जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 321/2013
प्रमेश्वरलाल पुत्र श्री ईश्वरराम जाति जाट निवासी सोमासी तहसील व जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
1. शाखा प्रबन्धक, जरिय श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, ई.ए.ई.पी.आई.पी. रिको सीतापुरा जयपुर - 302022
2. शाखा प्रबन्धक, जरिय श्रीराम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, कुरेशी मार्केट के पास सादुलपुर तहसील राजगढ़ जिला चूरू
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 25.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री जगदीश कस्वां एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2. श्री धीरेन्द्र सिंह एडवोकेट - अप्रार्थीगण की ओर से
1. प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी गंाव सोमासी तहसील चूरू जिला चूरू का स्थायी निवासी है जो वाहन ट्रक संख्या आर.जे. 07 जी 5114 का पंजीकृत स्वामी है प्रार्थी का उक्त वाहन हर जोखिमों के लिए अप्रार्थीगण के यहां बीमित रहा है जिसकी बीमा अवधि दिनांक 25.11.12 से 24.11.13 तक है। प्रार्थी का उक्त वाहन ट्रक संख्या आर.जे. 07 जी 5114 दिनांक 11.04.13 को उसका चालक राजगढ़ से चूरू ला रहा था तो रास्ते में गांव हडि़याल के बस स्टेण्ड के पास साईड में उक्त ट्रक को खड़ा करके पेशाब करने चला गया उस वक्त करीब 3.30 बजे दिन में चूरू की तरफ से एक ट्रक संख्या पी.बी. 13 ए.बी. 7690 का चालक अपने ट्रक को तेजगति व लापरवाही से चलाता हुआ लाया और प्रार्थी के खड़े ट्रक के टक्कर मार दी जिससे वाहन ट्रक संख्या आर.जे. 07 जी 5114 क्षतिग्रस्त होकर पूर्णतया नष्ट हो गया। उक्त दुर्घटना का पुलिस थाना तारानगर में मुकदमा दर्ज हुआ तथा बीमा कम्पनी को भी तुरन्त दुर्घटना की सूचना दी गयी। सूचना देते ही बीमा कम्पनी का प्रतिनिधि सर्वेयर भी आ गया जिसने प्रार्थी के उक्त ट्रक को सम्पूर्ण हानि अर्थात बीमा कवरनोट में अंकित 5,00,000 (पांच लाख रूपये) फुल लोश होना बताया तथा 5,00,000 रूपये दिलवाने का आश्वासन दिया। प्रार्थी को बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 09.05.13 को नोटिस देकर प्रार्थी के वाहन के सम्पूर्ण दस्तावेजात की मांग की गयी जिससे प्रार्थी द्वारा दिनांक 25.05.13 को जरिये कोरियर डाक बीमा कम्पनी को भेज दिये गये जो बीमा कम्पनी को प्राप्त हो गये।
2. आगे प्रार्थी ने बताया कि प्रार्थी द्वारा मांगे गये सम्पूर्ण दस्तावेजात बीमा कम्पनी को भेज दिये जाने के बाद भी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं किया तो प्रार्थी के अधिवक्ता द्वारा दिनांक 12.06.13 को नोटिस दिया गया जिसमें भी प्रार्थी के ट्रक की कुल वेल्यू 500000 रूपये पांच लाख रूपये या रिपेयर बिल राशि 17,29,233 रूपये की मांग की गयी जिसकी बीमा कम्पनी ने कोई जवाब नहीं दिया। प्रार्थी को दिनांक 27.07.13 को फिर बीमा कम्पनी द्वारा नोटिस दिया गया कि आपके उक्त ट्रक को मरम्मत के लिए लावे ताकि असेसिंग आॅफ लाॅस हो सके। तब प्रार्थी द्वारा अपने उक्त ट्रक के सम्पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हालत में सेठानी के जोहड़े के पास गुर्जरों की ढाणी में खड़ा है वहां आकर असेसिंग आॅफ लाॅस कर सकते है तथा ट्रक संख्या आर.जे. 07 जी 5114 के सम्पूर्ण दस्तावेजात की प्रमाणित प्रति अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भेजी गयी तथा जरिए अधिवक्ता दिनांक 30.08.13 को नोटिस 15 दिन की अवधि का दिया गया। प्रार्थी द्वारा बार-बार दस्तावेजात की प्रमाणित प्रति बीमा कम्पनी को भेजी गयी तथा जरिए नोटिस बार-बार क्षतिपूर्ति क्लेम राशि की मांग की गयी जिसका बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी को भुगतान नहीं किया जो बीमा कम्पनी के विरूद्ध सेवादोष का मामला है तथा बीमा कम्पनी की अनुचित व्यापार निति है। इसलिए प्रार्थी ने अपने वाहन ट्रक संख्या त्श्र.07.ळ.5114 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सम्पूर्ण लोस राशि 5,00,000 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3. अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश कर बताया कि उतरदाता बीमा कम्पनी के यहां से पोलिसी संख्या 106006/ 31/13/001570 परमेश्वरलाल पुत्र ईश्वरराम के नाम से दिनांक 25.11.2012 की अवधि से 24.11.2013 की अवधि के लिये वाहन टाटा ट्रक संख्या त्श्र.07.ळ.5114 जिसके इंजिन नम्बर 2244097 चैसिस नम्बर स्गर्् 122177 गुडस कैयरिंग कोमर्सीयल व्हीकल पॅालिसी के तहत बीमा कम्पनी मे अंकित शर्तो एवं नियमो के तहत बीमा किया गया था इस वाहन की आई डी. वी 5,00,000 रू थी दिनांक 13.04.2013 को प्रार्थी ने इस वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की सूचनादी जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम सख्या 10000/31/14/002325 दर्ज कर वाहन का स्पोट सर्वे करने हेतु श्री जहीर अहमद खान को सर्वेयर नियुक्त किया जिन्होने स्पोट पर पहुचकर वाहन का स्पोट सर्वे किया उसके बाद प्रार्थी से बीमा कम्पनी ने निवेदन किया कि क्षतिग्रस्त वाहन को नजदीकी गैरेज मे शिफ्ट करे और बीमा कम्पनी को सुचित करे एवं गैरेज से वाहन की मरम्मत हेतु ऐस्टीमेंट प्राप्त कर बीमा कम्पनी में प्रस्तुत करे ताकि वाहन मे हुई क्षति का आंकलन सर्वेयर से करवाया जा सके जिस बाबत प्रार्थी ने न तो मरम्मत हुतु वाहन को गैरेज मे शिफ्ट किया और न बीमा कम्पनी के यहा ऐस्टीमेट प्रस्तुत किया जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा अपने पत्र दिनांकित 18.04.2013, 22.04.2013, 09.05.2013, 10.07.2013 के जरिये रिमाईन्डर प्रेषित किये परन्तु प्रार्थी ने वाहन को गैरेज मे शिफ्ट किया न क्षति का आंकलन करवाया न बीमा कम्पनी के पत्रो का कोई जवाब दिया जिस कारण दिनांक 27.07.2013 को प्रार्थी की दावा पत्रावली प्रार्थी द्वारा दावा मे रूचि नही दिखाने के कारण बन्द कर दी गई उसकी सूचना प्रार्थी को पंजीकृत डाक से प्रेषित कर दी गई थी ।
4. आगे जवाब दिया कि बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के दावे मे किसी भी प्रकार से कोई सेवा दोष या अनुचित व्यापार कारित नही किया गया है। प्रार्थी ने अपने दावे मे काई रूचि नही दिखाई वह बिना क्षति का आंकलन करवाये ही 5,00,000 रू लेने पर अडा रहा बीमा कम्पनी बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण से प्राप्त दिशा निर्देश एवं पोलिसी मे अंकित शर्ताे एवं नियमो तथा मोटर वाहन कानून के प्रावधानो के तहत दावे कानिस्तारण करती है वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर उसकी क्षति का आंकलन मान्यता प्राप्त सर्वेयर से करवाये जाने का आज्ञादायी प्रावधान है। सर्वेयर की रिर्पोट के बिना वाहन मे हुई क्षति का वास्तविक आंकलन किया जाना सम्भव नही है। प्रार्थी ने इस प्रकरण में माननीय न्यायालय से वास्तविक तथ्य छिपाये है। प्रार्थी बीमा कम्पनी से किसी प्रकार की राशि प्राप्त करने का अधिकारी नही हैं। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर जहिर अहमद खान ने स्पाॅट सर्वेयर कर वाहन में कुल क्षति 3,14,000 रूपये की होनी मानी है। परन्तु प्रार्थी टोटल लोस लेने पर अड़ा रहा। जबकि प्रार्थी ने कोई एस्टीमेट प्रस्तुत नहीं किया। जिस कारण प्रार्थी के दावे का निर्णय नहीं किया जा सका तथा प्रार्थी ने बीमा कम्पनी द्वारा मांगे गये दस्तावेजात की पूर्ति आज दिनांक तक नही की हैं बीमा कम्पनी से गुणाव गुण पर निर्णय प्राप्त किये बिना ही प्रार्थी ने माननीय मंच के समक्ष झुठे तथ्यो का उक्त परिवाद प्रस्तुत किया है। प्रार्थी कानूनन बीमा कम्पनी से निर्णय प्राप्त किये बिना दावें को गुणावगुण पर निर्णित करवाये बिना मंच के समक्ष उक्त परिवाद प्रस्तुत करने का हकदार नहीं है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद प्रथम-दृष्टया खारिज किये जाने योग्य है।
5. प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, एफ.आर., मुकदमा दर्ज करवाने बाबत प्रार्थना-पत्र, नक्शा मौका हालात मौका, फर्द जब्ती आर.सी., बीमा कवर नोट, सर्टिफिकेट, फिटनेस, टैक्स रसीद, डी.एल. की प्रति, विधिक नोटिस मय ए.डी., पत्र दिनांक 09.05.2013, रसीद, वाहन रिपेयर बिल एस्टीमेट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से दीपक अग्नीहोत्री का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 18.04.2013, 22.04.2013, 27.07.2013, 09.05.2013, सर्वे रिपोर्ट, बीमा कवरनोट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7. प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी का वाहन संख्या त्श्र.07.ळ.5114 अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमित था जिसकी कुल आई डी वी बीमा के समय 5,00,000 रूपये थी। बीमित अवधि में ही दिनांक 11.04.2011 को ही प्रार्थी का ट्रक गांव हडि़याल के बस स्टेण्ड के पास दुर्घटना ग्रस्त हो गया जिसमें प्रार्थी के ड्राईवर सुभाष की मौके पर ही मृत्यु हो गयी। उक्त दुर्घटना के सम्बंध में पुलिस थाना तारानगर में एक मुकदमा दर्ज हुआ व बीमा कम्पनी को भी दुर्घटना की सूचना तुरन्त दी गयी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा प्रार्थी के वाहन का स्पोट सर्वे किया गया और शीघ्र ही प्रार्थी को क्षतिपूर्ति के रूप में प्रार्थी के वाहन की कीम्मत 500000 रूपये अदा करने का आश्वासन दिया गया। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को उसके वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर 3,10,000 रूपये का ही भुगतान करना चाह रहे थे जबकि प्रार्थी का वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया जो रिपेयर योग्य नहीं है। इस सम्बंध में स्वंय अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने प्रार्थी को टोटल लोस का आश्वासन दिया था। परन्तु बाद में अप्रार्थीगण द्वारा जब प्रार्थी को उसके वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर टोटल लोस हेतु मना कर दिया तो प्रार्थी ने एक विधिक नोटिस भी अप्रार्थी को दिया। फिर भी अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को उसके वाहन के क्लेम की राशि अदा नहीं की। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी में आता है। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त आधारों पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए प्रथम तर्क यही दिया कि प्रार्थी के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। जिसके द्वारा प्रार्थी के वाहन की कुल क्षति 3,10,000 रूपये आंकी थी। परन्तु प्रार्थी टोटल लोस पर अड़ा रहा। जिस कारण प्रार्थी के क्लेम का निस्तारण नहीं हो सका। अप्रार्थी अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी को बार-बार पत्र द्वारा प्रश्नगत वाहन को फायनल सर्वेयर हेतु प्रस्तुत करने के लिए दिये गये परन्तु प्रार्थी ने अपने वाहन को फायनल सर्वेयर हेतु प्रस्तुत नहीं किया और ना ही प्रार्थी ने अपने वाहन के लोस के सम्बंध में कोई बिल आदि प्रस्तुत किये जिस कारण प्रार्थी के वाहन के क्लेम का निस्तारण नहीं किया जा सका। उक्त आधारों पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
8. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी के वाहन संख्या त्श्र.07.ळ.5114 अप्रार्थीगण से बीमित होना। बीमित अवधि में ही दिनांक 11.04.2013 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त होना। पुलिस थाना तारानगर में मुकदमा दर्ज होना व प्रार्थी के वाहन की कुल आई.डी.वी. 5,00,000 रूपये बीमा कवरनोट में अंकित होना स्वीकृत तथ्य है। वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु केवल यह है कि प्रार्थी के वाहन की क्षति टोटल लोस की श्रेणी में आती है या नहीं। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया कि प्रार्थी के वाहन की कुल क्षति सर्वेयर के अनुसार 3,10,000 रूपये बनती है यदि प्रार्थी अपने वाहन को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के निर्देशानुसार फायनल सर्वेयर हेतु प्रस्तुत कर देता तो उसके अनुसार उक्त राशि का भुगतान कर दिया जाता। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान पत्र दिनांक 27.07.2013, 22.04.2013, 18.04.2013 व सर्वेयर रिपोर्ट की ओर दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त सभी पत्रों में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी को प्रश्नगत वाहन को फायनल सर्वे हेतु अप्रार्थी बीमा कम्पनी के निर्देशानुसार पेश करने हेतु लिखे है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर जहिर अहमद खान के द्वारा दिनांक 15.05.2013 को अपनी सर्वेयर रिपोर्ट में प्रार्थी के वाहन की क्षति क्रमशः 3,10,000 रूपये व 7,80,000 रूपये अंकित की है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने उक्त दस्तावेजों के आधार पर तर्क दिया कि यदि प्रार्थी अप्रार्थी के यहां अपने वाहन को फायनल सर्वेयर हेतु प्रस्तुत कर देता तो उसे सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार 3,10,000 रूपये का भुगतान कर दिया जाता। परन्तु प्रार्थी स्वंय ही अपने वाहन के टोटल लोस के कथन पर अड़ा रहा जबकि प्रार्थी का वाहन रिपेयर योग्य था। प्रार्थी के क्लेम का निस्तारण स्वंय प्रार्थी के नकारात्मक व असहयोगात्मक के कारण नहीं हो सका। अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कोई सेवादोष नहीं है। उक्त आधारों पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
9. प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में अप्रार्थीगण अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि वास्तव में प्रार्थी के वाहन ट्रक संख्या त्श्र.07.ळ.5114 दुर्घटना में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसलिए वाहन टोटल लोस होने के कारण प्रार्थी वाहन की आई.डी.बी. कीम्मत 5,00,000 रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है। अपनी बहस के समर्थन में प्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान आर.के. मोटर्स टाटा आॅथोराईज्ड सर्विस स्टेशन के द्वारा तैयार एस्टीमेट की ओर ध्यान दिलाया जिनका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त सर्विस सेन्टर में दिनांक 15.04.2013 को प्रार्थी के वाहन की रिपेयर की कुल राशि 17,29,233 रूपये आंकी थी। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त दस्तावेजों के आधार पर तर्क दिया कि उपरोक्त एस्टीमेट से स्पष्ट है कि प्रार्थी का वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार कर टोटल लोस की मांग की। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह तर्क दिया कि प्रार्थी ने अपने वाहन को फायनल सर्वेयर हेतु प्रस्तुत नहीं किया। जबकि प्रार्थी ने अपने परिवाद में यह स्पष्ट अंकित किया है कि उक्त वाहन क्षतिग्रस्त हालत में सेठानी के जोहड़े के पास गुर्जरों की ढ़ाणी में खड़ा है। वहां आकर अप्रार्थीगण लोस का एक्सेस कर सकते थे। हम प्रार्थी अधिवक्ता के उक्त तर्कों से सहमत है क्योंकि प्रार्थी का वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने पर प्रार्थी ने उक्त वाहन फोजी क्रेन सर्विस से दिनांक 13.04.2013 को दुर्घटना स्थल से चूरू मंगवाया था जिस हेतु प्रार्थी द्वारा उक्त फोजी क्रेन सर्विस वाले को 6,000 रूपये नकद अदा किये जिसके सम्बंध में प्रार्थी ने उक्त फोजी क्रेन सर्विस की रसीद भी पत्रावली पर पेश की है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पुनः वाहन को फायनल सर्वेयर हेतु अन्य गेराज में केवल लोस एसेस हेतु प्रस्तुत करने का निर्देश करना किसी भी प्रकार से उचित व न्यायोचित नहीं है क्योंकि यदि प्रार्थी पुनः वाहन अप्रार्थी के निर्देशानुसार गेराज में ले जाता तो उसे किराया व भाड़ा दुबारा अदा करना पड़ता। जबकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर बिना किसी खर्चे के प्रार्थी के क्षतिग्रस्त वाहन का फायनल लोस एसेस प्रार्थी के बताये स्थान पर जाकर कर सकते थे। अप्रार्थीगण द्वारा किये गये कथनों के अनुसार अप्रार्थीगण प्रार्थी को केवल 3,10,000 रूपये ही क्षति स्वरूप अदा करना चाह रहे थे। जबकि प्रार्थी के वाहन का नुकसान पूरी तरह से हो चूका था। इस सम्बंध में स्वंय अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर जहीर अहमद खान ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में प्रार्थी के वाहन की क्षति क्रमशः 3,10,000 रूपये व 7,80,000 रूपये मानी है तथा आर.के. टाटा मोटर्स सर्विस स्टेशन के द्वारा प्रार्थी के प्रश्नगत वाहन की क्षति 17,29,233 रूपये माना है उपरोक्त राशि प्रार्थी के वाहन की आई.डी.वी. राशि 5,00,000 रूपये से अधिक है। इसलिए मंच की राय में प्रार्थी के वाहन की क्षति टोटल लोस की श्रेणी में आती है। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 2 सी.पी.जे. 2014 पेज 24 एन.सी. न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स क. एण्ड अदर्स बनाम कुमार गौरव एण्ड अदर्स में दिया है। उक्त न्यायिक दृष्टान्त में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने पैरा संख्या 12 में यह निर्धारित किया कि । अमीपबसम पे बवदेपकमतमक जव इम ं श्जवजंस सवेेश् अमीपबसमए ूीमद बवेज व ितमचंपते पे हतमंज जींद बनततमदज अंसनम व िअमीपबसमण् माननीय राष्ट्रीय आयोग के उक्त निर्णय के रोशनी की दृष्टिगत स्पष्ट है कि प्रार्थी के वाहन की रिपेयर का खर्चा वास्तविक मूल्य 5,00,000 रूपये से अधिक है। अर्थात् प्रार्थी का वाहन पुनः रिपेयर नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में प्रार्थी का केस उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में टोटल लोस की श्रेणी में आता है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर उसे बीमा कवरनोट में अंकित राशि 5,00,000 रूपये अदा नहीं करना सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर उसे मंच द्वारा निम्न अनुतोष दिया जा रहा है।
(क.) अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को उसके वाहन ट्रक सख्ंया त्श्र.07.ळ.5114 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर बीमा कवरनोट में अंकित राशि आई.डी.वी. राशि 5,00,000 रूपये अदा करे व उक्त राशि पर सर्वे रिपेार्ट दिनांक 15.05.2013 के ठीक 3 माह बाद दिनांक 14.08.2013 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय सी.पी.जे. 2008 (4) 87 एन0सी0 नेशनल इन्शोरेन्स कम्पनी बनाम गोविन्द चन्द नायक की रोशनी में ताअदायगी तक अदा करेगे। प्रार्थी उक्त राशि प्राप्ति के समय क्षतिग्रस्त ट्रक व उसके समस्त कागजात, चाबी अप्रार्थी बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि को सौंपेगा।
(ख.) अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को 6,000 रूपये मानसिक प्रतिकर व 5,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करेंगे।
अप्रार्थीगण को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगे।
सुभाष चन्द्र षिव शंकर
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 25.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
सुभाष चन्द्र षिव शंकर
सदस्य अध्यक्ष