Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/284

Ex Engineer Electricity - Complainant(s)

Versus

Shashi Pal Singh - Opp.Party(s)

D Mehrotra

19 Jan 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/284
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Ex Engineer Electricity
A
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित।

अपील संख्‍या-284/2004

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-301/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-11-2003 के विरूद्ध)

 

  1. Executive Engineer, Electricity Distribution Division, Sikandaran Agra.
  2. Sub-Divisional Officer, Electricity Distribution Division, Sikandaran Agra.

                        

                                  अपीलार्थी/विपक्षीगण

                                                  बनाम्

Sri. Shashi Pal Singh, S/o Sri Babu Lal, R/o Savai Post Atmadpur, Tehsil Atmadpur, Thana Atmadpur, District-Agra.                                          प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

1-   मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-   मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

1-  अपीलार्थी की ओर से उपस्थित -   श्री दीपक मेहरोत्रा।

2-  प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित -    कोई नहीं।

दिनांक :31-10-2014

मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

अपीलाथी ने प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-301/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-11-2003 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है, जिसमें निम्‍नवत आदेश पारित किया गया है-

"परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा बतौर सिक्‍योरिटी जमा की गयी धनराशि रू0 500/- मय ब्‍याज 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से जमा करने की तिथि दिनांक 27-03-1988 से वास्‍तविक भुगतान के दिवस तक इस निर्णय के तीस दिन के भीतर परिवादी को अदा करें। इसके अतिरिक्‍त धनराशि रू0 1500/- बतौर क्षतिपूर्ति हेतु एवं धनराशि रू0 1,000/- बतौर परिवाद व्‍यय के भी उक्‍त अवधि में परिवादी विपक्षीगण से पाने का अधिकारी होगा। निर्धारित अवधि में आदेश का पालन न करने पर परिवादी उक्‍त क्षतिपूर्ति

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एवं वाद व्‍यय की धनराशि 1500+1000=2500/-रू0 को निर्णय की तिथि से वास्‍तविक भुगतान के दिवस तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज सहित पाने का अधिकारी होगा। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि परिवादी के विरूद्ध धनराशि रू0 7300.24 पैसी की वसूली के बिलों को निरस्‍त करें। उक्‍त धनराशि के बिलों को एतद्द्वारा अवैध अवधारित किया जाता है।”

यह परिवाद परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध इस अनुतोष के साथ प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी द्वारा दिनाक 26-09-1988 को जमा की गयी जमानत की धनराशि मु0 6218/-रू0 मय बयाज 18 प्रतिशत की दर से दिनांक 15-08-1990 से परिवादी को विपक्षी से दिलाया जाए एवं परिवादी के विरूद्ध बकाया धनराशि मु0 7300/-रू0 को पूर्ण समाप्‍त किये जानेहेतु विपक्षी को आदेशित किया जाए एवं समस्‍त वाद का खर्चा भी परिवादी को विपक्षी से दिलाया जाए।

संक्षेप में इस केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि    परिवादी का एक विघुत कनेक्‍शन जिसकी सं0 एम0सी0-5301/159255 है जो वास्‍ते स्‍टोन कटिंग के लिए था। परिवादी ने कनेक्‍शन के लिए जमानत व मय खर्च के करीब 6218/-रू0 दिनांक 26-09-1988 को विपक्षी को जमा किये थे जो अभी तक विपक्षी के पास जमा है। परिवादी ने रेलवे सुरक्षा बल में नौकरी लगने के कारण उपरोक्‍त कनेक्‍शन को दिनांक 15-08-1990 को विच्‍छेदित करा दिया था जिसका फार्म नम्‍बर-9 प्राप्‍त कर लिया था। विपक्षी द्वारा कनेक्‍शन विच्‍छदित करते समय अपने मीटर को परिवादी के घर से उखाड़ लिया था। उस समय मीटर रीडिंग मात्र 56 यूनिट थी। जो परिवादी द्वारा उपभोग की गयी थी तथा विघुत विभाग द्वारा परिवादी की लाईन का पूरा सामान भी प्राप्‍त कर लिया था। परिवादी ने विघुत कार्यालय में जमा किये गये रूपये के लिए कई सम्‍पर्क स्‍थापित किये परन्‍तु विघुत विभाग ने जमा किये रूपये वापिस नहीं किये। दिनांक 10-02-1994 को परिवादी को विपक्षी के कार्यालय का एक नोटिस प्राप्‍त हुआ। जिसमें परिवादी के खिलाफ 7300/-रू0 एवं 25 पैसे बकाया धनराशि बतायी गयी है जो निराधार व पूर्ण गलत है क्‍योंकि परिवादी का विघुत कार्यालय में 6218/-रू0 जमा है तथा विघुत विभाग परिवादी से मात्र 56 यूनिट की कीमत लेने का अधिकारी है। परिवादी दिनांक 15-08-90 से जमा धनराशि 6218/-रू0 मय ब्‍याज 18 प्रतिशत वार्षिक लेने का अधिकार रखता है जो विघुत विभाग ने अभी तक वापिस नहीं किया है। विपक्षी ने परिवादी को उपरोक्‍त बकाया धनराशि का कोई बिल नहीं भेजा है। विघुत विभाग परिवादी से मीटर रीडिंग के अनुसार 56 यूनिट की कीमत ले सकता है। जिसके अदा करने को परिवादी तैयार है।

 

3

परिवादी ने दिनांक 17-02-1994  को अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विधिक नोटिस भी दिया किन्‍तु विपक्षी ने उक्‍त नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया अत: परिवादी उपरोक्‍तानुसार उक्‍त अनुतोष पाने का अधिकारी है।

विपक्षीगण द्वारा संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया। उन्‍होंने अपने प्रतिवाद पत्र में प्रारम्भिक आपत्ति में यह कहा कि परिवाद कालबाधित है। अत: पोषणीय नहीं है। परिवादी का विवादित विघुत कनेक्‍शन अगस्‍त, 1990 में विच्‍छेदित किया गया था और तभी उसको परिवाद का कारण उत्‍पन्‍न हो गया था इस हिसाब से भी परिवाद अगस्‍त, 1990 से दो वर्ष की सीमा अवधि के भीतर प्रस्‍तुत किया जा सकता था। अत/ यह परिवाद दिनांक 03-05-1994 को जब यह सीमा अवधि से बाधित हो गया था तब प्रस्‍तुत किया गया था। यह परिवाद विधिक व्‍यक्ति के विरूद्ध प्रस्‍तुत नहीं किया गया, इस आधार पर भी विधिक रूप से पोषणीय नहीं है क्‍योंकि अधिशाषी अभियन्‍ता विघुत वितरण खण्‍ड सिकन्‍दरा आगरा एवं सब डिवीजन अधिशासी भी विधिक व्‍यक्ति नहीं है। परिवादपत्र में वर्णित सभी तथ्‍यों को अस्‍वीकार करते हुए विपक्षीगणने कहा कि परिवादी को प्रश्‍नगत विघुत कनेक्‍शन स्‍टोन कटिंग में पत्‍थर काटने के उद्देश्‍य से (वाणिज्यिक उद्देश्‍य) परिवादी को दिया गया था जिसका नम्‍बर-5301/59255 था, जिसको दिनांक 15-08-19990 को विच्‍छेदित नहीं किया गया बल्कि दिनांक 16-01-1991 को विच्‍छेदित किया गया था। विधिक रूप से परिवादी अपने द्वारा मात्र 500/-रू0 सिक्‍योरिटी मय ब्‍याज 3 प्रतिशत वार्षिक से वसूल सकता था। इसको लाइन विछाने सर्विस चार्ज इत्‍यादि के खर्च के 5718/-रू0 विधिक रूप से वापिसी नहीं थी। परिवादी मात्र 500/-रू0 केबिल सिक्‍योरिटी की रसीद पेश करके ही वापिस पा सकता है। इसके अतिरिक्‍त सभी कथन परिवाद पत्र गलत है। परिवादी की ओर से विपक्षीगण के रू0 2625.60 पैसे देय है, 7300/-रू0 देय नहीं है। अत: ऐसी परिस्थिति में 6218/-रू0 परिवादी को काबिले वापिसी नहीं है। परिवादी की कोई नोटिस विपक्षीगण को नहीं दिया गया। परिवाद पत्र निरस्‍त होने योगय है। अतिरिक्‍त प्रतिवाद पत्र में विपक्षीगण ने कहा कि परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ।

पीठ के समक्ष अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता उपस्थित आए।

हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क सुने तथा विद्धान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय एवं पत्रावली का भली-भॉंति अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला मंच ने निर्णय न्‍याय के नैसर्गिक सिद्धान्‍तों के विरूद्ध आदेश पारित किया है। परिवादी ने स्‍टोन कटिंग के व्‍यवसायिक कनेक्‍शन 5 एच0पी0 का कनेक्‍शन

 

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सन् 1988 को लिया था और केवल 56 यूनिट का चार्ज अक्‍टूबर, 1988 से अगस्‍त, 1990 तक का देना चाह रहा है। यह विश्‍वास के योग्‍य नहीं है कि व्‍यवसायिक 5 एच0पी0 के कनेक्‍शन का 22 माह में केवल 56 यूनिट ही खपत हो सकी। परिवादी का विवादित कनेक्‍शन अगस्‍त, 1991 में काट दिया गया था और यह परिवादी दिनांक 03-05-1994 को समय सीमा अवधि से बाधित है। विधिक रूप से परिवादी अपने द्वारा मात्र 500/-रू0 सिक्‍योरिटी मय 3 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज पा सकता है शेष धनराशि लाईन बिछाने व सर्विस चार्ज इत्‍यादि खर्च की 5718/-रू0 विधिक रूप से वापिसी नहीं थी। अत: अपील स्‍वीकार कर विद्धान जिला मंच का आदेश निरस्‍त किया जाए।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से नोटिस के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ।

पत्रावली के परिशीलन से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने दिनांक 27-09-1988 को 6218/-रू0 जमा कर कनेक्‍शन लिया था। इसका स्‍पष्‍ट नोट कागज संख्‍या-22 पर है। 500/-रू0 जमानत की राशि एवं 5718/-रू0 सर्विस लाईन बिछाने आदि के चार्जेज की राशि लिखा है। विद्धान जिला फोरम के आदेश के पेज संख्‍या-2 पर लिखा है कि विच्‍छेदन करा दिया था जिसका फार्म सं0-9 प्राप्‍त कर लिया था फिर भी सिक्‍योरिटी वापस नहीं की गयी तथा दिनांक 10-02-1994 को परिवादी को विपक्षी के कार्यालय का एक नोटिस रू0 7300.25 पैसे  बकाया धनराशि दर्शायी गयी तब अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस भिजवायी गयी फिर भी सिक्‍योरिटी धनराशि वापस नहीं की गयी तब दिनांक 09-03-1994 को परिवाद योजित किया गया जो समय सीमा के अंदर है तथा विपक्षी ने स्‍वयं स्‍वीकार किया है कि विधिक रूप से परिवादी अपने द्वारा मात्र 500/-रू0 सिक्‍योरिटी मय 3 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के रसीद पेश करके वापिस पा सकता है। परिवादी की ओर से विपक्षीगण को 2625.60 पैसे देय है, 7300/-रू0 देय नहीं है अत: विपक्षीगण/अपीलार्थी द्वारा परिवादी को 7300/-रू0 का नोटिस भेजा जाना सेवा में कमी है। विद्धान जिला मंच द्वारा जो 1500/-रू0 क्षतिपूर्ति एवं 1000/-रू0 वाद व्‍यय हेतु आदेश पारित किया गया है वह उचित प्रतीत नहीं होता अत: क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय के संबंध में पारित आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है। तद्नुसार अपील अंशत: स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-301/1994 में पारित

 

 

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निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-11-2003 में क्षतिपूर्ति 1500/-रू0 एवं 1000/-रू0 वाद व्‍यय के संबंध में जो आदेश पारित किया गया है उसे अपास्‍त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।

उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍ययभार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

( राम चरन चौधरी )                         ( बाल कुमारी )

  पीठासीन सदस्‍य                              सदस्‍य

 

कोर्ट नं0-3

प्रदीप मिश्रा

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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