जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग,बुरहानपुर(म.प्र)
प्रकरण क्रमांक : सीसी/68/2019
प्रस्तुत दिनांक : 16/05/2019़
// समक्ष //
{रामेश्वर कोठे,-अध्यक्ष}
(श्रीमती मेघा भिड़े,-सदस्य)
1/ शफीक अहमद अंसारी पिता हसमतउल्ला अंसारी निवासी राजीव वार्ड बुरहानपुर (म.प्र.)।
....................परिवादी।
विरूद्ध
1/ संचालक, श्रीजी मोटर्स खण्डवा रोड़ बुरहानपुर (म.प्र.)।
2/ मेसर्स हीरो फिनकॉर्प लिमिटेड 34, कम्युनिटी सेन्टर, बसंत लोक बसंत विहार नईदिल्ली 110057.
3/ शाखा प्रबंधक, मेसर्स हीरो फिनकार्प लिमिटेड खण्डवा रोड़ बुरहानपुर (म.प्र.)।
4/ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, कार्यालय ग्राम बिरोदा विधुत मण्डल के पास तहसील व जिला बुरहानपुर (म.प्र.)।
5/ शाखा प्रबंधक, आई.सी.आई.सी.आई. लॉम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पहला माला, नवगृहे पसिर एक्सिस बैंक के ऊपर, अमरावती रोड़ बुरहानपुर (म.प्र.)।
.................अनावेदकगण।
परिवादी अभिभाषक श्री मोनी थधानी।
अनावेदक क्रमांक-1 अभिभाषक श्री जय चौकसे।
अनावेदक क्रमांक-2 अनुपस्थित।
अनावेदक क्रमांक-3 लगायत 5 एकपक्षीय।
// आदेश //
(आदेश आज दिनांक 05/07/2022 को पारित किया गया)
अध्यक्ष अनुसार :-
1/ परिवादी ने यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (जिसे अब पश्चात् अधिनियम से संबोधित किया गया है) के अंतर्गत सेवा में कमी के आधार पर अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा परिवादी के क्रयशुदा वाहन को किसी अन्य व्यक्ति को दिये जाने एवं वाहन के इंजिन नम्बर व चेचिस नम्बर की उचित रूप से जांच न किये जाने से वाहन के बदल जाने से हुई परेशानियों के कारण परिवादी ने अनावेदकगण से विक्रय किये गये वाहन की कीमत मय फायनेंस राशि सहित कुल 70,000/- रूपये एवं विक्रय वाहन परिवादी से प्राप्त कर संबंधित विक्रेता अनावेदक क्रमांक-1 को वापस लौटाये जाने, अनावदेक क्रमांक-5 से वाहन की जनवरी 2018 से 2019 एवं मार्च 2019 से 2020 तक किये गये गये बीमा की पालिसी, अनावेदक क्रमांक-2 व 3 से वाहन की एन.ओ.सी., सेवा में कमी हेतु प्रतिकर राशि 1,50,000/- रूपये, मानसिक संत्रास हेतु 1,50,000/- रूपये, वादव्यय 25,000/- रूपये एवं अन्य सहायता दिलाये जाने हेतु पेश किया है।
2/ अविवादित तथ्य निम्न है :-
{1} परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 श्रीजी मोटर्स से दिनांक 18/01/2018 को स्प्लेण्डर प्लस दो पहिया वाहन अनावेदक क्रमांक-1 को 40,300/- रूपये का डाउन पेमेन्ट पर क्रय किया है जिसका रजिस्ट्रेशन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी. 9241 होकर इंजिन नम्बर भ्।10।ळश्रभ्।80198 एवं चेचिस नम्बर डठस्भ्।त्071श्रभ्।70176 है एवं वाहन का निर्माण वर्ष 2018 होकर पंजीयन दिनांक16/02/2018 है।
3/ परिवाद के तथ्य संक्षिप्तः इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 को 40,300/- रूपये डाउन पेमेन्ट अदा कर वाहन क्रय किया है और शेष राशि पर अनावेदक क्रमांक-2 से फायनेंस कराया है जिसकी किश्ते परिवादी अनावेदक क्रमांक-2 को अदा कर चुका है। वाहन अनावेदक क्रमांक-4 द्वारा दिनांक 16/02/2018 को रजिस्टर्ड कर पंजीयन नम्बर एम.पी.68 एम.डी. 9241 आवंटित कर आर.सी.बुक जारी की गई है एवं वाहन का बीमा अनावेदक क्रमांक-5 द्वारा किया गया है जिसकी बीमा पालिसी अनावेदक क्रमांक-1 एवं 5 के पास है जो वर्तमान तक परिवादी को प्रदान नहीं की गई है।
4/ परिवादी एवं कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 से दिनांक 18/01/2018 को वाहन क्रय किया किन्तु परिवादी द्वारा क्रय वाहन अनावेदक क्रमांक-1 ने कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील को दे दिया है और कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा क्रय वाहन परिवादी को दे दिया है। इस प्रकार अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा गंभीर लापरवाही एवं उदासीनता से वाहन की अदला-बदली हुई जिसे परिवादी दिनांक 18/01/2018 से स्वयं का वाहन समझकर चलाता रहा है। कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा फायनेंस की राशि न चुकाये जाने पर अनावेदक क्रमांक-3 द्वारा दिनांक 26/02/2018 को वाहन सीज कर उसे वापस लौटा दिया क्योंकि वाहन के इंजिन एवं चेचिस नम्बर परिवादी के वाहन से मेल खाते है तब परिवादी को अनावेदक क्रमांक-3 के कर्मचारियों से ज्ञात हुआ कि वाहन बदल गया है।
5/ अनावेदक क्रमांक-4 द्वारा भी वाहन का रजिस्ट्रेशन कार्ड दिनांक 16/02/2018 को जारी किये जाते समय लापरवाही कर परिवादी के वाहन के संपूर्ण दस्तावेजों एवं इंजिन व चेचिस नम्बर की जॉच करना उचित नहीं समझा एवं वाहन का पंजीयन नम्बर एम.पी.68 एम.डी. 9241 जारी कर दिया। अनावेदक क्रमांक-1 ने मार्च 2019 में परिवादी के वाहन लगी नम्बर प्लेट को कन्हैयालाल के वाहन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी. 9246 जिसका इंजिन नम्बर भ्।10।ळश्रभ्।80186 एवं चेचिस नम्बर डठस्भ्।त्07श्रभ्।70218 है, पर लगवाया एवं कन्हैयालाल के वाहन पर लगी नम्बर प्लेट को परिवादी के वाहन पर लगवाया एवं बीमा करवा लिया। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी का कृत्य किया गया है, इसलिये परिवादी ने अनावेदकगण से विक्रय किये गये वाहन की कीमत मय फायनेंस राशि सहित कुल 70,000/- रूपये एवं विक्रय वाहन परिवादी से प्राप्त कर संबंधित विक्रेता अनावेदक क्रमांक-1 को वापस लौटाये जाने, अनावदेक क्रमांक-5 से वाहन की जनवरी 2018 से 2019 एवं मार्च 2019 से 2020 तक किये गये गये बीमा की पालिसी, अनावेदक क्रमांक-2 व 3 से वाहन की एन.ओ.सी., सेवा में कमी हेतु प्रतिकर राशि 1,50,000/- रूपये, मानसिक संत्रास हेतु 1,50,000/- रूपये, वादव्यय 25,000/- रूपये एवं अन्य सहायता दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
6/ अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवाद के तथ्यों से इन्कार कर यह व्यक्त किया है कि परिवादी ने प्रश्नाधीन वाहन की परिवहन कार्यालय में उपस्थित होकर ट्रेसिंग कराई है एवं क्रेता परिवादी के हस्ताक्षर है। परिवादी द्वारा वाहन के पंजीयन हेतु वाहन के संबंध में संपूर्ण वास्तविक विशिष्टियों के संबंध में घोषणापत्र परिवादी के हस्ताक्षर कर प्रदान किया गया है। परिवादी को वाहन के डिलेवरी चालान पर संपूर्ण विवरण लिखकर दिनांक 18/01/2018 के माध्यम से वाहन का कब्जा परिवादी ने प्राप्त किया है। इस प्रकार क्रय वाहन के बदले जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। अनावेदक क्रमांक-1 का हीरो फायनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड से कोई संबंध नहीं है क्योंकि अनावेदक क्रमांक-1 का कार्य केवल वाहन विक्रय करना है।
7/ अनावेदक क्रमांक-1 के संस्था से वाहन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी. 9241 परिवादी ने क्रय किया है एवं उसी दिनांक को क्रेता कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील ने भी वाहन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी.9246 क्रय किया है एवं वाहन क्रय करने के उपरांत दोनों क्रेतागण वाहन का उपयोग करने चले आ रहे है एवं दोनों क्रेतागण कभी एक साथ एक समय पर वाहन अनावेदक के संस्थान लेकर नहीं आये है। परिवादी द्वारा वाहन का आधिपत्य प्राप्त करने के उपरांत अन्य वाहन क्रेता कन्हैयालाल से दुरभिसंधी कर अनावेदक क्रमांक-1 को परेशान करने के आशय से परिवाद पत्र पेश किया है,, इन्हीं आधारों पर परिवाद पत्र अनावेदक क्रमांक-1 को प्रतिकर दिलाये जाने सहित सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
8/ अनावेदक क्रमांक-2 की ओर से परिवाद पत्र का जवाब पेश नहीं किया गया है।
9/ अनावेदक क्रमांक-3 एवं 4 को रजिस्टर्ड डाक से परिवाद का सूचनापत्र तामिल होने के उपरांत अनावेदक क्रमांक-3 एवं 4 के तामिली उपरांत निरंतर अनुपस्थित होने से आदेश पत्रिका दिनांक 25/07/2019 में पारित आदेशानुसार अनावेदक क्रमांक-3 एवं 4 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई है एवं अनावेदक क्रमांक-5 के तामिली उपरांत अनुपस्थित होने से एकपक्षीय कार्यवाही की गई है।
10/ अतः उपरोक्तानुसार निराकरणार्थ प्रश्न निम्न उत्पन्न होते है कि :-
{1} ‘‘क्या परिवादी सेवा में कमी के आधार पर वांछित अनुतोष पाने का अधिकारी है ?‘‘
{2} सहायता एवं व्यय ?
विचारणीय प्रश्न क्रमांक {1} के संबंध में :-
11/ परिवादी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं के शपथपत्र सहित दस्तावेज प्रदर्श सी-1 लगायत सी-15 तक की छायाप्रतियॉ पेश की गई है।
12/ अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से अपने जवाब के समर्थन में कृष्णदास पटेल श्रीजी मोटर्स भागीदार के शपथपत्र सहित दस्तावेज प्रदर्श डी-1 लगायत डी-8 तक की छायाप्रतियॉ एवं लिखित तर्क पेश किये है। 13/ उभयपक्ष के तर्कों पर विचार किया गया। प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य एवं दस्तावेजों का परिषीलन किया गया।
14/ जहॉ तक प्रस्तुत मामले का प्रश्न है, परिवादी ने अपने परिवाद, साक्ष्य एवं दस्तावेजों के माध्यम से यह व्यक्त किया है कि परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 को 40,300/- रूपये डाउन पेमेन्ट अदा कर वाहन क्रय किया है और शेष राशि पर अनावेदक क्रमांक-2 से फायनेंस कराया है जिसकी किश्ते परिवादी अनावेदक क्रमांक-2 को अदा कर चुका है। वाहन अनावेदक क्रमांक-4 द्वारा दिनांक 16/02/2018 को रजिस्टर्ड कर पंजीयन नम्बर एम.पी.68 एम.डी. 9241 आवंटित कर आर.सी.बुक जारी की गई है एवं वाहन का बीमा अनावेदक क्रमांक-5 द्वारा किया गया है जिसकी बीमा पालिसी अनावेदक क्रमांक-1 एवं 5 के पास है जो वर्तमान तक परिवादी को प्रदान नहीं की गई है।
15/ परिवादी एवं कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 से दिनांक 18/01/2018 को वाहन क्रय किया किन्तु परिवादी द्वारा क्रय वाहन अनावेदक क्रमांक-1 ने कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील को दे दिया है और कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा क्रय वाहन परिवादी को दे दिया है। इस प्रकार अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा गंभीर लापरवाही एवं उदासीनता से वाहन की अदला-बदली हुई जिसे परिवादी दिनांक 18/01/2018 से स्वयं का वाहन समझकर चलाता रहा है। कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा फायनेंस की राशि न चुकाये जाने पर अनावेदक क्रमांक-3 द्वारा दिनांक 26/02/2018 को वाहन सीज कर उसे वापस लौटा दिया क्योंकि वाहन के इंजिन एवं चेचिस नम्बर परिवादी के वाहन से मेल खाते है तब परिवादी को अनावेदक क्रमांक-3 के कर्मचारियों से ज्ञात हुआ कि वाहन बदल गया है।
16/ अनावेदक क्रमांक-4 द्वारा भी वाहन का रजिस्ट्रेशन कार्ड दिनांक 16/02/2018 को जारी किये जाते समय लापरवाही कर परिवादी के वाहन के संपूर्ण दस्तावेजों एवं इंजिन व चेचिस नम्बर की जॉच करना उचित नहीं समझा एवं वाहन का पंजीयन नम्बर एम.पी.68 एम.डी. 9241 जारी कर दिया। अनावेदक क्रमांक-1 ने मार्च 2019 में परिवादी के वाहन लगी नम्बर प्लेट को कन्हैयालाल के वाहन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी. 9246 जिसका इंजिन नम्बर भ्।10।ळश्रभ्।80186 एवं चेचिस नम्बर डठस्भ्।त्07श्रभ्।70218 है, पर लगवाया एवं कन्हैयालाल के वाहन पर लगी नम्बर प्लेट को परिवादी के वाहन पर लगवाया एवं बीमा करवा लिया। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा घोर लापरवाही एवं उदासीनता का कार्य किया है।
17/ उपरोक्त संबंध में अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से जवाब, साक्ष्य एवं दस्तावेजों के माध्यम से यह व्यक्त किया है कि परिवादी को वाहन के डिलेवरी चालान पर संपूर्ण विवरण लिखकर दिनांक 18/01/2018 के माध्यम से वाहन का कब्जा परिवादी ने प्राप्त किया है। इस प्रकार क्रय वाहन के बदले जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। अनावेदक क्रमांक-1 के संस्था से वाहन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी. 9241 परिवादी ने क्रय किया है एवं उसी दिनांक को क्रेता कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील ने भी वाहन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी.9246 क्रय किया है एवं वाहन क्रय करने के उपरांत दोनों क्रेतागण वाहन का उपयोग करने चले आ रहे है एवं दोनों क्रेतागण कभी एक साथ एक समय पर वाहन अनावेदक के संस्थान लेकर नहीं आये है।
18/ प्रस्तुत मामलें में जहॉ तक परिवादी के क्रय वाहन को अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील को दिये जाने एवं कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा क्रय वाहन परिवादी को दिये जाने का प्रश्न है, परिवादी की ओर से पेश दस्तावेज प्रदर्श सी-1 डिलेवरी चालान के परिशीलन से यह पाया जाता है कि परिवादी को अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा दिनांक 18/01/2018 को वाहन स्प्लेण्डर प्लस की डिलेवरी प्रदान की गई है जिसमें म्दहपदम छवण् भ्।10।ळश्रभ्।80198 एवं थ्तंउम छवण् डठस्भ्।त्071श्रभ्।70176 वर्णित है एवं दस्तावेज प्रदर्श सी-2 परिवहन कार्यालय द्वारा जारी पंजीयन प्रमाणपत्र में परिवादी के नाम से वाहन का पंजीयन क्रमांक एम.पी.68 एम.डी.9241 वर्णित है।
19/ उपरोक्त संबंध में अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से पेश दस्तावेज प्रदर्श डी-1 वाहन की जॉच प्रमाणपत्र पर वाहन के इंजिन नम्बर एवं चेचिस नम्बर के स्क्रेच एवं वाहन क्रेता परिवादी शफीक मोहम्मद के स्व-घोषणा पत्र के परिशीलन से यह पाया जाता है कि इसमें वाहन का थ्तंउम छवण् डठस्भ्।त्071श्रभ्।70176 वर्णित है जिसे परिवादी ने स्वीकार किया है। इसके अतिरिक्त दस्तावेज प्रदर्श डी-3 टम्भ्प्ब्स्म् भ्प्ैज्व्त्ल् ब्।त्क् के परिशीलन से भी यह पाया जाता है कि इसमें म्दहपदम छवण् भ्।10।ळश्रभ्।80198 एवं टपद छवण् डठस्भ्।त्071श्रभ्।70176 वर्णित है एवं दस्तावेज प्रदर्श डी-8 परिवादी शफीक अंसारी के नाम से जारी डिलेवरी चालान में भी म्दहपदम छवण् भ्।10।ळश्रभ्।80198 एवं थ्तंउम छवण् डठस्भ्।त्071श्रभ्।70176 वर्णित है।
20/ यहॉ यह उल्लेख किया जाना उचित होगा कि परिवादी एवं कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 से दिनांक 18/01/2018 को वाहन क्रय किये जाने के उपरांत परिवादी द्वारा क्रय वाहन अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील को दिये जाने एवं कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा क्रय वाहन परिवादी को दिये जाने के संबंध में परिवादी की ओर से कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील से संबंधित कोई विश्वसनीय साक्ष्य अथवा दस्तावेज पेश नहीं किया गया है और न ही कन्हैयालाल पिता विनोद पाटील द्वारा फायनेंस की राशि न चुकाये जाने पर अनावेदक क्रमांक-3 द्वारा दिनांक 26/02/2018 को वाहन सीज किये जाने के उपरांत परिवादी को अनावेदक क्रमांक-3 के कर्मचारियों से वाहन बदल जाने संबंधी कोई विश्वसनीय साक्ष्य पेश की गई है।
21/ यह भी उल्लेखनीय है कि वाहन क्रय किये जाने के उपरांत वाहन के बीमा एवं रजिस्ट्रेशन संबंधी कार्यवाही किये जाने पर वाहन के क्रेता की उपस्थिति में क्रेता को प्रदाय किये जा रहे वाहन के इंजिन नम्बर एवं चेचिस नम्बर को वाहन के पंजीयन संबंधी प्रपत्रों पर पेन्सिल द्वारा ट्रेस किया जाता है एवं क्रेता के हस्ताक्षर लिये जाते है एवं उपरोक्त संपूर्ण प्रक्रिया परिवादी की उपस्थिति में हुई है, जिससे परिवादी ने इन्कार नहीं किया है। ऐसी स्थिति में वाहन के बदले जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है।
22/ इसके अतिरिक्त यदि परिवादी को उसके वाहन के स्थान पर कन्हैयालाल पाटील के वाहन की डिलेवरी दी जा रही थी तो परिवादी को एक जागरूक उपभोक्ता होने का परिचय देते हुए तत्काल वाहन के बदले जाने संबंधी तथ्यों का अनावेदक क्रमांक-1 के संज्ञान में लाया जाना चाहिए था किन्तु परिवादी ने एक लम्बे अंतराल के उपरांत वाहन का उपयोग किये जाने के बाद अनावेदक क्रमांक-3 के कर्मचारियों से वाहन के बदले जाने संबंधी जानकारी प्राप्त होना बताया है। ऐसी स्थिति में प्रस्तुत मामलें में ‘‘क्रेता सावधान‘‘ का सिद्धांत लागू होता है एवं परिवादी/उपभोक्ता स्वयं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं रहा है।
23/ विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि परिवादी को अपने मामले को स्वतंत्र रूप से विश्वसनीय साक्ष्य से प्रमाणित करना चाहिए। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किये जाने वाले परिवाद के साथ ऐसी साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए जिसके परिप्रेक्ष्य में संभावनाओं की प्रबलता के सिद्धांत के आधार पर तथ्यों को प्रमाणित किया जा सके। प्रस्तुत मामलें में परिवादी (उपभोक्ता) स्वयं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादी एक लम्बे अंतराल उपरांत अनावेदकगण की त्रुटियों का लाभ नहीं ले सकता है एवं प्रस्तुत मामले को प्रमाणित करने के लिये परिवादी के केवल अभिवचन पर्याप्त नहीं है अपितु परिवादी को विश्वसनीय साक्ष्य की पेश किया जाकर परिवाद प्रमाणित करना चाहिए जिसे परिवादी प्रस्तुत करने में पूर्ण रूप से विफल रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादी को सेवा में कमी के अभाव में अनावेदकगण से कोई सहायता नहीं दिलाई जा सकती है।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक {2} के संबंध में :-
24/ संपूर्ण विवेचना के आधार पर परिवादी सेवा में कमी के अभाव में अनावेदकगण से कोई सहायता प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र सेवा में कमी के अभाव में निरस्त किया जाता है। प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी अपने वादव्यय के साथ अनावेदक क्रमांक-1 का भी वादव्यय 1,000/- रूपये वहन करेगा।
(श्रीमती मेघा भिड़े) (रामेश्वर कोठे)
सदस्य अध्यक्ष.