Uttar Pradesh

StateCommission

A/627/2015

Shanti Nursing Home - Complainant(s)

Versus

Shiv Kumar - Opp.Party(s)

Imran Khan & Arun Tandon

13 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/627/2015
(Arisen out of Order Dated 25/11/2014 in Case No. C154/2012 of District Muradabad-I)
 
1. Shanti Nursing Home
Aligarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Shiv Kumar
Smbhal
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 13 Nov 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-627/2015

                                              (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, सम्‍भल द्वारा परिवाद संख्‍या 154/2012 में पारित आदेश दिनांक 25.11.2014 के विरूद्ध)

Shanti Nursing Home Through Dr. Virender Chowdhry Office Ramghat Road, Aligarh.

                             ...................अपीलार्थी/विपक्षी सं01

बनाम

1. Shri Shiv Kumar S/o Sri Prem Shankar R/o Village Nadhaus, P/S Bahjoi, District-Sambhal.

2. Dr. Manish Varshney, Sumangalam Nursing Home, Arya Samaj Road, Bahajoi, District-Sambhal.                                

                   .................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं02

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार सिंह एवं                           

                              श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय,

                              विद्वान अधिवक्‍तागण।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्‍डन,                                        

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 13-11-2017         

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-154/2012 शिवकुमार बनाम शान्ति नर्सिंग होम व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सम्‍भल द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक  25.11.2014 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

-2-

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी नं01 के विरूद्ध एकपक्षीय स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी नं01 को आदेश‍ दिया जाता है कि वह एक लाख रूपया बाबत इलाज खर्च व क्षतिपूर्ति तथा 1500/-रुपया वाद व्‍यय दो माह के अन्‍दर परिवादी को अदा करे। अन्‍यथा विपक्षी नं01 मतालबा डिक्री पर दौरान मुकदमा ता वसूली 9% वार्षिक ब्‍याज भी अदा करने का जिम्‍मेदार होगा।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी सं01 शान्ति नर्सिंग होम ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1, जो परिवाद का परिवादी है, की ओर से विद्वान अधिवक्‍तागण श्री आलोक कुमार सिंह एवं श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय उपस्थित आए हैं और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2, जो परिवाद का विपक्षी संख्‍या-2 है, की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन उपस्थित आए हैं।

मैंने प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी शिवकुमार ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस  कथन

 

 

-3-

के साथ प्रस्‍तुत किया है कि दिनांक 26.04.2009 को लगभग 12 बजे रा‍त वह अपने पिता के साथ ट्रैक्‍टर में बैठकर घर आ रहा था, अचानक ट्रैक्‍टर से नीचे गिर गया और उसका कूल्‍हा टूट गया तथा रांगे कट गई। उसे तुरन्‍त विपक्षी संख्‍या-2 डा0 मनीष वार्ष्‍णेय के यहॉं इलाज के लिए भर्ती कराया गया। उन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की हालत देखकर उसे परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1, जो वर्तमान में अपीलार्थी है, के यहॉं उपचार कराने की सलाह दी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उक्‍त विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं एडमिट कराया गया। विपक्षी संख्‍या-1 ने इलाज के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 20,000/-रू0 तत्‍काल जमा करवाया और उसका इलाज किया तथा उसे दिनांक 02.05.2009 तक अपने यहॉं एडमिट रखा। समय-समय पर उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 30,000/-रू0 और वसूले। उसके बाद भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को दिखाता रहा और परामर्श लेता रहा, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कूल्‍हा ठीक नहीं हुआ। तब उसने जी0एस0एम0 मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ में दिखाया जहॉं पर डाक्‍टर ने बताया कि उसके कूल्‍हे का आपरेशन नहीं किया गया है। मात्र रांगों के जख्‍मों को भरा गया है। इसके साथ ही जी0एस0एम0 मेडिकल यूनिवर्सिटी के डाक्‍टर ने उसे एम्‍स/सफदर जंग हास्‍पीटल दिल्‍ली में दिखाने की सलाह दी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी सफदर जंग हास्‍पीटल में गया जहॉं पर उसे कूल्‍हा बदलवाने की सलाह दी गयी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने अप्रैल 2011 में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से इलाज में की गयी लापरवाही की शिकायत की तो उसने उसके साथ अभद्र व्‍यवहार  किया।

 

 

-4-

अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 नोटिस तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है, परन्‍तु दिनांक 14.07.2014 को दोनों विपक्षीगण अनुपस्थित थे। अत: जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने भी जिला फोरम के निर्णय का समर्थन किया है।

मैंने प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क पर विचार किया है।

आधार अपील में अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से कहा गया है कि गलत कथन के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत किया है। उसका पता परिवाद में गलत दिए जाने के कारण वह उपस्थित नहीं हुआ है और उसे परिवाद की जानकारी नहीं हुई है। उसकी ओर से प्रत्‍यर्थी/परिवादी के इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध एकपक्षीय रूप  से  निर्णीत

 

-5-

किया गया है। परिवाद में उसने उपस्थित होकर अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। आक्षेपित निर्णय और आदेश के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मात्र शपथ पत्र के आधार पर यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 ने उसके इलाज में लापरवाही की है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त यह उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को पुन: निर्णय पारित करने हेतु प्रत्‍यावर्तित की जाए और अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को लिखित कथन व सुनवाई का अवसर जिला फोरम द्वारा प्रदान किया जाए।

अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। इस कारण परिवाद के निस्‍तारण में जो विलम्‍ब हो रहा है उसकी क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 10,000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना उचित और आवश्‍यक प्रतीत होता है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश 10,000/-रू0 हर्जे पर अपास्‍त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्‍दर लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रदान करें और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का

 

 

-6-

अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करें।

उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 20.12.2017 को उपस्थित हों। जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को लिखित कथन प्रस्‍तुत करने हेतु उपरोक्‍त समय के अलावा और कोई समय प्रदान नहीं करेगा। 

अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्‍याज से 10,000/-रू0 हर्जे की उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किया जाएगा और उसके बाद शेष धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी को वापस कर दी जाएगी।

 

 

     

                    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                         अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1    

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
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