Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/2155

Babu Banarasi Das Institute - Complainant(s)

Versus

Sharad Agarwal - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

10 Oct 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/2155
( Date of Filing : 18 Nov 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Babu Banarasi Das Institute
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sharad Agarwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Oct 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2155/2008

चेयरमैन बाबू बनारसी दास इंस्‍टीट्यूट आफ टैक्‍नोलॉजी

बनाम

शरद अग्रवाल पुत्र स्‍व0 राम नाथ

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।                          

दिनांक : 10.10.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-649/2003, शरद अग्रवाल बनाम चेयरमैन बाबू बनारसी दास इंस्‍टीट्यूट आफ टेक्‍नोलॉजी में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.3.2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा अपीलार्थी के संस्‍थान में बी.ई. इंजीनियरिंग इलेक्‍ट्रानिक्‍स एण्‍ड कम्‍पयूनिशेन प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने हेतु अंकन 73,200/-रू0 जमा किए गए, परन्‍तु कभी भी परिवादी के पुत्र को दाखिला नहीं दिया गया, इसलिए इस राशि को 6 प्रतिशत ब्‍याज सहित वापस लौटाने का आदेश विद्वान जिला आयोग ने दिया है।

3.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत विद्यालय से संबंधित विवाद नहीं

-2-

आते हैं। उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में मा0 सप्रीम कोर्ट की नजीर अनुपमा कालेज आफ इंजीनियरिंग बनाम गुलशन कुमार व अन्‍य प्रस्‍तुत की गई। प्रस्‍तुत केस के तथ्‍य उपरोक्‍त नजीर के तथ्‍यों से पूर्णतया भिन्‍न हैं। यथार्थ में प्रस्‍तुत केस में परिवादी का पुत्र कभी भी अपीलार्थी के संस्‍थान में शिक्षार्थी बन ही नहीं पाया, क्‍योंकि उसे कभी भी प्रवेश नहीं दिया गया और न ही कोई प्रवेश पत्र जारी किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि प्रवेश देने के उद्देश्‍य से कंट्रोलर के पास नाम प्रेषित किया गया था, परन्‍तु इतना भर पर्याप्‍त नहीं है। कंट्रोलर द्वारा प्रवेश लेने के लिए किसी पत्र को प्रेषित किए जाने का कोई सबूत पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं है।

4.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि धनराशि परिवादी के पुत्र द्वारा जमा की गई है, जबकि परिवाद विद्यार्थी के पिता द्वारा प्रस्‍तुत किया गया है। परिवाद पत्र में स्‍वंय उल्‍लेख है कि यह धनराशि परिवादी द्वारा जमा की गई है, इसलिए परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है। अत: प्रस्‍तुत केस के तथ्‍य उपरोक्‍त नजीर के तथ्‍यों से भिन्‍न होने के कारण तथा यह तथ्‍य स्‍थापित होने के कारण कि  परिवादी से विद्यालय ने प्रवेश के नाम पर अंकन 73,200/-रू0 प्राप्‍त कर लिए और कभी भी उसे दाखिला नहीं दिया गया। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

5.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

 

 

-3-

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

  

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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