यदि कोई व्यक्ति किसी ऋण लेने वाले के पक्ष में अपनी गारण्टी देता है और ऐसा ऋणी बकाया राशि अदा नहीं करता है तो फायनेन्स कम्पनी या बैंक गारण्टर से बकाया राशि वसूल करने के अधिकारी होते है। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त स्टेट बैंक आॅफ पटियाला बनाम कुसुम कालड़ा 1 सी.पी.जे. 2014 पेेज 551 एन.सी. में दिया है। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह स्पष्ट निर्धारित किया है कि स्पंइपसपजल व िहनंतंदजवत ंदक चतपदबपचंस कमइजवत ंतम बव.मगजमदेपअम ंदक दवज पद ंसजमतदंजपअमण् ब्वउचसंपदंदज ींक ेजववक हनंतंदजवत वित जीम सवंदममण् ठंदा ींक मअमतल तपहीज जव तमबवअमत जीमपत उवदमल तिवउ हनंतंदजवतण् उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी से स्पष्ट है कि यदि अप्रार्थी फायनेन्स कम्पनी के द्वारा अपनी बकाया राशि हेतु प्रार्थी को उसके द्वारा लिये गये वाहन की नो-ड्यूज व फार्म संख्या 35 जारी नहीं करना कोई सेवादोष नहीं है। जबकि वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी ने प्रार्थी के प्रकरण को सहानुभूति रखते हुए नो-ड्यूज व फार्म संख्या 35 जारी कर दी है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

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