Rajasthan

Kota

CC/212/2008

Raghuveer malav - Complainant(s)

Versus

Shree Dhakad Krishi kendra, Manager - Opp.Party(s)

R.R.Nagar

25 Aug 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- 

01.    नंदलाल शर्मा    ः    अध्यक्ष  
02.    महावीर तंवर    ः    सदस्य

परिवाद संख्या:-212/08

रघुवीर मालव पुत्र नंद किशोर उम्र 28 साल जाति धाकड निवासी ग्राम गंगाईचा तहसील लाडपुरा जिला कोटा राजस्थान।                                   परिवादी

                    बनाम

01.    प्रबंधंक,श्री धाकड कृषि सेवा केनद्र कृषि सेवा केन्द्र, 65-बी नई धानमण्डी (मण्डी     यार्ड के सामने पी0एन0 नम्बर 324007 कोटा राज0) (डीलर)
02.    निदेशक, अमित इण्डस्ट्रीज एफ 559ए रोड नं. 6 आई पी आई ए कोटा राजस्थान     (प्रमाणित बीज डीलर)
03.    निदेशक, चम्बल फर्टीलाइजर्स एण्ड केमिकल लि0, गढेपान 325208 कोटा     राजस्थान (प्रमाणित बीज मार्केटेडकर्ता)               अप्रार्थीगण

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री ऋणिराज नागर, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    श्री बृजराज सिंह चैहान, अधिकवक्ता, अप्रार्थीगण की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 25.08.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया उसने अप्रार्थी सं. 1 से दिनांक 16.11.07 को बिल सं. 660 से गेहूॅ बीज उत्तम क्रान्ति किस्म लोक 1 का बीज 16.60 रूपये प्रति किलो के हिसाब से 320 किलो ग्राम बीज 5,312/- रूपये खरीद किया था। उक्त बीज की बुवाई, उसने अपने पिता नंद किशोर के खाते के आराजी खसरा नं. 546 की रकबा 1.07 हेक्टर,खसरा नम्बर 440 रकबा 0.78 हेक्टर एवं खसरा नं. 437 की रकबा 0.30 हेक्टर भूमि मे दिनांक 17.11.07 को की। परिवादी उक्त फसल से आने वाली आय को अपने परिवारजन के पालन पोषण के उपयोग में करता है। परिवादी ने उक्त आराजी में देशी खाद डाला, समय-समय पर यूरिया खाद एवं किट नाशक दवाईया का प्रयोग किया तथा 4 बार सिंचाई की। कृषि अधिकारियों के निर्देशानुसार समय-समय पर कीटनाशक,खाद एवं निदाई खुदाई सिंचाई आदि की गई। फसल की समय पर देखभाल की। परिवादी की फसल बडी हुई तो पाया कि कुछ पौधे बडे हो गये, कुछ पौधे छोटे रह गये, कुछ पौधे सामान्य रह गये। गेहूं की फसल के पौधों में भिन्नता नजर आई, जिसकी शिकायत परिवादी ने अप्रार्थी सं. 2 से की, जिसने मौके पर जाकर फसल देखने में टालमटूल करता रहा न तो वह फसल देखने आया और ना ही उसका कोई प्रतिनिधि फसल देखने आया। अप्रार्थी सं. 1 को भी शिकायत की तो वह भी फसल देखने नहीं आया और ना ही उसका प्रतिनिधि फसल देखने आया। परिवादी ग्राम सेवक, पटवारी, एवं कृषि अधिकारियो से मिला तथा परिवादी की रिपोर्ट पर दिनांक 10.03.08 को कृषि अधिकारी परिवादी की फसल का निरीक्षण कर उन्होने पर अपनी आबजरवेशन रिपोर्ट इस प्रकार दी:- ॅीमंज ूंतपमजल ेवूद ूंे स्व्ज्ञ.1 बमतजपपिमक ेममकण् । सवज व िउपगनतम ूंे वइेमतअमक पद जीम पिमसकण् जीम उपगजनतमे बवउचतपेमे व िअंतपमजपमे ब्.306ए ैनरंजं त्ंरण्3765एत्ंर.3077 ंसवदह ूपजी ेमअमतंस इंतसमल अंतपमजपमेण्
।चचतवगपउंजम 15ः उपगजनतम ूंे वइेमतअमक ंदक सववेम ेउनज व िूीमंज ूंे ंसेव पद पिमसकण् 

    अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी को घटिया किस्म का बीज दिया जिससे काफी कमजोर फसल मिश्रित बीज वाली हो गई, जिससे परिवादी को मानसिक संताप हुआ तथा अच्छी पैदावार प्राप्त नहीं हुई जिससे परिवादी को आर्थिक, शारीरिक क्षति हुई है। अप्रार्थीगण ने घटिया किस्म का बीज देकर परिवादी की सेवा में कमी की है। परिवादी को अप्रार्थीगण से क्षतिपूर्ति, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।  


     अप्रार्थीगण ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादी ने उन्हे नोटिस दिया था जिसमें भी अप्रार्थी सं. 2 के निर्देशन में फसल को कटवाकर तैयार करने की सलाह दी थी, जिसके लिये परिवादी तैयार नहीं हुआ। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता। परिवादी ने उक्त बीज व्यवसाय करने के लिये खरीद किया है, इसलिये परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी ने अपने पिता की कृषि भूमि जो बीज खाद डालने की जो मात्रा बताई है  वह कृषि विभाग द्वारा बताई गई मात्रा से कही अधिक है जिसका प्रभाव भी फसल पर पडता है। परिवादी कीे बीज बोने के 4 माह तक अप्रार्थीगण को कोई शिकायत प्राप्त नही हुई। परिवादी ने अपनी फ    सल की कृषि अधिकारियों से जांच करवाई, उन्होने अप्रार्थीगण को उक्त दिनांक को उपस्थित होने के संबंध में कोई जानकारी अथवा नोटिस नहीं दिया, जिससे यह ज्ञात नहीं हो सकता कि कृषि अधिकारियों ने किस खेत का निरीक्षण किया तथा उसमें अप्रार्थीगण से खरीदा गया बीज ही बोया गया। अप्रार्थी सं. 2 के कृषि वैज्ञानिको ने परिवादी द्वारा विवादित बीज जिस खेत में बोये थे उनका निरीखण किया तो उसमें बहुत अच्छी फसल खडी हुई थी, जिसे अप्रार्थी सं. 2 के निर्देशन में कटवाये जाने की सलाह दी थी, जिसे परिवादी ने नही माना। विवादित बीज किन-किन खेतों में बोया तथा उनमें कितनी फसल आई और उसका बाजार भाव क्या है। परिवादी ने उक्त तथ्यों को परिवाद में अंकित नहीं किया और तथ्यों को छिपाया। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार लगभग परिवादी को 130 क्विंटल के आस-पास फसल हुई है जो अनुमानति उत्पादन से अधिक है, इस प्रकार परिवादी को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ। परिवादी को विशेषज्ञों के अनुसार एक बीघा में 18 से 20 किलो गेहू का बीज तथा 20 से 25 किलो डी.ए.पी. खाद तथा 50 किलो यूरिया की मात्रा कोटा जिले में डालना चाहिये थी जो परिवादी इससे अधिक डाला जिससे फसल पर दुष्प्रभाव आया। परिवादी को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई। अप्रार्थीगण ने परिवादी को प्रमाणित और निर्धारित मापदंड के अनुसार तैयार बीज बेचा है जो घटिया किस्म का नहीं है। परिवादी ने खाद,बीज, कीटनाशक सही मात्रा में नहीं डालने के कारण फसल पर दुष्प्रभाव आया  है  उसकी जिम्मेदारी स्वयं परिवादी की है। परिवादी की गलती की जिम्मेदारी अप्रार्थीगण पर नहीं डाली जा सकती है। परिवादी की सेवा में अप्रार्थीगण ने कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे। 

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    आया परिवादी अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, मोटर साईकिल  बीज खरीद के बिल  से परिवादी, अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है। 

02.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?

    उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि यह र्निविवाद है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से विवादित बीज खरीदा। इससे आगे दोनो पक्षों में मतभेद है परिवादी कहता है कि अप्रार्थीगण ने जो बीज दिया वह घटिया किस्म का है और उससे उसे फसल कम मात्रा में प्राप्त हुई, जिसके संबंध में परिवादी ने कृषि विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी मंच में पेश की। दूसरी तरफ अप्रार्थीगण का कहना है कि उन्होने निर्धारित मापदंड के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाला विवादित बीज बेचा उसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं है, बल्कि परिवादी को कोटा जिले के खेतों में विशेषज्ञों के अनुसार एक बीघा में 18 से 20 किलो गेहू का बीज तथा 20 से 25 किलो डी.ए.पी. खाद तथा 50 किलो यूरिया की मात्रा डालना चाहिये थी, जबकि  परिवादी ने इससे अधिक मात्रा में डाला, जिससे फसल पर दुष्प्रभाव आया। परिवादी ने जो कृषि विशेषज्ञों की रिर्पोट मंच में पेश की, उसका अवलोकन किया तो कृषि विशेषज्ञों ने परिवादी के गांव में दिनांक 10.03.08 को जाना बताया  और उन्होने किस खसरा नम्बर की कितनी रकबा के खेत का निरीक्षण किया वह किसका था उस रिर्पोट पर परिवादी या उसके किसी प्रतिनिधि या ग्राम सेवक, पटवारी, सरपंच,मेम्बर के हस्ताक्षर नहीं है और ना ही अप्रार्थीगण के या उनके किसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर है इसलिये उक्त रिपोर्ट परिवादी के खेत की है जिसमें विवादित बीज बोया था उसकी थी या अन्य किसी खेत की थी, यह स्पष्ट नहीं हुआ और संदेहास्पद प्रतीत होती है। दूसरी और परिवादी ने अप्रार्थीगण को नोटिस दिनांक 18.03.08 को भेजा उसके जवाब में अप्रार्थीगण ने नोटिस का जवाब दिनांक 31.03.08 परिवादी को भेजा उसकी मद संख्या 2 में अप्रार्थीगण ने अंकित किया कि आपके नोटिस प्राप्ति के बाद मेरी पक्षकार फर्म ने परिवादी के खेत का निरीक्षण किया उसमें बहुत अच्छी तरह से फसल उगी हुई है तथा पक कर कटने हेतु तैयार है। विशेषज्ञों की राय के अनुसार कृषि विभाग द्वारा हाडौती क्षेत्र में प्रति बीघा अनुमानित औसत फसल उत्पादन से ज्यादा फसल प्राप्त होने का अनुमान है इन परिस्थितियों में मेरी पक्षकार फर्म द्वारा आपके पक्षकार के खेत में उगी हुई फसल के चारो तरफ से फोटोग्राफ्स भी तैयार करवाये है तथा आपके पक्षकार को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हो इसलिये मेरे पक्षकार फर्म के निर्देशन में फसल काटकर तैयार करवाने के लिये कहा गया, किन्तु इसके लिये आपका पक्षकार तैयार नही है। उसके मन में बद्यान्ति है क्योकि फसल बहुत अच्छी है तथा उसेे किसी भी प्रकार का नुकसान नही हो रहा है और अप्रार्थीगण ने भी उक्त फसल की विशेषज्ञ द्वारा परिवादी को बेचे गये बीज की जांच करवाई, जिसमें किसी भी प्रकार की कोई कमी या मिलावट नही बताई, उक्त जांच भी मंच में पेश की गई है। परिवादी ने विवादित बीजो की फसल को अप्रार्थी सं. 2 के निर्देशन में काटकर तैयार नहीं करवाई, इसलिये यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी को विवादित बीज की फसल से कोई नुकसान हुआ हो। परिवादी ने पीछले साल उसके पिता के उक्त खसरा गिरदवारी में कितनी फसल प्राप्त की थी और परिवाद में अंकित वर्ष में कितनी फसल प्राप्त की उसे कितना नुकसान हुआ, इसका कोई विवरण परिवाद में अंकित नहीं किया। परिवादी ने अपने पिता के खेत में विवादित बीज बोने, खाद, कीटनाशक, निदाई, खुदाई और सिंचाई करने के बारे में अनुमानित कथन किया है न कि मात्रात्मक कथन किये है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने कथन की पुष्टि के लिये न्यायिक दृष्टान्त 01.सी.पी.जे.2004 (1)(एन.सी.)122 02. सी.पी.जे.2003 (पअ)183, 03. सी.पी.जे.1996 (प)110 (एन.सी.),04. सी.पी.जे.1994 (प) 80 (एन.सी.) पेश की जिनके तथ्यों एवं परिस्थिति वर्तमान प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों से भिन्न होने के कारण प्रकाश प्राप्त नहीं होता है। उपरोक्त विवेचन को दृष्टिगत रखते हुये हमारे विचार से परिवादी अप्रार्थीगण का सेवा दोष प्रमाणित करने में पूर्णतः असफल रहा है।    

03.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 
 
                     आदेश 

     परिवादी रधुवीर मालव का परिवाद  अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।    

     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 25.08.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।

   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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