राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-500/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-743/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-02-2021 के विरूद्ध)
एक्जक्यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीबूशन डिवीजन, आलमबाग, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, आलमबाग, लखनऊ।
................ अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
शिवलाल शर्मा पुत्र श्री बंश गोपाल शर्मा निवासी 559/32, श्री नगर, आलमबाग, लखनऊ।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री संतोष कुमार मिश्रा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री सुबीर सरकार
दिनांक : 07-12-2022.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-743/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-02-2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपीलार्थी/विपक्षी से एक विद्युत संयोजन सं0-एमवी 588549 बुक सं0 3126719207680 विद्युत भार .400 किलोवाट का घरेलू उपयोग हेतु लिया एवं प्रतिमाह उसका बिल 150 से 190 यूनिट तक का ही आता रहा। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कहा गया कि मीटर स्लो चल रहा है तब प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मीटर बदलने के लिए कहा गया, लेकिन अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं
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दिया गया। अन्ततोगत्वा अपीलार्थी/विपक्षी ने 2,30,967.00 रू० का बिल दिया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने जब अपीलार्थी/विपक्षी से पूछा तो उसे बताया गया कि 1,45,000/- रू० प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा देय राशि है बाकी शेष राशि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा किये गये बिलों में समायोजित कर ली गई है। अपीलार्थी/विपक्षी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी/अपीलार्थी विद्युत विभाग द्वारा प्रतिवाद पत्र विद्वान जिला आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि प्रत्यर्थी/परिवादी का बिल तकनीकी कारणों से आई0डी0एफ0 का आ रहा था। आई0डी0एफ0 बिल में 192 यूनिट प्रतिमाह का ही बिल प्रदान किया गया, जो नियमानुसार सही था, चाहे उपभोक्त कितनी भी यूनिट का प्रयोग करे। उपभोक्ता द्वारा जानबूझकर अपना आई0डी0एफ0 बिल सही कराया गया तथा झूठा आरोप लगाते हुए मीटर बदलने का आरोप लगाया गया जबकि उसका मीटर चेकिंग करते समय सही पाया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा झूठ तथ्यों पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र में यह भी कहा कि आई0डी0एफ0 बिल की समस्या समाप्त करने के बाद मीटर रीडिंग के अनुसार बनाया गया सही बिल प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा फोरम के सम्मुख प्रस्तुत किया गया जो विद्युत अधिनियम के अनुसार बनाये जाने के कारण सही बिल है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा यह भी कथन किया गया कि फरवरी, 2018 का विद्युत बिल 1,64,267/- रू० का प्रत्यर्थी/परिवादी पर बकाया है, जिसका भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा किया जाना विधिसंगत है।
विद्वान जिला आयोग ने उभय पक्ष को सुनने तथा परिवाद पत्रावली पर उभय पक्ष द्वारा उपलब्ध कराये गये समस्त प्रलेखीय साक्ष्यों का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त निम्न आदेश पारित किया है:-
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''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को ओदशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अंदर परिवादी से 192 यूनिट के अनुसार ही बिल लें तथा भविष्य में उसके द्वारा उपभोग किये गये विद्युत के अनुसार ही बिल लें, जिसका भुगतान परिवादी करेगा एवं उसका विद्युत संयोजन काटा न जाय। रू० 145000/- का बिल निरस्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक कष्ट हेतु रू० 5000/- तथा रू० 3000/- वाद व्यय अदा करे।''
उक्त निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील अपीलार्थी/ विद्युत विभाग की ओर से प्रस्तुत की गई है।
मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि अनुकूल है, परन्तु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश में जो परिवादी को मानसिक कष्ट हेतु 5,000.00 तथा वाद व्यय हेतु 3,000.00 रू0 की देयता निर्धारित की गई है वह वाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए समाप्त किया जाना न्यायोचित है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा। तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश, वैयक्तिक सहा0 ग्रेड-2,
कोर्ट नं0-1.