Uttar Pradesh

StateCommission

A/1561/2015

Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitaran Khand - Complainant(s)

Versus

Shanker Lal Gupta - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

31 May 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1561/2015
(Arisen out of Order Dated in Case No. C/146/2013 of District Mainpuri)
 
1. Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitaran Khand
Mainpuri
...........Appellant(s)
Versus
1. Shanker Lal Gupta
Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 31 May 2016
Final Order / Judgement

        राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या- 1561/2015

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम,मैनपुरी द्वारा परिवाद संख्‍या-146/2013 में पारित आदेश दिनांक 25.06.2015  के विरूद्ध)

  1. Adhishasi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand, Devi Road, Mainpuri
  2. Junior Engineer U.P. Vidyut Corporation, Devi Road, Mainpuri(Jagatpal Junior Engineer has been Wrongly Impleaded by name as opposite party no.2)
  3. S.D.O U.P. Vidyut Corporation, Devi Road, Mainpuri(Raj Kumar Junior Engineer has been Wrongly Impleaded by name as opposite party no.2 )

                                     ..............अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

Shankar Lal Gupta son of  Chokhe Lal Gupta, R/o Near Bal Niketan School, Mohalla Agarwal, P.S. Kotwali Mainpuri, District Mainpuri                            .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी                                                               

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :  श्री दीपक मेहरोत्रा।

                              विद्वान अधिवक्‍ता ।                                  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :     कोई नहीं

 

दिनांक:23.10.2017

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद सं0-146/2013 शंकर लाल गुप्‍ता बनाम अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण  खण्‍ड देवी रोड़ मैनपुरी व 2 अन्‍य में जिला फोरम मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 25.06.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पत्र, विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-1  को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को रू0 1,78,385/-(एक लाख अठत्‍तर हजार तीन सौ पच्‍चासी रू मात्र) मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज जो परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक से अंतिम भुगतान की दिनांक तक देय होगा, एक माह के अन्‍दर परिवादी को अदा करे।

इस निर्णय की एक प्रति विपक्षी संख्‍या-1 व अधीक्षण अभियन्‍ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 मैनपुरी को इस आशय से प्रेषित की जाए कि वह इस प्रकरण में जांच कराकर दोषी अधिकारी/कर्मचारी से आदेशित धनराशि की वसूली कर ले क्‍योंकि परिवादी द्वारा इस प्रकरण में काफी गम्‍भीर प्रकृति के आरोप लगाये गये है जो प्रथम दृष्‍टया सिद्ध पाये जाते है।"

जिला फोरम के निर्णय से  क्षुब्‍ध होकर यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षीगण अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण  खण्‍ड व 2 अन्‍य की ओर से प्रस्‍तुत की गयी है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित हुए है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद इस कथन के साथ प्रस्‍तुत कियाहै कि वर्ष 2009 में प्रभारी जे0ई0 जगतपाल ने उसके मकान के सामने विद्युत पोल गाडने के लिए गड्डा खोदा, जिस पर परिवादी ने विवाद किया। इस कारण वे परिवादी से रंजिश मानने लगे और इसी कारण उसे परेशान करने के लिए उन्‍होंने एक फर्जी जांच रिपोर्ट तैयार की जबकि कोई मीटर रीडिंग नहीं ली गयी थी। चेकिंग रिर्पोट पर परिवादी का हस्‍ताक्षर भी नहीं कराया गया था।

परिवाद-पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह भी कहा गया है कि विपक्षी संख्‍या-02 जगत पाल जूनियर इंजीनियर ने 6000/-रू0 की उससे मांग भी की और मांग न पूरी करने पर उसका कनेक्‍शन काट दिया गया तथा उसके दोनों पुत्रों के विरूद्ध विद्युत चोरी की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी और शमन शुल्‍क 30,000/-रू0 तथा 20,000/-रू0 जमा कराया गया। जबकि विद्युत चोरी का कोई प्रमाण नहीं था और प्रत्‍यर्थी/परिवादी के दोनों पुत्रों के निवास स्‍थान अलग-अलग है।

परिवाद-पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रवर्तन दल द्वारा परिवादी का मीटर चेक किया गया तथा परिवादी की मीटर रसीदें देखी गयी, सबकुछ ठीक पाया गया। मीटर की सील और मीटर की केबिल पूर्ण रूप से सही थी जिसकी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने डिजीटल कैमरे में रिकार्डिंग की है।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवादी द्वारा विद्युत चोरी की जा रही थी इसी कारण शमन शुल्‍क वसूल किया गया है। परिवादी ही नहीं वरन् उसके दोनों पुत्रों द्वारा विद्युत चोरी की जा रही थी। अत: उनके विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी।

लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी का मीटर टैम्‍पर्ड पाया गया अत: मीटर प्रवर्तन दल द्वारा चेक करने के लिए परीक्षण शाखा भेजा गया। परीक्षण शाखा ने मीटर टैम्‍पर्ड पाया। अत: परिवादी को धारा 138 बी विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत विद्युत चोरी का दोषी पाया गया, इस  कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा 10,000/-रू0 शमन शुल्‍क जमा करने पर कनेक्‍शन जोड़ा गया है।

जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरांत यह निष्‍कर्ष निकाला है कि बिना किसी उचित कारण के परिवादी को विपक्षीगण द्वारा परेशान व हैरान किया गया है और दबाव बनाकर शमन शुल्‍क व चेकिंग रिपोर्ट हेतु शुल्‍क परिवादी से वसूले जाने के उपरांत भी किसी तकनीकी विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर यह सिद्ध करने का कोई प्रयास नहीं किया गया कि क्‍या वास्‍तव में परिवादी द्वारा अपने विद्युत मीटर को टैम्‍पर्ड किया गया या उससे कोई छेड-छाड कर विद्युत चोरी का प्रयास किया गया था।

जिला फोरम ने उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवाद-पत्र के कथन से ही यह स्‍पष्‍ट है कि यह प्रकरण विद्युत चोरी का है और परिवादी और उसके पुत्रों ने शमन शुल्‍क विद्युत विभाग में जमा किया है तथा उनके विरूद्ध पुलिस में विद्युत चोरी की रिपोर्ट भी दर्ज की गयी है। ऐसी स्थिति में परिवाद माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा III(2013) CPJ 1 (SC) यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 एण्‍ड अदर्स बनाम अनीश अहमद के वाद में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर जिला फोरम के समक्ष ग्राहय नहीं है। अत: जिलाफोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अधिकार-रहित और विधि विरूद्ध है। अत: अपास्‍त किए जाने  योग्‍य है।

मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है। परिवाद-पत्र में अभिकथित  तथ्‍यों से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के लड़कों के विरूद्ध विद्युत चोरी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करायी गयी और  उसके पुत्रों ने शमन शुल्‍क भी जमा किया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध भी मीटर टैम्‍परिंग का मामला पाया गया है और उसने भी शमन शुल्‍क जमा किया है तब उसका कनेक्‍शन जोड़ा गया है। अत: वर्तमान वाद के तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा III(2013) CPJ 1 (SC) यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 एण्‍ड अदर्स बनाम अनीश अहमद  के वाद में  प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर यह परिवाद जिला फोरम की आधिकारिता से परे है। अत: जिला फोरम ने परिवाद पर संज्ञान लेकर जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह अधिकार-रहित व विधि विरूद्ध है। अत: निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश निरस्‍त करते हुए परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को इस छूट के साथ निरस्‍त किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी सक्षम न्‍यायालय अथवा अधिकारी के समक्ष विधि के अनुसार कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र है।

उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थीगण को वापिस की जाए।

 

                     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                                  अध्‍यक्ष                                 

  सुधांशु श्रीवास्‍तव, आशु0

         कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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