Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/1574

G.M. Uttar Railway - Complainant(s)

Versus

Shiyaram Sharan - Opp.Party(s)

P. P. Srivastava

12 Dec 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/1574
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. G.M. Uttar Railway
New Delhi
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                सुरक्षित

          अपील संख्‍या-1574/2014      

1-महाप्रबन्‍धक उत्‍तर रेलवे, बड़ौदा हाउस, नई दिल्‍ली।

2-मण्‍डल प्रबन्‍धक, उ0रे0 मण्‍डल कार्यालय हजरतगंज, लखनऊ।

3-स्‍टेशन मास्‍टर अयोध्‍या रेलवे स्‍टेशन, शहर अयोध्‍या फैजाबाद।

                                               अपीलार्थीगण                   

                                  बनाम

1-शियाराम शरण,       समस्‍त निवासीगण-हनुमन्‍त भवन, अयोध्‍या शहर,

2-विद्यानन्‍द,          जिला-फैजाबाद।

3-रामशरण,                                       प्रत्‍यर्थीगण                                  

समक्ष:-

1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्री संजय कुमार सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।   विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेन्‍द्र मोहन शुक्‍ला के सहयोगी श्री देवेन्‍द्र मोहन शुक्‍ला।

दिनांक 30-12-2014

    मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

अपीलार्थीगण ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-94/1998 शियाराम शरण व अन्‍य बनाम महाप्रबन्‍धक बड़ौदा हाउस एवं अन्‍य में दिये गये निर्णय के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है।

" परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को निर्णय की तिथि से दो माह के अन्‍दर निम्‍न अदायगी करें।

1-प्रत्‍येक परिवादीगण को अलग-अलग रू0 5,000/-, रू0 5,000/- क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें या परिवादीगण को दिये जाने हेतु फोरम में जमा करें।

2-वाद व्‍यय के रूप में रू0 5,000/- परिवादीगण को सामूहिक रूप में अदा करें या परिवादीगण को दिये जाने हेतु फोरम में जमा करें।

     उक्‍त अवधि में भुगतान न करने की सूरत में परिवादीगण को यह अख्तियार होगा, कि वह जरिये इजरा वाद उक्‍त धनराशि की वसूली विपक्षीगण से कर लें।

 

2

 

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव, प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेन्‍द्र मोहन शुक्‍ला के ब्रीफहोल्‍डर विद्वान अधिवक्‍ता श्री देवेन्‍द्र मोहन शुक्‍ला उपस्थित हैं।

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादीगण ने दिनांक 15-08-1997 को अयोध्‍या रेलवे स्‍टेशन से दिनांक 17-08-1997 को जाने वाले ट्रेन नम्‍बर 4649 से 3 स्‍लीपर क्‍लास के टिकट दिल्‍ली के लिए बुक कराये थे, उन टिकटों पर परिवादी को कोच सं0-एस-4 में कन्‍फर्म सीटें 60, 61, 62 बुक करके दी गयी जब परिवादीगण एस0-4 कोच में चढ़े तो ट्रेन में यात्रा शुरू करने के बाद पता चला कि उक्‍त नम्‍बरों की सीट पहले से ही किसी अन्‍य व्‍यक्तियों को पिछले ही स्‍टेशनों से बुक चली आ रही थी जिनको दिल्‍ली जाना था। ट्रेन को फैजाबाद जंक्‍शन पहुंचने पर जब ट्रेन टिकट चेकर से इस बात को बताया गया तो उन्‍होंने कुछ भी करने से इनकार कर दिया और कहा कि अन्‍य सीटें भी खाली नहीं है इस कारण सीट न मिल पाने की स्थिति में परिवादीगण को खड़े-खड़े ही बगैर सीटा के ही सारी रात दिल्‍ली तक यात्रा करनी पड़ी और वह बीमार हो गये। परिवादीगण ने यात्रा भाड़ा कुल 561/-रू0 वापस दिलाये जाने तथा अपीलार्थी/विपक्षीगण से उन्‍हें 3,000/-रू0, 3,000/-रू0 शारीरिक, मानसिक कष्‍ट के रूप में और 5,000/-रू0 अपमान व कीर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के एवज में साथ ही वाद व्‍यय दिलाये जाने का अनुरोध किया है।

     अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में बताया कि परिवादीगण ने कोई यात्रा सम्‍पन्‍न नहीं की, रेलवे के आरक्षण के रिकार्ड उपलब्‍ध कराने की समय सीमा 6 माह की है। परिवादी ने जानबूझकर अपना परिवाद 6 माह के बाद प्रस्‍तुत किया ताकि विपक्षीगण कोई रिकार्ड न उपलब्‍ध करा सके तथा वह हर्जाना लेने में सफल हो सके। परिवादी का यह कथन कि चूंकि बर्थ पहले से ही रिजर्व थी यह बात गलत है। रेलवे में रिकार्ड उपलब्‍ध न होने के कारण यह बात स्‍पष्‍ट रूप से कहना सम्‍भव है कि परिवादी ने वास्‍तव में टिकट बुक कराया था अथवा नहीं, परिवादी का यह कथन कि उसको पहले से बर्थ रिजर्व थी यह बात गलत है।

     अपीलाथी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादीगण/प्रत्‍यर्थीगण की यात्रा एस0-4 कोच से संदिग्‍ध प्रतीत होती है क्‍योंकि संबंधित टी0 टी0 ई0 राम अक्षैवर यादव ने जिला उपभोक्‍ता फैजाबाद में उपस्थित होकर शपथ बयान दिया है दिनांक 17-08-1997 को ट्रेन नम्‍बर 4649 कोच में एस-4 में उक्‍त तिथि को अयोध्‍या रेलवे स्‍टेशन से रिजर्वेशन लेकर कोई यात्री एस-4 में सवार नहीं हुआ और न ही किसी यात्री ने शप्‍थी से सम्‍पर्क किया उक्‍त तिथि को किसी यात्री ने रिजर्वेशन के

3

 

बाद खड़े-खड़े यात्रा नहीं की, अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच का आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश मोहन शुक्‍ला के ब्रीफ होल्‍डर श्री देवेन्‍द्र मोहन शुक्‍ला ने तर्क दिया कि विद्वान जिला मंच द्वारा सही निर्णय पारित किया गया है जिसमें कि कोई हस्‍तक्षेप करने की आवश्‍यकता नहीं है प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में प्रस्‍तुत किये गये अभिलेखों का परिशीलन से यह अवधारित किया है कि परिवादीगण ने दिनांक 17-08-1997 को जाने वाली ट्रेन संख्‍या-4649 को 3 स्‍लीपर क्‍लास का टिकट बुक कराया था जिसकी कन्‍फर्म सीट 60, 61, 82 कोच सं0 एस0-4 में थी यही बात अपीलाथी/विपक्षी ने अपने अतिरिक्‍त जवाबदेही में स्‍वीकार की है उक्‍त टिकट अयोध्‍या से दिल्‍ली तक के लिए था यह बात भी विपक्षी को स्‍वीकार है और इसकी पुष्टि परिवादी के द्वारा प्रस्‍तुत किये गये टिकटों से होती है। अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र में यह बताया गया है कि उनके पास कोई रिकार्ड उपलब्‍ध नहीं है अत: यदि उनके पास कोई रिकार्ड उपलब्‍ध नहीं है तो उनके द्वारा यह प्रतिवाद पत्र करना कि परिवादीगण द्वारा कोई कथित यात्रा सम्‍पन्‍न नहीं की गयी यह पूर्णतया कल्‍पनाओं पर आधारित है और इस संबंध में टी0 टी0 ई0 श्री राम अक्षैवर यादव का जो शपथपत्र इस आशय का दिया गया कि दिनांक 17-08-1997 को रेलवे स्‍टेशन से रिजर्वेशन लेकर कोई यात्री एस0-4 कोच में सवार नहीं हुआ इसकी पुष्टि अपीलार्थी के द्वारा कोई भी अभिलेखीय साक्ष्‍य द्वारा नहीं की गयी है। अत: ऐसी परिस्थिति में राम अक्षैवर यादव का शपथपत्र बिना किसी अभिलेखीय साक्ष्‍य के दिया गया है जिस पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता है और यह शपथपत्र ऐसा प्रतीत होता है कि अपीलार्थी ने अपने पक्ष को बल देने के लिए श्री राम अक्षैवर यादव का उपरोक्‍त शपथपत्र दाखिल किया है बिना  किसी अभिलेखीय साक्ष्‍य को प्रस्‍तुत किये जाने के बाद अपीलार्थी द्वारा यह प्रतिवाद करना कि परिवादी द्वारा कथित यात्रा सम्‍पन्‍न नहीं की गयी यह कहना कल्‍पना के आधार पर है जो विश्‍वसनीय नहीं है। विद्वान जिला मंच द्वारा समस्‍त बिन्‍दुओं पर विचार करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है अत: ऐसी परिस्थिति में उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

 

 

 

 

 

4

                     आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये। 

 

 

 

(अशोक कुमार चौधरी)                                 (संजय कुमार)

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 3  

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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