मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ०प्र० लखनऊ
अपील संख्या- 1796/2011
ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इण्डिया
बनाम
शिव कुमार व अन्य
समक्ष:-
- माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय सदस्या
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई उपस्थित नहीं ।
दिनांक- 26.07.2023.
माननीय सदस्य श्री विकास सक्सेना द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी शाखा प्रबन्धक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया की ओर से विद्वान जिला आयोग, भदोही द्वारा परिवाद संख्या- 17/2009 शिव कुमार व अन्य बनाम शाखा प्रबन्धक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 23-04-2010 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
पीठ द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
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वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादीगण ने विपक्षी बैंक से 3,95,000/-रू० का ऋण ट्रैक्टर खरीदने हेतु दिनांक 15-04-2005 को लेकर स्कार्ट ट्रैक्टर खरीदा। परिवादीगण का ऋण खाता एवं ग्रीन कार्ड खाता विपक्षी बैंक में है। परिवादीगण द्वारा ऋण की किस्तों का भुगतान विपक्षी बैंक में किया जाता रहा किन्तु धीरे-धीरे ट्रैक्टर पुराना होने पर उसकी कमाई कम हो गयी और किस्तों की अदायगी करने में परेशानी होने लगी। इस प्रकार परिवादीगण के ऊपर विपक्षी बैंक का ऋण बकाया हो गया। विपक्षी बैंक द्वारा कुर्की नीलामी की सूचना परिवादीगण को दी गयी। तब परिवादीगण अपना खेत गिरवी रखकर विपक्षी बैंक को अदायगी करने लगे। वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा कृषि ऋण माफी योजना लागू की गयी जिसके तहत परिवादीगण का किसान क्रेडिट कार्ड का लोन विपक्षी बैंक द्वारा माफ कर दिया गया। किन्तु ट्रैक्टर का लोन आंशिक रूप से माफ किया गया। परिवादीगण ने उपरोक्त प्रकरण के बारे में भारत सरकार कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग नई दिल्ली को प्रार्थनापत्र भेजा किन्तु उक्त के सम्बन्ध में कोई समुचित उत्तर परिवादीगण को प्राप्त नहीं हुआ। परिवादीगण ने दिनांक 31-12-2007 के बाद मु० 31,000/-रू० ट्रैक्टर लोन खाते में एवं क्रेडिट कार्ड खाते में 3720/-रू० कुर्की नीलामी के भय से जमा कर दिया जो परिवादीगण को दिलाया जाना आवश्यक है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी के साथ अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी गयी जो विपक्षीगण द्वारा सेवा में की गयी
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कमी का द्योतक है। अत: परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी बैंक की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के कुछ कथनों को स्वीकार किया गया शेष को अस्वीकार किया गया है। विपक्षी बैंक ने कृषि ऋण माफी और राहत योजना 2008 के नियमों और शर्तों के अनुसार परिवादीगण लघु कृषक रहे हैं और विपक्षी बैंक ने कृषि ऋण माफी और राहत योजना में अंकित नियमों और शर्तों के अनुसार निवेश के मामले में ऐसे ऋणों की किस्तें जो अतिदेय किस्तों पर प्रयोज्य ब्याज सहित जो अतिदेय हो यदि ऋण 31-03-2007 तक समवितरित की गयी हो और दिनांक 31-12-2007 तक अतिदेय एवं 29 फरवरी 2009 तक जिसका भुगतान न हुआ हो, की राहत पाने का अधिकारी होगा। परिवादीगण जो लघु कृषक रहे हैं उनको उक्त राहत योजना के नियमों एवं शर्तों के अनुसार क्रेडिट कार्ड लिमिट के खाते में दिनांक 31 दिसम्बर 2007 तक 67,428/- रू० मय ब्याज अतिदेय रहा जो उसके खाते में ऋण माफी योजना की राहत प्रदान करते हुए दिनांक 28-06-2008 को जमा किया गया जिससे परिवादीगण के किसान खाते में कोई बकाया नहीं बचा। परिवादीगण के ट्रैक्टर लोन खाते में ऋण माफी योजना के नियमों एवं शर्तों के अनुसार दिनांक 31-12-2007 तक कुल मूल मय ब्याज 28,846/-रू० अतिदेय रहा जिसमें परिवादीगण ने जनवरी व फरवरी 2008 में 10,000/रू० जमा किया था और उसे घटाते हुए 18,846/-रू० विपक्षी बैंक नियमानुसार उनके ट्रैक्टर लोन खाते में दिनांक-
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30-07-2006 को ऋण माफी योजना के अन्तर्गत जमा किया। उक्त ऋण योजना के तहत किसी भी लघु कृषक को दिनांक 31-03-2007 तक सवितरित की गयी हो तथा दिनांक 31-12-2007 को अतिदेय एवं 29 फरवरी 2008 तक जिसका भुगतान न हुआ हो, ही माफी पाने के अधिकारी हैं। परिवादीगण सम्पूर्ण बकाया धनराशि की माफी पाने का अधिकारी नहीं रहा है। उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवादीगण का परिवाद विपक्षी बैंक के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण द्वारा ट्रैक्टर के लिए लिये गये ऋण की सम्पूर्ण बकाया धनराशि को स्वयं परिवादीगण के खाते में जमा करें तथा अदेयता प्रमाण पत्र परिवादीगण के पक्ष में जारी करें। विपक्षी बैंक इस आदेश का अनुपालन आज की तिथि से 45 दिन के अन्दर करें, अन्यथा परिवादीगण ऋण की सम्पूर्ण बकाया धनराशि एवं उस पर 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज परिवाद पत्र पंजीकृत होने की तिथि से 17-03-2009 से अदायगी की तिथि तक विपक्षी बैंक से पाने के अधिकारी होंगे। "
जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय के विरूद्ध यह अपील विपक्षी बैंक की ओर से योजित की गयी है।
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अपील में मुख्य रूप से अपीलार्थी बैंक की ओर से यह आधार लिए गये हैं कि अपीलार्थी बैंक ने परिवादी को रू० 3,80,000/- एस्कार्ट ट्रैक्टर खरीदने हेतु ऋण दिया था। परिवादी को किसान क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत ऋण माफी योजना 2008 के अन्तर्गत ऋण राहत दिया गया था। किन्तु ट्रैक्टर लोन के सम्बन्ध में 18,446/-रू० की राहत दी गयी जिसे परिवादी गलत एवं अवैध बता रहा है। ऋण राहत योजना के अन्तर्गत 31 मार्च 2007 तक प्रदान की गयी धनराशि जो दिनांक 31 दिसम्बर 2007 तक ओवरड्यूज हो गयी यह धनराशि जो 29 फरवरी 2008 तक अदा नहीं की गयी है उसके सम्बन्ध में ऋण प्रदान किया गया है। प्रत्यर्थी के किसान क्रेडिट ऋण खाते में 67,428/- रू० ब्याज सहित दिनांक 31-12-2007 तक ड्यू हो गयी थी जिससे परिवादी द्वारा धनराशि जमा करने के उपरान्त किसान क्रेडित खाते में धनराशि बैलैंस नहीं बचा और उसका खाता बन्द कर दिया गया।
अपीलार्थी के अनुसार ट्रैक्टर ऋण खाते में कुल धनराशि रू० 28,846/- रूपये दिनांक 31-12-2007 को ओवर ड्यू थी। परिवादी ने 5000/-रू० दिनांक 09-01-2008 को तथा 5000/-रू० 13-02-2008 को अदा किया था। इस प्रकार परिवादी की ओवर ड्यूज धनराशि 18,846/- ही रह गयी थी। अत: परिवादी को ऋण राहत योजना 2008 के अन्तर्गत रू० 18,846/-की धनराशि दी गयी थी। परिवादी इससे अधिक धनराशि प्राप्त करने का अधिकार नहीं रखता था जबकि वह सम्पूर्ण धनराशि 67,428/- रू० की माफी चाहता है। इसका उसे अधिकार नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने इन तथ्यों को नजर
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अंदाज करते हुए निर्णय पारित किया है कि कितनी धनराशि परिवादी के खाते में ऋण राहत योजना के अन्तर्गत माफी योग्य है। सम्पूर्ण धनराशि को माफ करते हुए परिवाद स्वीकार किया गया है। अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त होने योग्य है एवं प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
प्रस्तुत मामले में परिवादी ने ऋण राहत योजना 2008 जो केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गयी थी के अन्तर्गत ऋण माफी की दावेदारी की है। परिवादी द्वारा ऋण ट्रैक्टर खरीदे जाने हेतु लिया गया था जो परिवादी ने स्वीकार भी किया है। कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना 2008 के अवलोकन से स्पष्ट है कि उक्त योजना की धारा-3 में परिभाषित शीर्षक के अन्तर्गत प्रत्यक्ष कृषि ऋण तथा निवेश ऋण की परिभाषा पृथक-पृथक रूप से दी गयी है जिसकी धारा 3.1 में प्रत्यक्ष कृषि ऋण तथा 3/3 में निवेश ऋण परिभाषित है जो निम्नलिखित है:-
3.1 "प्रत्यथी कृषि ऋण" का अर्थ है कृषिगत उद्देश्यों के लिए किसानों को प्रत्यक्ष रूप से दिये गये अल्पावधि उत्पादन ऋण और निवेश ऋण। इसमें व्यक्तिगत किसानों के समूहों को प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराए गये ऋण भी शामिल होंगे। बशर्ते बैंक उस समूह के प्रत्येक किसान को दिये गये ऋण के विभिन्न आंकडे रखें।
3.2 "अल्पावधि उत्पादन ऋण" का अर्थ है फसल उगाने के सम्बन्ध में दिया गया ऋण जिसका 18 महीने के अन्दर पुर्नभुगतान किया जाना है। इसमें पारंपरिक और गैर-पारम्परिक बागानों और
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बागवानी के लिए अधिकतम एक लाख रूपये का कार्यशील पूंजी ऋण शामिल होगा।
3.3 "निवेश ऋण" का अर्थ है खराब हो रही आस्तियों के प्रतिस्थापन और रख-रखाव से संबंधित व्ययों को पूरा करने के लिए और भूमि की उपज को बढ़ाने के उद्देश्य से किये गये पूंजी निवेश, उदाहरणार्थ कुओं को गहरा करना, नए कुओं की खुदाई, पंप सेट की स्थापना, ट्रैक्टर/बैलों की खरीद, भूमि विकास तथा पारम्परिक और गैर पारम्परिक बागानों और बागवानी के लिए मीयादी ऋण।
उक्त ऋण राहत योजना 2008 की परिभाषा के अनुसार परिवादी द्वारा क्रय किये गये ट्रैक्टर के सम्बन्ध में ऋण निवेश ऋण के अन्तर्गत आता है। इस ऋण योजना के अन्तर्गत धारा-04 में पात्र राशि का विवरण दिया गया है जिसकी उपधारा "ख" में निवेश ऋण के सम्बन्ध में माफ की जाने वाली धनराशि निम्नलिखित प्रकार से प्रदान की गयी है:-
निवेश ऋण के मामले में ऐसे ऋण की किस्तें जो बकाया हैं, (ऐसी किस्तों पर लागू ब्याज सहित) ऋण 31 मार्च 2007 तक संवितरित, 31 दिसम्बर 2007 तक बकाया और 29 फरवरी 2008 तक चुकाया नहीं गया था।
प्रस्तुत मामले में स्वीकृत रूप से परिवादी की 31 दिसम्बर 2007 तक की धनराशि बकाया थी इसके उपरान्त 29 फरवरी 2008 के पूर्व परिवादी ने 5000/-रू० दिनांक 09-01-2008 को तथा 5000/-रू० 13-02-2008 को अदा किया था। अत: यह धनराशि 29 फरवरी 2008 तक बकाया नहीं रह गयी थी। अत: इस धनराशि पर
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10,000/-रू० को राहत में समायोजित किया जाना उचित नहीं है क्योंकि ऋण राहत योजना के अनुसार उक्त धनराशि रू० 10,000/- ऋण राहत के अन्तर्गत नहीं आती थी। विद्वान जिला आयोग द्वारा अपने निष्कर्ष में यह तथ्य अंकित किया है कि विपक्षी बैंक ने उक्त कृषि ऋण राहत योजना के अन्तर्गत ट्रैक्टर ऋण की सम्पूर्ण बकाया धनराशि माफ नहीं की है बल्कि आंशिक धनराशि माफ की है। विद्वान जिला आयोग द्वारा दिनांक 31-12-2007 तक बकाया सभी ऋण की धनराशि को माफ करने के निर्देश दिया गया है। विद्वान जिला आयोग ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया है कि यदि 29 फरवरी 2008 तक धनराशि अदा कर दी गयी है तो वह ऋण राहत योजना के अन्तर्गत सम्मिलित नहीं होगी। उक्त धनराशि रू० 10,000/- जिस पर अतिरिक्त राहत प्रश्नगत निर्णय के माध्यम से परिवादी को प्रदान किया गया है वह वास्तव में ऋण राहत की परिधि में नहीं आता है। अपीलार्थी बैंक में शेष धनराशि 18,446/-रू० की राहत परिवादी को दी गयी है। अपीलार्थी की ओर से उक्त ऋण खाते की प्रतिलिपि अभिलेख पर लायी गयी है जो बैंक बुक एवीडेंस की धारा-4 के साक्ष्य के रूप में ग्राह्य है। इसके खण्डन हेतु कोई साक्ष्य परिवादी की ओर से नहीं दिया गया है। उक्त खाते के अनुसार रू० 18,886/-रू० दिनांक 30-03-2007 को ओवर ड्यूज होना अंकित है। अपीलार्थी बैंक द्वारा ऋण राहत योजना के अन्तर्गत राहत परिवादी को प्रदान किया गया है। इससे अधिक धनराशि परिवादी को दिया जाना परिवादी ने साबित नहीं किया है। अत: जिला आयोग ने उपरोक्त तथ्यों को नजर अंदाज करते हुए दिनांक 29 फरवरी 2008
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तक चुकायी गयी राशि को अपने निष्कर्ष में नहीं अंकित किया है अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने योग्य है एवं प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती हैं। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)
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कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3