राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 1807/2012
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या-69/2007 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26-03-2012 के विरूद्ध)
- स्टेशन अधीक्षक, उत्तर रेलवे, बाराबंकी।
- डी0आर0एम0 उत्तर रेलवे, हजरतगंज, लखनऊ।
- यूनियन आफ इण्डिया, रेल मंत्रालय, रेल भवन, नई दिल्ली द्वारा सचिव।
- स्टेशन अधीक्षक, उत्तर रेलवे हरिद्धार, (उत्तराखण्ड)
अपीलार्थीगण
बनाम्
- शोभा मेहरोत्रा पत्नी हरिश्चन्द्र मेहरोत्रा।
- आशा मेहरोत्रा पत्नी प्रेम चन्द्र मेहरोत्रा।
- शिक्षा मेहरोत्रा पत्नी विनय कुमार।
- संध्या खन्ना पतनी राकेश कुमार ।
- रंजना खन्ना पत्नी राकेश कुमार।
- पुष्षोत्तम मेहरोत्रा पुत्र हरिश्चन्द्र मेहरोत्रा।
- सच्ची मेहरोत्रा पत्नी पुष्षोत्तम।
- अमन खन्ना नाबालिक संरक्षका एवं पिता राकेश कुमार।
- अंकिता खन्ना नाबालिक संरक्षका एवं पिता राकेश कुमार।
10-अक्षय मेहरोत्रा नाबालिक संरक्षण एवं पिता विनय कुमार।
11-सुरभि खन्ना नाबालिक संरक्षका एवं पिता श्याम कुमार।
12-ईश्वर मेहरोत्रा नाबालिक संरक्षका एवं पिता विनय कुमार।
13-तुषार मेहरोत्रा नाबालिक संरक्षका एवं पिता पुष्षोत्तम मेहरोत्रा।
समस्त निवासीगण मोहल्ला कटरा (गुलरिया गर्दा) शहर नवाबगंज, जिला बाराबंकी।
प्रत्यर्थीगण
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री पी0 पी0 श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री कुमार संभव।
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दिनांक : 11-12-2017
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-69/2007 शोभा मेहरोत्रा व 12 अन्य बनाम् श्रीमान स्टेशन अधीक्षक उत्तर रेलवे बाराबंकी व तीन अन्य में जिला फोरम, बाराबंकी द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 26-03-2012 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनतर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि वे परिवादीगण को आरक्षित टिकट की धनराशि तथा उस पर यात्रा करने की तिथि से अदायगी तक 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश से 45 दिन के अंदर अदा करें। विपक्षीगण पृथक-पृथक व संयुक्त रूप से परिवादीगण को परिवाद व्यय के लिए 3,000/-रू0 एवं शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षति के लिए 5,000/-रू0 भी अदा करें।
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादीगण तीर्थ यात्रा के लिए केदारनाथ, बद्रीनाथ व हरद्धिार के लिए विपक्षी सं0-1 स्टेशन अधीक्षक उत्तर रेलवे, बाराबंकी के यहॉं से परिवादिनी संख्या-1 के पति हरिश्चन्द्र मेहरोत्रा को आरक्षण कराने दिनांक 08-04-2007 को भेजा था। परिवादी के पति ने आरक्षण फार्म नियमानुसार भरा और मु0 2744/-रू0 देकर सीनियर सिटीजन टिकट व आठ पूरे टिकट तथा तीन आधे टिकट लिये थे। उपरोक्त की यात्रा हरिद्धार से जनपद बाराबंकी के लिए थी। परिवादीगण पूजा अर्चना करने के बाद दिनांक 17-06-2007 को हरिद्धार स्टेशन आ गये और जब गाड़ी नं0-3010 प्लेट फार्म पर खड़ी थी तो उसमें महेन्द्र सिंह टिकैत किसान यूनियन के हजारों आदमी भरे थे। परिवादीगण कोच में बैठना चाह रहे थे, परन्तु किसान यूनियन के आदमी/कार्यकर्ता जो हाथ में डण्डा लिये थे परिवादीगण को कोच संख्या–एस-5 में घुसने नहीं दिया। जिसकी शिकायत परिवादीगण ने स्टेशन अधीक्षक हरिद्धार से की और कोच में आरक्षित सीट/बर्थ सं0-26,27,29,से 32 तथा 49 से 54 एवं 34 नं0 की बर्थ/सीट खाली कराने का अनुरोध कि तो स्टेशन अधीक्षक ने कहा कि यह मेरा काम नहीं है। स्टेशन मास्टर से सम्पर्क करें। स्टेशन मास्टर से मिलने पर कहा गया कि जी0आर0पी0 से सम्पर्क करिए। सम्पर्क करने पर दरोगा ने कहा कि बिना किसी आदेश से कोच में बैठे कार्यकर्ताओं को जबरन खाली नहीं कराया जा सकता। दिनांक 23-06-2007 को परिवादी के पिता हरिश्चन्द्र मेहरोत्रा ने आवश्यक कार्यवाही करते हुए टिकट वापसी कराया। अतएव विपक्षी संख्या-1 ने रसीद संख्या-
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67,65,63 दिनांक 23-06-2007 को लिया परन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को किराये की धनराशि नहीं दी गयी। इसलिए यह परिवाद योजित किया गया।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादीगण का बर्थ/सीट दिनांक 17-06-2007 को हरिद्धार स्टेशन से आरक्षित था। रेल प्रशासन ने परिवादीगण को स्थान/बर्थ दिलाने का पूरा प्रयास किया और सभी आरक्षित यात्रियों को स्थान भी उपलब्ध कराया जो लोग अनाधिकृत रूप से गाड़ी पर चढ़ गये थे उन्हें उतरवाया। भारतीय रेल सम्मेलन व कोचिंग दर सूची सं0 भाग एक (बिन्दु-1) के नियम 213.12 के अनुसार रेल प्रशासन द्वारा स्थान देने के समर्थ होने की दशा में रेल प्रशासन टिकटार्थी को किराये की पूरी धनराशि वापस करेगा। यदि परिवादी ने यात्रा नहींकिया तो वह हरिद्धार स्टेशन से अपने किराये को वापस ले सकता था जिसे परिवादीगण ने नहीं किया।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्तव उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री कुमार संभव उपस्थित।
हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय व आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितयों को देखते हुए तथा उभयपक्ष को सुनने के पश्चात हम इस मत के है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश साक्ष्य और विधि के अनुसार सही है, किन्तु जिला फोरम द्वारा जो 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति हेतु आदेश पारित किया गया है वह विधि सम्मत नहीं है और अपास्त किये जाने योग्य है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश को संशोधित करते हुए 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के मद में पारित आदेश अपास्त किया जाता है। निर्णय का शेष भाग यथावत रहेगा।
(राम चरन चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा, आशु0