Uttar Pradesh

StateCommission

A/1275/2019

Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Sherwani Sugar Syndicate Ltd - Opp.Party(s)

Isar Husain

17 Jan 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1275/2019
( Date of Filing : 31 Oct 2019 )
(Arisen out of Order Dated 04/10/2019 in Case No. C/40/2018 of District Kanshiram Nagar)
 
1. Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd
Through M.D. Shakti Bhawan Ashok Marg Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Sherwani Sugar Syndicate Ltd
Through Appointed REpresentative Shri narwadeshwar Lal Srivastava R/O Neoli Sugr Factory campus Distt. Kasganj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Jan 2020
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1275/2019

(जिला फोरम, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-40/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.10.2019 के विरूद्ध)

1-    Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd., through Managing Director Shakti Bhawan Ashok Marg Lucknow.

2-    Chief Engineer, Distribution Aligarh Mandal 33/11 K.V Electricity Substation Quarsee Ramghat Road Aligarh.

3-    Executive Engineer, Electricity Distribution Division Kasganj. 

                                              ........... Appellants/ Opp. Parties

Versus    

1-    Sherwani Sugar Syndicate Ltd., through Appointed Representative, Shri Narwadeshwar Lal Shrivastav, R/o Neoli Sugar Factory Campus District Kasganj.

2-    Neoli Sugar Factory A Unit of Sherwani Sugar Syndicate Ltd. Neoli Sugar Factory Campus, District Kasganj through Appointed Representative, Shri Narwadeshwar Lal Shrivastav.

       …….. Respondents/ Complainants

 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष 

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता   : श्री अजय किशोर पाण्‍डेय और

  श्री आर0के0 मिश्रा

दिनांक 28-02-2020

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-40/2018 शेरवानी शुगर सिडिकेट लिमिटेड व एक अन्‍य बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व दो

-2-

अन्‍य में जिला फोरम, कासगंज द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04.10.2019 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

“प्रस्‍तुत परिवाद परिवादीगण विरूद्ध विपक्षीगण सव्‍यय आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-3 द्वारा जारी नोटिस मु0 18,81,672.00 रूपये दिनांकित 28.02.2018 निरस्‍त किया जाता है इसी के साथ विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह मानसिक शारीरिक आर्थिक क्षति तथा वाद व्‍यय के एवज में 10,000.00 रूपया परिवादी को अदा किया जाना सुनिश्चित करें।”

जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन और प्रत्‍यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अजय किशोर पाण्‍डेय व श्री आर0के0 मिश्रा उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

 

-3-

उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण शेरवानी शुगर सिडिंकेट लिमिटेड और न्‍योली शुगर फैक्‍ट्री ए यूनिट ऑफ शेरवानी शुगर सिडिंकेट लिमिटेड ने जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और मुख्‍य अभियंता, वितरण अलीगढ़ मण्‍डल तथा अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड कासगंज के विरूद्ध परिवाद निम्‍न अनुतोष हेतु प्रस्‍तुत किया है:-

"अत: प्रार्थना है कि विपक्षी सं0-3 द्वारा जारी किया हुआ तथाकथित रिवाइज्‍ड बिल/नोटिस मु0 18,81,672.00 रू0 दिनांक 28.02.2018 जो कि परिवादी सं0-2 को 23.5.2018 को प्राप्‍त हुआ है, को निरस्‍त फरमाया जाकर विपक्षीगण को निर्देशित किये जाने की कृपा की जावे कि वह तथा कथित रिवाइज्‍ड बिल/नोटिस दिनांकित 28.02.2018 के आधार पर विद्युत धनराशि बसूल करने से आर0सी0 भेजने से विद्युत कनैक्‍शन विच्‍छेद करने से व उत्‍पीड़न व शोषण करने से बाज रहे तथा 1 लाख रूपये की धनराशि पैरा सं0-25 में दर्शायी गयी परिवादीगण को विपक्षीगण से अदा कराये जाने की कृपा की जावे।"

 

-4-

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण का कथन है कि परिवादी सं0-2 परिवादी सं0-1 का अधिकृत प्रतिनिधि है तथा दोनों की ओर से हस्‍ताक्षरकर्ता परिवाद दायर करने हेतु अधिकृत है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण का कथन है कि परिवादी सं0-1 द्वारा निर्माण करायी गई कर्मचारियों की आवासीय कालौनी हेतु विपक्षीगण से आवासीय विद्युत कनेक्‍शन की याचना की गई जिसे विपक्षीगण ने स्‍वीकार करते हुए परिवादी सं0-1 की आवासीय कालोनी को आवासीय विद्युत कनेक्‍शन स्‍वीकृत किया जिसका बिल  वर्ष-2013 से लगातार आवासीय दर से टैरिफ एल.एम.वी.1 के अनुसार जारी किया गया और बिलों का भुगतान बगैर किसी व्‍यवधान के परिवादी सं0-2, विपक्षी सं0-3 को करता रहा। बाद में विपक्षी सं0-3 द्वारा बिना किसी सूचना या आधार के विद्युत बिल के टैरिफ एल.एम.वी.1 को बदल कर टैरिफ एच.वी0.1 दर्शाकर, गलत बिल परिवादी सं0-2 को प्रेषित किये गये है। तब परिवादी सं0-2 ने विपक्षी सं0-2 को पत्र इस आशय का भेजा कि उसके द्वारा दिनांक 08.3.2016, 13.12.2017 व 16.12.2017 को जमा की गई धनराशि का समायोजन नहीं किया गया है बिल दुरूस्‍त किया जाये। तब विपक्षी सं0-3 ने जमा धनराशि 1,99,399.00 रू0 का समायोजन कर 18,81,672.00 रू0 की धनराशि का रिवाइज्‍ड बिल परिवादी सं0-2 को भेजा।

 

-5-

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण को परिवादी सं0-2 को स्‍वीकृत की गई टैरिफ एल.एम.वी.1 को टैरिफ एच.वी.1 इण्‍डस्‍ट्रीयल में बदलने का कोई अधिकार नहीं है और उन्‍होंने टैरिफ एच.वी.1 के आधार पर परिवादी सं0-2 को जो रिवाइज्‍ड बिल भेजा है वह गलत है। इस धनराशि को वे पाने का अधिकारी नहीं है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण का कथन है कि उन्‍होंने कभी भी विपक्षीगण से औद्योगिक परियोजन हेतु कनेक्‍शन नहीं लिया था। न ही आवेदन किया था और न ही उन्‍हें विद्युत टैरिफ एच.वी.1 का विद्युत कनेक्‍शन विपक्षीगण द्वारा स्‍वीकार किया गया था। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण उपरोक्‍त रिवाइज्‍ड बिल की वसूली करने और विद्युत कनेक्‍शन काटने तथा आर0सी0 जारी करने की धमकी दे रहे थे। अत: क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और उपरोक्‍त अनुतोष चाहा है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा गया है कि मुख्‍य अभियंता अलीगढ़ क्षेत्र अलीगढ़ के कार्यालय के ज्ञापन सं0 1154/मुअ,अक्षे/वाणिज्‍य/वी-173/स्‍वीकृत भार दिनांक 10.10.2013 से 225 किलोवाट भार का विद्युत कनेक्‍शन एच.वी-1 विद्या पर परिवादी को स्‍वीकृत किया गया है। यह संयोजन घरेलू विद्या में स्‍वीकृत होने के संबंध में

-6-

प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण द्वारा किया गया कथन गलत है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि सिंगल पॉइन्‍ट पर रिहायशी उपयोग में विद्युत का प्रयोग करने हेतु 75 किलो वाट व उससे अधिक भार का विद्युत संयोजन एच.वी.-1 तथा 11 के.वी.ए अथवा 33 के.वी.ए विद्युत विभव पर ही प्रदान किया जाता है। इसी नियम के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को एच.वी.-1 विद्या में 11 के.वी. विद्युत विभव पर 225 के.डब्‍लू भार का संयोजन मुख्‍य अभियंता अलीगढ़ के उपरोक्‍त विज्ञापन के अनुसार स्‍वीकृत किया गया है। लिखित कथन के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षीगण का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण ने वास्‍तविक तथ्‍य को छिपाया है। उनका संयोजन एच.वी.-1 विद्या में स्‍वीकृत होने के बावजूद भी विभाग को उन्‍होंने अवगत नहीं कराया और सहवन गलती से एल.एम.वी.1 विद्या में प्रेषित बिल का भुगतान करते रहे हैं। अत: टैरिफ शडयूल एच.वी.-1 विद्या में दी गई दर के अनुसार संशोधित बिल दिनांक 18.8.2015 से 20.01.2018 तक का बनाया गया और प्रेषित किया गया तथा परिवादीगण द्वारा एल.एम.वी.1 विद्या में जमा की गई धनराशि समायोजित करते हुए परिवादीगण को 20,81,071.00 रू0 का बिल निर्गत किया गया और प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण द्वारा 1,99,399.00 रू0 जमा की रसीद प्रस्‍तुत करने पर इस धनराशि का समायोजन कर पुनरीक्षित बिल दिनांक 18.8.2015 से 20.01.2018 तक का 18,81,672.00 रू0 का प्रेषित

-7-

किया गया है। अवशेष धनराशि की वसूली राजस्‍व की भॉति की जा सकती है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण ने वसूली से बचने के लिए गलत कथन के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

    जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार कर यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के संयोजन का संवर्ग एल.एम.वी.1 से बदलकर एच.वी.1 करके सेवा में कमी की है और अन्‍तर की धनराशि को जो पुनरीक्षित बिल दिया है वह गलत है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार कर उपरोक्‍त आदेश पारित किया है।

    अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के प्रश्‍नगत कनेक्‍शन का भार 75 के0वी0 से अधिक है। अत: प्रश्‍नगत कनेक्‍शन पर एच.वी.1 श्रेणी की टैरिफ लागू होती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को बिल गलती से एल.एम.वी.1 श्रेणी के टैरिफ के आधार पर भेजा गया था, जिसे उन्‍होंने जमा किया है। गलती की जानकारी होने पर पुनरीक्षित बिल अन्‍तर की धनराशि का भेजा गया है। अपीलार्थीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है। जिला फोरम का निर्णय व आदेश अधिकार रहित एवं विधि विरूद्ध है।

   

-8-

प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को 225 के.डब्‍लू. भार का विद्युत कनेक्‍शन आवासीय उद्देश्‍य से कर्मचारियों की कालोनी के लिये स्‍वीकृत किया गया है जिसका बिल एल.एम.वी.1 श्रेणी की टैरिफ के अनुसार देय है। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने बिल एल.एम.वी.1 टैरिफ के अनुसार भेजा है जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण ने जमा किया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण ने जो पुनरीक्षित बिल एच.वी.1 टैरिफ के अन्‍तर्गत भेजा है वह पक्षों के बीच हुए करार एवं Electricity Supply Code 2005 के विरूद्ध है। जिला फोरम का निर्णय व आदेश उचित है।

    मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

    प्रश्‍नगत कनेक्‍शन हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0-2 द्वारा अपीलार्थीगण को दिये आवेदन पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0-2 ने निम्‍न सहमत अंकित की है:-

“I/We also agree to be bound by the Licensee’s Distributin Code as approved by the Commission including any modifications thereof and the provisions of Electricity Act 2003 toghter with the Rules framed there under.”

       पक्षों के बीच हुए करार का Clause 7 (c) इस प्रकार है, “The Rate Schedule above mentioned may at the discretion of the Supplier be revised by the Supplier from time to time  and in the case of reision the Rate Schedule so revised shall be applicable to the consumer.

   

-9-

अपील का संलग्‍नक-डी वर्ष 2017-2018 का Rate Schedule है जिसके अनुसार Rate Schedule L.M.V.1 Domestic Light, Fan & Power के लिये है और Rate Schedule H.V.1 Non Industrail Bulk Loads के लिये है जिसका Clause 1 (e) और 3 (b) संगत है। अत: नीचे उद्धृत किया जाता है:-

Clause 1 (e) Registered Societies, Residential Colonies/ Townships, Residential Multi Storied Buildings with mixed loads (getting supply at single point) with contracted load 75 KW & above and getting supply at single point on 11 KV & above voltage levels and having less than 70% of the total contracted load exclusively for the purpose of domestic light fan and power. Figure of 70% shall also include the load required for lifts, water pumps and common lighting.

      Clause 3 (b)- Public Institutions, Registered Societies, Residential Colonies/ Townships, Residential Multi Storied Buildings, including Residential Multi Storied Buildings with contracted load 75 KW & above and getting supply at Single Point on 11 KV & aboe voltage levels.

    पक्षों के बीच हुए करार एवं वर्ष 2017-2018 के Rate Schedule के अनुसार प्रत्‍यर्थीगण के कनेक्‍शन का Rate Schedule संशोधित करने का अधिकार अपीलार्थी/विपक्षीगण को है। परन्‍तु संशोधन उसी अवधि हेतु किया जा सकता है जब से वर्ष 2017-2018 का Rate Schedule लागू होता है। Rate Schedule

-10-

लागू होने के पहले की अवधि का बिल इस Rate Schedule के आधार पर संशोधित नहीं किया जा सकता है।

    वर्ष 2017-2018 के Rate Schedule के उपरोक्‍त Clause 1 (e) को देखते हुए वर्ष 2017-2018 के Rate Schedule के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण के प्रश्‍नगत कनेक्‍शन का Rate Schedule संशोधित करने हेतु अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने का अवसर प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0-2 को दिया जाना आवश्‍यक है।

    प्रश्‍नगत कनेक्‍शन आवासीय उद्देश्‍य से लिया गया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण धारा-2 (1) (डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता और परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य है।

    अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा M/s. Anand Cane Crusher Vs. U.P. State Electricity Board & Anr.  III (1993) CPJ 365 (NC) के वाद में दिया गया निर्णय संदर्भित किया है जिसमें मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने माना है कि Dispute in the realm of pricing is beyond the jurisdiction of consumer forums.

       अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा U.P.S.E.B. Through its Superintending Engineer Electricity Distribution Circle & Anr. Vs. Ramvir Singh III (2003) CPJ 176 के वाद में दिया गया

-11-

निर्णय भी संदर्भित किया है जिसमें मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने कहा है कि Forum not vested with power to adjudicate upon validity of statutory provisions.

    मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त निर्णयों से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के वर्ष 2017-2018 के Rate Schedule के सम्‍बन्‍ध में किसी विवाद के निस्‍तारण का अधिकार जिला फोरम को नहीं है। परन्‍तु वर्ष 2017-2018 के Rate Schedule के अनुसार पुनरीक्षण हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना आवश्‍यक है। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को 18,81,672.00 रू0 की प्रेषित नोटिस दिनांक 28.02.2018 को जिला फोरम द्वारा निरस्‍त किया जाना उचित है परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को अपना पक्ष रखने का अवसर देकर अपीलार्थी/विपक्षीगण को Rate Schedule 2017-2018 के अनुसार इस निर्णय में की गयी विवेचना के प्रकाश में पुनरीक्षित बिल जारी करने व वसूली करने की स्‍वतंत्रता दिया जाना आवश्‍यक है। इसके साथ ही जिला फोरम ने जो मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति एवं वाद व्‍यय के मद में 10,000.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को दिलाया है उसे अपास्‍त किया जाना उचित है।

    उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश इस प्रकार से संशोधित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण की तरफ से

-12-

प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को 1881672.00 रू0 की जारी नोटिस दिनांक 28.02.2018 अपीलार्थी/विपक्षीगण को इस छूट के साथ निरस्‍त की जाती है कि वे Rate Schedule 2017-2018 के अनुसार इस निर्णय में की गई विवेचना के प्रकाश में प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को अपना पक्ष रखने का अवसर देकर पुनरीक्षित बिल जारी करने और वसूली करने हेतु स्‍वतंत्र हैं।

    जिला फोरम ने जो शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति एवं वाद व्‍यय के मद में प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण को 10,000.00 रू0 दिया है, उसे अपास्‍त किया जाता है।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेंगे।

अपील में धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थीगण को वापस की जायेगी।

 

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)               

                                 अध्‍यक्ष                            

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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