राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२०१/२०१८
(जिला मंच, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद सं0-४५/२०१६ में बहुमत द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-११-२०१७ के विरूद्ध)
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लिमिटेड, गेटवे बिल्डिंग, अपोलो बण्डर, मुम्बई-४०० ००१.
................. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.
बनाम्
१. शशिकान्त पुत्र श्री शिवराज सिंह, ५५२, यादव कालोनी, शिकोहाबाद, जिला-फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश। ................ प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. मैनेजर, मै0 कमलेश ऑटो व्हीक्लश प्रा0लि0, निकट वरी का नगला, कोटला चुंगी, जिला फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश। ................ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-२.
३. मै0 कमलेश ऑटो व्हीक्लश प्रा0लि0, निकट एफ0सी0आई0, जी0टी0 रोड, जिला-एटा, उत्तर प्रदेश। ................ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-३.
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री नीरज कुमार विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित :- श्री राम गोपाल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : १२-०२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद सं0-४५/२०१६ में बहुमत द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-११-२०१७ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने एक वाहन मॉडल बुलेरो एस0एल0एक्स0, बी0एस0-३ ऑफ अपीलार्थी के डीलर प्रत्यर्थी सं0-२ से खरीदी थी। प्रत्यर्थी सं0-३ द्वारा प्रश्नगत वाहन की डिलीवरी दिनांक २८-११-२०१४ को परिवादी को दी गई। वाहन का फाइनेंस महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्सियल लि0 द्वारा किया गया। परिवादी गाड़ी खरीदने के उपरान्त जब भी सर्विस कराने गया तो गाड़ी के ऑयल इंजन से धूऑं निकलने की शिकायत परिवादी द्वारा की गई। कई बार शिकायत किए जाने के उपरान्त भी गाड़ी से काला धूऑं आना बन्द नहीं हुआ, इस कारण परिवादी को कई बार दो-चार दिन के लिए गाड़ी सर्विस स्टेशन पर छोड़नी पड़ी। इसके बाबजूद गाड़ी से काला धूऑं निकलना बन्द नहीं हुआ। इस सम्बन्ध में परिवादी ने अपीलार्थी के
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जनरल मैनेजर श्री अभिषेक चौहान, सीनियर मैनेजर श्री रवि पाठक, श्री नितिन गुप्ता, श्री सचिन कुमार एवं स्थानीय डीलर को कई बार उक्त शिकायत की जानकारी दी। इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा अपीलार्थी के कस्टुमर केयर मुम्बई को भी शिकायत से अवगत कराया गया। शिकायत के बाबजूद एटा प्रतिष्ठान पर ०८ दिन तक गाड़ी को रोके रखा। इसके बाद भी परिवादी की गाड़ी ने धूऑं देना बन्द नहीं किया। परिवादी द्वारा दिनांक २२-०८-२०१५ को अपने अधिवक्ता श्री जी0डी0 पालीवाल द्वारा नोटिस विपक्षीगण को भिजवाई गई किन्तु अपीलार्थी तथा अन्य विपक्षीगण द्वारा परिवादी के वाहन को सही नहीं किया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
अपीलार्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार अपीलार्थी मात्र वाहन का उत्पादनकर्ता है न कि विशेष उपभोक्ता का सेवाकर्ता है। प्रत्यर्थी डीलर अपीलार्थी कम्पनी का अभिकर्ता नहीं है और न ही कर्मचारी है। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रश्नगत वाहन में निर्माण सम्बन्ध कोई त्रुटि नहीं है। असत्य कथनों के आधार पर परिवाद योजित किया गया। अपीलार्थी की ओर से यह भी अभिकथित किया गया कि प्रश्नगत वाहन में परिवादी ने निर्माण सम्बन्धी दोष होना परिवाद के अभिकथनों में अभिकथित किया है किन्तु इस तथ्य की पुष्टि में कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की है।
प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: परिवाद की कार्यवाही प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ के विरूद्ध एक पक्षीय चली।
जिला मंच, फिरोजाबाद के अध्यक्ष द्वारा अपने निर्णय में निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
‘’ परिवादी का परिवाद आंशिक रूप में स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 १ ता ३ को आदेशित किया जाता है कि वह वादी को उसके वाहन मॉडल बुलेरो एस.एल.एक्स., बी.एस.-३ में काला धूऑं निकलने की शिकायत को इस निर्णय के ४० दिन के भीतर दूर कर वाहन को सही हालत में उपलब्ध कराये। अनुपालन न करने अथवा वाहन में व्याप्त दोष को दूर न कर सकने की स्थिति में विपक्षी १ लगायत ३ प्रस्तावित मरम्मत आदि
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की प्रतिपूर्ति के मद में मु0 १,००,०००/- रू० एवं ५०,०००/- रू० मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में वादी को अदा करेगा। इसके अतिरिक्त बतौर परिवाद व्यय मु0 २,०००/- रू० वादी को विपक्षी सं0 १ व ३ इस निर्णय के ३० दिन के भीतर अदा करेगा। वादी का यह दायित्व होगा कि वह प्रश्नगत वाहन को मरम्मत हेतु विपक्षी सं0 १ के अधिकृत सर्विस सेन्टर में १० दिन के अन्दर पावली प्रापत करके जमा करेगा। निर्णय के अनुपालन हेतु विपक्षीगण संयुक्त अथवा प्रथक-प्रथक रूप से उत्तरदायी होंगे। ‘’
जिला मंच, फिरोजाबाद के सदस्यगण द्वारा अपने निर्णय में निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
‘’ परिवादी का परिवाद आंशिक रूप में स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 १ को को आदेशित किया जाता है कि वह वादी को उसके वाहन मॉडल बुलेरो एस.एल.एक्स., बी.एस.-३ वाहन सं0 यू0पी0 ८३ ए.डी. ४७७७ को वापस लेकर उसका मूल्य जो वाहन क्रय करते समय वादी द्वारा विपक्षी सं0 २ को अदा किया गया है, को मय ब्याज ६ प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से तअदायगी तक, इस निर्णय के ३० दिन के भीतर वादी को अदा करे। इसके अतिरिक्त मानसिक मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के मद में मु0 २५,०००/- रू० एवं परिवाद व्यय ५०,०००/- रू० वादी को विपक्षी सं0 १ उक्त अवधि में अदा करेंगे। वादी का यह दायित्व होगा कि वह प्रश्नगत वाहन को वापिसी हेतु विपक्षी सं0 १ द्वारा बताये गये स्थापन पर पावली प्राप्त करके जमा करेगा। विपक्षी सं0 १ द्वारा अदा की गयी धनराशि में से नियमानुसार देयता के अनुसार अवशेष धनराशि प्राप्त करने का प्रथम अधिकार विपक्षी सं0 ४ का होगा। शेष धनराशि वादी प्राप्त करेगा। ‘’
बहुमत के इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नीरज कुमार एवं प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ पर आदेश दिनांक १८-०६-२०१८ द्वारा नोटिस की तामील पर्याप्त मानी गई। प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
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प्रस्तुत अपील विलम्ब से योजित की गई है। विलम्ब क्षमा किए जाने हतु प्रार्थना पत्र अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत किया गया है तथा इस प्रार्थना पत्र के समर्थन में श्री ए. विश्वनाथ अधिकृत प्रतिनिधि का शपथ पत्र संलग्न किया गया है। इस प्रार्थना पत्र के विरूद्ध प्रत्यर्थी सं0-१/परिवादी द्वारा आपत्ति की गई है। उललेखनीय है कि प्रस्तुत प्रकरण में जिला मंच, फिरोजाबाद के सदस्यगण द्वारा बहुमत से पारित निर्णय द्वारा प्रश्नगत वाहन को वापस लेकर उसका मूल्य जो वाहन क्रय करते समय वादी से प्रत्यर्थी सं0-१ द्वारा लिया गया, को ६ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अपीलार्थी द्वारा वापस किए जाने हतु निर्देशित किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रतयर्थी/परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में प्रश्नगत वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि इंजन से काला धूऑं निकलना, अभिकथित किया है किन्तु अपने इस अभिकथन के समर्थन में कोई विशेषज्ञ साक्ष्य प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। साथ ही जिला मंच ने प्रश्नगत वाहन की सम्पूर्ण क्रय धनराशि वापस किए जाने हेतु निर्देशित किया है। अधिवक्ता परिवादी ने अपीलार्थी के इस अभिकथन को अस्वीकार नहीं किया है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रस्तुत अपील गुणदोष के आधार पर निस्तारण किया जाना न्यायसंगत होगा। तद्नुसार अपील के प्रस्तुतीकरण में हुआ विलम्ब क्षमा किया जाता है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन के सन्दर्भ में खरीद की तिथि से ०३ वर्ष की अवधि तक अथवा ८०,००० कि0मी0 तक वाहन का चलाया जाना, इसमें से जो पहले हो, की वारण्टी अपीलार्थी द्वारा प्रदान की गई है किन्तु निर्विवाद रूप से परिवाद योजित किए जाने से पूर्व प्रश्नगत वाहन ०१.०० लाख कि0मी0 से अधिक चल चुका था। ऐसी परिस्थिति में वारण्टी समाप्त हो जाने के कारण परिवाद पोषणीय नहीं माना जा सकता।
परिवाद के अभिकथनों के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्नगत वाहन की खरीद के उपरान्त वारण्टी अवधि में ही प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत वाहन के इंजन से काला धूऑं निकलने की शिकायत अपीलार्थी के डीलर प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ से की थी। स्वयं अपीलार्थी ने अपील मेमो के साथ प्रश्नगत वाहन की दिनांक १७-०७-२०१५ को की
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गई सर्विसिंग से सम्बन्धित जॉब कार्ड की फोटोप्रति दाखिल की है। उक्त तिथि पर प्रश्नगत वाहन कुल ३१,६३२ कि0मी0 चलाया जाना ही दर्शित है। इसके अतिरिक्त २० जून, २०१५ को कराई गई सर्विसिंग से सम्बन्धित जॉब कार्ड की फोटोप्रति दाखिल की गई है, जिसमें वाहन २९,९४३ कि0मी0 चलना दर्शित है तथा काला धूऑं निकलने की शिकायत किया जाना भी दर्शि है। यह भी उल्लेखनीय है कि दिनांक २८-११-२०१४ को प्रश्नगत वाहन क्रय किया जाना निर्विवाद है तथा इस तिथि से ०३ वर्ष की अवधि के मध्य ही प्रश्नगत परिवाद, परिवादी द्वारा योजित किया गया है। परिवाद के अभिकथनों में परिवादी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि प्रश्नगत वाहन से काला धूऑं निकलने की शिकायत परिवादी, अपीलार्थी के डीलर प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ से करता रहा तथा इस त्रुटि के निवारण हेतु कई बार वाहन कई-कई दिनों तक सर्विस स्टेशन में रखा भी गया। इसके बाबजूद उक्त त्रुटि का निवारण अपीलार्थी अथवा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ द्वारा नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि परिवाद के अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए अपीलार्थी के डीलर प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का यह अभिथन स्वीकार न किए जाने का कोई औचित्य नहीं है कि प्रश्नगत वाहन के इंजन से काला धूऑं निकलने की शिकायत परिवादी वारण्टी अवधि के मध्य अथवा ८०,००० कि0मी0 वाहन के चलने से पूर्व करता रहा किन्तु उसकी शिकायत का निराकरण नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी का यह कथन कि परिवाद योजित किए की तिथि पर वाहन ०१.०० लाख कि0मी0 से अधिक चल चुका था, अत: वारण्टी अवधि समाप्त मानी जायेगी, स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ का यह दायित्व था कि वे प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन में बताई गई उपरोक्त त्रुटि का परिवादी की सन्तुष्टि में निराकरण कराया जाना सुनिश्चित करते किन्तु ऐसा न किए जाने के कारण हमारे विचार से अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ द्वारा सेवा में त्रुटि की गई किन्तु मात्र इंजन से काला धूऑं निकलने की त्रुटि के आधार पर वाहन वापस लेने तथा वाहन के क्रय मूल्य की अदायगी कराए जाने का कोई औचित्य नहीं होगा, बल्कि
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अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ को यह निर्देशित किया जाना न्यायसंगत होगा कि परिवादी द्वारा वाहन के इंजन से काला धूऑं निकलने सम्बन्धी बताई गई उपरोक्त त्रुटि का परिवादी की सन्तुष्टि में निराकरण निर्धारित अवधि के मध्य कराया जाना सुनिश्चित करें। निर्धारित अवधि में त्रुटि निवारण न किए जाने की स्थिति में परिवादी को क्षतिपूर्ति कराया जाना न्यायोचित होगा। अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद सं0-४५/२०१६ में बहुमत द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-११-२०१७ अपास्त किया जाता है। परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ को आदेशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्त करने की तिथि से ४५ दिन के भीतर प्रश्नगत वाहन से काला धूऑं निकलने की शिकायत का निराकरण परिवादी की सन्तुष्टि में किया जाना सुनिश्चित करें। निर्धारित अवधि में शिकायत का निराकरण न किए जाने की स्थिति में परिवादी, अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ से ५०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ परिवादी को ५,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में निर्णय की तिथि से ३० दिन के भीतर अदा करें। परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि प्रश्नगत वाहन को मरम्मत हेतु अपीलार्थी के अधिकृत सर्विस सेण्टर में निर्णय की प्राप्ति की तिथि से १० दिन के अन्दर पावती प्राप्त कर जमा करे। निर्णय के अनुपालन हेतु अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-२ व ३ संयुक्त तथा पृथक-पृथक रूप से उत्तरदायी होंगे।
अपीलीय व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.