जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 128/2013
अजय शर्मा पुत्र श्री परमेश्वरलाल शर्मा जाति ब्राहमण निवासी खाजपुर पुराना तहसील व जिला झूंझूनू (राजस्थान)
......परिवादी
बनाम
1. श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. आॅफिस न0 203 2 फ्लोर गंगा प्लाजा, नियम ए.बी.बी.जे. बैंक स्टेशन रोड़, सादुलपुर (राजगढ़) तहसील- राजगढ़ जिला चूरू जरिए शाखा प्रबन्धक
......अप्रार्थी
दिनांक- 11.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट - परिवादी की ओर से
2. श्री धीरेन्द्र सिंह एडवोकेट - अप्रार्थी की ओर से
1. परिवादी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि परिवादी अजय शर्मा पुत्र श्री परमेश्वरलाल शर्मा जाति ब्राहमण निवासी खाजपुर पुराना तहसील व जिला झूंझूनू (राजस्थान) का स्थाई निवासी है। परिवादी ने दिनांक 30.10.2010 को अजय मोटर्स, रोड़ न0 3 झूझूंनू से हिरो-होण्डा स्पलेण्डर प्लस मोटरसाईकिल राशि 41,400 रूपये (इकतालिस हजार चार सौ रूपये) नगद देकर खरीदी थी जिसके चैसिस न0 डठस् भ्। 10मर्् ।भ्ज्ञ 18599 एवं इंजन न0 भ्। 10 म्थ्। भ्ज्ञ 62974 थे तथा मोटर साईकिल के न0 आर.जे. 18 एस.एफ. 2284 जिसकी बीमा विपक्षी श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स क0 लि0 आॅफिस न0 203 द्वितीय फ्लोर गंगा प्लाजा नियम एस.बी.बी.जे. बैंक स्टैशन रोड़, सादुलपुर जिला चूरू में दिनांक 29.10.2011 को राशि 882 रूपये नगद जमा करवाकर इन्श्यूर्ड डिक्लेरड वेल्यू प्क्ट थ्व्त् ज्भ्म् टम्भ्प्ब्स्म् राशि 34800 रूपये की करवाई थी जिसकी वैद्यता दिनांक 30.10.2011 से दिनांक 29.10.2012 तक वेलिड थी इस प्रकार से परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता हुआ।
2. आगे परिवादी ने बताया कि परिवादी दिनांक 23.06.2012 को अपनी मोटर साईकिल न0 आर.जे. 18 एस.एफ. 2284 को पी.एन.बी. बैंक झूंझूनु के आगे खड़ी कर लोक लगाकर बैंक के अन्दर चालान जमा करवाने गया था। समय करीब 1.30 बजे का था तथा वापिस आधा घण्टा बाद बैंक से बाहर आकर अपनी मोटरसाईकिल देखी तो वहां खड़ी नहीं मिली। आस-पास में काफी तलाश किया नहीं मिली तो किसी ने बताया उक्त मोटर साईकिल को कोई अज्ञात व्यक्ति चूराकर ले गया तब परिवादी ने एक लिखित में रिपोर्ट पुलिस थाना कोतवाली झुंझुनू में जाकर दिनांक 23.06.2012 को एफ.आई.आर. न0 247/12 अन्तर्गत धारा 379 भा0द0 संहिता में दर्ज करवाई थी जिसकी बाद तफतीश अनुसंधान अधिकारी ने उक्त मुकदमा में एफ.आर. न0 94/12 वसीले अदमपता माल मुलजिम में मन खूद करवाये जाने बाबत न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट झुंझुनू में दिनांक 14.08.2012 को प्रस्तुत की गयी जिसकी सत्यप्रतिलिपि लेकर परिवादी विपक्षी के कार्यालय में एक लिखित में प्रार्थना-पत्र देकर क्लेम फाॅर्म के साथ सम्पूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये गये जिस पर शाखा प्रबन्धक ने आज-काल करते काफी समय निकाल दिया तथा अब माह जनवरी 2013 में क्लेम राशि देने से साफ इन्कार कर दिया इसलिए परिवादी को अब मजबूरन इस न्यायालय में श्रीमानजी के समक्ष यह परिवाद प्रस्तुत करना अति आवश्यक हुआ है। इसलिए परिवादी ने अपने मोटरसाईकिल की राशि 34800 रूपये मय ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय की मांग की है।
3. अप्रार्थी ने परिवादी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि उतरदाता बीमा कम्पनी के यहां से पोलिसी संख्या 106008/31/12/000691 अजय शर्मा के नाम से 34800 रूपये आई.डी.वी. पर 800 रूपये का प्रीमियम प्राप्त कर 50 रूपये का कम्पलसरी एक्सेस क्लोज व 500 रूपये का इम्पेज्ड एक्सेस क्लोज एवं वाहन के चोरी होने की दशा में अतिरिक्त 10 प्रतिशत का यानी 3480 रूपये का थेफ्ट एक्सेस क्लोज की शर्त के साथ दिनांक 30.10.2011 की अवधि से 29.10.2012 की अवधि के लिये मोटरसाईकिल जिसके इंजिन नम्बर 62974 चैसिस नम्बर 18599 टू व्हीलर पोलिसी एवं पैकेज के तहत बीमा कम्पनी मे अंकित शर्तो एवं नियमो के तहत बीमा किया गया था इस वाहन के दिनांक 22.06.2012 की तिथि को चोरी हो जाने की सूचना उतरदाता बीमा कम्पनी को दिनांक 28.06.2012 को 6 दिन विलम्ब से दी गई जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा दस्तावेजात का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि बीमाधारी द्वारा विलम्ब से दावा दर्ज करवाकर पोलिसी की शर्त संख्या 1 का जानबुझकर एवं स्वैच्छा से उल्लघंन किया गया है इसलिये कम्पनी द्वारा परिवादी का दावा भुगतान योग्य नही होने के कारण बीमा पोलिसी एवं मोटर वाहन के प्रावधानो के तहत दिनाकं 2 जुलाई 2012 को बिना किसी पूर्वाग्रह के खारिज कर दिया गया है जिसकी सूचना परिवादी को पंजीक्रत डाक से प्रेषित कर दी गयी थी। परिवादी ने अपने परिवाद मे गलत एवं मिथ्या कथन किये है परिवादी बीमा कमपनी से किसी भी प्रकार की कोई राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। बीमा पोलिसी की शर्त संख्या 1 इस प्रकार है श्छवजपबम ेींसस इम हपअमद पद ूतपजपदह जव जीम ब्वउचंदल प्उउमकपंजमसल नचवद वबबनततमदबम व िंदल ंबबपकमदजंस सवेे वत कंउंहम पद जीम मअमदज व िंदल बसंपउ ंदक जीमतमंजिमत जीम पदेनतमक ेींसस हपअमद ंसस ेनबी पदवितउंजपवद ंदक ंेेपेजंदबम ंे जीम बवउचंदल ेींसस तमुनपतमण् म्अमतल समजजमत बसंपउ ूतपज ेनउउवदे ंदक ध्वत चतवबमेे वत बवचल जीमतमव िेींसस इम वितूंतकमक जव जीम ब्वउचंदल पउउमकपंजमसल वद तमबमपचज इल जीम पदेनतमकण् छवजपबम ेींसस ंसेव इम हपअमद पद ूतपजपदह जव जीम बवउचंदल पउउमकपंजमसल जीम पदेनतमक ेींसस ींअम ादवूसमकहम व िंदल पउचमदकपदह चतवेमबनजपवदए पदुनमेज वत ंिजंस पदुनपतल पद तमेचमबज व िंदल वबबनततमदबम ूीपबी उंल हपअम तंपेम जव ं बसंपउ नदकमत जीपे चवसपबल३३३३३ण्श्ण् इस प्रकार परिवादी द्वारा पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन किया गया है इसलिए परिवादी किसी प्रकार का अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। बीमाधारी ने अपने वाहन के चोरी हो जाने की सूचना 6 दिन के विलम्ब से उतरदाता बीमा कम्पनी को दी जो सूचना तुरन्त दी जानी आवश्यक थी। इस प्रकार बीमाधारी द्वारा बीमा पालिसी की शर्त संख्या 1 जो तुरन्त सूचना देने बाबत है इस शर्त का बीमाधारी द्वारा उल्लधन किया गया है इस बाबत माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित न्यायिक विनिश्चिय अपील संख्या 321/05 निर्णय तिथि 09.12.2009 अनवानी न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी बनाम तिलोकचन्द जैन मे उक्त शर्त संख्या 1 के उल्लधन बाबत जो सिद्वान्त प्रतिपादित किया है उसके प्रकाश मे बीमाधारी बीमा कम्पनी से किसी प्रकार की राशि प्राप्त करने का अधिकारी नही है एवं इस न्यायिक दृष्टांत के अनुशरण मे उक्त परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
4. परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, खण्डन शपथ-पत्र, आर.सी. की प्रति, बीमा कवर नोट, डी.एल. की प्रति, फर्दे अहकाम, एफ.आई.आर., एफ.आर., तहरीर रिपोर्ट, तथ्यात्मक रिपोर्ट, बयान 161, नक्शा मौका हालात मौका दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी की ओर से विकास गोयल का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 02.06.2012, बीमा पोलिसी, टर्म एण्ड कंडिशन दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
5. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
6. परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि परिवादी ने अपने वाहन मोटरसाईकिल का बीमा अप्रार्थी से करवाया था और बीमित अवधि में ही दिनांक 23.06.2012 को जब परिवादी पी.एन.बी. बैंक झुंझुनू के आगे अपने मोटरसाईकिल को लोक लगाकर बैंक के अन्दर गया और वापिस आने पर उसे मोटरसाईकिल नहीं मिली जिस पर परिवादी ने तुरन्त पुलिस थाना झुंझुनू में एक प्रथम सूचना रिपोर्ट 247/2012 दर्ज करवायी जिसमें पुलिस द्वारा अदमपता माल मुलजिम में एफ.आर. प्रस्तुत कर दी। परिवादी ने अपने की दुर्घटना की सूचना चोरी के दिन ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी व अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा वांछित सभी दस्तावेज बीमा कम्पनी को सौंप दिये। उसके बावजूद भी अप्रार्थी ने परिवादी को क्लेम का भुगतान नहीं किया और परिवादी का क्लेम देने से इन्कार कर दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादेाष है। इसलिए परिवादी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवादी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यह दिया कि परिवादी ने अपने मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को घटना के 6 दिन बाद दी थी जो पोलिसी की शर्त संख्या 1 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। यह भी तर्क दिया कि परिवादी का परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। उक्त आधारों पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
7. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में परिवादी की मोटरसाईकिल संख्या आर.जे. 18 एस.एफ. 2284 का बीमा अप्रार्थी से किया जाना, बीमित अवधि में ही दिनांक 23.06.2012 को मोटरसाईकिल चोरी होना जिसकी प्रथम सूचना रिपेार्ट दिनांक 23.06.2012 को ही 247/2012 दर्ज होना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु केवल यह है कि परिवादी ने अपने मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को घटना के 6 दिन बाद दी जो पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यही दिया कि परिवादी ने अपने वाहन के चोरी होने की सूचना 6 दिन बाद दी है। अपनी बहस के समर्थन में अप्रार्थी अधिवक्ता ने बीमा पोलिसी की शर्त संख्या 1 का अवलोकन करवाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। शर्त संख्या 1 के अनुसार श्छवजपबम ेींसस इम हपअमद पद ूतपजपदह जव जीम ब्वउचंदल प्उउमकपंजमसल नचवद वबबनततमदबम व िंदल ंबबपकमदजंस सवेे वत कंउंहम पद जीम मअमदज व िंदल बसंपउ ंदक जीमतमंजिमत जीम पदेनतमक ेींसस हपअमद ंसस ेनबी पदवितउंजपवद ंदक ंेेपेजंदबम ंे जीम बवउचंदल ेींसस तमुनपतमण् म्अमतल समजजमत बसंपउ ूतपज ेनउउवदे ंदक ध्वत चतवबमेे वत बवचल जीमतमव िेींसस इम वितूंतकमक जव जीम ब्वउचंदल पउउमकपंजमसल वद तमबमपचज इल जीम पदेनतमकण् छवजपबम ेींसस ंसेव इम हपअमद पद ूतपजपदह जव जीम बवउचंदल पउउमकपंजमसल जीम पदेनतमक ेींसस ींअम ादवूसमकहम व िंदल पउचमदकपदह चतवेमबनजपवदए पदुनमेज वत ंिजंस पदुनपतल पद तमेचमबज व िंदल वबबनततमदबम ूीपबी उंल हपअम तंपेम जव ं बसंपउ नदकमत जीपे चवसपबल३३३३३ण्श्ण् इस प्रकार परिवादी द्वारा पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन किया गया है। अप्रार्थी अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान माननीय राष्ट्रीय आयोग के नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त रिविजन पेटिशन नम्बर 3320/2014 कुलवन्त सिंह बनाम मैनेजिंग डाईरेक्टर यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी आदि निर्णय दिनांक 15.09.2014, रिविजन पेटिशन 3047/2011 यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी बनाम जोगेन्द्र सिंह आदि निर्णय दिनांक 16.10.2014 तथा रिविजन पेटिशन 3049/2014 मैसर्स एच.डी.एफ.सी. एग्रो जनरल इंश्योरेन्स क.लि. बनाम श्री भागचन्द सैनी निर्णय दिनांक 04.12.2014 की ओर दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त न्यायिक दृष्टान्तों में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने पूर्वक के न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए यह अभिनिर्धारित किया कि ज्ीम प्देनतंदबम ब्वउचंदल ूंे ूमसस ूपजीपद पजे तपहीजे जप तमचनकपंजम जीम बसंपउ वद हतवनदके व िकमसंलमक पदजपउंजपवद इमबंनेम जीमतम ूंे अपवसंजपवद व िजीम चवसपबल बवदकपजपवदेए ंबवतकपदहसल जव ूीपबी जीम पदेनमक ूंे तमुनपतमक जव पदवितउ जीम पदेनतंदबम बवउचंदल पउउमकपंजमसल ंजिमत जीम पदबपकमदजण् माननीय राष्ट्रीय आयोग ने पोलिसी की शर्त संख्या 1 के सम्बंध में उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टान्त न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम त्रिलोकचन्द जैन के हवाले से यह मत प्रकट किया कि छंजपवदंस ब्वउउपेेपवद मगजमदेपअमसल कूमसज नचवद जीम ूवतक पउउमकपंजमसल ंे ेजंजमक पद जीम बवदकपजपवदे व िजीम पदेनतंदबम चवसपबल इल तममिततपदह जव जीम उमंदपदह व िजीम ूवतक हपअमद पद व्गवितक ।कअंदबमक स्मंतदमते क्पबजपवदंतलए ैजतवनके श्रनकपबपंस क्पेजपवदंतलए थ्पजिी म्कपजपवद ए ठसंबा स्ंू क्पबजपवदंतलए ैपगजी म्कपजपवद ंदक डपजते स्महंस ंदक ब्वउउमतबपंस क्पबजपवदंतलए थ्पजिी म्कपजपवद ंदक बंउम जव जीम बवदबसनेपवद जींज जीम ूवतक पउउमकपंजमसल ींे जव इम बवदेजतनमकए ूपजीपद ं तमंेवदंइसम जपउम ींअपदह कनम तमहंतक जव जीम दंजनतम ंदक बपतबनउेजंदबमे व िजीम बंेमण् अप्रार्थी अधिवक्ता ने उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के तहत परिवादी का परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
8. परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में अप्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि परिवादी ने अपने वाहन के चोरी होने की सूचना तुरन्त बीमा कम्पनी को दे दी थी व प्रथम सूचना रिपोर्ट भी परिवादी ने घटना के दिन ही दर्ज करवा दी थी। परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस के समर्थन में इस मचं का ध्यान प्रथम सूचना रिपोर्ट की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 247/2012 जो कि दिनांक 23.06.2012 को अंकित की गयी है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रथम सूचना रिपोर्ट व अप्रार्थी के जवाब के अवलोकन के अनुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी चोरी की सूचना मात्र 4 दिन बाद दी गयी साबित है क्योंकि प्रश्नगत वाहन दिनांक 22.06.2012 को चोरी न होकर दिनांक 23.06.2012 को चोरी हुआ था और उसी दिन प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना झुंझुनू मंे दर्ज करवा दी थी। परिवादी व अप्रार्थी की ओर से ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को अपने मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना कब प्रेषित की गयी। यदि अप्रार्थी के तर्कों को माने कि परिवादी ने मोटरसाईकिल के चोरी होने की सूचना 6 दिन बाद दी है तो सूचना के सम्बंध में कोई दस्तावेज अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पास अवश्य था परन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने ऐसी सूचना का रिकोर्ड अपने पास होते हुए भी प्रस्तुत नहीं किया इससे यही अवधारणा की जाती है कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी होने की सूचना पोलिसी की शर्त संख्या 1 के अनुसार तुरन्त दे दी थी। इस प्रकरण में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को सूचना के विलम्ब के सम्बंध में स्पष्टीकरण बाबत कोई पत्र भी नहीं दिया गया। जबकि व्यवहार में अप्रार्थी बीमा कम्पनी उसके यहां दर्ज होने वाले प्रत्येक क्लेम दावा में डिले हेतु बीमाधारी से स्पष्टीकरण मांगे जाते है। वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज या पत्र प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी को उसके वाहन के चोरी की सूचना विलम्ब से देने पर स्पष्टीकरण मांगा हो। वैसे भी वर्तमान प्रकरण में यदि अप्रार्थी के तर्कों को माने तो भी चोरी की सूचना में कोई ज्यादा विलम्ब नहीं हुआ। इसलिए वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त मानने योग्य नहीं है। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 4 सी0 पी0 जे0 2014 पेज 62 एन0 सी0 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम कुलवन्त सिंह में दिया है उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी बनाम प्रवेशचन्द्र व न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम त्रिलोकचन्द जैन का हवाला देते हुए पैरा संख्या 6 में यह मत दिया कि केवल चोरी की सूचना देरी के आधार पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम को खारिज करना उचित नहीं है जहां पर प्रथम सूचना रिपेार्ट में देरी न हो। वर्तमान प्रकरण में उक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य पूर्णत चस्पा होते है क्योंकि वर्तमान प्रकरण मंे चोरी की घटना के दिन ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी। यदि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां चोरी की सूचना देरी से दी जाती तो अवश्य ही बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी से विलम्ब हेतु स्पष्टीकरण मांगा जाता। उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के दृष्टिगत अप्रार्थी अधिवक्ता का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को अपने वाहन के चोरी होने की सूचना देरी से देकर पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन किया हो।
9. अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में द्वितीय तर्क यह दिया कि परिवादी चूरू जिले का निवासी नहीं है और न ही उक्त घटना चूरू में घटी। न ही उक्त वाहन का बीमा चूरू जिले में करवाया। इसलिए परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। परिवादी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया। वर्तमान प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के मोटरसाईकिल का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी की राजगढ़ शाखा से किया गया था व बीमा कवर नोट भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की राजगढ़ (सादुलपुर) शाखा से जारी किया गया था व परिवादी ने अपने वाहन के चोरी होने पर सूचना भी अप्रार्थी के राजगढ़ शाखा में ही दी थी। राजगढ़ चूरू जिले मंे आता है। इसलिए अप्रार्थी अधिवक्ता का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि परिवादी को इस मंच में परिवाद पेश करने का क्षैत्राधिकार न हो। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के मोटरसाईकिल का बीमा राजगढ़ में किया गया था जेा दिनांक 23.06.2012 को चोरी हो गया। जिसकी सूचना परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी व पुलिस थाना में दी थी। पुलिस थाना अधिकारी द्वारा अदमपता माल मुलजिम में एफ.आर. दिनांक 31.07.2012 को पेश कर दी जो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट झुंझुनू द्वारा दिनांक 16.08.2012 को स्वीकार कर ली गयी। उक्त समस्त दस्तावेज अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सौंपने के बावजूद अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी को मोटरसाईकिल को क्लेम नहीं दिया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य मंच की राय में स्पष्ट रूप से सेवादोष है। इसलिए परिवादी का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है।
अतः परिवादी का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर उसे निम्न अनुतोष दिया जा रहा है।
(क.) अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को मोटरसाइकिल संख्या आर.जे. 18 एस.एफ. 2284 की किम्मत 34,800 रूपये अदा करेगा।
(ख.) अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को उपरेाक्त राशि पर माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय 2011 एन0सी0जे0 524 (एनसी) मैसर्स मूमल गैस एजेन्सी बनाम ओरियन्टल इन्शोरेन्स कम्पनी की रोशनी में घटना से तीन माह बाद से अर्थात दिनांक 22.09.2012 से अदायगी की दिनांक तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज अदा करेगा तथा परिवाद व्यय के रूप में 4,000 रूपये भी परिवादी को अदा करेगा।
परिवादी राशि प्राप्त करते समय अपनी मोटर साइकिल का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र अप्रार्थी को सौंपेगा व बोण्ड भी निष्पादित करेगा कि यदि उसकी मोटरसाइकिल मिल जाती है तो उसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सुपुर्द करेगा।
अप्रार्थी को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगे।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 11.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष