Praveen kumar maheshwari filed a consumer case on 14 May 2015 against Shree Associates in the Kota Consumer Court. The case no is CC/118/2006 and the judgment uploaded on 26 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर
परिवाद संख्या:-118/06
प्रवीण कुमार माहेश्वरी पुत्र सत्यनारायण आयु 35 साल जाति महाजन निवासी 34, शास्त्री नगर, दादाबाडी, कोटा राजस्थान। परिवादी
बनाम
01. श्री एसोसिएट्स, एफ-47, रंगबाडी मेनरोड टी टी अस्पताल के सामने तलवण्डी, कोटा।
02. टाटा ठकली सर्विसेज लि. दी गुमान-1 आम्रपाली सर्किल के पास, वैशाली नगर, जयपुर। अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री प्रवीण कुमार माहेश्वरी, अधिवक्ता, परिवादी की ओर सें।
02. अप्रार्थी सं.1 की ओर सें कोई उपस्थित नहीं।
03. श्री अशोक कुमार कट्टा, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2 की ओर से।
निर्णय दिनांक 14.05.2015
परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया कि उसने दिनांक 23.07.05 को अप्रार्थी सं. 1 से एक मोबाईल हैण्ड सेट क्योसेरा के. एक्स. 444 तीन हजार रूपये में खरीद किया। उक्त हैण्ड सेट को अप्रार्थी सं.1 के यहाॅ एक्टीवेट करने के लिये दे दिया और अप्रार्थी ने कहा कि उक्त हैण्ड सेट की रसीद व हैण्ड सेट आपको घर पर भिजवा देगे। अप्रार्थी ने हैण्ड सेट तो घर पर भिजवाया परन्तु रसीद नही भिजवाई। परिवादी ने हैण्ड सेट देखा तो वह क्योसेरा के एक्स 444 न होकर 424 था। परिवादी ने अप्रार्थी से शिकायत की तो उसने कहा कि गलत हैण्ड सेट चला गया बाद में बदल कर दे देगे। अप्रार्थी सं. 1 ने आज तक परिवादी को हैण्ड सेट बदल कर नहीं दिया। परिवादी ने मोबाईल सेट खरीदते समय तीन हजार रूपये अमानत राशि दी थी। अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी के मोबाईल में बेट्री अधिक खर्च होने व घंटी की आवाज कम आने की शिकायत की थी। परन्तु अप्रार्थी सं.2 ने परिवादी के मोबाईल का कनेक्शन बिना किसी कारण के काट दिया, उसे आज तक नहीं जोडा। अप्रार्थीगण ने परिवादी का हैण्ड सेट नहीं बदलकर, उसका बिल अधिक देकर, मोबाईल का कनेक्शन काट कर, उसकी सेवा में कमी की है, इसलिये परिवादी को अप्रार्थीगण उसकी अमानत राशि तीन हजार रूपये , मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
अप्रार्थी सं. 1 के बावजूद तामील मंच में उपस्थित नही होने के कारण उसका जवाब दिनांक 30.08.06 को बंद कर दिया गया।
अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया है कि परिवादी ने क्योसेरार के एक्स 424 मोबाईल सेट खरीद किया था न कि क्योसेरा 444 मोबाईल सेट। परिवादी ने अमानत राशि तीन हजार गलत अंकित किया। परिवादी को मोबाईल हैण्ड सेट की रसीद हैण्ड सेट खरीदते समय ही दे दी थी। परिवादी जितना मोबाईल का उपयोग करेगा उतना ही बिल आयेगा। मोबाईल का बिल प्लान के हिसाब से आता है। परिवादी ने हैण्ड सेट की बेट्री जल्द समाप्त होना, घंटी की आवाज कम आना मनगढन्त तथ्यों के आधार पर परिवाद पेश किया है। परिवादी ने कभी भी मोबाईल का कनेक्शन काटने का आवेदन अप्रार्थीगण के यहाॅ पेश नहीं किया। अप्रार्थी सं.2 ने परिवादी के मोबाईल कनेक्शन पूरी जाॅच करने के बाद काटा है। परिवादी ने मोबाईल का बिल जमा नहीं करने के कारण उसका कनेक्शन काटा गया है। परिवादी की सेवा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं की है।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है।
02. आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादी ने दिनांक 23.07.05 को क्योसेरा के. एक्स-444 का सेट तीन हजार रूपये में खरीदा, लेकिन अप्रार्थी सं.2 ने 444 के. एक्स का सेट न देकर क्योसेरा के. एक्स 424 का सेट दिया, इस संबंध में अप्रार्थी सं. 2 के विद्वान अभिभाषक ने परिवादीे उपभोक्ता प्रार्थना पत्र फार्म के बारे में बताया, प्रार्थना पत्र फार्म में क्योसेरा ब्लेड लिखा हुआ है। 444 या 427 का कोई अंकन नहीं है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी सं.2 का तर्क मानने योग्य है।
परिवादी ने निवेदन किया है कि अप्रार्थी ने उसे रसीद नहीं दी, लेकिन अप्रार्थी सं. 2 का निवेदन है कि हमने रसीद दी है यदि वह गुम गई तो इसमे हमारा क्या दोष है। बिना रसीद दिये कोई भी व्यक्ति कोई माल नहीं लेता, इसमें स्वयं का दोष है। अप्रार्थी का कोई दोष नहीं है।
जहाॅ तक ज्यादा बिल, काल रेट का प्रश्न है काल रेट आवेदन फार्म के साथ जो प्लान होता है उसी के अनुसार होता है। अगर बिल ज्यादा आने का प्रश्न है तो बिल जमा नहीं करोगे तो ज्यादा राशि का ही बिल आयेगा।
यदि निर्माण संबंधी दोष का प्रश्न है तो कंपनी को पक्षकार नहीं बनाया और कोई मेकेनिकल रिपोर्ट मंच में पेश नहीं की है। इस संबंध में परिवादी ने दिनांक 13.05.15 को पक्षकार बनाने का प्रार्थना-पत्र पेश किया है, परन्तु जब परिवादी का वर्जन प्रथम दृष्ट्या ही पुष्ठ नहीं होताा तो कंपनी को पक्षकारा बनाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है, इसलिये परिवादी का प्रार्थना पत्र दिनांक 13.05.15 खारिज किया जाता है।
उपरोक्त विवेचन, विशलेषण के आधार पर मोबाईल हैण्ड सेट ही विवादस्पद है कि आया 222 है या 424 है या क्योसेरा ब्लेड है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार में परिवादी, अप्रार्थीगण का सेवा दोष साबित करने में असफल रहा है।
03. अनुतोष ?
परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी प्रवीण कुमार माहेश्वरी का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवादी खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 14.05.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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