(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 229/2019
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 160/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16.01.2019 के विरुद्ध)
Star Health and Allied Insurance Company Limited, through its Senior Vice-President Zonal Office-501, Lekhraj Market-3, Faizabad Road, Indira Nagar, Lucknow
……Appellant
Versus
Shiv Kumar Yadav, Son of Ram Swaroop Yadav, Resident of Village-Sagar Ka Purwa, Post Office-Sidhapur, Police Station-Asandra, District-Barabanki, Presently residing at E-35C, Badshahnagar, Railway Colony, Lucknow.
……Respondent
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री शिशिर प्रधान, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री योगेन्द्र कुमार तिवारी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 15.12.2021
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 160/2016 शिव कुमार यादव बनाम स्टार हेल्थ एण्ड एलाइड इंश्योरेंस कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 16.01.2019 के विरुद्ध परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
2. प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा उपरोक्त परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया गया उसने अपीलार्थी/विपक्षी स्टार हेल्थ एण्ड एलाइड इंश्योरेंस कं0लि0 से फैमिली हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस प्लान दि0 29.05.2015 को लिया था। इस पालिसी में प्रत्यर्थी/परिवादी और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसकी पत्नी श्रीमती मालती यादव भी बीमित थी। दि0 29.08.2015 को प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी मालती को पेट में दर्द होने के कारण सेंट जोसेफ अस्पताल में भर्ती कराया गया तथा दि0 03.09.2015 तक उसका इलाज चलता रहा। स्वास्थ्य में सुधार न होने के कारण दि0 03.09.2015 को उसने डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान गोमती नगर, लखनऊ में भर्ती कराया जहां पर उसका इलाज वरिष्ठ चिकित्सक द्वारा किया गया। दि0 19.09.2015 को प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी का देहांत हो गया। मृत्योपरांत प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त हेल्थ बीमा प्लान के अंतर्गत बीमा क्लेम हेतु अपीलार्थी/विपक्षी के पास दावा प्रस्तुत किया जिसे अपीलार्थी/विपक्षी ने यह कहकर निस्तारित कर दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने बीमा लेते समय अपनी पत्नी की पेट में बीमारी होने की बात छिपाकर छल पूर्वक पालिसी ली थी, ऐसा करके सेवा में कमी की है। इस आधार पर उपरोक्त परिवाद प्रस्तुत किया गया जिसमें बीमित धनराशि 5,00,000/-रू0 मय 12 प्रतिशत साधारण ब्याज एवं मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 2,00,000/-रू0 व अन्य अनुतोष की मांग की गई।
3. अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किए गए प्रतिवाद पत्र में यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी को दिए गए बीमा पालिसी में अपवर्जन सं0- 3 भी इस प्रकार था कि उक्त में दिए गए बीमारियों के लिए इंश्योरेंस कम्पनी उत्तरदायी नहीं होगी जिसके मद सं0- 3B में Gall bladder, Pancreatitis बीमारियां तथा Hepato-pancreato, Billary बीमारियां थीं। अपवर्जन सं0- 3 में यह दिया गया था कि बीमा के प्रथम 2 वर्ष में इन बीमारियों का कवर नहीं होगा जब कि मृतक के मृत्यु प्रमाण पत्र में स्पष्ट है कि उसकी मृत्यु Hepato-pancreato, Billary तथा Pancreatitis बीमारियों से हुई है तथा उसका इलाज Billary Pancreatitis बीमारी के लिए किया गया था। बीमा पालिसी में दिए गए अपर्वजन क्लाज के अनुसार बीमा की धनराशि देय नहीं है। इसके अतिरिक्त प्रत्यर्थी/परिवादिनी की पत्नी पूर्व से इन बीमारियों से ग्रसित थी तथा पालिसी की शर्त सं0- 8 में यह प्रदान किया गया है कि यदि बीमित द्वारा दी गई कोई सूचना गलत पायी जाती है तो बीमा कम्पनी, बीमा की धनराशि देने के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।
4. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभयपक्ष को सुनवाई का अवसर देने के उपरांत प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए बीमित धनराशि मय 09 प्रतिशत ब्याज एवं मानसिक कष्ट हेतु रू0 15,000/- तथा वाद व्यय 5,000/-रू0 अदा करने का निर्देश दिए एवं 4 सप्ताह के उपरांत इस धनराशि पर 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज का भी निर्देश दिया है जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गई है।
5. अपील में मुख्य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि मृतक श्रीमती मालती यादव को सेंट जोसेफ हॉस्पिटल में दि0 29.08.2015 को भर्ती किया गया था जो बीमा के प्रथम 2 वर्ष में बीमित बीमार थी। इसके अतिरिक्त मृतक के डॉ0 राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में लेजर रजिस्टर दि0 03.09.2015 के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि उसके द्वारा मुख्यमंत्री विवेकाधीन फण्ड द्वारा उ0प्र0 राज्य से रू0 4,00,000/- की चिकित्सीय सहायता प्राप्त हुई है। इस तथ्य को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी से छिपाया गया। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस तथ्य को नजरंदाज किया कि उक्त सहायता के उपरांत यदि बीमे का क्लेम मान भी लिया जाए तो रू0 37,687/- की देयता शेष रह जाती है। इन आधारों पर परिवाद निरस्त किए जाने और अपील स्वीकार किए जाने की प्रार्थना की गई है।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री शिशिर प्रधान और प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री योगेन्द्र कुमार तिवारी उपस्थित हैं। उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया। अपील के निर्णय हेतु निष्कर्ष निम्न प्रकार से हैं:-
7. प्रश्नगत निर्णय में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विरुद्ध सम्पूर्ण बीमित धनराशि 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ आज्ञप्त की गई है। अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की पत्नी अर्थात बीमित को Severe Billary Pancreatitis की बीमारी थी, जिसे छिपाकर पालिसी प्राप्त की गई थी। प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसकी पत्नी का देहांत हृदयाघात से हुआ था जब कि उसकी मृत्यु वास्तविक रूप में उपरोक्त बीमारी से हुई थी। अपीलार्थी/विपक्षी का कथन यह भी है कि बीमा की प्रश्नगत पालिसी में विशिष्ठ रूप में उपरोक्त बीमारी के सम्बन्ध में यह विशिष्ठ शर्त है कि 02 वर्ष तक इस बीमारी में किए गए खर्चे बीमा पालिसी के अंतर्गत देय नहीं होंगे।
8. उभयपक्ष के परस्पर विरोधी तर्कों के प्रकाश में बीमा पालिसी की शर्तों को देखा जाना जरूरी है। बीमा पालिसी दिनांकित 30.05.2015 की प्रतिलिपि एनेक्जर 03 के रूप में अपील के साथ लगायी गई है जिसके सम्बन्ध में उभयपक्ष के मध्य कोई विरोध नहीं है। बीमा पालिसी के साथ संलग्न शर्तें अंतर्गत ''फेमिली हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस प्लान'' के प्रस्तर 3 में अपवर्जन दिए गए हैं जिसमें स्पष्ट रूप से अंकित है कि- The Company shall not be liable to make any payments under this policy in respect of any expenses what so ever incurred by the insured person in connection with or in respect of:-
1…………………………………………………………………………………………………….
2……………………………………………………………………………………………………
3. During the first two years of continuous operation of insurance cover any expenses on.
a. …………………………………………………………………………………………………
b. Gall bladder and pancreatic diseases and all treatments (conservative, interventional, laparoscopic and open) related to Hepato-pancreato-billary including gall bladder and pancreatic calculi, All types of management for kidney and genitourinary tract calculi.
9. उक्त अपवर्जन से स्पष्ट है कि प्रश्नगत बीमा पालिसी ''फेमिली हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस प्लान" में Gall bladder and Pancreatic Diseases के सम्बन्ध में चिकित्सीय व्यय 02 वर्ष के भीतर बीमा पालिसी के अंतर्गत देय न होने की शर्त है। यह बीमा पालिसी दि0 30.05.2015 को अस्तित्व में आयी जब कि इसके लगभग 03 माह के उपरांत बीमित मालती यादव के इलाज सम्बन्धी सेंट जोसेफ एण्ड नर्सिंग हॉस्पिटल के चिकित्सीय पर्चा अपील के संलग्नक 06 के रूप में अभिलेख पर हैं जिसमें डॉ0 निखिल सिंह द्वारा बीमित मालती यादव की डायग्नोसिस निम्नलिखित प्रकार से की गई है:- Choletithiaris C- Cholecystitis c- Cholecloclolithiasis Pancreatitis इस चिकित्सीय प्रपत्र के अंत में बीमित रोगी को के0जी0एम0यू0, एस0जी0पी0जी0आई0 अथवा डॉ0 आर0एम0एल0 इंस्टीट्यूट उच्चतर चिकित्सीय केन्द्र को संदर्भित किए जाने का वर्णन भी है।
10. संलग्नक 07 के रूप में डॉ0 आर0एम0एल0 इंस्टीट्यूट साइंस की डिस्चार्ज समरी की प्रतिलिपि अभिलेख पर है जिसमें मरीज को दि0 119.09.2015 को डिस्चार्ज किया जाना अंकित है तथा इस डाइग्नोसिस में भी बीमित रोगी मालती यादव की डायलिसिस Acute Severe Billary Pancreatitis होना अंकित है।
11. अपील के संलग्नक 08 के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र द्वारा डॉ0 राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की प्रतिलिपि अभिलेख पर है जिसमें दि0 03.09.2015 को मृत्यु हो जाना वर्णित है। बीमारी का वर्णन Severe Acute Billary Pancreatitis अंकित है तथा हृदयाघात से मृत्यु हो जाने का वर्णन है।
12. उपरोक्त सभी प्रपत्रों से स्पष्ट होता है कि बीमित रोगी को उपरोक्त Billary Pancreatitis तथा Gall bladder से सम्बन्धित बीमारी हुई थी जिसके कारण उसकी मृत्यु हुई। बीमा पालिसी के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि मृतका मालती यादव की बीमारियों के व्यय का बीमा हुआ था जिसमें उपरोक्त बीमारी जिसका इलाज का व्यय बीमा की शर्तों के अनुसार बीमा की तिथि से 02 वर्ष तक देय नहीं था। उक्त बीमारी ही मृतका को हुई थी एवं यह बीमा की तिथि से 02 वर्षों के भीतर ही हुई जो बीमा की शर्तों के अनुसार देय नहीं है।
13. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने यह माना है कि बीमित व्यक्ति की मृत्यु हृदयाघात से हुई, किन्तु बीमा की पालिसी में मृत्यु का कारण महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि बीमा की शर्तें जिनके अनुसार कुछ बीमारियों को बीमा की तिथि से 02 वर्ष तक बीमित नहीं किया गया था उनका अपवर्जन महत्वपूर्ण है। अत: यह मानना उचित है कि बीमा की उपरोक्त शर्तों को नजरंदाज करते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उक्त इलाज की धनराशि दिए जाने का निर्णय व आदेश दिया है जो उचित नहीं माना जा सकता। अत: प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किए जाने योग्य है तथा अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
14. अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है।
उभयपक्ष वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-1