(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2154/2008
The Oriental Insurance Company Limited
Versus
Shri Shiv Prasad Verma aged about 42 years S/O Shri Ram Naresh
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री बी0पी0 दुबे, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री अवनीश पाल, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :26.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. जिला उपभोक्ता आयोग, बस्ती द्वारा परिवाद सं0-163/2006 शिव प्रसाद वर्मा बनाम ओरियण्टल इं0कं0लि0 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.10.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए आकाशीय बिजली के कारण मकान में क्षति की पूर्ति के लिए 74,010/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है, साथ ही मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 10,000/-रू0 की अदायगी के लिए आदेशित किया है, देय राशि पर 06 प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करने के लिए निर्देश दिया गया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार नव निर्मित मकान का बीमा दिनांक 05.09.2002 को 3,60,000/-रू0 के लिए कराया था और स्टैण्डर्ड फायर एण्ड पैरिल पॉलिसी प्राप्त की थी। बीमा की अवधि दिनांक 05.09.2002 से 04.09.2012 थी। दिनांक 27.06.2003 को 2/3 बजे दिन में अचानक आकाशीय बिजली गिरने के कारण परिवादी के मकान की छत एवं दीवार क्रैक हो गयी तथा समस्त विद्युत उपकरण जलकर नष्ट हो गये। इस घटना की सूचना विद्युत विभाग तहसीलदार एवं बीमा कम्पनी को क्रमश: दिनांक 28.06.2003 एवं 30.06.2003 को दी गयी। विपक्षी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया गया। वह बार-बार मौसम विभाग की रिपोर्ट की मांग करते रहे, जिसे दाखिल करने का दायित्व परिवादी का नहीं था। विद्युत विभाग ने इस घटना को सत्य मानते हुए परिवादी के विद्युत मीटर एवं विभागीय उपकरणों को बदल दिया गया था। घर के अंदर की फिटिंगस बीमा की राशि से करनी थी, परंतु विपक्षी द्वारा बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया।
4. विपक्षी बीमा कम्पनी ने बीमा होना स्वीकार है। क्लेम प्राप्त होना भी स्वीकार किया गया है। इसके पश्चात सर्वेयर की नियुक्ति की गयी है, परंतु स्वयं परिवादी ने समस्त औपचारिकताओं की पूर्ति नहीं की और आवश्यक अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये। आकाशीय बिजली गिरना असत्य पाया गया। भवन की दीवार में क्रैक समानान्तर पाया गया। आकाशीय बिजली गिरने की स्थिति में ऊपर से नीचे की ओर भवन क्षतिग्रस्त होता। इसी आधार पर बीमा क्लेम नकारा गया है।
5. पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करते हुए जिला उपभोक्ता ने यह निष्कर्ष दिया है कि बीमा कम्पनी का यह दायित्व था कि वह आकाशीय बिजली गिरने के संबंध में संबंधित विभाग से सूचना प्राप्त करते। परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि आकाशीय बिजली गिरने के कारण मकान क्षतिग्रस्त हुआ है। तदनुसार उपरोक्त वर्णित क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया ।
6. इस निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने अवैधानिक रूप से सबूत के भार को परिवर्तित किया है। आकाशीय बिजली गिरने के कारण ही मकान क्षतिग्रस्त हुआ है। इस तथ्य को साबित करने का भार परिवादी पर है न कि बीमा कम्पनी पर। जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि आकाशीय बिजली गिरने के कारण ही मकान क्षतिग्रस्त हुआ है। आकाशीय बिजली के संबंध में जिला उपभोक्ता आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि चूंकि बीमा कम्पनी द्वारा यह अभिवाक लिया गया है कि आकाशीय बिजली गिरने से मकान क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है, बल्कि त्रुटिपूर्ण निर्माण के कारण मकान मे हानि कारित हुई है, इसलिए इस अभिवाक को साबित करने का भार निश्चित रूप से बीमा कम्पनी पर था, जिसे जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष पूर्ण नहीं किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी साक्ष्य के आधार पर अपना निर्णय पारित किया गया है, जिसको परिवर्तित करने का आधार जाहिर नहीं होता, सिवाय इसके कि मानसिक प्रताड़ना एवं वाद व्यय के मद में अंकन 10,000/-रू0 की राशि को अपास्त किया जाए क्योंकि क्षतिपूर्ति की राशि पर ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि मानसिक प्रताड़ना एवं परिवाद व्यय के मद में अंकन 10,000/-रू0 के संबंध में पारित आदेश अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2