Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/970

Agra Development Authority - Complainant(s)

Versus

Shilpa Gupta - Opp.Party(s)

Arvind Kumar & Om Prakash Pandey

31 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/970
( Date of Filing : 03 Jun 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Agra Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shilpa Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Oct 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्‍तर प्रदेश, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-९७०/२०१०

(जिला उपभोक्‍ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्धारा परिवाद सं0-९१/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०५-२००९ के विरूद्ध)

आगरा डेवलपमेण्‍ट अथारिटी, आगरा द्वारा वायस-चेयरमेन/सैक्रेटरी, आगरा डेवलपमेण्‍ट अथारिटी, जयपुर हाउस, आगरा।

........... अपीलार्थी/विपक्षी। 

बनाम      

शिल्‍पा गुप्‍ता पुत्री श्री राजेन्‍द्र प्रसाद गुप्‍ता, ५, ब्रज ऐन्‍क्‍लेव, न्‍यू सरस्‍वती नगर, बल्‍केश्‍वर, जिला आगरा।

                                                   …….. प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।     

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।                 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  :- कोई नहीं।

दिनांक :- ३१-१०-२०२२.

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

 

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्धारा परिवाद सं0-९१/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०५-२००९ के विरूद्ध इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गई जो विगत १२ वर्षों से अधिक समय से लम्बित है एवं दिनांक २७-०८-२०१५ को प्रस्‍तुत अपील सं0-९७०/२०१० को सारहीन एवं काल बाधित होने के कारण निरस्‍त किया गया, जिसके विरूद्ध अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के सम्‍मुख पुनरीक्षण याचिका सं0-३११५/२०१५ प्रस्‍तुत की गई जो माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा आदेश दिनांक ३०-०७-२०२० द्वारा निर्णीत की गई, जिसके अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय द्वारा गुणदोष के आधर पर अपील को निर्णीत किए जाने हेतु आदेश पारित किया गया।

चूँकि उभय पक्ष के अधिवक्‍तागण द्वय आज अनुपस्थित हैं अत्एव मेरे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश का सम्‍यक रूप से

 

 

-२-

परिशीलन व परीक्षण किया गया तथा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के आदेश दिनांक ३०-०७-२०२० का परिशीलन किया गया।  

मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त आदेश दिनांक ३०-०७-२०२० के अनुपालन हेतु प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख दिनांक २२-०९-२०२० को सूचीबद्ध हुई तथा अपील स्‍थगित करते हुए अगली तिथि, दिनांक २०-०१-२०२१ निश्चित की गई। दिनांक २०-०१-२०२१ को अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के मौखिक कथन पर अपील को पुन: स्‍थगित करते हुए दिनांक ०५-०३-२०२१ को अन्तिम सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किए जाने हेतु आदेशित किया गया। दिनांक ०५-०३-२०२१ को अधिवक्‍तागण के न्‍यायिक कार्य से विरत रहने सम्‍बन्‍धी एल्‍डर्स कमेटी के प्रस्‍ताव के दृष्टिगत अपील स्‍थगित की गई तथा पुन: दिनांक ०६-०५-२०२१ निश्चित की गई। अगली तिथि पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण की प्रार्थना पर अपील स्‍थगित की गई तथा पुन: दिनांक २५-०८-२०२१ को सूचीबद्ध किए जाने हेतु आदेशित किया गया। दिनांक २५-०८-२०२१ को निम्‍न आदेश पारित किया गया :-

‘’ 25-8-2021

          प्रस्‍तुत अपील आगरा विकास प्राधिकरण द्धारा जिला आयोग, द्धितीय आगरा द्धारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02-5-2009 , परिवाद सं0 09/2006 के विरूद्ध योजित की गई।

          अपीलार्थी/आगरा विकास प्राधिकरण द्धारा निर्णय/आदेश दिनांक  02-5-2009 का अनुपालन न किये जाने की दशा में विपक्षी द्धारा निष्‍पादन वाद सं0999/2009 जिला आयोग , द्धितीय आगरा के सम्‍मुख योजित किया गया है जो अभी तक निस्‍तारित नहीं हुआ है।

          विपक्षी की ओर से श्री वी०के० श्रीवास्‍तव विद्धान अधिवक्‍ता द्धारा प्रस्‍तुत अपील में परिवादिनी/विपक्षी की ओर से एक प्रार्थना पत्र मय शपथपत्र के प्रस्‍तुत किया, जिसमें कथन किया गया है कि अपीलार्थी/आगरा विकास प्राधिकरण द्धारा अनिस्‍तारित निष्‍पादन वाद सं0 999/2009 में परिवादिनी/विपक्षी के हस्‍ताक्षर बनाते हुए प्रार्थना पत्र सशपथपत्र दाखिल किया जो परिवादिनी/विपक्षी द्धारा स्‍वयं नहीं हस्‍ताक्षरित किया गया है और न ही उपरोक्‍त प्रार्थना पत्र /शपथपत्र में वर्णित तथ्‍य सत्य है।

          विपक्षी के विद्धान अधिवक्‍ता द्धारा उपरोक्‍त प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए मेरे सम्‍मुख कथन किया गया, जिसका विरोध अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता द्धारा किया गया तथा यह भी कथन किया गया कि यदि विपक्षी /परिवादिनी उपरोक्‍त तथ्‍यों को पुनजीर्वित करना चाहे तो वह अनिस्‍तारित

 

 

-३-

निष्‍पादन वाद सं0 999/2009 जो कि जिला आयोग, द्धितीय आगरा में लंबित है, में कर सकती है।                          

उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्‍ता को सुनने के उपरांत तथा तथ्‍यों का सम्‍यक परिशीलन एवं विवेचन करने के उपरांत मैं यह आदेशित करता हूं कि निष्‍पादन वाद सं0 999/2009 जो कि जिला आयोग, द्धितीय आगरा के सम्‍मुख लंबित है का शीघ्र निस्‍तारित करना न्‍यायोचित होगा, अत: आदेशित किया जाता है कि उक्‍त निष्‍पादन वाद सं0 999/2009 को जिला आयोग, आगरा द्धितीय द्धारा छ: माह की अवधि में निस्‍तारित किया जाए तथा किसी भी पक्ष को बिना किसी समुचित कारण के स्‍थगन प्रदान न किया जाए तथा विपक्षी/परिवादिनी द्धारा प्रस्‍तुत उपरोक्‍त प्रार्थना पत्र मय शपथपत्र का सम्‍यक विवेचन भी सुनिश्चित किया जावे।

          प्रस्‍तुत अपील को दिनांक 06-12-2021 को सूचीबद्ध किया जावे। ‘’

 

पुन: अगली तिथि दिनांक ०६-१२-२०२१ को निम्‍न विस्‍तृत आदेश पारित किया गया :-

‘’ 06-12-2021

वाद पुकारा गया। प्रस्‍तुत अपील आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख वर्ष-2010 में प्रस्‍तुत की गई। जिसके द्वारा अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग, दि्वतीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.5.2009 के निर्णय को यह कहते हुए इस न्‍यायालय के सम्‍मुख चुनौती दी कि उपरोक्‍त निर्णय सुसंगत एवं विधिपूर्ण नहीं है।

प्रस्‍तुत अपील विगत 11 वर्षों से लम्बित है तथा उक्‍त अवधि के मध्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.5.2009 का अनुपालन न करने की दशा में परिवादिनी द्वारा निष्‍पादन वाद विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख दिनांक 20.10.2009 को प्रस्‍तुत किया गया, जो अंत्‍तोगत्‍वा दिनांक 18.5.2017 को अदम पैरवी में खारिज किया गया। इस मध्‍य अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के सम्‍मुख पुनरीक्षण सं0-3115/2015 प्रस्‍तुत की गई, जो अंतिम रूप से दिनांक 30.7.2020 को निर्णीत की गई, जिसके अनुपालन में प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख गुणदोष के आधार पर निर्णीत किये जाने का आदेश पारित किया गया।

दौरान बहस प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मेरा ध्‍यान पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-85 पर उपलब्‍ध प्रपत्र, पत्र दिनांकित 23.6.2009 की

 

 

 

 

-४-

ओर आकर्षित किया गया तथा पृष्‍ठ सं0-86 पर उपलब्‍ध शपथपत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा हस्‍ताक्षरित की ओर से आकर्षित किया गया तथा यह कथन किया गया कि उपरोक्‍त पत्र जिसमें तिथि का उल्‍लेख नहीं है, परन्‍तु प्राप्ति के सम्‍बन्‍ध में प्राप्‍तकर्ता के हस्‍ताक्षर के नीचे दिनांक 23.6.2009 की तिथि अंकित है एवं शपथपत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्‍वयं हस्‍ताक्षर नहीं किये गये है तथा यह कि उपरोक्‍त प्रपत्रों को प्राधिकरण द्वारा स्‍वयं प्रायोजित किया गया है, जो संदिग्‍ध है जिनकी जॉच की अपेक्षा की गई। उक्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता को आदेशित किया जाता है कि वे प्रस्‍तुत अपील से सम्‍बन्धित समस्‍त मूल पत्रावली प्राधिकरण के कार्यालय से 04 सप्‍ताह में प्राप्‍त कर अगली तिथि पर इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करें, जिसका परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरांत समुचित आदेश पारित किया जायेगा।

प्रस्‍तुत अपील को पुन: दिनांक 13.01.2022 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।  ‘’

 

पुन: अगली तिथि दिनांक १३-०१-२०२२ को निम्‍न आदेश पारित किया गया :-

‘’ 13.01.2022

      प्रस्‍तुत अपील में उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के उपरांत दि0 06.12.2021 को निम्‍न आदेश पारित किया गया  था:-

       ''वाद पुकारा गया। प्रस्‍तुत अपील आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख वर्ष-2010 में प्रस्‍तुत की गई। जिसके द्वारा अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोगदि्वतीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.5.2009 के निर्णय को यह कहते हुए इस न्‍यायालय के सम्‍मुख चुनौती दी कि उपरोक्‍त निर्णय सुसंगत एवं विधिपूर्ण नहीं है।

       प्रस्‍तुत अपील विगत 11 वर्षों से लम्बित है तथा उक्‍त अवधि के मध्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.5.2009 का अनुपालन न करने की दशा में परिवादिनी द्वारा निष्‍पादन वाद विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख दिनांक 20.10.2009 को प्रस्‍तुत किया गयाजो अंत्‍तोगत्‍वा दिनांक 18.5.2017 को अदम पैरवी में खारिज किया गया। इस मध्‍य अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा माराष्ट्रीय आयोग के सम्‍मुख पुनरीक्षण सं0-3115/2015 प्रस्‍तुत की गईजो अंतिम रूप से दिनांक 30.7.2020 को निर्णीत की गईजिसके अनुपालन में प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख गुणदोष के आधार पर निर्णीत किये जाने का आदेश पारित किया गया।

       

 

-५-

दौरान बहस प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मेरा ध्‍यान पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-85 पर उपलब्‍ध प्रपत्रपत्र दिनांकित 23.6.2009 की ओर आकर्षित किया गया तथा पृष्‍ठ सं0-86 पर उपलब्‍ध शपथपत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा हस्‍ताक्षरित की ओर से आकर्षित किया गया तथा यह कथन किया गया कि उपरोक्‍त पत्र जिसमें तिथि का उल्‍लेख नहीं हैपरन्‍तु प्राप्ति के सम्‍बन्‍ध में प्राप्‍तकर्ता के हस्‍ताक्षर के नीचे दिनांक 23.6.2009 की तिथि अंकित है एवं शपथपत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्‍वयं हस्‍ताक्षर नहीं किये गये है तथा यह कि उपरोक्‍त प्रपत्रों को प्राधिकरण द्वारा स्‍वयं प्रायोजित किया गया हैजो संदिग्‍ध है जिनकी जॉच की अपेक्षा की गई। उक्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता को आदेशित किया जाता है कि वे प्रस्‍तुत अपील से सम्‍बन्धित समस्‍त मूल पत्रावली प्राधिकरण के कार्यालय से 04 सप्‍ताह में प्राप्‍त कर अगली तिथि पर इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करेंजिसका परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरांत समुचित आदेश पारित किया जायेगा।

       प्रस्‍तुत अपील को पुन: दिनांक 13.01.2022 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।''

       उक्‍त आदेश के अनुपालन में अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अवगत कराया गया कि विकास प्राधिकरण की ओर से प्रभारी सम्‍पत्ति बृजेश चन्‍द्र शुक्‍ला उपस्थित हैं, जिन्‍होंने प्रस्‍तुत अपील से सम्‍बन्धित समस्‍त मूल पत्रावली न्‍यायालय के परिशीलन हेतु प्रस्‍तुत की। अत्‍यंत खेद का विषय है कि प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0के0 श्रीवास्‍तव द्वारा जानकारी होने के उपरांत भी प्रस्‍तुत अपील पर आज बहस न करते हुए यह आग्रह किया गया कि अपील को 02 माह के लिए स्‍थगित किया जावे, जिससे कि वे प्रत्‍यर्थी से समस्‍त जानकारी प्राप्‍त कर सकें तथा अगली तिथि पर प्रत्‍यर्थी की उपस्थिति इस न्‍यायालय के सम्‍मुख सुनिश्चित कर सकें।

          चूँकि आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारी मूल पत्रावली के साथ इस न्‍यायालय के आदेश के अनुपालन में स्‍वयं स-पत्रावली उपस्थित हैं, अतएव प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता की प्रार्थना को स्‍वीकार करते हुए आदेशित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी अगली तिथि पर रू0 5,000/- हर्जाना के रूप में अपीलार्थी को प्राप्‍त कराये। अगली निश्चित तिथि पर अपीलार्थी पुन: आदेश दि0 06.12.2021 के अनुपालन में मूल पत्रावली प्रस्‍तुत करे। 

       प्रस्‍तुत अपील पुन: दि0 23.03.2022 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध की जावे। ‘’

     

 

 

-६-

अगली निश्चित तिथि पर पुन: वाद स्‍थगित किया गया एवं दिनांक २५-०४-२०२२ को निम्‍न विस्‍तृत आदेश पूर्व आदेशों को उल्लिखित करते हुए पारित किया गया :-

‘’ दिनांक 25-04-2022

 

वाद पुकारा गया।

दिनांक 13-01-2022 को पूर्व आदेशों को दृष्टिगत रखते हुए निम्‍न विस्‍तृत  आदेश पारित किया गया था :-

13.01.2022

       प्रस्‍तुत अपील में उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के उपरांत दि0 06.12.2021 को निम्‍न आदेश पारित किया गया  था:-

       ''वाद पुकारा गया। प्रस्‍तुत अपील आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख वर्ष-2010 में प्रस्‍तुत की गई। जिसके द्वारा अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोगदि्वतीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.5.2009 के निर्णय को यह कहते हुए इस न्‍यायालय के सम्‍मुख चुनौती दी कि उपरोक्‍त निर्णय सुसंगत एवं विधिपूर्ण नहीं है।

       प्रस्‍तुत अपील विगत 11 वर्षों से लम्बित है तथा उक्‍त अवधि के मध्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.5.2009 का अनुपालन न करने की दशा में परिवादिनी द्वारा निष्‍पादन वाद विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख दिनांक 20.10.2009 को प्रस्‍तुत किया गयाजो अंत्‍तोगत्‍वा दिनांक 18.5.2017 को अदम पैरवी में खारिज किया गया। इस मध्‍य अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा माराष्‍ट्रीय आयोग के सम्‍मुख पुनरीक्षण सं0-3115/2015 प्रस्‍तुत की गईजो अंतिम रूप से दिनांक 30.7.2020 को निर्णीत की गईजिसके अनुपालन में प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख गुणदोष के आधार पर निर्णीत किये जाने का आदेश पारित किया गया।

       दौरान बहस प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मेरा ध्‍यान पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-85 पर उपलब्‍ध प्रपत्रपत्र दिनांकित 23.6.2009 की ओर आकर्षित किया गया तथा पृष्‍ठ सं0-86 पर उपलब्‍ध शपथपत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा हस्‍ताक्षरित की ओर से आकर्षित किया गया तथा यह कथन किया गया कि उपरोक्‍त पत्र जिसमें तिथि का उल्‍लेख नहीं हैपरन्‍तु प्राप्ति के सम्‍बन्‍ध में प्राप्‍तकर्ता के हस्‍ताक्षर के नीचे दिनांक 23.6.2009 की तिथि अंकित है एवं शपथपत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्‍वयं हस्‍ताक्षर नहीं किये गये है तथा यह कि उपरोक्‍त प्रपत्रों को प्राधिकरण द्वारा स्‍वयं प्रायोजित किया गया हैजो संदिग्‍ध है जिनकी जॉच की अपेक्षा की गई। उक्‍त तथ्‍यों को

 

 

-७-

दृष्टिगत रखते हुए प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता को आदेशित किया जाता है कि वे प्रस्‍तुत अपील से सम्‍बन्धित समस्‍त मूल पत्रावली प्राधिकरण के कार्यालय से 04 सप्‍ताह में प्राप्‍त कर अगली तिथि पर इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करेंजिसका परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरांत समुचित आदेश पारित किया जायेगा।

       प्रस्‍तुत अपील को पुन: दिनांक 13.01.2022 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।''

       उक्‍त आदेश के अनुपालन में अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अवगत कराया गया कि विकास प्राधिकरण की ओर से प्रभारी सम्‍पत्ति बृजेश चन्‍द्र शुक्‍ला उपस्थित हैंजिन्‍होंने प्रस्‍तुत अपील से सम्‍बन्धित समस्‍त मूल पत्रावली न्‍यायालय के परिशीलन हेतु प्रस्‍तुत की। अत्‍यंत खेद का विषय है कि प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0केश्रीवास्‍तव द्वारा जानकारी होने के उपरांत भी प्रस्‍तुत अपील पर आज बहस न करते हुए यह आग्रह किया गया कि अपील को 02 माह के लिए स्‍थगित किया जावेजिससे कि वे प्रत्‍यर्थी से समस्‍त जानकारी प्राप्‍त कर सकें तथा अगली तिथि पर प्रत्‍यर्थी की उपस्थिति इस न्‍यायालय के सम्‍मुख सुनिश्चित कर सकें।

          चूँकि आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारी मूल पत्रावली के साथ इस न्‍यायालय के आदेश के अनुपालन में स्‍वयं स-पत्रावली उपस्थित हैंअतएव प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता की प्रार्थना को स्‍वीकार करते हुए आदेशित किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी अगली तिथि पर रू0 5,000/- हर्जाना के रूप में अपीलार्थी को प्राप्‍त कराये। अगली निश्चित तिथि पर अपीलार्थी पुन: आदेश दि0 06.12.2021 के अनुपालन में मूल पत्रावली प्रस्‍तुत करे। 

       प्रस्‍तुत अपील पुन: दि0 23.03.2022 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध की जावे।

      उक्‍त आदेश के अनुपालन में प्रत्‍यर्थी श्रीमती शिल्‍पा गुप्‍ता उपस्थित आयीं जिनके द्वारा आदेश दिनांक 13-01-2022 के अनुपालन में अपीलार्थी विकास प्राधिकरण के सचिव के पक्ष में हर्जाना के रूप में धनराशि रू0 5,000/- का डिमाण्‍ड ड्राफ्ट संख्‍या-351234 दिनांकित 21-03-2022 पंजाब एण्‍ड सिन्‍ध बैंक  का अपीलार्थी प्राधिकरण के प्रभारी सम्‍पत्ति अधिकारी श्री बृजेश चन्‍द्र शुक्‍ला को प्राप्‍त कराया गया।

दौरान बहस उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण एवं प्राधिकरण के उपस्थित अधिकारी व प्रत्‍यर्थी श्रीमती शिल्‍पा गुप्‍ता द्वारा इस बात पर सहमति व्‍यक्‍त की गयी कि पक्षकारगण प्रस्‍तुत अपील से संबंधित विवाद को समझौते के अनुसार आपस में बैठकर सुलझायेंगे। तदनुसार उभयपक्ष की सहमति को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्‍यर्थी श्रीमती शिल्‍पा गुप्‍ता अपीलार्थी को आदेशित किया  

 

 

 

-८-

जाता है कि वह आगरा विकास प्राधिकरण के सचिव श्री राजेन्‍द्र प्रसाद त्रिपाठी के कार्यालय में दिनांक  09-05-2022 को पूर्वान्‍ह 11.00 बजे उपस्थित होकर यथा सम्‍भव अपने तथ्‍यों को प्रस्‍तुत करते हुए समझौता कर प्राप्‍त/देय भूखण्‍ड का सम्‍पूर्ण विवरण प्राप्‍त कराते हुए उपरोक्‍त सामूहिक समझौता पत्र  का सम्‍पादन एक सप्‍ताह की अवधि में सुनिश्‍चित करते हुए इस न्‍यायालय के सम्‍मुख दिनांक 25-05-2022 तक प्रस्‍तुत करेंगे।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील को अंतिम सुनवाई हेतु दिनांक 31-05-2022 को प्रथम तीस वादों की सूची में सूचीबद्ध किया जावे। ‘’

      पुन: अधिवक्‍ता द्वय की अनुपस्थिति के कारण अपील स्‍थगित की गई एवं आज की तिथि सुनिश्चित की गई।

अत्‍यन्‍त खेद का विषय है कि उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण द्वय आज भी अनुपस्थित हैं। तद्नुसार मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।

      उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत अपील, जो कि आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्‍तुत की गई है, को निरस्‍त किया जाता है।

साथ ही इस न्‍यायालय का बहुमूल्‍य समय एवं मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के आदेश का अनुपालन अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा सुनिश्चित न किए जाने को दृष्टिगत‍ रखते हुए अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण के विरूद्ध हर्जाना ०१.०० लाख रू० (एक लाख रूपया) अधिरोपित किया जाता है जो उपरोक्‍त अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा दो माह की अवधि में प्रधानमन्‍त्री आपदा राहत कोष में विधि अनुसार जमा कराया जावे तथा जमा से सम्‍बन्धित प्रपत्र इस राज्‍य आयोग के निबन्‍धक के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया जावे, जिसे प्रस्‍तुत अपील पत्रावली पर सुरक्षित रखा जावे।

यदि इस आदेश का अनुपालन अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा सुनिश्चित नहीं किया जावेगा तब अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्‍यक्ष एवं सचिव के विरूद्ध विधि अनुसार समुचित कार्यवाही की जावेगी।

निबन्‍धक राज्‍य आयोग, लखनऊ इस आदेश का अनुपालन न होने की दशा में अपनी आख्‍या के साथ प्रस्‍तुत अपील पत्रावली को इस न्‍यायालय के सम्‍मुख दिनांक २०-०१-२०२३ को प्रथम वाद के रूप में सूचीबद्ध करने हेतु कार्यालय को आदेशित करेंगे।

 

 

-९-

इस निर्णय की प्रति निबन्‍धन कार्यालय द्वारा एक सप्‍ताह की अवधि में अपीलार्थी आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्‍यक्ष एवं सचिव को पंजीकृत डाक से प्रेषित की जावे।  

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  

                                              अध्‍यक्ष                                                                                                                      

 

प्रमोद कुमार,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,

कोर्ट नं0-१. 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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