सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 1749/2017
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या-43/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30-08-2017 के विरूद्ध)
1- Managing Director, Poorvanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd., Bhikharipur, Post-D.L.W. Varansi.
2- Executive Engineer, Electricity Distribution Division,-I, U.P, Power Corporation Ltd., Sigra, Varansi.
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
1- Shiv Bali Mishra S/o Late Ram Naresh Mishra.
2- Raj Bali Mishra S/o Late Ram Naresh Mishra.
3- Raj Narayan Mishra S/o Late Ram Naresh Mishra.
4- jai Prakash Mishra S/o Late Ram Naresh Mishra.
5- Jai Shankar Mishra S/o Ram Bali Mishra.
6- Vijay Shankar S/o Ram Bali Mishra.
7- Karuna Mishra S/o Ram Bali Mishra.
8- Vivek Mishra S/o Late Shri Narayan Mishra.
All R/o Village Bahutra, Pargana-Kolsala, Tehsil Pindra, Varansi.
प्रत्यर्थी/परिवादीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री मोहन अग्रवाल।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री शिवबली मिश्रा व्यक्तिगत रूप से
दिनांक- 14-01-2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या– 43 सन् 2013 शिवबली मिश्रा व सात अन्य बनाम प्रबन्ध निदेशक, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि0 भिखारीपुर पोस्ट D.L.W.
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वाराणसी व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक- 30-08-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ प्रस्तुत परिवाद अंशत: स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक आदेश दिया जाता है कि वह इस आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादीगण को मु0 45,000/-रू० क्षतिपूर्ति तथा 5000/-रू० वाद व्यय कुल मु0 50,000/-रू० का भुगतान करें। निर्धारित अवधि में उक्त धनराशि का भुगतान न करने पर विपक्षीगण को उपरोक्त समस्त धनराशि पर परिवाद की तिथि से आइन्दा भुगतान की तिथि तक 08 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज परिवादीगण को देना होगा। माननीय राज्य आयोग के निर्णय की अवहेलना करते हुए विद्युत कनेक्शन संयोजन में जो लगभग तीन वर्ष का विलम्ब किया गया इसके लिए विद्युत विभाग के जो अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार रहे हैं उनके वेतन से विद्युत विभाग उपरोक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि वसूल कर सकती है। उन अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय अनुशासनात्म कार्यवाही करने की भी संस्तुति की जाती है।"
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मोहन अग्रवाल उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थीगण की ओर से श्री शिवबली मिश्रा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आए हैं।
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मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 पिता श्री रामनरेश मिश्रा ने 7.5 हार्स पावर का एक पम्पिंग सेट हेतु विद्युत कनेक्शन संख्या- 0212/513160 लिया था जिसके विद्युत बिलों का नियमित रूप से भुगतान वह अपने जीवनकाल में करते रहे। उनकी मृत्यु के उपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादी संख्या-1 कर्ता खानदान होने के कारण उपरोक्त पम्पिंग सेट के विद्युत कनेक्शन के विद्युत बिलों का नियमित भुगतान करता रहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 के द्वारा विद्युत बिलों का भुगतान न किये जाने के कारण व बकाया धनराशि अधिक होने के कारण उनके उपरोक्त पम्पिंग सेट का विद्युत कनेक्शन दिनांक- 07-01-1997 को विच्छेदित कर दिया गया जिसके विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 ने सहायक अभियन्ता विद्युत वितरण उपखण्ड, पिण्डरा वाराणसी के यहॉं आवेदन पत्र प्रस्तुत किया और विद्युत कनेक्शन को संयोजित कर विद्युत आपूर्ति चालू करने करने हेतु कहा। तब उपखण्ड अधिकारी ने जनवरी 1998 तक कुल बकाया 37,134/-रू० दर्शाते हुए प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 से जमा कराया। उसके बाद अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय में प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 ने आवेदन पत्र दिया कि उनके पिता ने अपने जीवन काल में जनवरी 1998 तक के विद्युत बिलों की पूर्ण धनराशि का भुगतान कर दिया है। विद्युत कनेक्शन चालू कर दिया जाए।
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परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण की लापरवाही के कारण इस प्रार्थना पत्र पर दिनांक 30-05-1998 को इस आशय की आख्या प्राप्त हुयी कि यदि प्रत्यर्थी/परिवादीगण उपरोक्त अवधि के ऊर्जा मूल्य 1625/-रू० व आर.ओ.डी.ओ. चार्ज 200/-रू० कुल 1825/-रू० रूपये जमा कर देते हैं तो उनका विद्युत कनेक्शन संयोजित किया जा सकता है जिसके आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 के पिता ने दिनांक 30-05-1998 को 1825/-रू० जमा कर दिया। उसके बाद दिनांक 05-06-1998 को सहायक अभियन्ता प्रथम, अर्दली बाजार वाराणसी ने प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 के स्व0 पिता के पम्पिंग सेट के विद्युत कनेक्शन को संयोजित करने का आदेश दिया परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा विद्युत कनेक्शन संयोजित नहीं किया गया जिससे प्रत्यर्थी/परिवादीगण को अत्यधिक मानसिक कष्ट पहॅुंचा व उनकी समाज में प्रतिष्ठा धूमिल हुयी जिससे प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 के पिता को सदमा लगा और दिनांक 11-01-1999 को उनका हार्ट फेल हो गया। तदोपरान्त प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद संख्या– 33 सन् 2000 रामबली मिश्रा व पांच अन्य बनाम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 पम्पिंग सेट के विद्युत कनेक्शन को संयोजित करने हेतु दाखिल किया जिसमें निर्णय दिनांक 12-07-2002 को इस आशय का पारित हुआ कि अपीलार्थी/विपक्षीगण दो माह के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादीगण के स्व0 पिता के पम्पिंग सेट के विद्युत कनेक्शन को नि:शुल्क सुविधाजनक रास्ते से संयोजित करेंगे और जब तक विद्युत संयोजित नहीं हो जाता तब तक की अवधि के विद्युत बिल की कोई मांग नहीं करेंगे तथा कृषि कार्य में हुयी क्षति के एवज में विपक्षीगण 35,000/-रू० की धनराशि दो माह के अन्दर वाद दाखिल करने की तिथि से 15 प्रतिशत
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वार्षिक की दर से ब्याज के साथ अदा करेंगे। अन्यथा दो माह की अवधि बीत जाने पर 18 वार्षिक ब्याज देय होगा।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादीगण का कथन है कि जिला फोरम वाराणसी के उपरोक्त निर्णय के अनुपालन हेतु इजरावाद संख्या-49 सन 2002 शिवबली मिश्रा व अन्य बनाम अधिशाषी अभियन्ता दाखिल किया गया जिसमें जिला फोरम वाराणसी द्वारा प्रेषित वसूली प्रमाण पत्र के अनुपालन में अमीन ने दिनांक 25-01-2011 को 30,000/-रू० विपक्षीगण से वसूल कर जिला फोरम के नाम जमा किया और जिला फोरम द्वारा परिवादी शिवबली मिश्रा को अवमुक्त किया गया। परन्तु पम्पिंग सेट के विद्युत कनेक्शन का संयोजन दिनांक 07-01-1997 से 15 वर्ष 10 माह का समय बीत जाने के बाद भी नहीं दिया गया जिससे प्रत्यर्थी/परिवादीगण की 9 एकड़ की सम्पूर्ण फसल नष्ट हो गयी है और यह भूमि सिंचाई की सुविधा न होने के कारण बंजर पड़ी है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादीगण को परिवाद प्रस्तुत करने तक एक लाख रूपये क्षति के हिसाब से 18 लाख रूपये की आर्थिक क्षति हुयी है और मानसिक एवं शारीरिक कष्ट भी हुआ है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का अनुरोध किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण ने लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा है कि परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने यह भी कहा है कि परिवाद संख्या– 33/2000 में प्राप्त क्षतिपूर्ति के बाद उन्हीं बिन्दुओं पर फोरम के समक्ष वर्तमान परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अत: परिवाद प्रांग न्याय के सिद्धान्त से बाधित है।
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लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण संख्या- 1 ता 4 के पिता श्री राम नरेश मिश्रा ने 1970 में 7.5 हार्स पावर का पम्पिंग सेट हेतु कनेक्शन लिया था परन्तु वे विद्युत बिलों का नियमित भुगतान नहीं कर रहे थे जिस कारण उनके ऊपर जनवरी 1996 तक कुल 34,137/-रू० बकाया था जिसे न जमा करने पर विद्युत कनेक्शन दिनांक 07-01-1997 को विच्छेदित कर दिया गया। दिनांक 30-05-1998 को श्री राम नरेश मिश्रा ने 34,137/-रू० अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय में जमा किया और उसी दिन 1825/-रू० रू० ऊर्जा मूल्य व आर.ओ.डी.ओ. की धनराशि भी जमा कर विद्युत संयोजन की मांग की।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि श्री शोभनाथ सिंह व राम नरेश मिश्रा का आपस में विवाद चल रहा था इस कारण शोभनाथ सिंह ने सिविल जज वाराणसी के समक्ष मुकदमा नं० 1109 सन् 1998 शोभनाथ सिंह बनाम रामनरेश मिश्रा के नाम से दाखिल करके दिनांक 11-09-1998 को इस आशय का स्थगन आदेश हासिल कर लिया था कि प्रतिवादीगण विवादित जायदाद जो वाद पत्र में उल्लिखित है के ऊपर अवैधानिक रूप से बिजली के तार न ले जाएं और न ही वादी के कब्जा दखल में कोई व्यवधान उत्पन्न करें। अत: दीवानी न्यायालय के स्थगन आदेश से श्री राम नरेश मिश्रा को अवगत कराते हुए बताया गया कि दूसरी ओर से तार घुमाकर विद्युत लाइन खींचने हेतु प्राक्कलन की धनराशि जमा कर दें तो उनका विद्युत संयोजन कर दिया जाएगा। परन्तु इसके लिए वे सहमत नहीं हुए। इस कारण उनके पम्पिंग सेट पर विद्युत कनेक्शन का संयोजन किया जाना सम्भव नहीं था। इसके पश्चात दिनांक 11-01-1999 को 90 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हो गयी और उसके बाद उनके लड़के ने
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परिवाद संख्या- 33 सन 2000 रामबली मिश्रा बनाम उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद के नाम से दिनांक- 04-02-2000 को जिला फोरम के समक्ष दाखिल किया जिसमें दिनांक 12-07-2000 को जिला फोरम ने आदेश इस आशय का पारित किया कि विपक्षीगण सुविधाजनक रास्ते से दो माह के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादीगण के पम्पिंग सेट हेतु विद्युत संयोजन करें तथा विद्युत विच्छेदन की अवधि का कोई बिल वसूल न करें और कृषि कार्य से हुयी क्षति के एवज में 35,000/-रू० 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करें। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कहा है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय दिनांक 12-07-2002 के विरूद्ध उन्होंने राज्य आयोग के समक्ष अपील संख्या– 2035 सन् 2002 दाखिल किया जिसमें स्थगन आदेश दिनांक 04-07-2003 को पारित किया गया और जिला फोरम का आदेश अग्रिम आदेश तक स्थगित रखा गया। उसके बाद राज्य आयोग ने दिनांक 24-02-2009 को अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया कि अपीलार्थी एक माह के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादी का विद्युत संयोजन कर दें तथा 30,000/-रू० की क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादीगण को दो माह में अदा करें जिसके अनुक्रम में इजरावाद संख्या- 49 सन-2002 में अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा 30,000/-रू० डिक्रीदार को अदा कर दिया गया परन्तु विद्युत कनेक्शन इस कारण से नही जोड़ा जा सका कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण तार को दूसरी ओर से घुमाकर खींचवाना नहीं चाहते थे और सिविल जज वाराणसी द्वारा पारित आदेश अभी प्रभावी था अत: पूर्व के स्थल से प्रत्यर्थी/परिवादीगण का विद्युत कनेक्शन किया जाना सम्भव नहीं था।
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लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण का विद्युत संयोजन दिनांक 26-12-2012 को कर दिया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी संख्या-1 ने इस सम्बन्ध में दिनांक 26-12-2012 को लिखित रूप से दिया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि इजरावाद की अवधि में ही दिनांक 02-02-2013 को 18,00,000/-रू० क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है जो पूर्व परिवाद में पारित आदेश से प्रांग न्याय के सिद्धांत से बाधित है।
जिला फोरम ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेवा में सेवा में कमी मानते हुए परिवाद अंशत: स्वीकार किया है और आक्षेपित आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादीगण का विद्युत संयोजन व्यवहार न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश के कारण पूर्व की भांति नहीं जोड़ा जा सका है और प्रत्यर्थी/परिवादीगण दूसरे रास्ते से संयोजन हेतु प्राक्कलन धनराशि जमा करने को तैयार नहीं थे और न जमा किया। अपीलार्थी/विपक्षीगण के कारण विद्युत संयोजन जोड़ने में विलम्ब हुआ नहीं हुआ है। जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार कर जो क्षतिपूर्ति अपीलार्थीगण से प्रत्यर्थी/परिवादीगण को दिलाया है वह उचित नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय तथ्य और विधि के अनुकूल है। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने जिला फोरम के आदेश के बावजूद विद्युत संयोजन नहीं जोड़ा है जिससे प्रत्यर्थी/परिवादीगण की फसल नष्ट हुयी है और उन्हें काफी आर्थिक क्षति हुयी है। जिला फोरम के निर्णय में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
मैंने उभय-पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद संख्या- 33 वर्ष 2000 रामबली मिश्रा बनाम उ०प्र० राज्य विद्युत परिषद में जिला उपभोक्ता फोरम वाराणसी द्वारा पारित निर्णय व आदेश दिनांक 12-07-2000 के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत अपील दिनांक 24-02-2009 को राज्य आयोग द्वारा निर्णीत की गयी है परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण ने राज्य आयोग द्वारा अपील में पारित आदेश का अनुपालन कर प्रत्यर्थीगण के ट्यूबवेल का विद्युत कनेक्शन दिनांक 26-12-2012 को तब जोड़ा है जब धारा- 27 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की नोटिस दी गयी है। जिला फोरम व राज्य आयोग के आदेश के बाद भी प्रत्यर्थीगण के ट्यूबवेल का विद्युत कनेक्शन न जोड़ा जाना अपीलार्थीगण की सेवा में कमी है। जिस प्रकार दिनांक 26-12-2012 को विद्युत कनेक्शन धारा-27 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत नोटिस के बाद जोड़ा गया है उसी प्रकार कनेक्शन पहले भी जोड़ा जा सकता था। व्यवहार न्यायालय द्वारा पारित अन्तरिम आदेश के कारण प्रत्यर्थीगण का विद्युत कनेक्शन जिला फोरम व राज्य आयोग के आदेश के बाद नहीं जोड़ा गया था। अपीलार्थीगण का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य
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नहीं है। जैसे दिनांक 26-12-2012 को अपीलार्थीगण ने प्रत्यर्थीगण के ट्यूबवेल को कनेक्शन दिया है उसी प्रकार वे पहले उन्हें कनेक्शन दे सकते थे।
उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेवा में जो कमी माना है वह उचित है। जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति व वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादीगण को प्रदान किया है वह भी उचित है।
अपील बल रहित है। अत: अपील अस्वीकार की जाती है।
अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू० अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।.
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01