राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-872/2019
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्या 71/2014 में पारित आदेश दिनांक 20.09.2018 के विरूद्ध)
1. ब्रांच मैनेजर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0, आफिस- सिविल लाइंस नं0-2, बढैयावीर, जिला-सुलतानपुर फॉर मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीराम ग्रुप आफ कम्पनीज
2. ब्रांच मैनेजर श्रीराम ग्रुप आफ कम्पनीज- होटल कृष्णा पैलेस स्टेशन रोड- सिविल लाइंस फैजाबाद द्वारा पावर आफ अटार्नी (अमरेन्द्र कुमार)
........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्रीमती शिखा राय पुत्री सुरेश कुमार, निवासिनी- ग्राम व पोस्ट-हमीदपुर-कादीपुर, जिला-सुलतानपुर
...................प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री विष्णु कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 12.12.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री विष्णु कुमार मिश्रा को सुना।
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्या-71/2014 शिखा राय बनाम मैनेजिंग डायरेक्टर श्री राम ग्रुप कम्पनीज व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.09.2018 के विरूद्ध विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ योजित की गयी है।
मेरे द्वारा उपरोक्त विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया तथा यह तथ्य पाया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय दिनांक 20.09.2018 की प्रथम नि:शुल्क प्रति कार्यालय
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जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिनांक 25.09.2018 को जारी की गयी। तदोपरान्त अपीलार्थी द्वारा पुन: प्रार्थना पत्र दिनांकित 17.11.2018 के माध्यम से द्वितीय प्रमाणित प्रति प्राप्त किये जाने का आवेदन प्रस्तुत किया, जिस पर कार्यालय जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उक्त निर्णय की प्रमाणित प्रति दिनांक 17.11.2018 को अपीलार्थी को प्राप्त करायी गयी, परन्तु प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख लगभग 09 माह के विलम्ब से विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ दिनांक 17.07.2019 को योजित की गयी। तदनुसार कार्यालय द्वारा विलम्ब उल्लिखित किया जाना पाया गया। विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र में उद्धरित तथ्यों से विलम्ब से अपील प्रस्तुत किये जाने के संबंध में अपेक्षित विवरण उपलब्ध नहीं हैं।
प्रश्नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह आदेश पारित होने की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादिनी को उसके द्वारा जमा धनराशि 8000/-(आठ हजार रू0) एवं उस पर जमा तिथि से भुगतान की तिथि तक जो ब्याज नियमानुसार देय हो, अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण परिवादिनी को मानसिक कष्ट के रूप में तीन हजार रूपये व वाद व्यय के रूप मे दो हजार रूपये अदा करें।''
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण की शाखा फैजाबाद से 8000/-रू0 का प्रिन्सेस बाण्ड दिनांक 31.07.2003 को जरिए रसीद संख्या-7800718 क्रय किया गया था, परन्तु परिवादिनी को उक्त बाण्ड के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गयी। परिवादिनी द्वारा इस संबंध में विपक्षी के कार्यालय से सम्पर्क कर जानकारी करने का प्रयास किया गया, परन्तु परिवादिनी को न तो बाण्ड प्राप्त हुआ तथा न ही परिपक्वता तिथि की जानकारी दी गयी।
परिवादिनी का कथन है कि उक्त बाण्ड का भुगतान 13 वर्ष बाद होना था तथा अधिकतम समय 10 वर्ष बीत चुका था, परन्तु परिवादिनी
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को उक्त बाण्ड प्राप्त नहीं हुआ, जिसके संबंध में परिवादिनी द्वारा लिखित व मौखिक रूप से विपक्षीगण से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण को विधिक नोटिस दी गयी, परन्तु विपक्षीगण द्वारा उक्त नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया तथा न ही परिवादिनी का बाण्ड भेजा गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस प्रेषित की गयी, परन्तु विपक्षीगण जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख उपस्थित नहीं हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनांक 08.07.2015 को एकपक्षीय कार्यवाही प्रारम्भ की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादिनी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त यह तथ्य उल्लिखित किया गया कि विपक्षीगण द्वारा उपस्थित होकर न तो कोई जवाबदावा दाखिल किया गया तथा न ही परिवादिनी के कथनों का खण्डन किया गया। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पाया गया कि परिवादिनी विपक्षीगण से मूल जमा धनराशि 8000/-रू0 व उस पर जमा तिथि से भुगतान की तिथि तक जो ब्याज नियमानुसार देय हो, उसे परिवादिनी प्राप्त करने की हकदार है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रश्नगत आदेश दिनांक 20.09.2018 पारित किया गया।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.09.2018 के विरूद्ध लगभग 09 माह के विलम्ब से प्रस्तुत अपील में विलम्ब को क्षमा किये जाने हेतु पर्याप्त आधार नहीं है तथा यह कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय
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पारित किया गया, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
अतएव, प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1