राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1434/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-81/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.5.2012 के विरूद्ध)
1- Union of India through its Secretary, Department of Post and Telegraph, New Delhi.
2- Senior Suprintendent of Post Offices, Moradabad Division, District Moradabad.
........... Appellants/ Opp. Parties
Versus
Sher Singh, S/o Mr. Krishna Pal Singh, R/o Village Sunderpur, P.S. Mainather, Tehsil- Bilari, Moradabad.
……..…. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : डॉ0 उदय वीर सिंह
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक : 09-3-2018
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-81/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.5.2012 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"परिवाद का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे संयुक्त रूप से अथवा पृथक-पृथक परिवादी को सभी मदों में 10,000.00 रू0 इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अन्दर अदा करें।”
संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 12.5.2009 को बजरिए पंजीकृत डाक उप डाकघर मैनाठेर मुरादाबाद से
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एम0जे0पी0 रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली के लिए एम0एस0सी0 प्रवेश परीक्षा हेतु एक प्रवेश फार्म मूल्य 450.00 रू0 मय प्रवेश पुस्तिका के साथ प्रेषित किया, जिसकी प्रवेश परीक्षा दिनांक 07.6.2009 को होनी थी। परिवादी जब दिनांक 07.6.2009 को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए पहुंचा तो पता चला कि परिवादी का परीक्षा फार्म विश्वविद्यालय में प्राप्त नहीं हुआ, जिस पर परिवादी को अत्यंत क्षोभ व दुख हुआ। परिवादी ने विश्वविद्यालय परिसर स्थित कार्यालय में पूंछतांछ की तो पता चला कि जो फार्म प्राप्त हुए है चाहे वे अंतिम तिथि के पश्चात प्राप्त हुए है। उनकी सूची में परिवादी का नाम नहीं था तब परिवादी को प्रतिवादी सं0-1 की लापरवाही का पता चला। परिवादी ने क्षेत्रीय उप डाकघर मैनाठेर में उपस्थित पोस्ट मास्टर से जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने यहॉ से फार्म भेज दिया है 15 दिन बाद आना। परिवादी जब पुन: 15 दिन बाद गया तो फिर 15 दिन बाद आने को कहा। कई बार चक्कर लगाने के बाद परिवादी ने एक लिखित शिकायत उप डाकपाल मैनाठेर में दिनांक 01.8.2009 को दी, किन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रतिवादी सं0-1 की लापरवाही के कारण परिवादी एम0एस0सी0 में प्रवेश नहीं प्राप्त कर सका व उसका सत्र बेकार हो गया है, जिसकी कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है, अत: परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण से कुल 1,50,950.00 रू0 तथा क्षपितूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादीगण की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है कि जिस तरह से परिवाद में कथन अंकित किए है हरगिज कोई कारण परिवाद योजित करने का परिवादी को उत्पन्न नहीं है। परिवाद का मूल्यांकन नियमानुसार सही नहीं किया गया है इस कारण परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी द्वारा जो डाक दिनांक 12.5.2009 को
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भेजा जाना बताया जाता है कि पंजीकृत डाक व अन्य डाक एक थैले में भरकर सिरसी डाकघर द्वारा आर0एम0एस0 मुरादाबाद के लिए बंद किया था उक्त बैग को यू0पी0 रोडवेज की बस सं0-यू0पी0 21एन/4209 में रोडवेज सिरसी द्वारा सायं 4.30 बजे चढ़ाया गया। उक्त बस सिरसी रोडवेज से मुरादाबाद बस स्टेशन पर 5.10 बजे पहुंची तथा विभागीय कर्मचारी ग्रुप डी0के0 श्री ललित भटनागर द्वारा सिरसी का डाक थैला उन्हें नहीं मिला। नरेश भटनागर द्वारा केवल बस से दो बैग सम्भल के व दो बैग सरायतरीन के उतारे थे, लेकिन ललित भटनागर द्वारा लिखित रूप से कोई सूचना सिरसी का बैग प्राप्त न होने की रोडवेज कार्यालय, आर0एम0एस0 एवं मुख्य प्रवर डाकपाल को नहीं दी। उक्त कर्मचारी द्वारा अपने कार्य में शिथिलता व लापरवाही बरती गयी जिसके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जा रही है, जो लम्बित है। प्रतिवादी का यह भी कथन है कि इण्डियन पोस्ट आफिस एक्ट की धारा-6 के तहत किसी भी पंजीकृत डाक विभाग के कर्मचारी द्वारा यदि कोई डाक खो दी जाती है तो उसको डिलीवर नहीं किया जाता और तब विभाग द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में डाक प्रेषक को 100.00 रू0 अदा किए जाते है। दिनांक 08.10.2009 को विभागीय नियमानुसार इण्डियन पोस्ट आफिस एक्ट की धारा-6 के अन्तर्गत 100.00 रू0 क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु क्लेम फार्म वास्ते भरने हेतु प्रेषित किया, जिसको परिवादी ने प्राप्त होने के उपरांत भी भर कर प्रस्तुत नहीं किया और मिथ्या आधारों पर नफा नाजायज हासिल करने की गरज से प्रस्तुत परिवादी प्रतिवादीगण के विरूद्ध योजित कर दिया, जो निरस्त होने योग्य है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 28.5.2012 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता डॉ0 उदय वीर सिंह उपस्थित आये। प्रत्यर्थी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना जा चुका है, उसके बावजूद भी प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। यह अपील
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वर्ष-2012 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया है।
केस के तथ्यों व परिस्थितियों से स्पष्ट है कि वह बैग नहीं मिला, जिससे रजिस्टर्ड लिफाफा भेजा गया था और इस सम्बन्ध में पोस्ट आफिस के कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही भी प्रारम्भ की गई थी और मौजूदा केस में देरी से पत्र पहुंचने का मामला साबित नहीं है, बल्कि पोस्ट आफिस के जिस थैले में तमाम पत्र थे, उसी में परिवादी का पत्र भी था, जो कि गायब हो गया था और परिवादी का पत्र नहीं मिला सका और उक्त के सम्बन्ध में पोस्ट आफिस के दोषी कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की गई। इस प्रकार हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेश विधि सम्मत नहीं है और निरस्त किए जाने योग्य है, तद्नुसार अपीलार्थी की अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है तथा उपभोक्ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-81/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.5.2012 को निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-5