(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
AEA- 07/2021
1. Sanjay kesarwani, Son of K.C. Kesarwani, Resident of 2-A, Savapalli, Mall Avenue, Lucknow.
2. Rohit kesarwani, Son of Ashok kesarwani, Resident of 784/46, W-1, Saket nagar, Kanpur.
……..Appellants
Versus
1. Shivgarh resorts limited, registered office celebrity country club, Village Kankaha, Raibareli road, Lucknow, through its Managing Director.
2. Shivgarh resorts limited, Situated at 5, Saran Chamber, Park road, Opposite Civil Hospital, Lucknow, through its Managing Director.
3. Rakesh pratap singh, Managing Director, Shivgarh resorts limited, 28 (Sneh) Park road, opposite Golf club, Lucknow.
4. Satyendra singh, M/s Shivgarh resorts limited, 6th floor, 1- Saran Chamber, 5 Park road, Lucknow.
……..Respondents
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री विकास अग्रवाल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : श्री प्रतीक सक्सेना,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 08.09.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 78/2010 के निर्णय के पश्चात निष्पादनवाद सं0- 08/2016 में जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष पारित आदेश दि0 19.02.2021 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। दि0 19.02.2021 को पारित आदेश पत्रावली पर दस्तावेज सं0- 10 है। इस आदेश में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य आयोग एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय के अनुक्रम में विकास कार्य न कराने पर क्षतिपूर्ति की राशि निर्णीत ऋणी द्वारा जमा करा दी गई है। इसलिए विकास कार्य कराने के सम्बन्ध में कोई आदेश दिया जाना उचित नहीं है।
2. इस आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि छ: महीने के अन्दर विकास कार्य कराये जाने का आदेश पारित किया गया है। क्षतिपूर्ति का आदेश स्वतंत्र आदेश है। विकास कार्य कराया जाना अपरिहार्य है। यदि छ: मास के अन्दर विकास कार्य पूर्ण नहीं कराया जाता तब अंकन 1,00,000/- का हर्जाना अधिरोपित किया गया है। निर्णीत ऋणी द्वारा प्लाट का विकास कार्य छ: महीने के अन्दर नहीं कराया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष निष्पादनवाद इस आशय का प्रस्तुत किया गया था कि प्लाट का विकास कार्य कराने का आदेश दिया जाए।
3. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल और प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतीक सक्सेना को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा सम्पूर्ण पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवाद सं0- 78/2010 श्री संजय केसरवानी व एक अन्य बनाम शिवगढ़ रिसार्ट्स लि0 व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा निम्नलिखित आदेश पारित किया गया है:-
1. विपक्षीगण को संयुक्त एवं एकल रूप से निर्देशित किया जाता है कि प्रश्नगत योजना के अंतर्गत विकास के कार्य पूर्ण करें।
2. अंकन 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्लाट का समुचित प्रयोग न होने के कारण अदा करें।
3. यदि विपक्षीगण द्वारा विकास कार्य नहीं किया जाता तब अतिरिक्त 1,00,000/-रू0 प्रतिकर परिवादी को देय होगा।
5. इस निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत की गई अपील सं0- 2455/2015 एनेक्जर सं0- 5 में निम्नलिखित आदेश पारित किए गए:-
1. प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण छ: माह के अन्दर प्लाट का विकास कार्य पूर्ण करें।
2. विकास कार्य पूर्ण न करने पर प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण अपीलार्थीगण/परिवादीगण को जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिए गए प्रतिकर के अलावा 1,00,000/-रू0 अतिरिक्त प्रतिकर राशि प्रदान करेंगे।
6. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि छ: माह के अन्दर विकास कार्य करना प्राथमिक दायित्व है। अतिरिक्त हर्जा अदा करने के बावजूद निर्णीत ऋणी इस दायित्व से उन्मोचित नहीं हो सकता, परन्तु उपरोक्त वर्णित दोनों निर्णय/आदेश के अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि छ: माह के अन्दर प्लाट विकसित कराना प्रथम आदेश है और यदि इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता तब जिला उपभोक्ता आयोग ने अतिरिक्त 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है, यानि जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश के अनुसार क्षतिपूर्ति के रूप में 1,00,000/-रू0 तथा विकास कार्य न कराये जाने पर अतिरिक्त 1,00,000/-रू0 यानि कुल 2,00,000/-रू0 देय होगा। यदि विकास कार्य करा दिया जाता है तब अतिरिक्त 1,00,000/-रू0 देने की आवश्यकता नहीं है। अपील के निर्णय/आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग ने जो आदेश पारित किए हैं उसके अतिरिक्त यानि 2,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त 1,00,000/-रू0 प्रतिकर के रूप में देय होगा, यदि विकास कार्य छ: माह के अन्दर नहीं कराया जाता। जिला उपभोक्ता आयोग ने विकास कार्य न कराने पर 1,00,000/-रू0 की अतिरिक्त क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने इस 1,00,000/-रू0 के अलावा + प्रथम 1,00,000/-रू0 के अलावा यानि 2,00,000/-रू0 के साथ-साथ 1,00,000/-रू0 अतिरिक्त प्रतिकर अदा करने का आदेश दिया है, यदि छ: माह के अन्दर विकास कार्य पूर्ण नहीं कराया जाता। स्वीकार्य रूप से विकास कार्य पूर्ण नहीं कराया गया, इसलिए पृष्ठ सं0- 10 पर पारित आदेश के अनुसार 3,00,000/-रू0 जमा करा दिए गए हैं। अत: विकास कार्य कराए जाने का आदेश निष्पादनवाद में नहीं दिया गया है। यह आदेश पूर्णत: विधि सम्मत है, इसमें कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
7. अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0
कोर्ट नं0- 2