(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-3302/2003
(जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्या-27/2003 में पारित निणय/आदेश दिनांक 13.06.2003 के विरूद्ध)
नवरंग ट्रांसपोर्ट मूवर्स, द्वारा मैनेजर, नवरंग ट्रांसपोर्ट मूवर्स, 133/19, ट्रांसपोर्ट नगर, कानपुर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
शर्मा आयुर्वेद मन्दिर, द्वारा बलराम गुप्ता, अकाउण्टेंट, शर्मा आयुर्वेद मन्दिर, शिवपुरी रोड, झांसी।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री वी0पी0 शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री आलोक सिन्हा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 31.03.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-27/2003, शर्मा आयुर्वेद मन्दिर बनाम नवरंग ट्रांसपोर्ट मूवर्स में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.06.2003 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए रू0 1,44,796.92 पैसे 18 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है तथा वाद व्यय के रूप में अंकन 5,00/- रूपये भी अदा करने का आदेश दिया है।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी फर्म द्वारा विपक्षी ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बिल्टी संख्या-8415 एवं 8427 के द्वारा दिनांक 31.08.2001 को मीरजापुर के लिए बिल संख्या-0461 एवं 0474 कुल मूल्य रू0 1,44,796.92 पैसे का माल भेजा था। भाड़े का भुगतान बिल के साथ किया गया था। विपक्षी द्वारा माल मीरजापुर पहुँचाया गया, लेकिन अधिकृत क्रेता ने माल की बिल्टी नहीं छुड़ाई। परिवादी ने ट्रांसपोर्ट कम्पनी को दिनांक 24.12.2001 के पत्र द्वारा सूचित किया कि बैंक बिल्टी छुड़ाए बिना क्रेता को माल डिलीवर न किया जाए। दिनांक 24.12.2001 के बाद अधिकृत क्रेता ने माल नहीं छुड़ाया तब परिवादी ने दूरभाष के जरिए विपक्षी से अनुरोध किया कि माल को पुन: झांसी छोड़ दिया जाए। दिनांक 21.12.2002 को पंजीकृत नोटिस प्रेषित किया, परन्तु विपक्षी ने न तो माल वापस किया और न ही बिल्टी का भुगतान किया। विपक्षी ने परिवादी का माल किसी अन्य पार्टी को देकर भुगतान प्राप्त कर लिया और सेवा में त्रुटि कारित की, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी पर नोटिस की तामीली पर्याप्त मानी गई। विपक्षी उपस्थित नहीं हुआ तथा लिखित कथन भी प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए उसके विरूद्ध एकतरफा सुनवाई की गई और एकतरफा सुनवाई करते हुए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई है। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
4. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा एकतरफा निर्णय/आदेश पारित किया गया है। झांसी से समान बुक नहीं किया गया। झांसी में विपक्षी/अपीलार्थी का मुख्यालय या सब मुख्यालय नहीं है, इसलिए झांसी में कोई वादकारण उत्पन्न नहीं हुआ। क्षेत्राधिकार विहीन निर्णय/आदेश पारित किया गया है। परिवादी उपभोक्ता नहीं है। वास्तविक तथ्यों को छुपाते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया है। सभी माल केवल कानपुर में बुक किया गया। दो बिल्टियों के लिए एक परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। माल प्राप्तकर्ता के पास पहुँचा दिया गया, इसलिए अपीलार्थी का उत्तरदायित्व समाप्त हो गया। पुन: माल झांसी भेजे जाने का खर्चा नहीं दिया गया, इसलिए माल पुन: बुक नहीं किया गया। महोबा पहुँचाने के बाद पहली संविदा समाप्त हो गई। पुन: माल बुक करने की दूसरी संविदा है, जो कभी पूरी नहीं हुई, इसलिए परिवाद पर पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
5. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि झांसी से महोबा के लिए जो माल भेजा गया, उसके लिए किराया अदा कर दिया गया। पुन: माल बुक करने के लिए भाड़े का भुगतान नहीं किया गया। माल जिस स्थान के लिए प्रेषित किया गया, उस स्थान तक माल पहुँचा दिया गया। अत: पहली संविदा निश्चित रूप से पूर्ण हो चुकी है। दूसरी संविदा कभी भी अस्तित्व में नहीं आई। दूसरी संविदा के लिए परिवादी द्वारा केवल प्रस्ताव दिया गया, परन्तु प्रतिफल अदा नहीं किया गया। नजीर सैडलर शूज प्रा0लि0 बनाम एयर इण्डिया तथा अन्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यवस्था दी गई है कि जब प्रेषित किए गए माल को पुन: बुक करने के लिए कोई प्रतिफल न दिया गया हो तब पुन: माल बुक करने की कोई संविदा अस्तित्व में नहीं आयी। यह नजीर प्रस्तुत केस के लिए भी सुसंगत है। अत: अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13.06.2003 अपास्त किया जाता है तथा संधारणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2