(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-233/2010
Life Insurance Corporation of India
Versus
Shivansh Shukla (minor) S/O Sri A.K. Shukla
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संजय जायसवाल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :17.10.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद सं0-28/2008, शिवांश शुक्ला बनाम शाखा प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम मे विद्धान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.09.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा धारक सीमा शुक्ला की मृत्यु पर बीमा पॉलिसी के अनुसार देय राशि अदा करने का आदेश पारित किया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के नाम श्रीमती सीमा शुक्ला ने रार्बट्सगंज ले जाने के दौरान दिनांक 28.03.2005 को पॉलिसी सं0 284023204 प्राप्त की थी, जिसमें परिवादी नॉमिनी है। श्रीमती सीमा शुक्ला की मृत्यु दिनांक 06/07.10.2005 की रात्रि में हो गयी। ससुराल पक्ष के लोगों ने बतौर साजिश उसे मार डाला। शिवांश संरक्षक आर0डी0 पाण्डेय के साथ ही रह रहा है, इसलिए बीमा क्लेम मृतका के पुत्र शिवांश शुक्ला द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- बीमा कम्पनी द्वारा मुख्य आधार यह लिया गया है कि बीमा पॉलिसी लेने के 06 माह के अंदर आत्महत्या करने के कारण बीमा क्लेम देय नहीं है, परंतु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि यह सुनिश्चित नहीं है कि सीमा शुक्ला की मृत्यु किस कारण से हुई है, इसलिए बीमा क्लेम देय है।
- इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील एवं मौखिक तर्कों का सार यह है कि बीमाधारक द्वारा आत्महत्या की गयी है, इसलिए क्लॉज 4(बी) के अनुसार बीमा क्लेम देय नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में यह भी कथन किया गया है कि बीमा धारक के ससुराल पक्ष के लोगों के विरूद्ध धारा 306 एवं 498 (ए) का मुकदमा दर्ज कराया गया है। धारा 306, 498(ए) का मुकदमा दर्ज कराने का यह तात्पर्य नहीं है कि यह तथ्य स्थापित हो चुका है कि बीमाधारक द्वारा आत्महत्या की गयी है। बीमा धारक की मृत्यु कारित हुई है। यह तथ्य स्थापित है, परंतु मृत्यु होने का क्या कारण रहा है, यह तथ्य आज तक स्थापित नहीं है। धारा 498, 306 आईपीसी के अंतर्गत प्रेषित आरोप पत्र पर किसी सक्षम न्यायालय का कोई निर्णय नहीं है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
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अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2