राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-२११४/२०१३
(जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-४०/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २०-०७-२०१३ के विरूद्ध)
गरिमा कोल्ड स्टोरेज प्रा0लि0, ग्राम कलाना, पोस्ट जहानाबाद, तहसील बिन्दकी, जिला फतेहपुर द्वारा प्रौपराइटर राघवेन्द्र सिंह पुत्र स्व0 बदन सिंह निवासी ग्राम कलाना, पोस्ट जहानाबाद, तहसील बिन्दकी, जिला फतेहपुर। ................... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
शिवपाल वर्मा पुत्र श्री रामदीन निवासी ग्राम रामपुर कुर्मी, पोस्ट साल्हेपुर, तहसील बिन्दकी जिला फतेहपुर। .................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य ।
२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री राम उमराव विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : ०४-०२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-४०/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २०-०७-२०१३ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार मार्च व अप्रैल, २००८ की विभिन्न तिथियों में अपीलार्थी के शीतगृह में ३५७ बोरा आलू लगभग १९७.०२ कुन्तल फसल के बीज के लिए रखवाया। परिवादी ने पल्लेदारी का खर्च भी स्वयं वहन किया। यह आलू का बीज फाउण्डेशन सीड नं0-१ था। परिवादी, अपीलार्थी के यहॉं अपना आलू दिनांक ११-०७-२००८ को लेने गया। अपीलार्थी ने बताया कि सभी आलू सड़ गया है। परिवादी को आलू की कीमत दी जायेगी। अपीलार्थी ने आलू की कीमत ७००/- रू० प्रति कुन्तल स्वीकार की थी। परिवादी दिनांक ११-०८-२००८ को अपीलार्थी के प्रबन्धक के पास गया तो अपीलार्थी के प्रबन्धक ने कहा कि वह परिवादी को ५००/- रू० प्रति कुन्तल की दर से भुगतान करेगा। अपीलार्थी की लापरवाही के कारण परिवादी का भण्डारित आलू खराब हो गया। परिवादी बीच-बीच में अपीलार्थी से मिलता रहा किन्तु अपीलार्थी ने पैसा नहीं दिया। केवल पैसा देने का आश्वासन देता रहा। परिवादी दिनांक १०-०२-२००९ को पुन: अपीलार्थी से मिला तथा पैसे की मांग की, तब अपीलार्थी ने पैसे देने से
-२-
इन्कार कर दिया तथा परिवादी को धमकी भी दी। तब परिवादी ने दिनांक २१-०२-२००९ को अपीलार्थी को नोटिस दी। नोटिस पाने बाद भी अपीलार्थी स्वयं दिनांक ०८-०३-२००९ को समय करीब १०.०० बजे दिन में परिवादी के घर गया तथा परिवादी से प्रार्थना की कि वह परिवादी को अगले सीजन में आलू के स्थान पर आलू ही देगा तथा इस एक वर्ष में जो व्यापार का नुकसान होगा, उसकी क्षतिपूर्ति भी अपीलार्थी, परिवादी को देगा। अपीलार्थी ने परिवादी से अनुरोध किया कि परिवादी न्यायालय में मुकदमा दाखिल न करे। परिवादी विश्वास में आ गया तथा परिवादी ने नोटिस के अनुसार मुकदमा नहीं किया। परिवादी दिनांक २०-०२-२०१० को अपीलार्थी से पुन: मिला तब अपीलार्थी ने न तो पैसा दिया और न आलू दिया और न सन्तोषजनक उत्तर दिया। अत: ५००/- रू० प्रति कुन्तल के हिसाब से आलू की कीमत की अदायगी तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच में योजित किया गया।
अपीलार्थी की ओर से जिला मंच के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: अपीलार्थी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की गई।
प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा यह अभिकथित किया गया कि उसे परिवाद में अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है।
विद्वान जिला मंच ने विपक्षी सं0-२ को अनावश्यक पक्षकार बनाया जाना मानते हुए तथा अपीलार्थी की सेवा में त्रुटि मानते हुए प्रश्नगत निर्णय द्वारा निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
‘’ उपभोक्ता परिवाद संख्या-४०/२०१० शिवपाल वर्मा बनाम प्रबन्धक, गरिमा कोल्ड स्टोर प्रा0लि0 कलाना पोस्ट जहानाबाद तहसी बिन्दकी जिला फतेहपुर विपक्षी सं0-१ गरिमा कोल्ड स्टोर फतेहपुर के विरूद्ध सव्यय एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-१ गरिमा कोल्ड स्टोर फतेहपुर को आदेश दिया जाता है कि वह ३० दिन में वादी को रू० ९७,५१०/- (सतानवे हजार पॉंच सौ दस रूपये) तथा इस धन पर याचिका की तिथि भुगतान की तिथि तक ९ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करे तथा इसके साथ ही साथ विपक्षी सं0-१ गरिमा कोल्ड स्टोर फतेहपुर वादी को ३० दिन में रू० १५,०००/- (पन्द्रह हजार रूपये) क्षतिपूर्ति के रूप में तथा रू० ५००/- वाद व्यय के रूप में भुगतान करे। इसके साथ ही साथ वादी को आदेश
-३-
दिया जाता है वादी धारा-२६ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत विपक्षी सं0-२ सरकार उत्तर प्रदेश जरिये कलेक्टर फतेहपुर को ३० दिन में रू० ५०००/- (पॉंच हजार रूपये) हर्जा-खर्चा के रूप में भुगतान करे। ‘’
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
अपीलार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री राम उमराव उपस्थित हुए। दिनांक २३-०५-२०१८ को भी अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। उक्त तिथि पर यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया था कि अपीलार्थी की ओर से पुन: अनुपस्थित रहने की स्थिति में अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जायेगा किन्तु अपीलार्थी की ओर से पुन: कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: हमने प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री राम उमराव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपील के आधारों में अपीलार्थी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया गया तथा एक पक्षीय सुनवाई की गई। अपीलार्थी को प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में कोई नोटिस तामील नहीं कराई गई। अपीलार्थी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि अपीलार्थी द्वारा परिवादी को यू0पी0सी0 के माध्यम से पत्र द्वारा सूचित किया गया कि परिवादी भण्डारित आलू प्राप्त कर सकता है किन्तु परिवादी अपनी आलू प्राप्त करने हेतु उपस्थित नहीं हुआ। यह भी अभिकथित किया गया है कि कोल्ड स्टोरेज की सफाई अक्टूबर के अन्त से १५ नवम्बर तक प्रति वर्ष की जाती है। यदि जमाकर्ता आलू लेने हेतु उपस्थित नहीं होता तब उसकी आलू कोल्ड स्टोरेज से बाहर रख दी जाती है। अपीलार्थी द्वारा यह भी अभिकथित किया गया भण्डारित आलू के किराए से बचने हेतु गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद योजित किया गया।
उल्लेखनीय है कि अपील के आधारों में अपीलार्थी ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अभिकथित आलू की मात्रा भण्डारण हेतु जमा किए जाने के तथ्य से इन्कार नहीं किया है। अपीलार्थी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि अपीलार्थी द्वारा परिवादी को पत्र द्वारा सूचित किया गया था कि प्रत्यर्थी भण्डारित आलू निकाल ले किन्तु प्रत्यर्थी द्वारा भण्डारित आलू नहीं निकाला गया।
-४-
इस सन्दर्भ में अपील के साथ पत्र दिनांकित २३-१०-२००८ दाखिल किया है। उल्लेखनीय है कि इस पत्र की तामील प्रत्यर्थी/परिवादी पर किया जाना साबित नहीं है। इस सन्दर्भ में कोई साक्ष्य अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई है। इस पत्र की भाषा भी अस्वाभाविक प्रतीत होती है। इस पत्र में यह उल्लिखित है कि सभी किसान भाइयों को सूचित किया जाता है कि आप लोग अपना आलू स्टोर से ७ दिन के अन्दर निकाल लें। निर्धारित दिनांकित ३१-१०-२००८ समाप्त होने के बाबजूद कुछ किसानों द्वारा अभी आलू नहीं निकाला गया है। इस पत्र में यह तथ्य नहीं उल्लिखित है कि इस पत्र को कथित रूप से प्रेषित किए जाने से पूर्व कोई सूचना परिवादी को भेजी गई।
जहॉं तक प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में अपीलार्थी को कथित रूप से जिला मंच द्वारा कोई नोटिस न भेजे जाने का प्रश्न है, प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच द्वारा यह स्पष्ट रूप से उल्िलखित किया गया है कि अपीलार्थी पर नोटिस की तामील के बाबजूद कोई उपस्थित नहीं आया। अपीलार्थी द्वारा नोटिस की तामील के सन्दर्भ में जिला मंच द्वारा पारित आदेश की प्रमाणित प्रति दाखिल नहीं की गई है और न ही अपीलार्थी का यह कथन है कि प्रश्नगत परिवादी में अपीलार्थी पर नोटिस की तामील के सन्दर्भ में कोई आदेश जिला मंच द्वारा पारित नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि वस्तुत: अपीलार्थी पर प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में कोई नोटिस की तामील जिला मंच द्वारा नहीं कराई गई।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि भण्डारित आलू की कीमत ५००/- रू० प्रति कुन्तल के हिसाब से भुगतान किए जाने हेतु आदेशित किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परगनाधिकारी, तहसील बिंदकी, फतेहपुर को प्रेषित पत्र दिनांकित २१-०९-२०१२ दाखिल किया है, जिसके द्वारा परिवादी ने शासन द्वारा निर्धारित बजट वर्ष अप्रैल २००७ से मार्च २००८ व अप्रैल २००८ से मार्च २००९ तक आलू के औसत मूल्य की सूचना मांगी है। इस पत्र पर परगनाधिकारी द्वारा कृषि विपणन निरीक्षक मण्डी समिति से आख्या मांगी गई। कृषि विपणन निरीक्षक मण्डी समिति बिंदकी जनपद फतेहपुर द्वारा यह आख्या प्रस्तुत की गई है –‘’ बजट वर्ष २००७-२००८ में आलू का औसत मूल्य ७३०/- सात सौ तीस रू० प्रति कुण्टल तथा बजट वर्ष २००८-२००९ में, औसत मूल्य ६९०/- छ: सौ नब्बे रू० प्रति कुण्टल रहा है ‘’ ।
-५-
ऐसी परिस्थिति में ५००/- रू० प्रति कुन्तल की दर से भण्डारित आलू के मूल्य के भुगतान हेतु पारित निर्णय त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता किन्तु उल्लेखनीय है कि जिला मंच ने भण्डारित आलू के मूल्य ९७,५१०/- रू० की ०९ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित भुगतान हेतु निर्देशित किया है। साथ ही १५,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में भी दिलाए जाने हेतु आदेशित किया है। आलू के मूल्य की मय ब्याज अदायगी किए जाने के निर्देश के बाद क्षतिपूर्ति हेतु अलग से धनराशि दिलाया जाना न्यायोचित नहीं होगा। अत: क्षतिपूर्ति के रूप में १५,०००/- रू० की अदायगी का पारित आदेश अपास्त किए जाने योग्य है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्नगत निर्णय के विरूद्ध कोई अपील योजित नहीं की गई है, ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-४०/२०१० में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २०-०७-२०१३ द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में आदेशित धनराशि १५,०००/- रू० की अदायगी का पारित आदेश अपास्त किया जाता है। शेष आदेश की यथावत् पुष्टि की जाती है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.