REVARAM KATIYA filed a consumer case on 06 Jun 2013 against SHIVKUMAR KURMI in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/31/2013 and the judgment uploaded on 26 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक-31-2013 प्रस्तुति दिनांक-05.03.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
रेवाराम वल्द कुंदनलाल कतिया, उम्र
55 वर्श, निवासी-ग्राम पीपरडाही थाना
लखनवाड़ा, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।...........................................................आवेदक परिवादी।
:-विरूद्ध-:
षिवकुमार, वल्द ब्रम्हानंद कुर्मी, उम्र
लगभग 45 वर्श, निवासी ग्राम-पीपरडाही,
थाना लखनवाड़ा, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।.................................................................अनावेदक विपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 06/06/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक से हर्जाना दिलाने बाबद, इस आधार पर पेष किया है कि-अनावेदक ने, परिवादी के बोर में मोटर लगाते समय लापरवाही से मोटर, बोर के अंदर गिरा दिया, जिससे परिवादी का बोर खराब हो गया।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-ग्राम पीपीडाही, तहसील सिवनी में परिवादी के स्वामित्व की भूमि खसरा नम्बर-59304 में परिवादी ने वर्श- 2008-2009 में बोर स्थापित कराया था, जिससे वह खेत की सिंचार्इ करता था और जनवरी-2013 में अनावेदक ने, परिवादी से हुये सौदे के तहत बोर के अंदर से मोटर निकालकर उसे ठीक किया और यह भी विवादित नहीं कि-उक्त बोर में पुन: मोटर फिटिंग करते समय मोटर, बोर के अंदर गिर गर्इ, जो कि-निकाली नहीं जा सकी, लेकिन बोर के अंदर उक्त मोटर फिट कौन कर रहा था, यह स्वीकृत सिथति नहीं है।
(3) परिवाद का सार यह है कि-अनावेदक टयूबवेल में मोटर डालने व निकालने का तकनीकी विषेशज्ञ है, जो कि-जनवरी-2013 के प्रथम सप्ताह में मोटर साफ कर, पुन: फिटिंग कराने हेतु 1500-रूपये का ठेका अनावेदक को दिया था, जो कि-अनावेदक ने लापरवाहीपूर्वक कार्य करते हुये, मोटर, बोर में ही गिरा दिया, जिससे परिवादी का टयूबवेल बैठ गया और सिंचार्इ करने के लिए अनुपयुक्त हो गया। जो कि-परिवादी द्वारा कहने के बावजूद, अनावेदक ने मोटर, बोर से नहीं निकाला, इस कारण से परिवादी को अपने खेत पर सिंचार्इ न कर पाने से उसे नुकसान हुआ। अत: अनावेदक से क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग की गर्इ है।
(4) अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-पक्षकार एक ही गांव के होकर उनकी जान-पहचान है और परिवादी द्वारा अपने बोर का मोटर जल जाने के कारण, उसके द्वारा मोटर बोर से निकलवाया गया था और बोर बैठ जाने के कारण उसको साफ करवाया था। जबकि-अनावेदक मोटर बाइडिंग का कार्य करता है, परिवादी ने, अनावेदक से मोटर ठीक कराया था, जो कि-अनावेदक ने मोटर ठीक करके परिवादी को दे-दिया था, परिवादी द्वारा, अनावेदक से मोटर, बोर में डालने के लिए कहा गया था, तो अनावेदक ने यह कहते हुये इंकार कर दिया था कि-वह मात्र मोटर ठीक करने का कार्य करता है और यह सलाह दी थी की गांव के ही मोटर डालने का कार्र्य करने वाले किसी भी व्यकित से परिवादी मोटर डलवा ले, फिर परिवादी द्वारा इस संबंध में पूछे जाने पर, अनावेदक ने मोटर डालने वाले रवि चंद्रवंषी के नाम का सुझाव दिया था, परिवादी ने उक्त व्यकित से संपर्क किया, उसने आकर मोटर देखा था और यह कहते हुये, मोटर डालने से मना कर दिया था कि-मोटर हैवी है और पार्इप की चूड़ी खराब हो गर्इ है, जिससे मोटर कभी भी पानी में गिर जाने की आषंका है, इसलिए पहले पार्इप की चूड़ी बनवा लेने की सलाह दी थी, तब परिवादी ने अन्य नाम के व्यकित का सुझाव मांगा था, तो अनावेदक ने ग्राम-घोरावाड़ी के सुरेन्द्र कुमार सनोडिया का नाम सुझाया था, जिससे जाकर परिवादी मिला, तो सुरेन्द्र कुमार ने आकर परिवादी का पार्इप देखा था और बताया था कि- पार्इप की चूड़ी खराब हो चुकी है, जिसके कारण मोटर, बोर में कभी भी गिर सकती है और ऐसी हालत में मोटर बोर में फिट करने से इंकार कर दिया गया था।
(5) तत्पष्चात परिवादी ने आकर अनावेदक से कहा था कि-उसे किसी से चेनपुल्ली और चेनपाना के औजार दिलवा दें, तो परिवादी खुद मोटर, बोर में फिट कर लेगा, तो अनावेदक ने औजार परिवादी को ग्राम- घोरावाड़ी के सुरेन्द्र से 300-रूपये किराये से दिलवा दिया था। बाद में परिवादी ने आकर बताया था कि-मोटर फिसलकर बोर में गिर गर्इ है, इसलिए सुरेन्द्र से कहकर मोटर बोर से निकलवाओ, तो अनावेदक ने यह कहते हुये मना कर दिया था कि-तुमने पार्इप की चूड़ी ठीक करने की सलाह न मानकर खुद अपनी मनमानी की है। इसलिए नुकसान की जवाबदारी तुम्हारी ही होगी और इस बात पर परिवादी के साथ अनावेदक की कहासुनी हो गर्इ, परिवादी ने महज परेषान करने के लिए झूठे आधारों पर परिवाद पेष किया है।
(6) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या विवाद इस संक्षिप्त प्रक्रिया में निराकरण योग्य
है?
(ब) क्या अनावेदक और परिवादी के मध्य मोटर, बोर में
स्थापित करने बाबद सेवा-प्रदाता व उपभोक्ता के
संबंध हैं?
(स) यदि हां, तो क्या अनावेदक ने, परिवादी के प्रति-
सेवा में कमी किया है?
(द) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(7) परिवादी ने यह परिवाद इस आधार पर पेष किया है कि-बोर से मोटर निकालकर उसे ठीक कर, पुन: बोर में स्थापित करने का परिवादी ने, अनावेदक को 1500-रूपये का ठेका दिया था, जबकि-अनावेदक-पक्ष ने उक्त से इंकार किया है, तो यह विवादित तथ्य है। और ऐसे विवादित बिन्दु बाबद, जहां कोर्इ लिखित अनुबंध का मामला नहीं है, तो उभयपक्ष की साक्ष्य में प्रतिपरीक्षण के पष्चात नियमित विचारण में ही परिवादी ऐसे तथ्य को स्थापित कर सकता है, अनावेदक के द्वारा कौन सा लापरवाहीपूर्वक-कृत्य किया गया, इस संबंध में भी परिवाद विषिश्ट नहीं है और ऐसे बिन्दु भी नियमित सिविल विचारण में ही निराकरण योग्य हो सकता है। फलत: विवाद इस जिला उपभोक्ता फोरम की संक्षिप्त प्रक्रिया में निराकरण नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(8) मोटर सुधार कर, बोर में स्थापित करने का कोर्इ ठेका या अनुबंध अनावेदक से रहे होने के संबंध में परिवादी-पक्ष की ओर से साक्ष्य स्टेज में कोर्इ भी लिखित अनुबंध या षपथ-पत्र पेष नहीं हुआ है, जबकि- इसके उलट, अनावेदक-पक्ष की ओर से रवि चंद्रवंषी व सुरेन्द्र कुमार कुर्मी जिनका विवरण अनावेदक के जवाब में है, उनके षपथ-पत्र पेष किये गये हैं, जिनमें यह उल्लेख है कि-परिवादी ने खराब मोटर अनावेदक के पास सुधरने डाला था और उक्त मोटर को पुन: बोर में स्थापित करने बाबद, परिवादी ने उक्त रवि चंद्रवंषी व सुरेन्द्र कुमार से प्रस्ताव किया था, जिन्होंने आकर, जिस पार्इप से मोटर डाला जाना था, उसे देखा था, तो उसकी चूड़ी खराब थी, इसलिए उक्त पार्इप में फिट करके मोटर, बोर में स्थापित करने से इंकार कर दिया था और फिर अनावेदक के कहने से सुरेन्द्र कुमार ने परिवादी को 300-रूपये किराये पर चेनपुल्ली और चेनपाना दिया था।
(9) ऐसे में मोटर सुधारकर परिवादी के बोर में स्थापित करने का कोर्इ कार्य अनावेदक के द्वारा किया जाना और इस संबंध में परिवादी का अनावेदक से कोर्इ सौदा अनुबंध रहा होना स्थापित नहीं पाया जाता है। इस संबंध में परिवादी की ओर से कोर्इ साक्ष्य पेष नहीं। तो तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(10) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और ब के निश्कर्श के आधार पर, मोटर सुधारकर परिवादी के बोर में लगाने का कार्य किसी अनुबंध के तहत, अनावेदक द्वारा किया जाना स्थापित नहीं, तो अनावेदक के द्वारा, परिवादी के प्रति-उक्त प्रकार की कोर्इ सेवा प्रदान करना भी स्थापित नहीं पाया जाता है। इसलिए अनावेदक द्वारा, कोर्इ सेवा में कमी किये जाने का प्रष्न संभव नहीं है।
(11) अन्यथा भी मोटर को मोटर और पार्इप की चूडि़यों के द्वारा, पार्इप में कसा जाकर (फिट) किया जाकर बोर के अंदर लगाया जाता है, जो कि-मोटर, बोर के अंदर गिर जाने का एक मात्र कारण, मोटर और पार्इप की चूडि़यां ठीक न रहा होना ही संभव है, तो पार्इप में कसकर मोटर, बोर में डाले जाने पर पार्इप से निकलकर मोटर का बोर में गिर जाना, परिवादी के उक्त पार्इप व मोटर की चूडि़यों की खराबी का ही परिणाम है और यह काम करने वाले की काम की कोर्इ लापरवाही होना संभव नहीं है। और कार्य करने वाले की कोर्इ चूक होती, तो भी ऐसी चूक उपभोक्ता विवाद हो सकना संभव नहीं।
(12) बहरहाल अनावेदक द्वारा, कोर्इ परिवादी के प्रति-सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'स को निश्कर्शित किया जाता हैं।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(द):-
(13) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ, 'ब और 'स के निश्कर्शों के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। जो कि-परिवादी नियमित व्यवहारवाद पेष करने के लिए स्वतंत्र होगा और पक्षकार इस कार्यवाही का अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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