Uttar Pradesh

StateCommission

A/2552/2016

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Shiv Kumar Gupta - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

21 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2552/2016
( Date of Filing : 07 Oct 2016 )
(Arisen out of Order Dated 07/09/2016 in Case No. C/138/2014 of District Gonda)
 
1. Central Bank Of India
Gonda
...........Appellant(s)
Versus
1. Shiv Kumar Gupta
Gonda
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Dec 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)                                             

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                           अपील संख्‍या- 2552/2016

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गोण्‍डा द्वारा परिवाद संख्‍या- 138/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07-09-2016 के विरूद्ध)

  

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा एल०बी०एस० जनपद-गोण्‍डा द्वारा शाखा प्रबन्‍धक।

                                                                        अपीलार्थी

                              बनाम 

1- शिव कुमार गुप्‍ता आयु लगभग 45 वर्ष पुत्र स्‍व0 काशीराम गुप्‍ता निवासी- पाण्‍डेय बाजार शहर व जिला गोण्‍डा।

2- जिला नगरीय विकास अधिकरण (डूडा) गोण्‍डा द्वारा प्रबन्‍धक शहर व जिला गोण्‍डा।                                                 

                                                                       प्रत्‍यर्थीगण

 

मक्ष:- 

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज

प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित  :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री तरूण कुमार पाण्‍डेय

 

दिनांक-07-01-2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                       निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शाखा एल०बी०एस० जनपद-गोण्‍डा द्वारा शाखा प्रबन्‍धक की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गोण्‍डा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-09-2016 (परिवाद संख्‍या- 138/2014 शिव कुमार गुप्‍ता बनाम शाखा प्रबन्‍धक, सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य) के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की गयी है।

 

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संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपने व्‍यापार को सुचारू रूप से चलाने हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी शिव कुमार गुप्‍ता द्वारा ऋण लिये जाने हेतु आवेदन वर्ष 2012-13 में कुल धनराशि 2,00,000/-रू० का किया गया। परिवाद पत्र में विपक्षी संख्‍या-2 अर्थात जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से समस्‍त औपचारिकताएं पूर्ण कराकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कास्‍मेटिक एवं जनरल स्‍टोर हेतु कुल धनराशि 1,50,000/-रू० का ऋण प्रदान करने हेतु अपीलार्थी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा एल०बी०एस० गोण्‍डा को प्रेषित किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा दिनांक 04-09-2013 को 1000/-रू० का जमा करवाकर खाता संख्‍या-3281975407 खुलवाकर अपना उपभोक्‍ता बनाया गया तदोपरान्‍त उसे बैंक द्वारा पासबुक जारी की गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा समस्‍त औपचारिकताएं पूर्ण कराकर विपक्षी संख्‍या-1 अर्थात अपीलार्थी बैंक से ऋण देने हेतु दिनांक 04-09-2013 से सम्‍पर्क किया जाता रहा परन्‍तु अपीलार्थी बैंक द्वारा अवैधानिक रूप से ऋण की देय धनराशि के विरूद्ध 25 प्रतिशत की धनराशि की मांग रखी गयी जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा देने से मना किया गया तथा यह भी अवगत कराया गया कि यदि वह इतनी धनराशि देगा तो उसके पास क्‍या धनराशि बचेगी जिससे वह अपने जीविकोपार्जन हेतु व्‍यापार कर सकेगा। उक्‍त तथ्‍यों के पश्‍चात अपीलार्थी बैंक द्वारा यह धमकी दी गयी कि यदि उपरोक्‍त 25 प्रतिशत की धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं दी जाएगी तब उस स्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ऋण पत्रावली को उपरोक्‍त अपीलार्थी बैंक द्वारा वापस जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) को प्रेषित कर दी जाएगी वहीं से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ऋण की रकम प्राप्‍त करे। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जब इस बात का ज्ञान हुआ कि अपीलार्थी बैंक द्वारा अवैधानिक धनराशि वसूल करने

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की कार्यवाही की जा रही है तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरोध करने पर ऋण से संबंधित समस्‍त पत्रावली विपक्षी संख्‍या-2 जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) को प्रेषित कर दी गयी जिसके द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सूचित किया गया। जिस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया को रजिस्‍टर्ड डाक से दिनांक 17-06-2014 को नोटिस प्रेषित किया जिसका कोई जवाब नहीं आया तदोपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जिला आयोग के सम्‍मुख परिवाद संख्‍या- 138/2014 योजित किया गया।

     विद्वान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करते हुए तथा उभय-पक्ष की ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍यों एवं जवाबोत्‍तर आदि का परिशीलन करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि अपीलार्थी बैंक द्वारा ऋण अवमुक्‍त न किये जाने से तथा ऋण से संबंधित पत्रावली को वापस विपक्षी संख्‍या-2 जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) को प्रेषित किये जाने से न सिर्फ प्रत्‍यर्थी/परिवादी बैंक से ऋण की धनराशि प्राप्‍त करने से वंचित रहा वरन वह विपक्षी संख्‍या-2 (डूडा) स्‍वरोजगार योजना के अन्‍तर्गत ऋण प्राप्‍त करने से भी वंचित रहा।

     समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी संख्‍या-1 अर्थात अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध यह आदेश पारित किया कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के रूप में 10,000/-रू० की धनराशि दो माह के अन्‍दर अदा करें, साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में 3000/-रू० अदा करें।

     उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया की ओर से अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की

 

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गयी जिसमें अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री तरूण कुमार पाण्‍डेय उपस्थित हुए।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज द्वारा यह प्रार्थना की गयी कि विद्वान जिला आयोग द्वारा जो मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के रूप में 10,000/-रू० की धनराशि की देयता अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध निर्धारित की गयी है अत्‍यधिक है जिसे समाप्‍त किया अथवा कम किया जाए।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री तरूण कुमार पाण्‍डेय ने निवेदन किया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश उचित है, क्‍योंकि बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयी है।

     मेरे द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश उचित है परन्‍तु जो धनराशि मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बैंक द्वारा देयता निर्धारित की गयी है वह कुछ अधिक है जिसे कम कर 5000/-रू० किया जाना उचित प्रतीत होता है। शेष वाद व्‍यय की धनराशि 3000/-रू० अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को देय होगी।

    समस्‍त धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बैंक द्वारा एक माह की अवधि में अदा की जाए। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

       आशुलि‍पिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

    

                        

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

 

कृष्‍णा–आशु०कोर्ट नं०1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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