Uttar Pradesh

StateCommission

A/1830/2017

Vipin Singh - Complainant(s)

Versus

Shree Ram General Insurance Com Ltd - Opp.Party(s)

Dr. Sanjay Singh

27 Sep 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1830/2017
( Date of Filing : 10 Oct 2017 )
(Arisen out of Order Dated 13/09/2017 in Case No. C/303/2014 of District Faizabad)
 
1. Vipin Singh
Faizabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Shree Ram General Insurance Com Ltd
jaipur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 27 Sep 2019
Final Order / Judgement

                                                                                                                            सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                         अपील संख्‍या- 1830/2017

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या- 303/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13-09-2017 के विरूद्ध)

 

वि‍पिन सिंह पुत्र श्री राजेश सिंह, निवासी कटरा राजा हिम्‍मत सिंह, चाणक्‍य पुरी परगना व तहसील अमेठी, वर्तमान निवासी भाले सुलतान पुरवा, मौजा भखौली परगना खण्‍डासा, तहसील मिल्‍कीपुर, जिला फैजाबाद।

                                                                                                                          अपीलार्थी/परिवादी

                              बनाम 

1- श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0, E-8 EPIPR, 11-C जोशिलापुर, जयपुर, (राजस्‍थान)

2- श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कम्‍पनी, आपोजिट टिकढ़ी कोठी राय बरेली क्‍लब के नजदीक, सिविल लाइन्‍स रायबरेली पोस्‍ट व जनपद- रायबरेली।

                                                                                                                         प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :     विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय सिंह

प्रत्‍यर्थी सं०-1 की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार

प्रत्‍यर्थी सं०-2 की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद

 

 दिनांक- 06-11-2019

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                             निर्णय

 

परिवाद संख्‍या– 303 सन् 2014 विपिन सिंह बनाम श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि० व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद  द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक- 13-09-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

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आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी विपिन सिंह ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय सिंह और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। 

मैंने प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 से ऋण लेकर टाटा कम्‍पनी की ट्रक खरीदा जिसका पंजीयन नं० यू०पी० 42टी/1608 है और चे‍चिस नं० 426010 सी डब्‍ल्‍यू जेड 202550 है तथा इंजन नम्‍बर 62260915 है। उसने अपना यह ट्रक प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से बीमित कराया और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को ऋण की धनराशि का भुगतान करता रहा। बीमा अवधि में ही अपीलार्थी/परिवादी का यह ट्रक चालक अशोक व खलासी छोटू लेकर बबरई महोबा आर०सी०सी० गिट्टी लेने जा रहे थे तभी 11.30 बजे मकदूमपुर मोड़ के पास ट्रक का पिछला टायर पंचर हो गया। तब ड्राइवर ने ट्रक रोक दिया और आस-पास पंचर बनाने

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की दुकान की तलाश की परन्‍तु उसे पंचर बनाने की नजदीक में कोई दुकान नहीं मिली। तब ट्रक चालक और खलासी दोनों ट्रक के पास लेट गये और सो गये। सुबह 4 बजे नींद खुलने पर उन्‍होंने देखा कि ट्रक वहॉं नहीं है। अगल-बगल कुछ देर तक ट्रक खोजने का प्रयास किया परन्‍तु पता नहीं चला। तब ड्राइवर ने अपीलार्थी/परिवादी को सूचना दिया तब अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक तलाश किया परन्‍तु कुछ पता नहीं चला। तब उसने थाना गाजीपुर में घटना की रिपोर्ट किया परन्‍तु पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की न ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की। तब अपीलार्थी/परिवादी ने पुलिस अधीक्षक फतेहपुर को सूचना भेजा फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तब उसने धारा- 156 (3) दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत प्रार्थना पत्र न्‍यायालय में दिया और न्‍यायालय के आदेश से रिपोर्ट पुलिस में दर्ज की गयी तथा विवेचना की गयी और अंतिम रिपोर्ट न्‍यायालय प्रेषित की गयी। फिर भी ट्रक का बरामद नहीं हुआ। तब अपीलार्थी/परिवादी ने आवश्‍यक प्रपत्रों के साथ बीमा क्‍लेम प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को प्रेषित किया और वांछित कागजात उपलब्‍ध कराए। परन्‍तु दोनों प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ट्रक की बीमित धनराशि अपीलार्थी/परिवादी को देने में आनाकानी करते रहे। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि अपीलार्थी/‍परिवादी ने ट्रक चोरी की सूचना समय से नहीं दी है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने यह भी कहा है कि ट्रक चोरी की घटना दूसरे जिले की है और ट्रक फाइनेंस दूसरे जिला में हुआ है। अत: जिला फोरम फैजाबाद को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है।

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     लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने कहा है कि ट्रक चोरी जाने का कोई प्रमाण नहीं है और न ही पुलिस अधीक्षक को सूचना दिये जाने का प्रमाण है। धारा- 156 (3) दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत प्रार्थना पत्र दिनांक     18-05-2013 का है जिसके आधार पर दिनांक 27-05-2013 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित ट्रक की चोरी नहीं हुयी है।

     जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने भी लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि प्रश्‍नगत ट्रक अपीलार्थी/परिवादी ने 4,50,000/-रू० हेतु फाइनेंस कराया था जिसमें फाइनेंस चार्ज 1,71,631/- रू० है। कुल धनराशि 33 किस्‍तों में अदा करना था। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने कहा है कि किस्‍तों का भुगतान दिनांक 05-05-2012 से दिनांक       05-01-2015 तक करना था परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी ने किस्‍त के भुगतान में चूक की है और ऋण करार की शर्तों के अनुसार अदायगी नहीं की है।

      जिला फोरम ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक की कथित चोरी की सूचना प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की बीमा कम्‍पनी को विलम्‍ब से दिया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी बीमित धनराशि पाने का अधिकारी नहीं है और तदनुसार जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

      अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने चोरी गये ट्रक को तलाश किया और ट्रक न मिलने पर

 

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उसने पुलिस चौकी गाजीपुर में सूचना दिया परन्‍तु पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की और रिपोर्ट दर्ज नहीं की। तब पुलिस अधीक्षक को रजिस्‍टर्ड डाक से घटना की सूचना भेजा फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुयी। तब धारा- 156 (3) दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत प्रार्थना पत्र मजिस्‍ट्रेट के समक्ष प्रस्‍तुत किया तब मजिस्‍ट्रेट के आदेश से अपराध पंजीकृत किया गया है। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक चोरी की सूचना पुलिस में देने में विलम्‍ब नहीं किया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में विलम्‍ब पुलिस द्वारा किया गया है। अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक न मिलने और पुलिस द्वारा ट्रक बरामद न होने एवं पुलिस द्वारा प्रेषित अंतिम रिपोर्ट मजिस्‍ट्रेट के आदेश द्वारा स्‍वीकार होने पर बीमा कम्‍पनी को सूचना दिया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा विलम्‍ब से सूचना दिये जाने के आधार पर अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता है।

      अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की बीमा कम्‍पनी ने अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकार कर सेवा में कमी की है और जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर गलती की है। अत: अपील स्‍वीकार की जाए तथा जिला फोरम द्वारा पारित आदेश अपास्‍त करते हुए अपीलार्थी/परिवादी को ट्रक की बीमित धनराशि दिलायी जाए।

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत वाहन की बीमा पालिसी दिनांक 08-05-2012 से दिनांक 07-05-2013 तक अवधि के लिए थी और अपीलार्थी/परिवादी ने ट्रक चोरी  की  घटना  दिनांक 30-04-2013  की बतायी है परन्‍तु उसने धारा- 156 (3)  दण्‍ड  प्रक्रिया  संहिता  के  अन्‍तर्गत  मजिस्‍ट्रेट  के  समक्ष

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रिपोर्ट दर्ज करने हेतु आवेदन पत्र दिनांक 18-05-2013 को प्रस्‍तुत किया है और पुलिस चौकी गाजीपुर में घटना की सूचना देने अथवा पुलिस अधीक्षक को रजिस्‍टर्ड डाक से सूचना प्रेषित किये जाने का कोई प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी द्वारा ट्रक की कथित चोरी की घटना दिनांक      30-04-2013 को होना संदिग्‍ध है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी को भी सूचना समय से नहीं दिया है। अत: पुलिस में सूचना विलम्‍ब से दर्ज कराए जाने और बीमा कम्‍पनी को विलम्‍ब से सूचना दिये जाने के आधार पर अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की बीमा कम्‍पनी द्वारा अस्‍वीकार किया जाना अनुचित नहीं कहा जा सकता है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की सेवा में कोई कमी नहीं है। 

      प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की सेवा में कोई कमी नहीं है। अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 को ऋण की अवशेष धनराशि के भुगतान में चूक की है। अत: ऋण की अवशेष धनराशि की अदायगी हेतु वह उत्‍तरदायी है। यदि अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा स्‍वीकार किया जाता है तो बीमित धनराशि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 पाने का अधिकारी है।

      मैंने उभय-पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/परिवादी का प्रश्‍नगत वाहन प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की बीमा कम्‍पनी से दिनांक 08-05-2012 से दिनांक 07-05-2013 तक की अवधि हेतु बीमित था। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उसके प्रश्‍नगत ट्रक की चोरी दिनांक 30-04-2013 को हुयी है और धारा-156

 

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(3) दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत मजिस्‍ट्रेट के समक्ष चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिनांक 18-05-2013 को अपीलार्थी/परिवादी ने प्रस्‍तुत किया है जिसमें दिनांक 04-05-2013 को पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना-पत्र प्रस्‍तुत किये जाने का उल्‍लेख है और परिवाद पत्र के अनुसार रजिस्‍टर्ड डाक से यह सूचना पुलिस अधीक्षक को भेजे जाने का अभिकथन किया गया है परन्‍तु पुलिस अधीक्षक को भेजी गयी रजिस्‍टर्ड डाक की रसीद प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। अत: दिनांक 04-05-2013 को ट्रक चोरी की सूचना के सम्‍बन्‍ध में पुलिस अधीक्षक को रजिस्‍टर्ड डाक से पत्र प्रेषित किया जाना संदिग्‍ध है। अपीलार्थी/परिवादी ने पुलिस अधीक्षक को दिनांक 04-05-2013 को यह प्रार्थना पत्र प्रेषित किये जाने संबंधी अभिलेख तलब कराकर भी जिला फोरम के समक्ष साबित नहीं किया है। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार तलाश करने पर जब ट्रक का पता नहीं चला तब उसने उक्‍त घटना की सूचना थाना गाजीपुर की पुलिस चौकी पर दिया परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं हुयी और न ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी। पुलिस चौकी पर चोरी की घटना की सूचना दिये जाने का भी कोई प्रमाण अपीलार्थी/परिवादी ने प्रस्‍तुत नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी ने अपने प्रश्‍नगत वाहन की चोरी की सूचना प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की बीमा कम्‍पनी को दिनांक 07-08-2013  को दिया है। अपीलार्थी/परिवादी ने बीमा कम्‍पनी को ट्रक चोरी की सूचना दिये जाने की तिथि परिवाद पत्र में नहीं बताया है और न ही यह साबित किया है कि बीमा कम्‍पनी को प्रश्‍नगत वाहन की सूचना उसने बीमा पालिसी       दिनांक 07-05-2013 को समाप्‍त होने के पूर्व दिया था।

      उपरोक्‍त विवेचना से स्‍पष्‍ट है कि पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों से अपीलार्थी/परिवादी यह साबित करने में असफल रहा है कि उसने प्रश्‍नगत वाहन

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की चोरी की सूचना दिनांक 07-08-2013 को बीमा पालिसी समाप्‍त होने के पूर्व पुलिस और बीमा कम्‍पनी को दिया था। बीमा कम्‍पनी को सूचना विलम्‍ब से दिये जाने का कोई सन्‍तोषजनक कारण अपीलार्थी/परिवादी ने नहीं बताया है।  अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हॅूं कि विलम्‍ब से सूचना दिये जाने के आधार पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी ने अपीलार्थी/परिवादी का जो बीमा दावा निरस्‍त किया है वह अनुचित नहीं कहा जा सकता है और ऐसा कर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है।

     अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने माननीय सर्वोच्‍च्‍ न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील नं० 15611 of 2017 ओम प्रकाश बनाम रिलायंस जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 व अन्‍य के वाद में पारित निर्णय सन्‍दर्भित किया है जिसमें माननीय सर्वोच्‍च्‍ न्‍यायालय ने यह माना है कि वास्‍तविक क्‍लेम को मात्र विलम्‍ब से सूचना दिये जाने जाने के आधार पर निरस्‍त नहीं किया जा सकता है।

   अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने IRDA बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा जारी सर्कुलर दिनांकित 20-09-2011 भी सन्‍दर्भित किया है जिसमें कहा गया है कि बीमा कम्‍पनी को वास्‍तविक बीमा दावा को मात्र विलम्‍ब के आधार पर निरस्‍त नहीं करना चाहिए।

    उपरोक्‍त विवेचना से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत वाहन की बीमा पालिसी दिनांक 07-05-2013 को समाप्‍त हो गयी है। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार वाहन चोरी की घटना दिनांक 30-04-2013 की है परन्‍तु पालिसी समाप्ति की तिथि दिनांक 07-05-2013 तक अपीलार्थी/परिवादी की ओर से न तो पुलिस में सूचना दर्ज करायी गयी है और न ही बीमा कम्‍पनी को सूचना दी

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गयी है। अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक  04-05-2013 को पुलिस अधीक्षक को रजिस्‍टर्ड डाक से सूचना प्रेषित किया जाना बताया है परन्‍तु कोई रजिस्‍ट्री रसीद प्रस्‍तुत नहीं की है, न ही दिनांक 04-05-2013 को पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र प्रेषित किया जाना साबित किया है। अपीलार्थी/परिवादी ने धारा- 156 (3) दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत आवेदन पत्र दिनांक 18-05-2013 को पालिसी समाप्‍त होने के 11 दिन बाद दिया है और बीमा कम्‍पनी को सूचना पालिसी समाप्‍त होने के 92 दिन बाद दिया है। अत: वर्तमान वाद के तथ्‍यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपीलार्थी/परिवादी का बीमा दावा वास्‍तविक नहीं कहा जा सकता है। वाद की परिस्थितियों में विलम्‍ब से सूचना देने के आधार पर यह संदिग्‍ध हो जाता है कि वास्‍तव में बीमा पालिसी की अवधि में ही वाहन चोरी हुआ है। ऐसी स्थिति में बीमा कम्‍पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के बीमा दावा को अस्‍वीकार किया जाना अनुचित नहीं कहा जा सकता है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्‍त कर कोई गलती नहीं की है।

      उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील बल रहित है। अत: निरस्‍त की जाती है।

     अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

             (न्‍यामूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                       अध्‍यक्ष                                                             

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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