Uttar Pradesh

StateCommission

A/671/2024

Madhyanchal Vidyut Vitran - Complainant(s)

Versus

Sheetla Saran Singh - Opp.Party(s)

Isar Husain

28 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/671/2024
( Date of Filing : 14 May 2024 )
(Arisen out of Order Dated 18/03/2024 in Case No. Complaint Case No. CC/77/2022 of District Rae Bareli)
 
1. Madhyanchal Vidyut Vitran
unchahaar through its executive engineer raibareilly & others
...........Appellant(s)
Versus
1. Sheetla Saran Singh
pure Lchcha Singh majre binnawan post deen shah gaura tahsil dalmau distt raibareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Aug 2024
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या : 671/2024

 

मध्‍यांचल विद्युत वितरण खण्‍ड ऊॅचाहार द्वारा अधिशाषी अभियन्‍ता रायबरेली व एक अन्‍य।

बनाम्

शीतला शरण सिंह आयु लगभग 88 वर्ष पुत्र जगदम्‍बा सिंह निवासी पूरे इच्‍छासिंह मजरे बिन्‍नवां पो0 दीनशाह गौरा तहसील डलमऊ जिला रायबरेली।

 

समक्ष  :-

     1-मा0 न्‍यायमूर्ति  श्री अशोक कुमार,      अध्‍यक्ष।

 

दिनांक : 28-08-2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष  द्वारा उदघोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-77/2022 शीतला शरण सिंह  बनाम मध्‍यांचल विद्युत वितरण खण्‍ड व एक अन्‍य में जिला आयोग, रायबरेली  द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18-03-2023 के विरूद्ध प्रस्‍तुत अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद एकपक्षीय रूप से  स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है:-

‘’ परिवादी शीतला शरण सिंह की ओर से दाखिल परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अंदर

 

 

 

 

 

 

 

 

-2-

परिवादी को नियमानुसार नलकूप कनेक्‍शन उपलब्‍ध करायें। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्रेषित विद्युत बिल 35,591/-रू0 निरस्‍त किया जाता है।

विपक्षीगण को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह उपरोक्‍त समय सीमा के अंदर परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में 2000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय के मद में 1,000/-रू0 अदा करे। परिवादी का परिवाद अन्‍य अनुतोष के बावत निरस्‍त किया जाता है। ‘’

जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण  की ओर से यह अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन उपस्थित आए जब कि प्रत्‍यर्थी शीतला शरण सिंह स्‍वयं उपस्थित आए।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के यहॉं दिनांक 19-01-2019 को नलकूप कनेक्‍शन क्षमता 7.05 के पंजीयन हेतु आवेदन किया तथा 100/-रू0 नगद भुगतान करके रसीद प्राप्‍त किया। तत्‍पश्‍चात विभाग द्वारा बनाये गये इस्‍टीमेट के अनुसार विविध भुगतान के शीर्षक के अन्‍तर्गत दिनांक 08-08-2019 को 52,697/-रू0 का नगद भुगतान करके पावती मूल प्रति विपक्षी से प्राप्‍त किया, जिस पर कार्यवाही करते हुए विपक्षीगण द्वारा मीटर लगाकर तत्‍काल कनेक्‍शन प्रदान किये जाने हेतु आदेशित किया गया, किन्‍तु विपक्षी द्वारा परिवादी को नलकूप कनेक्‍शन प्रदान नहीं किया गया और गलत तरीके से नलकूप का कनेक्‍शन दिखाते हुए दिनांक 19-08-2021 को 35,591/-रू0 का बिल प्रेषित किया गया। परिवादी ने विपक्षीगण से भेजे गये गलत बिल को निरस्‍त करने तथा नलकूप कनेक्‍शन चालू करने का निवेदन अनेकों बार किया किन्‍तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जो कि विपक्षीगण के स्‍तर पर सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

विपक्षीगण की ओर से नोटिस तामीला के पश्‍चात भी कोई उपस्थित नहीं आया अत: विपक्षीगण के विरूद्ध दिनांक 25-10-2022 को एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया गया।

विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादी को विस्‍तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के

 

 

-3-

उपरान्‍त विपक्षीगण के स्‍तर से सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्‍वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसका उल्‍लेख ऊपर किया जा चुका है।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि वह विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।  अत: अपील स्‍वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किया जावे।

प्रत्‍यर्थी जो कि स्‍वयं उपस्थित है के द्वारा कथन किया गया कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुसार है अत: अपील निरस्‍त करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जावे।

मेरे द्वारा उभयपक्ष  को विस्‍तारपूर्वक सुना गया एवं विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

उभयपक्ष को विस्‍तारपूर्वक सुनने एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विपक्षीगण को जिला आयोग द्वारा नोटिस जारी की गयी है और उन पर नोटिस की तामीला भी पर्याप्‍त मानी गयी है फिर भी विपक्षीगण जिला आयोग के समक्ष न तो उपस्थित हुए न ही लिखित कथन ही दाखिल किया गया अत: विवश होकर विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है जब कि विपक्षीगण की संस्‍था एक सरकारी संस्‍था है और उसके द्वारा नोटिस की तामीला के पश्‍चात भी कोई उपस्थित न होना उनकी सेवा में घोर कमी को दर्शित करता है।

 मेरे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

 

 

 

 

-4-

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है और विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से एक माह की अवधि में सुनिश्चित किया जावे।  

 अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्‍याज सहित  जिला आयोग को विधि अनुसार निस्‍तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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